एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

बाजार के उतार-चढ़ाव में इन तीन तरीकों से कर सकते हैं अच्छी कमाई
मुंबई- पिछले एक साल से भारत और वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार अस्थिर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी है। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत में अर्थव्यवस्था स्थिर है। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। नतीजतन, भारतीय बाजारों में गिरावट नियंत्रण में है। इससे भारतीय बाजार का मूल्यांकन अभी भी उसके लंबे समय के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि बाजार का मूल्यांकन सस्ता नहीं है।
आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है। इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। विकसित दुनिया के मंदी के दौर से गुजरने पर भी भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। शेयर बाजार में गिरावट हो तो हमें अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है। इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक अनिश्चितता भी एक संभावित कारक है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोप और एशिया ने भी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया। बाजार ने अब तक इस तरह के किसी भी मामले पर ध्यान नहीं दिया है। इसलिए यह देखना होगा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे सामने आता है और आगे बढ़ता है।
एक व्यक्तिगत निवेशक के रूप में, नीचे दिए गए तीन कारक पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है-
डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें। ब्याज दरें बढ़ने से यह बहुत आकर्षक हो गया है। निवेश के दौरान ऊंची ब्याज को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक लग रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है। इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी महंगाई और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है। इसलिए भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डाइनॉमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम निवेश के लिए बेहतर हैं।
एक प्रकार का डेट जो आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है वह है फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी। निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डेट म्यूचुअल फंड की पोर्टफोलियो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
समाधान उन्मुख ऑफर्स से म्यूचुअल फंड लाभ देते हैं
जब तक अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई से निपटने के लिए सभी उपलब्ध उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए, निवेशकों को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए।
इक्विटी निवेश के नजरिए से, एकमुश्त निवेश के लिए निवेशक एसेट एसेट क्लास के रूप में मुद्रा अलोकेशन रणनीतियों जैसे कि बैलेंस्ड एडवंटेज या मल्टी एसेट श्रेणी पर विचार कर सकते हैं। योजनाबद्ध, अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसे फीचर्स पर भी विचार कर सकते हैं।
गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स
एसेट क्लास में एक विविध पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेश करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल महंगाई के बल्कि मुद्रा में गिरावट के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिए निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए सोना या चांदी फंड ऑफ फंड एक निवेश का विकल्प है।
Cryptocurrency: जय कोटक ने आनंद महिंद्रा का किया समर्थन, कहा- 'भारत में क्रिप्टो के रेगुलेशन की तत्काल आवश्यकता'
महिंद्रा ग्रुप (Mahindra Group) के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) में अपने निवेश के फर्जी दावों का भंडाफोड़ किया है।
महिंद्रा ग्रुप (Mahindra Group) के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) में अपने निवेश के फर्जी दावों का भंडाफोड़ किया है। इस बीच क्रिप्टो को लेकर जागरूकता अभियान में कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के एसोसिएट वीपी जय कोटक (Jay Kotak) भी शामिल होने वाले हैं। अरबपति बैंकर उदय कोटक (Uday Kotak) के बेटे जय कोटक ने रविवार को ट्विटर के जरिये भारत में क्रिप्टो को विनियमित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
जय कोटक ने कहा कि "भारत में क्रिप्टो के रेगुलेशन की तत्काल आवश्यकता है। हम विज्ञापनों, व्हाट्सएप और तेजी से पैसा कमाने या कैशबैक के बारे में फर्जी खबरों से घिरे हुए हैं। कई बिना समझे निवेश कर रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग, एसेट क्लास के रूप में मुद्रा विदेशी मुद्रा या अवैध भुगतान पर कोई कठोर नियंत्रण नहीं है।"
दरअसल, जय कोटक की यह प्रतिक्रिया इस हफ्ते की शुरुआत में आनंद महिंद्रा द्वारा किए गए एक ट्वीट के संबंध में आई है। बता दें, बीते 19 नवंबर को आनंद महिंद्रा ने क्रिप्टोकरंसी इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म (cryptocurrency investment platform) का उपयोग करके बहुत सारे पैसे कमाने का दावा करने वाली रिपोर्टों को साझा किया। इन दावों के खुलासे में महिंद्रा ने बताया कि क्रिप्टो में उन्होंने एक भी रुपये का निवेश नहीं किया है।
आनंद महिंद्र ने फर्जी रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने एक क्रिप्टो कॉइन ऑटो-ट्रेडिंग प्रोग्राम (crypto coins auto-trading programme) 'बिटकॉइन एरा (Bitcoin Era)' के इस्तेमाल से पैसा कमाया था। रिपोर्ट में यह भी हाइलाइट किया गया कि वह ऑटो-पायलट मोड पर दस हजार डॉलर कमा रहे हैं। फेक न्यूज का भंडाफोड़ करते हुए महिंद्रा ने कहा कि लोगों को जागरूक करना जरूरी है कि रिपोर्ट पूरी तरह से मनगढ़ंत और फर्जी है।
एक दूसरे ट्वीट में जय ने कहा, "यह इस बारे में नहीं है कि क्रिप्टो अच्छा है या बुरा, बल्कि 10 साल से कम उम्र के एसेट क्लास को नियामक ग्रे जोन के तहत संचालित करने की अनुमति देने के बारे में है। क्रिप्टोकरेंसी के आसपास नियंत्रण की कमी और दुर्भावनापूर्ण रूप से प्रोत्साहन देने वाले विज्ञापन एक 'आपदा' बन सकते हैं।"
हो सकता है, केंद्र संसद के आगामी मानसून सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश करेगा। 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी के लिए आगे बढ़ने के रास्ते पर एक बैठक की अध्यक्षता भी की थी। सूत्रों के अनुसार यह बैठक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा की गई एक परामर्श प्रक्रिया के बाद आयोजित की गई थी।
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को सूत्रों से यह पता चला है कि केंद्र सरकार जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी को एक 'एसेट क्लास' के रूप में स्थान दे सकती है। बता दें, एसेट क्लास समान विशेषताओं वाले उपकरणों का एक समूह है और समान नियमों द्वारा शासित होते हैं। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टोकरेंसी को स्टॉक और बॉन्ड जैसी अन्य ट्रेडेबल एसेट के रूप में माना जा सकता है। हालांकि केंद्र इसे एसेट क्लास के रूप में मुद्रा कानूनी टेंडर के रूप में मान्यता नहीं दे सकता है, लेकिन केंद्र ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार किया है।
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देश-दुनिया पर मंडराया मंदी का खतरा, Inflation से कैसे बचाएं अपने खून-पसीने का पैसा
Best Investment During Inflation: मंदी-महंगाई के दौर के बीच ऐसे कई तरीके हैं जहां आपका पैसा अच्छे रिटर्न दे सकता है. अगर आप ऐसी जगह निवेश करना चाहते हैं जहां आपका पैसा इन्फ्लेशन को मात देने के साथ-साथ अच्छी कमाई करा कर दे, तो आगे पढ़ते रहें.
Best Investment During Inflation
gnttv.com
- नई दिल्ली ,
- 12 अक्टूबर 2022,
- (Updated 12 अक्टूबर 2022, 3:33 PM IST)
मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा कवच रियल एस्टेट
देश-दुनिया में इन दिनों मंदी और महंगाई की खूब चर्चा हो रही है. वैश्विक स्तर पर मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. मंदी के कई एसेट क्लास के रूप में मुद्रा कारण हो सकते हैं जिसमें एक महंगाई भी है. बढ़ती कीमतों के चलते लोग अपने खर्च में कमी करते हैं जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर दिखता है. अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने लगती है और फिर मंदी का दौर दस्तक देने लगता है. इस दौर में आपकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) कम हो जाती है. इस दौर में निवेशकों के लिए बड़ा चैलेंज ये होता है कि उनकी इन्वेस्टमेंट उन्हें महंगाई दर से ज्यादा या कम से कम उसके बराबर का रिटर्न दे.
यहां हम आपको कुछ ऐसे एसेट क्लास बता रहें जिसमें आपकी इन्वेस्टमेंट इन्फ्लेशन-प्रूफ रह सकती है.
1. रियल एस्टेट (Real Estate)
रियल एस्टेट को मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक ढाल माना जाता है. यहां तक कि इस दौर में इस क्षेत्र से अच्छी कमाई का मौका हो सकता है. जैसे-जैसे बाजार में महंगाई बढ़ेगी वैसे-वैसे आपकी प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़ेगी. और तो और, एसेट क्लास के रूप में मुद्रा जिसने निश्चित ब्याज दर (Fixed Interest Rate) पर लोन लेकर कोई संपत्ति खरीदी है तो उसको भी इस दौर में फायदा होगा. क्योंकि आप लोन का भुगतान उस पैसे से कर रहे हैं जिसकी कीमत या मूल्य बाजार में कम होता जा रहा है जबकि मुद्रास्फीति से आपकी उसी संपत्ति की कीमत बढ़ रही है.
2. कीमती धातुओं में निवेश (Metals Investment)
कागजी रुपयों की तरह आप सोना या चांदी अपने हिसाब से नहीं छाप सकते. इसकी सप्लाई हमेशा सीमित रहने वाली है. यहां तक की जब करेंसी (जैसे रुपया) की कीमत कम हो रही हो तब भी ये धातु अपना मूल्य बरकरार रखती हैं. कमी और अनेकों आधुनिक उपयोगों के कारण सोने का अपना मूल्य है. इसी तरह चांदी भी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में उपयोग में आती है. दोनों ही मेटल आभूषण के अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के चलते अत्यधिक मूल्यवान हो जाते हैं. इनकी भारी डिमांड के चलते इन दोनों मेटल्स की वैल्यू बढ़ जाती है.
खासकर मंदी और महंगाई के दौर में निवेशक ठोस और स्थिर इन्वेस्टमेंट की ओर रुख करते हैं और अपनी धन-संपत्ति को सोने और चांदी के रूप में सुरक्षित रखते हैं. ऐसे दौर में इस बढ़ती डिमांड के चलते कीमती धातु की कीमतों में तेजी आती है और जो बढ़ती महंगाई के दौर में निवेशकों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है.
3. इक्विटी में निवेश (Equity-Stock Market)
आमतौर पर मुद्रास्फीति के खिलाफ इक्विटी को अच्छा माना जाता है. क्योंकि जब महंगाई बढ़ती है यानि जब चीजों की कीमतें बढ़ती हैं तब कंपनी के उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि होती है, जिससे उस कंपनी का राजस्व और मुनाफा बढ़ता है और जिसका असर उसके शेयर प्राइस में देखने को मिलता है. शेयर प्राइस बढ़ने से निवेशक मालामाल होता है. लेकिन मंदी और महंगाई के दौर में ऐसा हर सेक्टर में देखने को नहीं मिलता.
उच्च मुद्रास्फीति के समय में निवेश करने के लिए सही कंपनियों का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है. ऐसे समय में उन कंपनियों में एसेट क्लास के रूप में मुद्रा निवेश करना उचित होगा जो मुद्रास्फीति की दर (जैसे एफएमसीजी-FMCG और एनर्जी स्टॉक) के साथ-साथ अपनी कीमतें बढ़ाने में सक्षम हों. जिससे उनका मुनाफा बरकरार रहे और उसका फायदा निवेशकों को हो.
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना मात्र के लिए है. इसे निवेश की सलाह न समझा जाए.
सोने की कीमतों पर किन बातों का पड़ता है असरॽ
निवेशक सोने को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखते हैं.
अस्थिरता से बचाता है
निवेशक सोने को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखते हैं. अस्थिरता और अनिश्चितता से खुद को बचाने के लिए लोग इस पीली धातु को खरीदते हैं. जब दूसरी संपत्तियां अपना मूल्य खोने लगती हैं, सोना इस गिरावट से बचा रहता है. भारतीयों में सोने का आकर्षण हमेशा से रहा है. समय अच्छा हो या बुरा लोग इस चमकीली धातु का मोह नहीं छोड़ पाते. अर्थव्यवस्था दौड़ी या मंद हुर्इ, निवेशकों ने सोने में खरीद जारी रखी.
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क्या है सोने और महंगार्इ का रिश्ता?
जब महंगार्इ बढ़ती है तो करेंसी की कीमत कम हो जाती है. उस समय लोग धन को सोने के रूप में रखते हैं. इस तरह महंगार्इ के लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बने रहने पर सोने का इस्तेमाल इसके असर को कम करने के लिए किया जाता है.
क्या है सोने और ब्याज दर का संबंध?
उद्योग के कुछ जानकारों के मुताबिक, सामान्य स्थितियों में सोने और ब्याज दरों के बीच उलटा संबंध है. ब्याज दरों का बढ़ना संकेत देता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है. मजबूत अर्थव्यवस्था में महंगार्इ बढ़ती है. महंगार्इ के खिलाफ सोने को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा जब दरें बढ़ती हैं तो निवेशक फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में पैसे लगाते हैं. सोने के उलट इनमें उन्हें ज्यादा अच्छा रिटर्न मिलता है.
अच्छा मानसून कैसे डालता है खपत पर असरॽ
सोने की खपत में ग्रामीण मांग की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह खपत मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करती है. भारत सालाना 800-850 टन सोने की खपत करता है. इस खपत में 60 फीसदी हिस्सेदारी ग्रामीण भारत की है. अगर फसल अच्छी होती है, तो किसान अपनी आय से संपत्तियां बनाने के लिए सोना खरीदते हैं. इसके उलट, अगर मानसून खराब रहता है तो किसान धन जुटाने के लिए सोने को बेचते हैं.
रुपये-डॉलर के गणित का कितना पड़ता है प्रभावॽ
भारतीय सोने के मूल्य डॉलर के मुकाबले रुपये कीमत से प्रभावित होते हैं. हालांकि, सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर इसका कोर्इ असर नहीं एसेट क्लास के रूप में मुद्रा एसेट क्लास के रूप में मुद्रा पड़ता है. आमतौर पर सोने को आयात किया जाता है. इसलिए अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपये के कमजोर होने से सोने की कीमतें भारतीय मुद्रा में बढ़ जाती हैं. इस तरह रुपये की कीमत घटने से सोने की मांग को चपत लगती है.
दूसरे एसेट क्लास के साथ रिश्ता
कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि सोने का ज्यादातर एसेट क्लास के साथ उलटा संबंध है या फिर इनके साथ इसका कोर्इ संबंध नहीं होता है. इसलिए पोर्टफोलियो को ये विविधता प्रदान करता है. जब शेयरों में तेज गिरावट आती है तो अमूमन सोने के दाम बढ़ते हैं. माना जाता है कि इस दौरान निवेशक शेयरों से पैसा निकालकर सोने में निवेश करते हैं.
भू-राजनीतिक तनाव
दुनिया में जब तनाव की स्थिति बढ़ती है तो सोने में निवेश मांग बढ़ जाती है. यह कर्इ बार देखा गया है.
डॉलर की कमजोरी का क्या पड़ता है असर?
सामान्य स्थिति में जब डॉलर कमजोर होता है तो सोना चढ़ता है. चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें डॉलर में होती हैं, इसलिए डॉलर में कमजोरी आने पर पीली धातु के दाम मजबूत होते हैं.
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