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वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड

वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड

इस बिजनेस से होगी हर महीने 70,000 रुपए तक की कमाई, आज ही शुरू इस बिजनेस को सरकार भी दे रही है मदद

हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए पेपर कप बनाने का बिजनेस लेके आए हैं. जिसे आप कम निवेश में शुरू करके बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. यह एक ऐसा बिजनेस है जिसकी मांग कभी कम होने वाली नहीं है. प्रदूषण को खत्म करने के लिए सरकार भी हर संभव प्रयास कर रही है .और कोशिश कर रही है कि प्लास्टिक पर बैन लगाया जाए. इसीलिए पेपर कप बिजनेस शुरू करके के लिए लोगों को सरकार भी मदद कर रही है. अगर आप इस बिजनेस को शुरू करते हैं तो आप भी बहुत ही आसानी से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

क्या आप भी खुद का व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए पेपर कप बनाने का व्यापार बंपर मुनाफा देने वाला बिजनेस साबित हो सकता है.

आइए जानते हैं पेपर कप बनाने का व्यापार कैसे शुरू किया जाय. लेकिन दोस्तो आगे बढ़ने से पहले हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं की इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें.

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पेपर कप बिजनेस का स्कोप

जब से सरकार ने प्लास्टिक पर बैन लगाया है, तब से पेपर कब की डिमांड बढ़ गई है. आपने देखा होगा बड़ी-बड़ी होटल, रेस्टोरेंट्स, शादी विवाह में प्लास्टिक के कप की बजाय पेपर कब का इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां तक कि अब तो पेपर के गिलास भी बनने लग गए हैं. जिसका उपयोग जूस, लस्सी, पानी इत्यादि पीने के लिए किया जाएगा. आम तौर पर देखा जाए तो पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस की डिमांड कभी कम होने वाली नहीं है. इसीलिए यह बिजनेस शुरू करना आपके लिए बहुत ही लाभकारी साबित हो सकता है.

सरकारी भी दे रही हैं मदद

पेपर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार मुद्रा लोन के तहत लोगों को लोन उपलब्ध करवा रही हैं. अगर आप यह बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो आपको लागत का 25 फ़ीसदी खुद से लगाना होगा और बाकी 75 फ़ीसदी लोन मिल जाएगा. यदि आप इस बिजनेस के लिए लोन लेना चाहते हैं तो मुद्रा लोन का फार्म भर के अप्लाई कर सकते हैं.

कितनी आएगी लागत

यदि आप एक ही तरह के गिलास या कप बनाने की मशीन खरीदते है, तो वह आपको 1 से 1.5 लाख रुपए में मिलेगी और वही यदि आप विभिन्न प्रकार के कप बनाने की मशीन खरीदते हैं, तो वह मशीन आपको 8 से 9 लाख रुपए में पड़ेगी. यानी देखा जाए तो मशीन पर करीब 10 लाख का खर्च आएगा. और रॉ मटीरियल, दुकान का किराया, कर्मचारियों का वेतन, लाइट का बिल इत्यादि जैसे खर्च को मिलाकर लगभग 15 लाख रुपए की आवश्यकता पड़ सकती है.

कितना होगा मुनाफा

आम तौर पर देखा जाए तो पेपर मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री हर महीने लगभग 15,60,000 कप तैयार करती हैं. यदि आप इसे 35 पैसे प्रति कप के हिसाब से बेचते हैं, तो आपकी आय करीब 4 लाख 68 हजार की होगी. जिसमे से 4 लाख का खर्च काट दिया जाय, तो आपका शुद्ध मुनाफा ₹68000 होता है.इस तरह आप सालाना करीब 8 से 9 लाख रुपए कमा सकते हैं.

कहां से खरीदें मशीन

पेपर मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस के लिए दो तरह की मशीन आती है. एक सेमी ऑटोमेटिक मशीन और दूसरी फुली आटोमैटिक,

फुली आटोमैटिक यूनिट सेमी-ऑटोमैटिक की तुलना में प्रति घंटे बड़ी संख्या में कप का उत्पादन करती हैं.
अगर आप इसे छोटे स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए सेमी ऑटोमेटिक मशीन सबसे बेस्ट है.

और अगर आप इसे बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं, तो आपको फुली आटोमैटिक मशीन खरीदनी होगी, जो 8 से 9 लख रुपए में आएगी.

और रही बात इन मशीन को खरीदने की तो आप इन्हें ऑनलाइन, ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते हैं.
ऑनलाइन खरीदने के लिए आप IndiaMART की ऑफिशल वेबसाइट पर जा सकते हैं. और ऑफलाइन में आप अपने नजदीकी बड़े मार्केट से खरीद सकते हैं.

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अर्जुन पाटीदार है. मैं पिछले दो सालों से कंटेंट राइटिंग कर रहा हूं, यह ब्लॉग इसी वर्ष शुरू किया है । इस ब्लॉग को बनाने का मुख्य उ्देश्य लोगों को नए नए बिजनेस आईडिया के बारे में बताने का है.

वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड

रायपुर जिला स्तरीय स्काउड गाइड 3दिवसीय शिविर में पहुंचे - जनपद अध्यक्ष खिलेश देवांगन

जनपद पंचायत आरंग के ग्राम पंचायत रीवा के महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रीवा में तीन दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण की मूल उद्वेश्य तृतीय सोपान और निपूर्ण परीक्षण पर आधारित था।

उक्त कार्यक्रम के दूसरे दिन शाम कालीन समय में शिविर कैंप फायर एवम सास्कृतिक संध्या कालीन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में खिलेश देवांगन अध्यक्ष जनपद पंचायत आरंग उपस्थित थे।

उक्त कार्यक्रम अपने उद्बोधनमें खिलेश देवांगन ने कहा कि मैं भी छात्र जीवन में स्कूली व कालेज पढ़ने के समय याद आ गया मैंने भी छात्र जीवन में स्काउड गाइड, राष्ट्रीय सेवा(N.C.C.) योजना नेशनल कैडेट कोर्स (N.C.C.) में शिवरार्थी बनकर भाग लिया गया, साथ जीवन मे पर्सनालिटी डेवलपमेंट की बारे बताया जाता है,

शिविर के माध्यम से हम अपने जीवन में अनुशासन ज्ञान, श्रम दान, आत्मनिर्भरता, सहयोग भावना पैदा होती है जिससे सभी को सिखाना आवश्यक है।

कार्यक्रम में अध्यक्षता के रुप में सुरेश शुक्ला आयुक्त स्काउड गाइड रायपुर, विशिष्ट अतिथि हेमलता डुमेंद्र साहू, व देवनाथ साहू मंडी अध्यक्ष आरंग, अश्वनी चंद्राकरअध्यक्ष शाला विकास समिति रीवा, एस डी महंत प्राचार्य , दिलीप कुर्र पूर्व सरपंच रीवा, आर पी चंद्राकर व्ख्यता, मृत्युंजय शुक्ला शिविर प्रभारी, मंच संचालन अभिलाषा मैडम ने की उक्त कार्यक्रम में वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड शिविरार्थियो ने बड़ चढ़कर भाग लिया।

पैसों की बचत के लिए अपनाएं यह छोटी-छोटी ट्रिक्स

easy money saving tricks

जब भी पैसों की बात आती है तो अधिकतर लोगों का यह कहना होता है कि वह चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन फिर भी पैसों की बचत कर पाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है। ऐसे लोग पैसा बचाना तो चाहते हैं, लेकिन उसके लिए तरीका सही नहीं अपनाते हैं। इसके अलावा, वह अपनी कुछ छोटी-छोटी आदतों पर बिल्कुल भी ध्यान वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड नहीं देते हैं, जिसके कारण उनका अधिकतर पैसा कहां खर्च हो जाता है, इसका उन्हें पता ही नहीं चलता है।

यकीनन पैसा कमाने में बहुत अधिक मेहनत लगती है और हर व्यक्ति अपने स्किल्स के आधार पर आमदनी करता है। लेकिन पैसों की बचत करना भी एक कला है, जिसका ज्ञान हर किसी को नहीं होता। लिस्ट बनाना या मंथली बजट बनाने जैसे काम तो हर कोई करता है, लेकिन फिर भी वह पैसों को सही तरह वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड से सेव नहीं कर पाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे छोटे-छोटे ट्रिक्स के बारे में बता रहे हैं, जो मनी वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड सेविंग में आपके काम आएंगे-

खाने के बाद करें खरीदारी

shopping

यह एक छोटी सी ट्रिक है, जो आपके बेहद काम आ सकती है। दरअसल, अगर आप भूख लगने पर खरीदारी करते हैं, तो सब कुछ बहुत आकर्षक लगता है। जिसके कारण आप कुछ ऐसा खरीद लेंगी जिसकी आपको आवश्यकता नहीं है। जिससे आपके पैसे वेस्ट होंगे।

वहीं, अगर पेट भरा होने पर खरीदारी की जाती है तो लोग बेहद सोच-समझकर शॉपिंग करते हैं। इसके अलावा, जब आप पेट भरा होने पर शॉपिंग करेंगी तो मार्केट में शॉपिंग के साथ-साथ ईटिंग नहीं करेंगी और ऐसे में आपके पैसों की बचत होगी।

एनवलप से करें बचत

envelope

अब आप सोच वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड रहे होंगी कि एनवलप से बचत कैसे की जाती है। दरअसल, कुछ लोग बचत के लिए एक अलग खाता बनाते हैं या फिर कुछ पैसों को अपने पर्स, डिब्बे या तिजोरी में ही रख देते हैं, लेकिन ऐसा करने से वह उस पैसे का जल्दी इस्तेमाल कर लेते हैं।(एक्सपर्ट से जानिए बचत करने के सीक्रेट टिप्स)

बेहतर होगा कि आप कुछ अतिरिक्त पैसे एनवलप में रखें और उसे अपने कैबिनेट में रखकर छोड़ दें व भूल जाएं। अमूमन ऐसे पैसों की जल्दी याद नहीं आती है और वह इमरजेंसी फंड के रूप में आपकी मदद कर सकते हैं। आप चाहें तो एनवलप की जगह मिट्टी की गुल्लक का इस्तेमाल भी कर सकती हैं, क्योंकि ऐसी गुल्लक को भी लोग केवल बहुत अधिक आवश्यकता होने पर ही फोड़ते हैं।

कैश से करें शॉपिंग

shopping with cash

यह एक ऐसा तरीका है, जो मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति पर असर डालता है। कार्ड स्वाइप करना काफी आसान होता है और जब इस तरह से शॉपिंग की जाती है तो व्यक्ति को यह अहसास ही नहीं होता है कि वह कितना अधिक खर्च कर रहा है। वहीं, जब आप कैश से शॉपिंग करते हैं तो आप अपने पैसों पर एक नज़र डालते हैं।(ये तीन गलतियां पड़ सकती हैं जेब पर भारी)

इसके साथ खरीदारी करने से हमें मनोवैज्ञानिक प्रभाव अधिक मिलता है। यह देखने में आता है कि इस स्थिति में लोग फिजूलखर्च करने से बच जाते हैं। साथ ही, अगर आपके हाथ में लिमिटेड कैश होगा तो आप शॉपिंग भी अपने बजट से अधिक नहीं करेंगी।

ढूंढे सस्ता ऑप्शन

cheapest option

पैसे बचाने के कई तरीके होते हैं। बस आपको सही व सस्ता ऑप्शन चुनने की जरूरत होती है। मसलन, अगर आप शॉपिंग पर जाना चाहती हैं तो ऐसे में किसी मॉल या बड़ी दुकान में एंटर होने की जगह वीकली मार्केट, लोकल मार्केट या होलसेल मार्केट को एक्सप्लोर करें। वहां पर आपको थोड़ा वक्त अवश्य लग सकता है, लेकिन आप बेहद ही कम दाम में कुछ अच्छी डील क्रैक कर सकती हैं।

इसी तरह, अगर मूवी देखने का प्लॉन है तो आप ब्रेक में पॉपकॉर्न या कोल्ड ड्रिंक्स अवॉयड करें। इनकी कीमत टिकट से भी अधिक होती है। कोशिश करें कि आप घर से पॉपकॉर्न लेकर जाएं। अगर मूवी हॉल में इन्हें ले जाने की अनुमति ना हो तो आप मूवी से पहले या बाद में घूमते हुए इन्हें एन्जॉय कर सकती हैं।

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तो अब आप भी ट्रिक्स की मदद लें और बिना मशक्कत के अतिरिक्त पैसों की बचत करें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकीअपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

नवजात शिशु को डिब्बाबंद दूध देना कितना हो सकता है खतरनाक, जानें!

क्या आप अपने बच्चे को डिब्बाबंद दूध देती हैं? तो हो जायें सावधान!

Written by Agencies | Updated : January 4, 2017 5:53 PM IST

नवजात शिशु के लिए जब मां का दूधउनके लिए पर्याप्त नहीं रहता है तब उन्हें डिब्बाबंद दूध देने की ज़रूरत होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि दूध मुँहे शिशुओं के लिए उनका आहार ही उनके लिए जहर बन सकता है। असल में डिब्बाबंद दूध पाउडर में मेलामिन नाम का एक तत्व पाया जाता है जो शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस संदर्भ में शिशु चिकित्सक डॉ. के.एन. अग्रवाल का कहना है कि इस दूध से शिशु को डायबिटीज, हैजा, अस्थमा, किडनी स्टोन आदि बहुत तरह की बीमारियां हो सकती है।

देश में बच्चों की एक बड़ी तादाद डिब्बाबंद दूध पाउडर पर निर्भर है, बावजूद इसके सुरक्षा मानकों पर किसी का ध्यान नहीं गया है। यह दूध कितना सुरक्षित है, वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड इस बारे में न तो कभी सोचा गया, न ही कोई कदम उठाया गया है। सवाल यह है कि जिस देश में शराब की बोतलों पर सुरक्षा मानकों का प्रयोग किया जाता है, वहां डिब्बाबंद दूध पर इसका उल्लेख क्यों नहीं होता?

बच्चों और खासकर नवजात से जुड़े होने के बावजूद इसके प्रति इस तरह की लापरवाही हैरत में डालने वाली है, जबकि डिब्बाबंद दूध पाउडर की बाजार में धड़ल्ले से खरीद-फरोख्त जारी है। एक अनुमान के मुताबिक, देश में दूषित दूध पीने से नवजातों की मौत के मामले बढ़े हैं। चीनी दूध कंपनियों ने जांच में डिब्बाबंद दूध पाउडर में मेलामिन नाम के एक तत्व की मौजूदगी पाई है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। विदेशी दूध की कंपनियां बड़ी मात्रा में दूध का पाउडर बनाकर भारत में बेचकर मोटा मुनाफा कमाती हैं। शहरीकरण की वजह से बड़ी मात्रा में दूध पाउडर की खपत भी हो रही है। चिकित्सकों का मानना है कि डिब्बाबंद नकली दूध पाउडर माफियाओं द्वारा चलाए जाते हैं। ये माफिया नकली दूध के कारोबार में लगे हुए हैं।

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मशहूर शिशु चिकित्सक डॉ. के.एन. अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, 'इस दूध पाउडर को यूरिया और डिटर्जेट से तैयार किया जाता है जो बच्चों के लिए बहुत हानिकारक है। नकली दूध से बच्चों को अस्थमा, हैजा, ल्यूकमेनिया, मधुमेह, क्षत-विक्षत अंग और पथरी जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।' अग्रवाल ने कहा कि चीन में हाल ही में हुए स्कैंडल से पता चलता है कि मुनाफा कमाने की जल्दबाजी में इस तरह की धोखाधड़ी की जाती है यानी बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

बच्चों के लिए बने दूषित एवं नकली दूध पाउडर के कारोबार में बड़ी सांठगांठ है। ऐसे में हर साल 2.5 करोड़ नवजातों की सुरक्षा के लिए बेबी दूध पाउडर और अन्य पोषक उत्पादों का सही होना सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। के.एन.अग्रवाल कहते हैं, 'यदि आपका बच्चा डायरिया की समस्या से ग्रसित है और उचित दूध के सेवन के बावजूद उसका विकास नहीं हो पा रहा है तो वह नकली दूध या दूषित डिब्बाबंद दूध पाउडर का शिकार है।'

बच्चों के दूध पाउडर को तैयार करते समय तमाम तरह के सुरक्षा मानकों को ताक पर रख दिया जाता है। देश में मौजूदा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बेबी दूध पाउडर ब्रांड की जांच के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा 2011 में कराए गए सर्वेक्षण में देश में वितरित 68.4 फीसदी दूध नकली पाया गया है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

चीन में वर्ष 2008 में नकली दूध का मामला सामने आया था। शोध में दूध पाउडर में मैगनीज पाया गया था। नवजात बच्चे अपने पहले वर्ष में अत्यधिक मात्रा में मैगनीज को पचा नहीं पाते और ठीक इसी तरह के हालात भारत में भी देखने को मिल रहे हैं। इन सबके बीच विभिन्न संस्थाएं अपना पल्ला झाड़ने में लगी है। बीआईएस का कहना है कि वह सिर्फ पैकेजिंग को स्वीकृति देती है। सुरक्षा मानक तय करना उसकी जिम्मेदारी नहीं है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंर्डडस का कहना है कि वह आईएसआई मार्क प्रदान करती है और उसने मौजूदा समय में 30,000 लाइसेंसों को आईएसआई मार्क दिया है।

बीआईएस के एक वैज्ञानिक गोपीनाथ ने आईएएनएस को बताया कि नवजातों के खाद्य उत्पादों के दो प्रकार हैं - एक नवजातों के खाद्य सबस्टीट्यूट हैं और दूसरा अनाज आधारित खाद्य हैं। यह पूछने पर कि बीआईएस ने इस पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई ने बीआईएस पंजीकरण के बाद ही इन उत्पादों को बेचने की व्यवस्था की है।

अजीब विडंबना है कि देश में 1.25 अरब लोगों की इस आबादी में दूध के सही मापदंड का कोई मानक या कानून ही नहीं है। भारत से बाहर जाने वाले उत्पादों पर प्रमाणीकरण समाधान का उपयोग होता है, लेकिन देश में इस्तेमाल होने वाले कई उत्पादों पर इसकी कोई व्यवस्था नहीं होती। एस्पा के महासचिव अरुण अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, 'हमारे देश में शराब की बोतलों पर प्रमाणीकरण के लिए होलोग्राम का प्रयोग किया जाता है, ताकि लोगों को नकली शराब से बचाया जा सके, मगर दूध पाउडर पर इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।'

उन्होंने बताया कि एस्पा ने बीआईएस को प्रमाणीकरण समाधान का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है। इस तरह के प्रमाणीकरण समाधान से कोई भी आम नागरिक इंटरनेट, मोबाइल एप या मोबाइल संदेश के जरिए असली व नकली की पहचान में सक्षम है। यह तकनीक आईएसओ मानकों के दिशानिर्देशों के अनुरूप है जो जालसाजी को रोकने में सक्षम है। साफ है कि मामला बहुत ही गंभीर है, अगर प्रशासन अब भी नहीं चेता तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसकी सारी जवाबदेही प्रशासन की ही होगी।

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