लाभ को अधिकतम करने के लिए

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Optimum Cost Combination of Inputs: With Diagram | Hindi | Economics
Read this article in Hindi to learn about how optimum cost combination of inputs will be obtained with the help of a iso-product curve.
साधनों का अनुकूलतम संयोग अथवा साधनों का न्यूनतम लागत संयोग से अभिप्राय है कि दिये गये लागत व्यय (Cost Outlay) से किस प्रकार एक उत्पादक उत्पादन की अधिकतम मात्रा प्राप्त करता है ।
जिस प्रकार उपभोक्ता अपनी सीमित आय की सहायता से दी गयी वस्तु कीमतों के अन्तर्गत अपनी सन्तुष्टि को अधिकतम करने का प्रयास करता है, ठीक उसी प्रकार एक उत्पादक अपने सीमित लागत व्यय की सहायता से उत्पत्ति साधनों की दी गई कीमतों के साथ अपने उत्पादन को अधिकतम करने का प्रयास करता है ।
एक उत्पादक साधनों का प्रयोग करते हुए साम्य की स्थिति में तब होगा जब वह उपलब्ध साधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Optimum Utilization) करते हुए अथवा दूसरे शब्दों में, न्यूनतम लागत संयोग (Least Cost Combination) का प्रयोग करते हुए अपने लाभ को अधिकतम करने की स्थिति में हो जाये ।
उत्तोलन: उत्तोलन के उपयोग को समझना
उत्तोलन एक वित्तीय शब्द है जिसमें चीजों को खरीदने के लिए धन उधार लेना शामिल है, यह अनुमान लगाते हुए कि भविष्य के लाभ उधार लेने की लागत को कवर करेंगे। पैसा एक निवेश के रिटर्न को अधिकतम करने, अतिरिक्त संपत्ति हासिल करने या कंपनी के लिए धन जुटाने के लिए उधार लिया जाता है। जब किसी कंपनी या व्यक्तिगत व्यवसाय को अत्यधिक लीवरेज्ड कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि उन पर ऋण इक्विटी से अधिक है। लीवरेज निवेशकों को किसी भी संपत्ति, फर्म या कंपनी में निवेश करने से पहले सही निर्णय लेने में मदद करता है।
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अब तक फर्म के संतुलन के विश्लेषण में हमने यह मान्यता मानी थी कि उद्यमी अपने लाभ को सदैव अधिकतम करना चाहता है ऐसे ही उद्यमी को विवेकशील कहा गया लाभ को अधिकतम करने के लिए था किंतु बॉमोल ने लाभ अधिकतम करने की मान्यता को चुनौती दी और बताया कि फर्म के लिए लाभ अधिकतम करना अंतिम उद्देश्य नहीं होता बल्कि फर्म का मुख्य प्रयास अपनी बिक्री को अधिकतम करना है।
दूसरे शब्दों में– बॉमोल के विचार में फर्म बिक्री को बढ़ा कर अपने कुल आगम को अधिकतम करने का प्रयास करती है। इसी कारण बॉमोल के लाभ अधिकतम करने की विचारधारा को आय अधिकतम सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है।
baumol model-बॉमोल की परिकल्पना में फर्म के लाभ उद्देश्य की पूर्ण उपेक्षा नहीं होती बल्कि यह कहा जा सकता है कि लाभ अधिकतमीकरण की तुलना में फर्म के लिए बिक्री अधिकतमीकरण अधिक महत्वपूर्ण है प्रो. बामोल अपनी बिक्री अधिकतमीकरण की परिकल्पना को अधिक युक्तिसंगत एवं यथार्थवादी बताते हैं उनके विचार में बिक्री अधिकतमीकरण में न्यूनतम लाभ प्राप्त होने की शर्त निहित है।
बिक्री अधिकतम मॉडल: कीमत तथा उत्पादन निर्धारण
baumol model -द्वारा प्रस्तुत इस मॉडल की व्याख्या चित्र में की गई है चित्र में TR, TC तथा TP क्रमशः कुल आगम, कुल लागत तथा कुल लाभ को बताते हैं TR तथा TC वक्रों का अंतर विभिन्न उत्पादन स्तरों पर कुल लाभ(TP) को सूचित करता है। विभिन्न उत्पादन स्तरों पर कुल लाभ उस बिंदु पर TR एवं TC वक्रों के मध्य लंबवत दूरी द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
उत्पादन की OX1मात्रा पर कुल लाभ (TP) अधिकतम है बिंदु R2 पर कुल आगम (TR) अधिकतम है जहां उत्पादन मात्रा OX3 है। OX3 उत्पादन मात्रा पर कुल लाभ KX3 के बराबर है जो उत्पादन मात्रा OX1 पर प्राप्त होने वाले कुल लाभ MX1 से कम है उत्पादन स्तर पर लाभ को अधिकतम करने के लिए कुल लाभ की मात्रा कम होने पर भी प्राप्त कुल आगम (TR) अधिकतम है जिसे चित्र में R2X3 द्वारा दिखाया गया है।
प्रो. बामोल के अनुसार फर्म OX3 उत्पादन स्तर पर उत्पादन करना चाहेगी क्योंकि इस उत्पादन स्तर पर अधिकतम कुल आगम के साथ-साथ कुल लाभ R2 X3 भी प्राप्त हो रहा है हम यह पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि अपनी बिक्री या आगम को अधिकतम करने के साथ-साथ एक न्यूनतम लाभ को अधिकतम करने के लिए लाभ स्तर भी प्राप्त करना चाहेगी यदि फर्म के लिए न्यूनतम आय स्तर OP (=XE) लाभ को अधिकतम करने के लिए के बराबर हो तो फर्म न्यूनतम स्तर प्राप्त करते हुए अधिकतम आगम OX उत्पादन स्तर पर प्राप्त कर पाएगी क्योंकि न्यूनतम लागत रेखा कुल वक्र TP को बिंदु E पर काटती है।
प्रो. बॉमोल के मॉडल की श्रेष्ठता
1- जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं कि (baumol model) लाभ अधिकतमीकरण उत्पादन, बिक्री अधिकतमीकरण उत्पादन से कम होगा तथा लाभ अधिकतमीकरण मूल्य बिक्री अधिकतमीकरण मूल्य से अधिक होता है।
2- लाभ अधिकतम करने वाली फर्म की तुलना में प्रो. बॉमोल की बिक्री अधिकतम (baumol model) करने वाली फर्म अधिक वास्तविक है क्योंकि बॉमोल की फर्म स्थिर लागत के परिवर्तन का ध्यान रखती है लाभ अधिकतम करने की परिकल्पना में यह मान्यता है कि स्थिर लागत का परिवर्तन, उत्पादन स्तर को प्रभावित नहीं करता किंतु प्रो. बॉमोल की परिकल्पना में यह मान्यता है कि यदि अल्पकाल में स्थिर लागत में वृद्धि की जाती है तो बिक्री अधिकतम करने वाली फर्म कीमत को बढ़ाकर उत्पादन को घटा देगी इस स्थिति की व्याख्या चित्र में की गई है चित्र में OP न्यूनतम लाभ स्तर को बताता है जिसे PR रेखा द्वारा दिखाया गया है। आरंभिक कुल लाभ वक्र TP0 पर न्यूनतम लाभ स्तर प्राप्त लाभ को अधिकतम करने के लिए लाभ को अधिकतम करने के लिए करते हुए फर्म OQ0 उत्पादन की बिक्री करेगी।
प्रो. बॉमोल की परिकल्पना की आलोचना
1― अर्थशास्त्री रोजेनबर्ज ने प्रो. बॉमोल की परिकल्पना की न्यूनतम लाभ स्तर की मान्यता के आधार पर आलोचना की। उनके अनुसार न्यूनतम लाभ स्तर का निर्धारण एक कठिन कार्य है जिसके लिए कोई वैज्ञानिक आधार प्रो. बॉमोल ने प्रस्तुत नहीं किया।
2― प्रो. बॉमोल की परिकल्पना अल्पाधिकारी फर्मों की वास्तविक कीमत-निर्भरता की वास्तविकता की उपेक्षा करती है।
3― प्रो. फर्गुसन एवं प्रो. क्रैप्स की बिक्री अधिकतमीकरण परिकल्पना को लाभ अधिकतमीकरण सिद्धांत का एक विकल्प मानते हैं उनके विचार में, अनेक विकसित विकल्पों में से बॉमोल की परिकल्पना को एक बड़ा लाभ प्राप्त है। यह वास्तविकता एवं सत्याभास की दिशा में पुराने मॉडलों का संशोधन करता है, साथ ही यह सामान्य वैज्ञानिक विश्लेषण को भी संभव बनाता है।
कीमत निर्धारण के उद्देश्य ( Objectives of Pricing ) क्या है ?
साधारणतया कीमत एवं कीमत निर्धारण को एक ही मान लिया जाता है । जबकि दोनों में मूलभूत भिन्नता होती है । कीमत उत्पाद के मूल्य का मौद्रिक माप होता है जबकि कीमत निर्धारण ऐसे मूल्य के निर्धारण की प्रक्रिया होती है । कीमत निर्धारण विपणन प्रबन्ध का वह कार्य होता है जिसमें वह उत्पाद मूल्य के सन्दर्भ में उत्पाद का मूल्य मुद्रा में व्यक्त करता है ताकि उपभोक्ता को विक्रय के लिए उत्पाद प्रस्तुत किया जा सके ।
स्टेन्टन का कथन है कि "प्रत्येक विपणन कार्य जिसमें कीमत निर्धारण भी सम्मिलित है, किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया जाना चाहिए ।"
इससे यह स्पष्ट होता है कि विपननकर्त्ता द्वारा कीमत निर्धारण भी कुछ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से कर सकती है । कीमत निर्धारण के अनेक उद्देश्यों को निम्न शीर्षकों में विश्लेषित किया जा सकता है :-
कीमत निर्धारण के उद्देश्य ( Objectives of Pricing ) क्या है ?
साधारणतया कीमत एवं कीमत निर्धारण को एक लाभ को अधिकतम करने के लिए ही मान लिया जाता है । जबकि दोनों में मूलभूत भिन्नता होती है । कीमत उत्पाद के मूल्य का मौद्रिक माप होता है जबकि कीमत निर्धारण ऐसे मूल्य के निर्धारण की प्रक्रिया होती है । कीमत निर्धारण विपणन प्रबन्ध का वह कार्य होता है जिसमें वह उत्पाद मूल्य के सन्दर्भ में उत्पाद का मूल्य मुद्रा में व्यक्त करता है ताकि उपभोक्ता को विक्रय के लिए उत्पाद प्रस्तुत किया जा सके ।
स्टेन्टन का कथन है कि "प्रत्येक विपणन कार्य जिसमें कीमत निर्धारण भी सम्मिलित है, किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया जाना चाहिए ।"
इससे यह स्पष्ट होता है कि विपननकर्त्ता द्वारा कीमत निर्धारण भी कुछ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से कर सकती है । कीमत निर्धारण के अनेक उद्देश्यों को निम्न शीर्षकों में विश्लेषित किया जा सकता है :-