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एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है

एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है
आम के आम गुठलियों के दाम

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Parliament Winter Session: संसद एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है के शीतकालीन सत्र में धमाल मचाने के मूड़ में कांग्रेस, न्यायपालिका बनाम सरकार, महंगाई और चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति

बुधवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) के लिए कांग्रेस (Congress) ने मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, चीन के साथ सीमा विवाद और न्यायाधीशों की कॉलेजियम प्रणाली Collegium System को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के साथ केंद्र के हालिया टकराव पर सरकार को घेरने का फैसला किया है। शीतकालीन सत्र हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव परिणामों के आने से एक दिन पहले शुरू होगा और 29 दिसंबर तक चलेगा।

हालांकि विंटर सेशन एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत कुछ अन्य कांग्रेस नेता एब्सेंट रह सकते हैं, क्योंकि ये भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में व्यस्त हैं। लेकिन मुद्दों की सूची तैयार है। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के नेतृत्व में पार्टी के एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है रणनीति समूह की बैठक हुई जिसमे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने भी हिस्सा लिया। मुद्दों में कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग भी शामिल है। यह 2020-21 के किसानों के विरोध की एक प्रमुख मांग भी थी।

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SEBI ने एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के लिए विनियामक ढांचा पेश किया; PSU के विनिवेश को सुगम बनाने के लिए अधिग्रहण संहिता में बदलाव किया

Sebi introduces regulatory framework for online bond platform providers

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 9 नवंबर 2022 से सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों को बेचने वाले ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं की सुविधा के लिए एक नियामक ढांचा पेश किया।

  • इस संबंध में, SEBI ने NCS (गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम और सूचीकरण) विनियम, 2021 में संशोधन किया है।
  • उसी के लिए निर्णय निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए लिया गया है कि प्लेटफॉर्म SEBI-विनियमित मध्यस्थों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

क्रॉपफिटः किसानों के लिए ऐसा ऐप जहां एमएसपी से नीचे खरीदारी नहीं हो सकेगी

Chetananand Singh WRITER: Sunil Kumar Singh

क्रॉपफिटः किसानों के लिए ऐसा ऐप जहां एमएसपी से नीचे खरीदारी नहीं हो सकेगी

तलवडी फार्मर्स एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है फाउंडेशन के कण्णैयन सुब्रमण्यम और अश्विनी गणेशन

जब किसानों के लिए फसलों से मुनाफा कमाने के मकसद से कोई एप्लीकेशन (ऐप) तैयार किया जाए तो उसका नाम क्या होना चाहिए? ‘क्रॉपफिट’ ऐसा ही एक ऐप तैयार हो रहा है। इस ऐप को बनाने का मकसद यह है कि किसान जब अपनी फसल बेचें तो वे किसी भी भाव पर उसे बेचने को मजबूर ना हों। इस ऐप का एल्गोरिदम कुछ ऐसा होगा कि कोई भी खरीदार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बोली नहीं लगा सकेगा।

क्रॉपफिट ऐप पर काम करने वाले तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन की सह संस्थापक अश्विनी गणेशन ने रूरल वॉयस को बताया कि यह ऐप किसानों और व्यापारियों को जोड़ने के लिए है। यह एक स्वस्थ ईकोसिस्टम तैयार करेगा। किसान ही इसके स्टेकहोल्डर हैं। क्रॉपफिट ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों पर चलेगा।

एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है

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  • suryasamachar.com [Edited by: aryan]
  • 30-11-2022 18:11:27 PM

News By : Vanita

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने अन्नदाताओं के जीवन में खुशहाली लाने का हर संभव प्रयास कर रही है। चाहे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हो या फिर पीएम फसल बीमा योजना, या समय समय पर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी। सरकार का एक ही लक्ष्य है किसानों का जीवन खुशहाल हो। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने एक नयी पहल शुरू की है जिससे बुजुर्ग किसानों का जीवन बेहतर होगा और उनकी मुश्किलें कम होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने प्रधान किसान सम्मान निधि के दायरे में आने वाले वैसे सभी अन्नदाताओं को किसान मानधन योजना में शामिल करने की पहल की है। इस योजना के दायरे में 18 साल से लेकर 40 साल तक के सभी किसानों को शामिल किया गया है।

UP Agriculture: Caneup Ganna Portal

गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से ही इस उपयोगी पौधे को ले जाया गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के काम आता था।

उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों में जब सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल रहा था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक विकसित होने पर मन्द पड़ गया।

इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल ने चीनी व्यवसाय की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर कमेटी की स्थापना की थी। वर्ष 1930 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना उप समिति की सिफारिश पर एक ’ टैरिफ बोर्ड ’ की स्थापना की गयी जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की सिफारिश की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।

​गन्ना पर्ची कलेंडर वैबसाइट फैक्टरी खोजे

गन्ना विभाग की वैबसाइट upcane.gov.in​​/caneup.in व e-Ganna App के अलावा भी किसान भाई गन्ना कलेंडर पर्ची 2022-23 के आकडे देख पाएंगे ।

चीनी मिल्स की वैबसाइट लिस्ट :
1-www.kisaan.net
2-www.upsugarfed.org
3-www.krishakmitra.com
4-www.dsclsugar.com
5-www.bhlcane.com
6-www.bcmlcane.in
7-www.bcmlcane.com
8-www.bcmlcane.in/kisaansuvidha
9-www.gannakrishak.in
10-kisaansoochna.dwarikesh.com
11-krishakmitra.com
जनपद व चीनी मिल के हिसाब से पूरी लिस्ट देखे

PM Awas Yojana List 2022:प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट कैसे देखें

ई-गन्ना एप पर देखें सर्वे का रिकॉर्ड (Ganna Survey 2022-23)

गन्ना विभाग ने किसानों से एप पर मोबाइल नंबर दर्ज करने की अपील एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है की
मोबाइल नंबर दर्ज न होने पर इस बार पर्ची मिलने में आएगी समस्या
गन्ना विभाग ने किसानों द्वारा किए जाने वाले फसल की बुआई के लिए सर्वे पूरा करा लिया है। सर्वे पूरा होने के उपरांत विभाग ने उसका ब्योरा एप पर भी अपलोड करते हुए किसानों से उसे देखने को कहा है। यह भी कहा है कि यदि कहीं से भी कोई समस्या हो तो उसे विभाग से संपर्क कर ठीक करा लिया जाए। एसएमएस पर्ची की व्यवस्था को देखते हुए किसान अपने एप के माध्यम से मोबाइल नंबर भी दर्ज कर दें।

गन्ना विभाग ने हाल में पूरा कराए गए सर्वे के उपरांत उसमें आने वाली किसी प्रकार की समस्या को जानने व उसे ठीक कराने के लिए E-Ganna App के माध्यम से सर्वे का प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। किसानों से कहा गया है कि वे ई-गन्ना एप पर विभाग द्वारा जारी कोड डालकर अपने गन्ने की फसल की बुआई का क्षेत्रफल देख कमी होने की दशा में विभाग को जानकारी दें। यह भी कहा गया है कि इस बार गन्ने की आपूर्ति के लिए एसएमएस पर्ची को ही पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। ऐसे में सभी किसान एप पर दिए गए विकल्प पर अपने मोबाइल का पंजीकरण सुनिश्चित करें। इसमें लापरवाही न की जाए, क्योंकि वह किसानों को भारी पड़ जाएगी।

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