ROE फार्मूला

Return of Equity kya hai | Roe Meaning in Hindi
हेल्लो दोस्तों, आज हम इस post में जानगे की Return of Equity यानि की Return of Equity kya hai, ये तो आपको पता ही है की हम अपने पैसे तब तक कही लगाना safe नही समझते है ! जब तक की हमे उस कंपनी व् industry के बारे में नही पता लगता है ! ऐसे में यदि आप भी किसी कंपनी निवेश करना चाहते हो तो सबसे पहले आप उस कंपनी के ROE के बारे में जरुर जान ले लेकिन आपको नही पता है की Return of Equity kya hai और Roe Meaning in Hindi तो ऐसे में आप हमारे हमारे साथ इस post में शुरू से लेकर अंत तक जरुर बने रहे ! जिससे की हम आपको ROE kya hai और Roe Meaning in Hindi क्या है इसके बारे में आसानी से समझा सकेगे !
ROE kya hota hota hai ?
ROE एक ऐसा फार्मूला है, जिसकी मदद से हम आसानी से किसी भी कंपनी की वित्तीय स्थिति को माप सकते है ! जब कोई निवेशक किस कंपनी में निवेश करने के लिए इक्विटी द्वारा शुद्ध आय को विभाजित करने के लिए किया जाता है ! ऐसे में निवेशको की इक्विटी इसके assets के बारबर होती है जिसके बिच कम्पनी का कर्जा यानि लोन नही आता है ! यदि हम इसको आसान भाषा में समझे तो ROE का उपयोग ROE फार्मूला कंपनी के net assets return को समझे के लिए किया जाता है ! ROE यानि की Return of Equity कहलाता है !
Roe meaning in hindi
Meaning Roe in Hindi : Roe Return of Equity होता है ये एक profitable ratio है ! जिसकी मदद से हम कंपनी के प्रॉफिट के बारे में पता लगा सकते है ! जिसे हम ROE के नाम से जानते है !
ROE Full Form in Hindi
ROE की full form Return of Equity होता है !
ROE (Return of Equity) को कैसे कैलकुलेट किया जाता है ?
यदि आप ROE को कैलकुलेट करना चाहते है तो हम आपको आपकी जानकरी के लिए बता दे की ROE को कैलकुलेट करने के लिए आपके पास उस कंपनी के पुरे साल का profit & loss की full statement होनी चाहिये ! जिससे की आप ROE को कैलकुलेट कर पाओगे ! यदि आप भी ROE को कैलकुलेट करने की शोच रहे हो लेकिन आपको नही पता है की ROE को कैसे कैलकुलेट करे तो आप हमारे द्वारा बताये गये निम्नलिखित points को step by step को follow कर सकते है ! जिससे की आपको आसानी से पता लग जायेगा की ROE को कैसे कैलकुलेट करे !
ROE Formula : ROE = Net Income/Shareholder’s Equity
- ऐसे में मान लो एक कंपनी है जिसकी equity 100 करोड़ है जिसके चलते उसने इस बिच 15 करोड़ का मुनाफा कमाया है ! तो ऐसे में कंपनी का ROE निकालना है !
- इसके लिए हमें 100 करोड़ में से 15 करोड़ को भाग कर देंगे तो ऐसे में ROE कुल 0.15% आता है ! यानि की 15% है !
- इस प्रकार आप आसानी से ROE को कैलकुलेट कर सकते है !
मैं आशा करता हूँ, आप ROE फार्मूला सभी को ROE kya hota hota hai और Roe meaning in hindi अच्छे से समझ आया होगा ! यदि अभी भी आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट्स में जरुर बता सकते है ! हमें आपके सभी सवालों का जवाब देते हुए बहुत ROE फार्मूला ख़ुशी होती है !
Syan Gyan काफी समय से Money Investment , Money Management , Finacial , Share market , Mutual Fund रिलेटेड जानकारी के लिए बुक्स स्टडी कर रहे है और Finance related आर्टिकल लिख रहे है। यह हमारा मकसद आसान भाषा में Share market , Finace रेलतद जानकारी देना है। धन्यावाद।
क्या होता है ROE और इसे कैसे करते हैं कैलकुलेट, जानिए इसका सबसे आसान फॉर्मूला
अगर शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी TD Power System की बात करें तो इसका ROE 13% है. इससे ये पता चलता है कि शेयरधारकों के हर 1 रुपये निवेश पर कंपनी ने 13 पैसे का मुनाफा कमाया है. अब यहां सेक्टर का औसत ROE 9.9 फीसद है, तो इससे पता चलता है कि कंपनी अपने सेक्टर में बाकी कंपनियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है और भविष्य में यहां और तेजी की ROE फार्मूला उम्मीद की जा सकती है.
Updated on: Jul 20, 2022 | 8:06 PM
शेयर बाजार में थोड़ा पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाने की इच्छा किसके मन में नहीं होती. हालांकि सिर्फ कुछ ही ऐसा करने में सफल होते हैं. वजह साफ है कि अधिकांश लोगों को बाजार की समझ नहीं होती. और न ही वे निवेश के लिए किसी कंपनी का चुनाव करने का तरीका सही ढंग से जानते हैं. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां हर तिमाही अपने नतीजे जारी करती हैं जिससे उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में पता चलता है. इसके साथ ही बाजार के जानकार इन नतीजों पर आधारित कुछ खास फॉर्मूलों की भी मदद लेते हैं जिससे उन्हें किसी खास कंपनी की आगे की चाल का अंदाजा लगता है. ऐसा ही एक फॉर्मूला है आरओई (ROE) का जिसकी मदद से आप किसी भी कंपनी की दिशा का अंदाजा लगा सकते हैं और मजबूत कंपनी का चुनाव कर आने वाले समय में मोटी कमाई कर सकते हैं.
तो, आज हम आपको बताएंगे कि रिटर्न ऑन इक्विटी क्या होता है और इसकी मदद से आप कैसे निवेश के लिए सही कंपनी चुन सकते हैं. दरअसल ROE किसी कंपनी के प्रदर्शन और लाभ को मापने का सही तरीका है. इसके जरिये हम ये भी जान सकते हैं कि किसी कंपनी में निवेश फायदेमंद रहेगा या नहीं. ROE वाली कंपनियां ये इंगित करती हैं कि उन्होंने शेयरधारकों के पैसे का कितनी कुशलता से इस्तेमाल किया है. लगातार अधिक ROE बरकरार करने वाली कंपनियां ये भी दर्शाती हैं कि उन पर कर्ज कम है और ब्याज का खर्च भी बेहद मामूली है. ROE न सिर्फ कंपनी की ग्रोथ को दर्शाता है बल्कि इसके जरिये हम ये भी समझ सकते हैं कंपनी आने वाले समय में डिविडेंड देती रहेगी या नहीं. कंपनी के पास शेयरधारकों को भुगतान करने के लिए पर्याप्त पूंजी है या नहीं.
ROE कैलकुलेशन का फॉर्मूला
अब जरा ये भी समझ लेते हैं कि आखिर ROE को कैलकुलेट कैसे करते हैं. तो इसके लिए भी तरीका बहुत आसान है…तो इसके लिए पहले कंपनी की नेट इनकम निकालते हैं. कंपनी की कुल आय में से ब्याज, कंपनी के खर्च, टैक्स और बाकी अन्य खर्चों को घटा दें तो जो रकम बचती है उसे नेट इनकम कहते हैं. अब नेट इनकम को शेयरधारकों की इक्विटी से भाग दे दें, तो जो भी आंकड़ा आएगा उसे ROE कहते हैं.
ROE= Net Income (Revenue-Expenses, Tax, Interest and other Expenses)/ Shareholders Equity
इस उदाहरण से समझें
अब उदाहरण के लिए अगर शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी TD Power System की बात करें तो इसका ROE 13% है. इससे ये पता चलता है कि शेयरधारकों के हर 1 रुपये निवेश पर कंपनी ने 13 पैसे का मुनाफा कमाया है. अब यहां सेक्टर का औसत ROE 9.9 फीसद है, तो इससे पता चलता है कि कंपनी अपने सेक्टर में बाकी कंपनियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है और भविष्य में यहां और तेजी की उम्मीद की जा सकती है.
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लेकिन चलते-चलते आपको ये भी बता दें कि ROE किसी कंपनी को जांचने का महत्वपूर्ण आंकड़ा है, लेकिन आखिरी नहीं. इसलिए निवेश से पहले बाकी पैमाने पर भी कंपनी को जांचें और सोच समझकर रिसर्च करने के बाद ही शेयर बाजार में निवेश करें.(मनी9)
ROE Meaning in Hindi
शेयर बाजार में किसी विशेष स्टॉक में निवेश से पहले अलग-अलग पैरामीटर को देखने और जांचने की आवश्यकता होती है। उन सभी पैरामीटर में से ROE एक बहुत महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो आपको आपकी द्वारा किये हुए निवेश पर होने वाले रिटर्न की जानकारी देता है। इस लेख में हम जानेंगे की ROE meaning in hindi और किस तरह से आप इससे एक सही ROE फार्मूला स्टॉक में निवेश करने का फैसला ले सकते है।
ROE Meaning in Share Market in Hindi
जब भी आप शेयर मार्केट में इक्विटी (equity meaning in hindi) में निवेश करना चाहते है उसके लिए आप एक ऐसी कंपनी का चयन करना चाहते है जिससे आप आने वाले समय में ज़्यादा रिटर्न प्राप्त कर सके और इसके लिए उपयोग होता है ROE जो आपको कंपनी की हेल्थ के बारे में बताता है ।
सरल भाषा में ROE आपको ये जानकारी देता है कि आप जिस कंपनी में निवेश कर रहे है वह आपको कितना रिटर्न देने की क्षमता रखती है । ROE की गणना करने के लिए एक निवेशक के लिए ज़रूरी है कि वह कंपनी की नेट इनकम और शेयरहोल्डर इक्विटी की जानकारी प्राप्त करे।
नेट इनकम कंपनी की वह इनकम है जो कंपनी के सभी तरह के खर्चे, इंटरेस्ट और टैक्स देने के बाद बच जाती है, दूसरी तरफ शेयरहोल्डर इक्विटी बिज़नेस की नेट वर्थ (networth) की जानकारी देता है । इसका तातपर्य है की एक कंपनी ने अपने बिज़नेस में कितना इन्वेस्ट किया हुआ है।
इसकी जानकारी आप आसानी से बैलेंस शीट (balance sheet in hindi) से प्राप्त कर सकते है जिसमे शेयरहोल्डर इक्विटी तीन भागो में बाटी गयी है: कॉमन स्टॉक, प्रीफरेंस स्टॉक्स (preference share meaning in hindi), और रेटेनेड अर्निंग।
अब वापिस आते है रिटर्न ऑन इक्विटी पर जिससे एक निवेशक और कंपनी के प्रमोटर कंपनी की परफॉरमेंस की जानकारी प्रदान करता है, ये वैल्यू परसेंटेज में होती है और इसकी मदद से काफी निवेशक कंपनी में निवेश करने का निर्णय लेते है ।
तो अगर आप शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बने की ओर देख रहे है तो ज़रूरी है की उसके लिए कंपनी की ROE और दूसरे पैरामीटर के और देखे और उसके अनुसार निवेश करे ।
अब काफी बार निवेशक Return on Equity और Rate of Interest के बीच भ्रमित रहते है, लेकिन ये दोनों ROE फार्मूला अलग-अलग पैरामीटर्स है ।
एक तरफ जहां Return on Equity ये जानकारी देता है कि शेयर मार्केट में किस तरह से कंपनी इन्वेस्टर के निवेश किये गए फण्ड का उपयोग कर रही है, दूसरी तरफ Rate of Interest से एक निवेशक ये जान सकता है कि एक निवेशक किसी भी असेट में निवेश करने पर कितना मुनाफा कमा सकते है ।
ROE फार्मूला
ROE की गणना के लिए हमें नेट इनकम (Profit after Tax) में टोटल इक्विटी से भाग देने की जरुरत होती है।
ROE की गणना के लिए उपयोग किया जाने वाला फार्मूला इस प्रकार है:
रिटर्न ऑन इक्विटी = नेट इनकम / टोटल इक्विटी
यहाँ पर ये जानना ज़रूरी है की ये एक एवरेज वैल्यू की जानकारी देता है क्योंकि हर एक शेयरधारक के पास अलग इक्विटी की हिस्सेदारी होती है । लेकिन फिर भी निवेश करने से मिलने वाले रिटर्न को जांचने के लिए ROE काफी आसान टूल है। इंडस्ट्री में कंपनी की ROE से तुलना करने पर हमें कंपनी के सही तरीके से आकलन करने में मदद कर सकते है। इससे हमें यह भी पता चलता है की कंपनी मैनेजमेंट कैसे इक्विटी से फाइनेंसिंग करके अपने व्यापर को बढ़ा रही है।
समय के किसी कंपनी के ROE बढ़ने से हमें यह पता चलता है की कंपनी अपने शेयरधारक वैल्यू की बढ़ा रही है और इससे यह जानकारी मिलती है की कंपनी अपने लाभ ROE फार्मूला बढ़ाने के लिए अपनी संपत्ति अच्छे से उपयोग कर रही है।
अब क्योंकि इसकी गणना प्रतिशत में होती है इसलिए ये वैल्यू हमेशा पॉजिटिव होती है । समझने के लिए मान लेते है कि आपके निवेश किए गए 5 रुपए से कंपनी 1 रुपए की नेट इनकम बनाते है तो यहाँ पर ऊपर दिए गए फॉर्मूला के अनुसार ROE की वैल्यू 20% होगी।
समय के साथ ROE के कम होने से हमें यह पता चलता है की मैनेजमेंट अच्छा निर्णय नहीं ले रही है और अपनी संपत्ति का अच्छे से उपयोग नहीं कर रही है।
ROE कैलकुलेटर
रिटर्न ऑन इक्विटी कैलकुलेटर से कंपनी के ROE की गणना करने में मदद मिलती है। इसे कैलकुलेट करने के लिए अलग-अलग पैरामीटर की मदद से गणना करते हैं।
मान लीजिए की किसी कंपनी के पैरामीटर इस प्रकार हैं।
- नेट इनकम ROE फार्मूला = 7000 रुपए
- शेयरहोल्डर इक्विटी = 25000 रुपए
इस मामले में ROE = (7000/25000) * 100% = 28%
ROE की सीमाएं
जैसाकी कंपनी की वित्तीय स्थिति को मापने के लिए ROE को बेहतर वित्तीय उपकरण माना जाता है। लेकिन ROE की क्या वैल्यू सही मानी जाती ROE फार्मूला है, ये एक ऐसा सवाल है जो एक निवेशक जानने के लिए इच्छुक रहता है।
ऐसा माना जाता है की ROE की वैल्यू अगर 25% हो तो उस कंपनी में निवेश कर आप अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते है और ज़्यादातर, 15% से ऊपर का ROE कंपनी का एक अच्छा प्रदर्शन देता है ।
लेकिन क्या ज़्यादा ROE हमेशा बेहतरीन परिणाम देता है, या कम ROE वैल्यू कंपनी में निवेश न देने का संकेत है?
खैर ऐसा हो सकता है लेकिन हर बार नहीं । कई बार अगर कंपनी में निवेश कर रहे हो तो कंपनी के लम्बे समय के ROE की जानकारी प्राप्त करे और एक सही विशेलषण कर उसमे निवेश करें।
उदाहरण के लिए मान लेते है कि किसी कंपनी को किसी एक साल में ज़्यादा मुनाफा हुआ लेकिन उसने कमाई हुए रकम किसी नयी मशीन या ग्रोथ के लिए इन्वेस्ट की, तो यहाँ पर कुछ समय के लिए या एक तिमाही रिपोर्ट ROE की वैल्यू कम हो सकती है ।
दूसरी तरफ ROE की वैल्यू दो वजह से बढ़ सकती है और एक निवेशक को गलत जानकारी प्रदान कर सकता है, जैसे की:
अगर शेयरहोल्डर इक्विटी कम हो तो उससे ROE वैल्यू ज़्यादा होगी
दूसरी तरफ अगर कंपनी ने किसी तरह का क़र्ज़ लिया है तो उससे उस कंपनी की नेट इनकम बढ़ जाएगी जिसका असर ROE की वैल्यू में देखने को मिलेगा ।
लेकिन इन दोनों स्थितियों में ROE की वैल्यू बनावटी होती और एक निवेशक को बहका सकती है और एक गलत निर्णय की ओर ले जा सकती है ।
इसलिए एक निवेशक को मौलिक विश्लेषण करते समय ये समय और कंपनी के मुनाफे के साथ-साथ खर्चो की भी पूरी जानकारी प्राप्त कर, किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए ।
ROE के फायदे
हालांकि ROE की सही गणना बहुत सारे पहलूओं पर निर्भर करती है लेकिन एक निवेशक के लिए ये काफी जानकारियां लेकर आता है, जैसे कि:
- विकास दर (Growth Rate) का आकलन – Return on Equity का उपयोग कंपनी के विकास दर पता करने के लिए कर सकते हैं। इस अनुपात से आप कंपनी के स्टॉक और डिविडेंड के ग्रोथ का पता कर सकते हैं।
- कंपनी के विकास की स्थिरता का आकलन – ROE के उपयोग से कंपनी के ग्रोथ की स्थिरता को मापने में मदद करता है खासकर उस मामले में जब आप किसी स्टॉक का चुनाव कर लेते हैं जो मार्केट की अस्थिरता में नुकसानदायक होता है। ROE से आपको कंपनी की वास्तविक स्थिति की सही जानकारी मिलती है। पिछले कुछ वर्षों के ROE की जांच से आप अनुमान लगा सकते हैं की कंपनी की स्थिति क्या है।
- प्रतिद्वंदी कंपनी के ROE द्वारा तुलना – ROE के उपयोग से आप कंपनी के वित्तीय स्थिति की जानकारी से आप उस छेत्र के अन्य कंपनी की तुलना कर आप कंपनी के वैल्यू का अनुमान लगा सकते हैं।
निष्कर्ष
किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले ROE की जाँच करना महत्वपूर्ण होता है। पिछले कुछ वर्षों के ROE देखकर आप कंपनी के प्रदर्शन का पता चलता है। रिटर्न ऑन इक्विटी बहुत महत्वपूर्ण वित्तीय अनुपात है आपको नकारात्मक ROE में नहीं निवेश करना चाहिए।
ROE की वैल्यू ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए जिससे कंपनी के निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है।
और एक अच्छे ROE से कंपनी की मैनेजमेंट के बेहतर होने का भी पता चलता है।
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ROE क्या है? इसे कैसे कैलकुलेट करें? और इसका उपयोग कैसे करें?
कोई भी निवेशक को किसी कंपनी में निवेश करने के पहले उसके सारे पहलु को अच्छे से समझ लेना चाहिए, तब जाकर उसमें निवेश के बारे में सोचना चाहिए। एक अच्छे और सफल निवेशक जिस भी कंपनी में निवेश करना चाहते है उसके बारे में बहुत सारी जानकारी, विभिन्न पैमाने या पैरामीटर को बड़ी बारीकी और सावधानी से चेक करते है और साथ ही साथ उस कंपनी की फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस भी करते है, तब जाकर उसमें निवेश करने को सोचते है।
तो दोस्तों आज इस आर्टिकल में शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली एक महत्वपूर्ण पैमाना या अनुपात ROE या Return On Equity के बारे में जानेंगे। तो आइये जाने.
कोई कंपनी अपनी शेयर होल्डर इक्विटी का उपयोग कर कितना लाभ कमा रही है, इसे मापने के लिए ROE का उपयोग किया जाता जाता है। इसे हमेशा प्रतिशत में लिखा जाता है।
ROE Kya Hai?
इस प्रकार दोस्तों "कोई कंपनी शेयर धारक के पैसे का उपयोग कर कितना लाभ कमा रही है, उसे ही ROE या Return On Equity कहते है।"
किसी कंपनी का ROE निकालने के लिए हमें उस कंपनी के शुद्ध कुल आय और शेयर होल्डर इक्विटी पता होना चाहिए, क्योंकि इन्ही दोनों का अनुपात ROE होता है। ROE को हम इस फार्मूला के द्वारा निकाल सकते है:
ROE = Net Profit Income / Total No of Outstanding Share
कंपनी का शुद्ध आय जिसे Net Profit या PAT या Profit After Tax भी कहते है, उसकी एक वर्ष की वह प्रॉफिट होता है, जिसमें कुल आय में से बिज़नेस में हुए कुल खर्च, टेक्स, अन्य खर्चों को घटाने के बाद बचता है।
किसी कंपनी के नेट प्रॉफिट उसके प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में मिल मिल जाएंगे और शेयर होल्डर इक्विटी बैलेंस शीट में मिल जायेंगे।
अब दोस्तों प्रॉफिट एन्ड लॉस स्टेटमेन्ट और बैलेंस शीट कहाँ देखे? इसके लिए उस कंपनी के वेबसाइट या स्टॉक एक्सचेंज (BSE & NSE) के वेबसाइट से पता कर सकते है।
जैसे ABC ltd कंपनी की कुल शेयर होल्डर इक्विटी 10 लाख है और वर्ष के अंत में उसके 3 लाख रुपये शुद्ध आय है, तब
दोस्तों एक इन्वेस्टर की नजर में ROE कम से कम 20% से 25% होना चाहिए। अगर इससे कम है तो दूसरी जगह निवेश के बारे में सोच सकते है।
केवल ROE देखकर निवेश न करें, क्योंकि इसमें कुछ कमियाँ है। जैसे किसी कंपनी में अधिक कर्ज या Debt होने से भी ROE बढ़ सकता है। इसलिए हमें debt free और High ROE वाले कंपनी का चुनाव करना चाहिए।
High Debt और High ROE वाले कंपनी को अच्छा नहीं माना जाता। हमें ऐसे कंपनी में निवेश नहीं करनी चाहिए।
आशा करता हूँ दोस्तों ROE आपको अच्छे से समझ में आया होगा। शेयर मार्केट, म्यूच्यूअल फण्ड और पर्सनल फाइनेंस से रिलेटेड जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को जरूर विजिट करते रहे।
इक्विटी (आरओई) पर रिटर्न क्या है?
हिंदी
इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) कंपनी में अपने निवेश के लिए अर्जित शेयरधारकों को मापकर , यह कंपनी की के लाभ प्राप्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह दर्शाता है कि कंपनी ने शेयरधारकों के पैसे का कितनी अच्छी तरह उपयोग किया है। आरओई की गणना शुद्ध मूल्य से शुद्ध लाभ को विभाजित करके की जाती है। यदि कंपनी का आरओई कम हो जाता है, तो यह इंगित करता है कि कंपनी ने शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई पूंजी का कुशलता से उपयोग नहीं ROE फार्मूला किया है।
आम तौर पर, अगर किसी कंपनी के पास 20% से ऊपर आरओई है, तो इसे एक अच्छा निवेश माना जाता है।
आरओई इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
किसी कंपनी के लिए कितना लाभदायक है, यह मापने के लिए इक्विटी में वापसी एक आवश्यक तरीका है। उच्च मूल्यों का मतलब है कि कंपनी नए निवेशों पर अधिक कुशलता से कमा रही है।। एक निवेशक के रूप में, आपको किसी भी खरीद निर्णय लेने से पहले विभिन्न कंपनियों के आरओई की जाँच-पड़ताल और तुलना करना सीखना चाहिए। उन कंपनियों के लिए समय -समय पर आरओई में रुझानों की समीक्षा करना भी एक अच्छा विचार है जिसमें आप रुचि रखते हैं।
सभी निवेशकों के लिए सतर्कता यह एक शब्द यह है कि निवेश निर्णयों के लिए केवल ROE पर पूरी तरह निर्भर न रहें। इसका कारण यह है कि यह कृत्रिम रूप से प्रबंधन से प्रभावित हो सकता है और इसलिए मापदंड का सबसे विश्वसनीय नहीं है। उदाहरण के लिए, जब शेयर पूंजी को कम करने के लिए ऋण वित्तपोषण का उपयोग किया जाता है, तो आय स्थिर रहने पर भी आरओई में वृद्धि होगी।
निवेश के लिए पालन करने का एक अच्छा नियम उन कंपनियों को लक्षित करना है जिनके आरओई प्रतियोगियों के औसत से समान या उससे अधिक है। उदाहरण के लिए, कंपनी नेटको लिमिटेड ने पिछले कुछ वर्षों में 15% के औसत की तुलना में 19% का स्थिर आरओई बनाए रखा है।
सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद, एक निवेशक यह निष्कर्ष निकालेगा कि नेटको का प्रबंधन उन परिसंपत्तियों का उपयोग करने की तुलना में दूसरों की तुलना में बेहतर है जो लाभ निर्मिति में योगदान करते हैं।
उच्च आरओई वाली कंपनियाँ आपको ROE फार्मूला क्या बताती हैं?
शेयर बाजार में आरओई एक कंपनी के प्रदर्शन और लाभ की क्षमता का एक सूचक है। यहाँ बताया गया है कि आप इस माप उपकरण का उपयोग यह पहचानने के लिए कर सकते हैं कि कोई कंपनी में निवेश करनेके लिए उपयुक्त है या नहीं
1.उच्च आरओई वाली कंपनियाँ जानती हैं कि शेयरधारकों के पैसे का कुशलता से उपयोग कैसे करें। यदि कोई कंपनी नियमित रूप से और लगातार समय के साथ उच्च आरओई का उत्पादन कर सकती है, तो ऐसी कंपनी में निवेश करना एक अच्छा विचार है क्योंकि धन के कुशल प्रबंधन के कारण लाभ में वृद्धि होगी।
2.उच्च आरओई वाली कंपनियाँ कमाई को बरकरार रखने में अच्छी हैं। वह बरकरार कमाई किसी भी व्यवसाय के लिए पूंजी का एक स्रोत है। जब कोई कंपनी अपनी कमाई को बरकरार रखती है और इसे कार्यशील पूंजी के रूप में वापस ले जाती है, तो ऋण की आवश्यकता समाप्त हो जाती है , जिसका अर्थ है कि कंपनी किसी भी ब्याज के खर्चों से मुक्त है। एक निवेशक के रूप में, आपको प्रत्येक वर्ष कंपनी की अपेक्षित आय को ध्यान में रखना चाहिए और अगले वर्ष इक्विटी पर अपनी वापसी की जाँच-पड़ताल करनी चाहिए। यदि आप देखते हैं कि कंपनी ने लाभ कमाया है और आरओई बढ़ रही है, तो इसका मतलब है कि कंपनी कमाई से राजस्व पैदा कर रही है जो इसे सफलतापूर्वक बनाए रखा है।
3.उच्च आरओई वाली कंपनियों के पास इसप्रकार का अर्थ से अपने प्रतिस्पर्धियों पर एक फायदा है कि वे अपने लंबी अवधि के लाभ की रक्षा कर सकते हैं और बिना किसी परेशानी के अपने बाजार हिस्सेदारी पर हावी हो सकते हैं। ऐसी कंपनियाँ लंबी अवधि के लिए लाभ उत्पन्न कर सकती हैं और नकदी प्रवाह को जारी रखने के लिए लाभ का पुनर्निवेश करके बढ़ा सकती हैं।
तरीकों से आरओई का उपयोग कैसे करें
टिकाऊ विकास का अनुमान लगाने के लिए – आरओई का उपयोग करना, कंपनी की टिकाऊ विकास दर और लाभांश वृद्धि दर को निर्धारित करना संभव है, बशर्ते कि अनुपात लगभग उसी श्रेणी में या उसके समकक्ष समूह औसत से ऊपर हो। आप जल्द ही स्टॉक के विकास और इसके लाभांश की वृद्धि दर का अनुमान लगाने के लिए आरओई का उपयोग कर सकते हैं। अनुमानित वृद्धि दर के उचित मूल्यांकन तक पहुँचने के लिए इन संख्याओं की तुलना समान कंपनी या कंपनियों के साथ करें
लाभांश का भुगतान – यदि आप किसी कंपनी में निवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो एक उच्च आरओई आपको बता सकता है कि उस कंपनी के पास शेयरधारकों को भुगतान करने के लिए पर्याप्त पूंजी है या नहीं। निवेश पर एक उच्च वापसी एक विश्वसनीय संकेतक है कि कंपनी ने अपनी पूंजी का बेहतर निवेश किया है और लाभ कमा रहा है जिसे निवेशकों को लाभांश के रूप में भुगतान किया जा सकता है
ड्यूपॉन्ट फॉर्मूला – ड्यूपॉन्ट मॉडल कई निवेशकों के लिए एक कंपनी के आरओई पर पहुंचने और उच्च या निम्न आरओई में परिणामस्वरूप होने वाले कारकों को तोड़ने के लिए एक आसान साधन है।
ड्यूपॉन्ट फॉर्मूला कंपनी के कुल लाभ मार्जिन की तुलना अपने वित्तीय टर्नओवर के खिलाफ़ बिक्री कारोबार के खिलाफ़ आरओई की गणना करता है।
जीवनकाल-गणित यहाँ दिया गया है :
आरओई (इक्विटी पर वापसी) = (शुद्ध आय/बिक्री राजस्व) एक्स (बिक्री ROE फार्मूला राजस्व) (बिक्री राजस्व) एक्स (कुल फर्म संपत्ति/शेयरधारक इक्विटी )
इस सूत्र का उपयोग करते समय आम तौर पर आपको इक्विटी दृष्टिकोण पर क्लासिक रिटर्न के समान परिणाम मिलेंगे , लेकिन यह उन निवेशकों के लिए अधिक उपयोगी है जो कंपनी के प्रदर्शन को और अधिक स्पष्ट रूप से तोड़ना चाहते हैं और इसके पक्ष में काम करने वाले घटकों को समझते हैं।
क्या किसी कंपनी का आरओई ऋणात्मक मूल्यों में हो सकता है?
हाँ। किसी कंपनी का आरओई इतना कम हो सकता है कि यह नकारात्मक संख्या में आता है। आम तौर पर, निवेशक नकारात्मक शुद्ध आय वाले फर्मों के लिए आरओई की गणना नहीं करते हैं, क्योंकि ऐसी कंपनियों के लिए रिटर्न शून्य है। हालांकि, कभी-कभी ऐसा होता है कि फर्म के पास देनदारियों के कारण ऋणात्मक शेयरधारक इक्विटी होती है जो धनात्मक शुद्ध आय रिटर्न के समय संपत्ति से अधिक होती है। कारण फर्म के पास ऋणात्मक शेयरधारक इक्विटी है। इस तरह के मामले में, सूत्र का उपयोग करके प्राप्त आरओई ऋणात्मक मूल्य होगा।
यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि नकारात्मक आरओई का मतलब यह नहीं है कि आपको पूरी तरह से कंपनी की अवहेलना करनी चाहिए। हालांकि, आपके लिए बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ने के लिए यह एक चेतावनी होनी चाहिए।विशिष्ट परिदृश्यों में, एक नकारात्मक आरओई यह दर्शाता है कि कंपनी को ऋण, परिसंपत्ति प्रतिधारण या दोनों के साथ समस्या एँ हैं। फिर भी , यहाँ तक कि ये प्रत्याभूति के संकेतक नहीं हैं कि आपको कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए। नकारात्मक आरओई कंपनी के व्यापार विकास की पहल के परिणामस्वरूप हो सकता है। जब एक कंपनी एक महत्वाकांक्षी नई परियोजना शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण ऋण लेती है , तो एक नकारात्मक आरओई परिणाम देगा यदि उधार ली गई राशि सहमत मूल्य से अधिक हो।
शेयर बाजार में कोई प्रत्याभूति नहीं है, इसलिए आपको अपने निवेश के किसी भी निर्णय के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए।यदि आप समझते हैं कि इक्विटी पर रिटर्न क्या है, इसकी अच्छी समझ के साथ, तो आप अपने लाभ के लिए निवेश करने की कोशिश कर सकते हैं। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी मीट्रिक बुनियादी बातों को जाँचने के लिए एक आदर्श उपकरण प्रदान नहीं कर सकता है। विश्वास करें कि यह बताने के लिए बेवकूफ-सबूत या गारंटीकृत तरीका नहीं है कि आपको किसी कंपनी में निवेश करना चाहिए या नहीं। लेकिन ऐसा करने का एक तरीका एक विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र के भीतर पाँच वर्षों के औसत आरओई के विपरीत है। यह एक प्रतिस्पर्धी लाभ के साथ कंपनियों को उजागर करेगा और जो अपने शेयरधारकों को लगातार लाभ देने में कामयाब रहे हैं।
अंत में, आरओई को एक उपकरण के रूप में सोचें जो आपको उद्योग के नेताओं की पहचानकरने में सहायता करेगा। अगर कंपनी के पास उच्च आरओई है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि कंपनी के पास मुनाफा कमाने की उत्कृष्ट क्षमता है। हालांकि, किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले कंपनी के हर पहलू का मूल्यांकन करना बेहतर है।