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वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें?

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© Reuters. फ्यूचर रिटेल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर भी दिया

विवादों का आदिपुरुष

हमारे पास लगातार विवाद करने के लिए विषयों की कमी नहीं है. हम जिन मुद्दों पर विवाद करना चाहिए उन्हें ताक पर रखकर उन मुद्दों पर विवाद करने में सबसे आगे रहते हैं जिनका हमारी रोजी-रोटी से कम भावनाओं से ज्यादा रिश्ता होता है. रिश्ता न भी हो तो रिश्ता कायम कर दिया जाता है. अब हम यानि हमारा देश फिल्म निर्देशक ओम राउत और प्रभाष, सैफ अली खान व कृति सैनन की मुख्य भूमिका वाली आदिपुरुष का टीजर देखते ही विवादों में उलझ गया है.फिल्म आएगी तब न जाने क्या होगा ?
देश को [जो शायद केवल हिन्दुओं का है ] फिल्म में रावण और हनुमान के लुक पर ही नहीं बल्कि उनके किरदारों की प्रस्तुति पर भी ऐतराज है . फिल्म में भगवान राम का किरदार ‘बाहुबली’ के अभिनेता प्रभास निभा रहे हैं जबकि दसानन , लंकेश (रावण) की भूमिका में सैफ अली खान हैं। इसमें लंकेश की दाढ़ी है, उसकी उग्र आंखें हैं, जिससे वह बर्बरता का अवतार लगता है। इस वजह से कई लोगों ने फिल्म निर्माताओं को रावण का ‘इस्लामीकरण’ करने के लिए आड़े हाथों लिया।
फिल्म में किस किरदार का लुक कैसा हो ये जनता की आपत्ति का विषय नहीं है. इस पर आपत्ति देश की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा,उसके सहयोगी संगठनों की है .जैसे रामलीला के सभी पात्रों से इन्हीं का सीधा रिश्ता हो और ये ही लोग इन पात्रों के रिश्तेदार हों ? आदिपुरुष के पात्रों की वेश-भूषा पर आपत्ति करना और न करना निजी मामला हो सकता है .लेकिन इसमें मंत्री-संत्री कूदते हैं तो साफ़ हो जाता है कि विरोध के पीछे सियासत है और जनता को विवादों में उलझाए रखने की कोशिश भी .आपत्ति भी कैसी किफिल्म में हनुमान के किरदार की दाढ़ी है और उनकी मूंछे नहीं हैं तथा उन्होंने चमड़े से बनी पोशाक पहनी है। जैसे इन किरदारों कि पोशाकें हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षीर रखीं हों .
इस नए विवाद को गति देने के लिए हैशटैग ‘बॉयकॉट (बहिष्कार) आदिपुरुष’ और ‘बैन (रोक) आदिपुरुष’ के सोशल मीडिया परगति पकड़ने के साथ ही, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने चेतावनी दी कि अगर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को गलत तरीके से वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? दिखाने वाले दृश्यों को नहीं हटाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता मिश्रा ने भोपाल में पत्रकारों से कहा, “ मैंने 'आदिपुरुष' का टीजर देखा है। इसमें आपत्तिजनक दृश्य हैं।”
आदिपुरुष के राम,रावण और हनुमान से मध्यप्रदेश के ही नहीं उत्तर प्रदेश के मंत्री भी नाखुश हैं .उन्होंने भी फिल्म का विरोध किया है. अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी को फिल्म में सैफ अली खान का वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? लुक पसंद नहीं आया था। उन्होंने इसका विरोध जताया था।रामानंद सागर की 'रामायण' फेम सीता उर्फ दीपिका चिखलिया को महसूस हुआ कि रामायण की कहानी जो की सच्चाई और सात्विकता की कहानी है। अब उसमें वीएफएक्स को जोड़ना बिलकुल सही नहीं लगा।
सिनेमा अभिव्यक्ति का ही नहीं मनोरंजन का भी माध्यम है.इसे किसी ख़ास विचारधारा से नियमित या नियंत्रित नहीं किया जा सकता और शायद किया भी नहीं गया होगा,क्योंकि जब फिल्म का टीजर बना है तो फिल्म भी बनी है और उसे सेंसर बोर्ड ने अनुमति दी होगी ,तो फिल्म देखी भी होगी. टीजर तो देखा ही होगा .ऐसे में फिल्म पर आपत्ति कर एक ख़ास तरिके का माहौल बनाना देश में नफरत फ़ैलाने वाले अभियान को गति देने की कोशिश दिखाई देती है.
धारावाहिकों और सिनेमा में भगवान कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज एक कलाकार की दृष्टि रखते हैं. वे कहते हैं कि - आदिपुरुष फिल्म का मैंने टीजर देखा है। देखकर अच्छा लगा कि कैसे नई तकनीकि का इस्तेमाल कर फिल्ममेकर्स कहानी को एक अलग और नया विजन दे रहे हैं। टीजर मुझे पसंद आया। उम्मीद करता हूं कि दर्शकों को भी ये अच्छा लगेगा।मेरे ख्याल से किसी भी माध्यम की पसंद या न पसंद किसी राजनीतिक दल या किसी ख़ास विचारधारा के संगठन को तय करने की कोशिश नहीं करना चाहिए. देश के हिन्दू समाज ने ऐसा करने के लिए उन्हें कभी अधिकृत नहीं किया है .
करीब 500 करोड़ रूपये की लागत से बनी ये फिल्म क्या इन कटटरवादी संगठनों और सरकारों के विरोध की वजह से प्रदर्शित नहीं की जा सकेगी ? या इसमें तब्दीली करना पड़ेगी ? ये ऐसे सवाल है न जो हर उस फिल्म के साथ सामने आते हैं जो हमारे सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों को पसंद नहीं हैं .इससे पहले भी आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चढ्डा ' के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की गयी थी .सिनेमा पर सियासत का वार अप्रत्याशित है .इसका मुकाबला किया जाना चाहिए अन्यथा अफगानिस्तान के तालिबान और हिन्दुस्तान के तालिबानों में फर्क क्या रह जायेगा ?
मंत्री जी हों या तिलकधारी कोई दूसरे नेता इस बात के लिए स्वतंत्र हैं कि वे आदिपुरुष को न देखें .लेकिन उन्हें ये आजादी न संविधान ने दी है और न समाज ने कि वे किसी फिल्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दें .मंत्रियों को जो जिम्मेदारी दी गयी है उसका निर्वाह तो उनसे होता नहीं है किन्तु वे धर्मध्वजाएं उठाकर सबसे आगे खड़े दिखाई देते हैं .मध्यप्रदेश में तो फिल्म निर्माताओं के साथ अतीत में जो व्यवहार सरकार और उसके समर्थकों ने किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा .
फिल्म निर्माताओं की जिम्मेदारी है कि वे जनता की भावनाओं का ख्याल रखें.लेकिन उन्हें ये छूट भी है कि वे अपनी कल्पनाओं में रंग भी भर सकें .रावण,राम और हनुमान को हम में से किसी ने नहीं देखा ,इसलिए उनका लुक और वेश भूषा कैसी थी इसका दावा हम में से कोई नहीं कर सकता .जब हम अपनी धारणा से किसी छवि को स्वीकार कर सकते हैं तो हमें दूसरे प्रयोगों के लिए भी तैयार रहना चाहिए .कल्पना कीजिये कि यदि इसी फिल्म का प्रमोशन पंत प्रधान ने ' दी कश्मीर फ़ाइल ' की तरह कर दिया होता तो क्या एक भी मंत्री ,संत्री अपना मुंह खोल पाता ?

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फ्यूचर रिटेल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर भी दिया

शेयर बाजार 01 अप्रैल 2022 ,19:45

फ्यूचर रिटेल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर भी दिया

© Reuters. फ्यूचर रिटेल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर भी दिया

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के वकील वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आज के समय में कोई भी उनके साथ कारोबार नहीं करना चाहता है, क्योंकि आईबीसी की धारा 7 किसी भी दिन आ सकती है और कंपनी पर हजारों करोड़ का बकाया है। उन्होंने कहा कि अमेजॅन को फ्यूचर रिटेल नहीं मिल सका, तो उसने उनकी कंपनी को ही नष्ट कर दिया।फ्यूचर रिटेल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि रिलायंस (NS: RELI ) ने लैंडलॉर्डस या जमींदारों के साथ समझौता किया है और फ्यूचर रिटेल पर 3,000 करोड़ रुपये का किराया बकाया है। उन्होंने कहा कि एक बार यह आईबीसी की धारा 7 में चला गया, तो यह सब समाप्त हो जाएगा और कोई भी उनके साथ व्यापार नहीं करना चाहता, क्योंकि धारा 7 किसी भी दिन आ सकती है।

साल्वे ने कहा कि अमेजन ने 1,400 करोड़ रुपये के लिए अपने क्लाइंट की कंपनी को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा, उन्हें फ्यूचर रिटेल नहीं मिला तो उन्होंने फ्यूचर रिटेल को नष्ट कर दिया।

वकील ने कहा कि बिग बाजार और सभी संपत्तियां भी चली गई हैं। कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हुए साल्वे ने कहा, मेरे सभी खाते फ्रीज कर दिए गए हैं, कोई हमें छूना नहीं चाहता.. राज्यों द्वारा लॉकडाउन लगाए जाने के बाद फ्यूचर रिटेल कैश फ्लो और खराब हो गया।

वहीं दूसरी ओर अमेजन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि जहां तक मध्यस्थता की बहाली का संबंध है, ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्षों ने सामान्य आधार पाया है और वे फिर से शुरू करने में रुचि रखते हैं। हालांकि, सुब्रमण्यम ने फ्यूचर रिटेल एसेट्स को अचानक सौंपे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। अमेजन के आवेदन में एक प्रार्थना का हवाला देते हुए, सुब्रमण्यम ने फ्यूचर रिटेल एसेट्स के अलगाव का विरोध किया और कहा, एक जादुई स्विच नहीं हो सकता.. फ्यूचर रिटेल शॉप्स को इसके साथ रहना चाहिए, एफआरएल द्वारा संचालित- जब तक कि मामला मध्यस्थ ट्रिब्यूनल द्वारा हल नहीं किया जाता है।

फ्यूचर रिटेल के खातों का हवाला देते हुए, उन्होंने प्रस्तुत किया कि अपने स्वयं के वार्षिक रिटर्न में वे कहते हैं कि उनके पास सभी किराए का भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा है और उन्होंने बैंक को बताया कि वे अपने किराए का भुगतान करने की स्थिति में हैं। फ्यूचर के इस दावे पर कि उनके पास दुकानों का किराया देने के लिए पैसे नहीं हैं, सुब्रमण्यम ने कहा, यह सिर्फ एक स्मोक स्क्रीन (छुपाना या गुमराह करना) है।

अमेजन के एक अन्य वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने कहा कि दुकानों का हस्तांतरण एक मिलीभगत का कार्य है और एफआरएल द्वारा दायर काउंटर स्थापित करता है कि एमडीए समूह को वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? दुकानों में स्थानांतरण मिलीभगत और सहमति से किया गया कार्य था। उन्होंने कहा, इनमें से 800 पट्टों को एमडीए समूह को सौंप दिया जाता है और पट्टेदार के रूप में वे उसी एफआरएल को लाइसेंसधारी होने की अनुमति देते हैं..क्या यह बिना मिलीभगत के संभव है.. मैंने भारत में ऐसे सहकारी पट्टेदारों के बारे में नहीं सुना है।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, अगर मकान मालिक हमारे सामने नहीं हैं तो अदालत उन्हें कब्जा लेने से रोकने का आदेश कैसे दे सकती है।

साल्वे ने कहा कि उनके ग्राहक के बैंक खाते फ्रीज हैं और सभी की उम्मीद है कि अगर योजना के माध्यम से रिलायंस आता है, तो सभी को पैसा मिलेगा और यह कठिन वास्तविकता है कि अमेजन हमें मिला है।

प्रधान न्यायाधीश ने साल्वे से पूछा, आप क्या कहना चाहते हैं कि 835 स्टोर से लोगों ने आपको खाली करने के लिए कहा और आपने खाली कर दिया और इन दुकानों को मालिकों ने खुद रिलायंस को पट्टे पर दिया था? साल्वे ने हां में जवाब दिया। पीठ ने आगे पूछा, आपके स्टॉक और अधिकारों आदि का क्या हुआ?

साल्वे ने कहा कि इस साल फरवरी में उनके मुवक्किल को एनपीए का समाधान नहीं मिला और बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। उन्होंने कहा, आज कोई भी हमें कुछ भी देने को तैयार नहीं है। किसी तरह हम आज 374 स्टोर चला रहे हैं, हम मैनेज (प्रबंधन) कर रहे हैं। अधिकांश कर्मचारी चले गए हैं।

बेंच ने साल्वे से पूछा, अगर ऑर्डर अमेजन के पक्ष में जाता है तो आपका क्या होगा?

साल्वे ने कहा, उन्हें असुरक्षित लेनदारों की कतार में लगना होगा.. अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर दिया।

शीर्ष अदालत सोमवार को मामले की सुनवाई जारी रखेगी।

शीर्ष अदालत अमेजन द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? थी, जिसमें रिलायंस रिटेल के साथ एफआरएल के विलय सौदे पर मध्यस्थता को फिर से शुरू करने के अलावा, फ्यूचर रिटेल की दुकानों और रिलायंस द्वारा संपत्ति का मुद्दा उठाया गया था।

पिछले महीने अमेजन ने आरोप लगाया था कि 80 फीसदी एफआरएल दुकानों को रिलायंस के हवाले कर दिया गया है। वहीं इस पर फ्यूचर रिटेल ने कहा कि कोई संपत्ति हस्तांतरित नहीं की गई है।

फ्यूचर रिटेल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अमेजन हमें नष्ट करना चाहता था और उन्होंने हमें नष्ट कर भी दिया

गेहूं के बाद चावल के एक्सपोर्ट पर भारत के बैन से दुनिया में अफरातफरी, 4 दिन में ही बढ़ी महंगाई

बाजार में चावल की कीमतों में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत के फैसले के 4 दिनों के अंदर ही एशिया के बाजारों में चावल के दाम 4 से 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इससे एशिया में चावल का व्यापार लगभग ठप हो गया है।

गेहूं के बाद चावल के एक्सपोर्ट पर भारत के बैन से दुनिया में अफरातफरी, 4 दिन में ही बढ़ी महंगाई

भारत ने बीते सप्ताह चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का ऐलान किया था, जिसका असर अब पूरी दुनिया और खासतौर पर एशियाई बाजार में देखने को मिल रहा है। बाजार में चावल की कीमतों में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत के फैसले के 4 दिनों के अंदर ही एशिया के बाजारों में चावल के दाम 4 से 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इससे एशिया में चावल का व्यापार लगभग ठप पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं। नतीजतन खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं। लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने मौके को भुनाने के कारण दाम बढ़ा दिए हैं। दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था।

इसके साथ ही कई अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत तक लगा दिया गया। औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है। इस साल कई इलाकों में बारिश कम हुई है। इससे धान की रोपाई कम हुई है और बीते सालों के मुकाबले देरी से भी हुई है। ऐसे में घरेलू बाजार में चावल की कीमतों के संकट को टालने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।

पुतिन के ‘दोस्तों’ की मौत का राज क्या? 6 महीने में 7 ने गंवा दी जान

पहले से खाने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि झेल रही दुनिया के लिए यह एक बड़ी समस्या हो सकती है। यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए है। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही अनाजों की मांग और आपूर्ति में असंतुलन बना हुआ है। पहले गेहूं और चीनी को लेकर समस्या थी और दोनों चीजों की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी। हाल ही में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोग लगा दी थी और चीनी के निर्यात को भी नियंत्रित कर दिया था। अब चावल पर भी रोक से संकट और गहरा सकता है।

भारत के फैसले के बाद से एशिया में चावल के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। जानकारों का कहना है कि अभी कीमतों में और ज्यादा वृद्धि होगी। भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के निदेशक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं, 'पूरे एशिया में चावल का व्यापार ठप पड़ गया है। व्यापारी जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करना चाहते। पूरी दुनिया वी एफ एक्स अलर्ट के साथ व्यापार कैसे शुरू करें? के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है। इसलिए कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि आने वाले समय में दाम कितने बढ़ेंगे।' चावल दुनिया के तीन अरब लोगों का मुख्य भोजन है। 2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।

बंदरगाहों पर लदाई बंद

भारत सरकार के फैसले के बाद देश के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों में चावल की लदाई का काम बंद हो गया है और करीब दस लाख टन चावल वहां पड़ा हुआ है। खरीददार सरकार द्वारा लगाए गए नए 20 प्रतिशत कर को देने से इनकार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस चावल के दाम पर समझौते बहुत पहले हो चुके हैं और सरकार ने जो नया कर लगाया है वह पहले से तय नहीं था। अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है। वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है।

भारत के बैन से इन देशों को हो रहा फायदा

भारत की ओर से चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फायदा भारत के प्रतिद्वन्द्वी देश थाईलैंड, वियतनाम और म्यांमार के व्यापारी उठा रहे हैं। चावल की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए खरीददार इन देशों की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने टूटे चावल के दाम पांच फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। डीलरों का कहना है कि पिछले चार दिन में, यानी भारत के निर्यात पर रोक के फैसले के बाद से कीमतों में 20 डॉलर यानी लगभग डेढ़ हजार रुपये प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है।

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