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एक ट्रेडिंग खाता क्या है

एक ट्रेडिंग खाता क्या है
  1. Opening Stock (प्रारंभिक रहतिया ) : वर्ष के शुरू में जो वस्तुएं बची होती है उसे Opening Stock कहा जाता है।
  2. Purchase (क्रय ) : व्यवसाय करने के लिए जो वस्तुएँ खरीदी जाती है उसे Purchase (क्रय) कहते हैं । Purchase में से Purchase Return को घटा लिया जाता है।
  3. Cost Of Purchase : वस्तु खरीद कर लाने मे जो खर्च होता है, उसे Cost Of Purchase कहा जाता है।

Trading Account (एक ट्रेडिंग खाता क्या है व्यापार खाता) बनाने के नियम क्या है ?

  1. Opening Stock (प्रारंभिक रहतिया ) : वर्ष के शुरू में जो वस्तुएं बची होती है उसे Opening Stock कहा जाता है।
  2. Purchase (क्रय ) : व्यवसाय करने के लिए जो वस्तुएँ खरीदी जाती है उसे Purchase (क्रय) कहते हैं । Purchase में से Purchase Return को घटा लिया जाता है।
  3. Cost Of Purchase : वस्तु खरीद कर लाने मे जो खर्च होता है, उसे Cost Of Purchase कहा जाता है।

Cost Of Purchase में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :

  • Coolie Charges (कुली खर्च)
  • Freight (भारा)
  • Carriage (भाड़ा या ढुलाई)
  • Octroi Duty (चुंगी कर )
  • Import Tax (आयत कर)

Cost Of Production में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :

  • Wages (मजदूरी)
  • Factory Rent (कारखाना का किराया )
  • Factory Lighting (कारखाना का रोशनी)
  • Factory Insurance (कारखाना का बीमा )
  • Fuel (ईंधन)
  • Power (शक्ति)
  • Coal (कोयला)
  • Gas ( गैस)
  • Water ( पानी)
  • Manufacturing (निर्माण व्यय)
  • Excise Duty (उत्पादन कर)

Trading Account में Credit तरफ निम्नलिखित मदों को लिखा जाता है :-

  1. Sales (विक्रय ) : जिस वस्तु की व्यवसाय की जाती है उसे बेचे जाने को Sales कहा है। Sales में से Sales Return को घटा लिया जाता है।
  2. Closing Stock (अंतिम रहतिया ) : वर्ष के अंत में जो वस्तुएँ बची होती है उसे Closing Stock कहा जाता है।

Trading Account में Credit तरफ कम होने पर Loss होती है ओर Debit तरफ कम होने पर Profit होता है।

लाभ को शकल लाभ (Gross Profit) तथा हानि को शकल हानि (Gross Loss) के नाम से जाना जाता है।

एक ट्रेडिंग खाता क्या है

Published date: December 25, 2021

डीमैट और ट्रेडिंग

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अन्तर होता है? इस को ठीक से समझने के लिए पहले दोनों को समझना होगा की आखिर ये दोनों अकाउंट क्या होते है. दोनों ही अकाउंट या खाते शेयर मार्केट में यूज़ किये जाते है.

अंतर समझने के लिए पहले समझते हैं, की शेयर मार्केट में शेयर की खरीद और बेचाली कैसे होती है?

आजकल के समय, जब भी कोई व्यक्ति शेयर को खरीदना चाहता है, तो पास डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरुरी होता है. कुछ समय पहले ये अलग अलग होते थे. लेकिन अब अधिकतर स्टॉक ब्रोकर इन्हे एक साथ लिंक करके देते हैं.

शेयर मार्केट में जब कोई ट्रांसेक्शन होता है, मतलब यदि आप ने शेयर को खरीदने के लिए आर्डर किया है, तो वह शेयर एक ट्रेडिंग खाता क्या है किसी दूसरे निवेशक के डीमैट खाते से निकाल कर आपके डीमैट खाते में डिपाजिट कर दिया जायेगा। इस प्रक्रिया में, स्टॉक आपके डीमैट खाते में आने में T+2 दिन का समय लगेगा। शेयर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में तुरंत क्रेडिट हो जाता है. जबकि डीमैट अकाउंट में आने में दो दिन का समय लगता है।

1.शेयर क्रेडिट होने का समय

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों में शेयर के क्रेडिट होने का समय एक मुख्य अंतर होता है. ट्रेडिंग अकाउंट में शेयर को आर्डर के तुरंत बाद क्रेडिट कर दिया जाता है, जबकि डीमैट अकाउंट में आने में लगभग दो दिन का समय लगता है। किसी विशेष स्थिति में, डीमैट अकॉउंट में शेयर क्रेडिट होने में अधिक समय भी लग सकता है.

2.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट मैनटैनिंग ऑथोरिटी

स्टॉक मार्केट में, ट्रेडिंग अकाउंट के सारे ट्रांसेक्शन स्टॉक ब्रोकर ( जैसे Zerodha या Upstox) के अधीन होते हैं, जबकि डीमैट अकाउंट के ट्रांसेक्शन डिपॉज़िटरी (NSDL या CDSL) के अधीन होते हैं.

3.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के काम

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों के काम अलग अलग होते है. टेक्नोलॉजी की वजह से आज यह संभव है. आपको शेयर खरीदने बेचने के लिए किसी खास जगह जैसे शेयर बाजार में जाने की जरुरत नहीं होती है. यह काम डिजिटल रूप में मोबाइल या लैपटॉप से ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से कर सकते हैं.

जबकि शेयर को रखने के लिए लम्बे चौड़े कागजों की एक ट्रेडिंग खाता क्या है जरुरत नहीं होती है, बल्कि ये डीमैट अकाउंट में डिजिटल रूप में रख सकते है.

डीमैट अकाउंट शेयर को होल्ड करने का स्पेस होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट शेयर खरीदने बेचने का माध्यम होता है.

4.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के चार्ज

डीमैट और रीमैट चार्ज

शेयर को फिजिकल फॉर्म मतलब कागजी फॉर्म से डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट करने के लिए चार्ज को डीमैट चार्ज लगता है, जबकि इसके विपरीत शेयर को डिजिटल फॉर्म से फिजिकल फॉर्म में चेंज करने के लिए रीमैट चार्ज लगता है.

इसके दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट में स्टॉक ब्रोकर कुछ अन्य प्रकार के चार्ज लगाता है, जैसे ब्रोकरेज चार्ज, डीपी चार्ज आदि कहते है।

Q.क्या एक ट्रेडिंग खाता क्या है केवल डीमैट अकाउंट को रख सकते हैं?

A. जी हाँ, यदि कोई व्यक्ति शेयर को लम्बे समय के लिए रखना चाहता है, तो वह केवल डीमैट अकाउंट खुलवा सकता है. जबकभी कोई निवेशक आईपीओ में निवेश करना चाहता है तो उसे केवल डीमैट अकाउंट की ही जरुरत होती है.

Q.क्या केवल ट्रेडिंग अकाउंट ही रख सकते हैं?

A. जी हाँ, यह भी संभव है लेकिन वह व्यक्ति केवल फ्यूचर और ऑप्शन जैसी चीजों में ही ट्रेड कर सकता है. क्योकि इनमे शेयर की डिलीवरी नहीं दी जाती।

Trading Account (व्यापार खाता) बनाने के नियम क्या है ?

  1. Opening Stock (प्रारंभिक रहतिया ) : वर्ष के शुरू में जो वस्तुएं बची होती है उसे Opening Stock कहा जाता है।
  2. Purchase (क्रय ) : व्यवसाय करने के लिए जो वस्तुएँ खरीदी जाती है उसे Purchase (क्रय) कहते हैं । Purchase में से Purchase Return को घटा लिया जाता है।
  3. Cost Of Purchase : वस्तु खरीद कर लाने मे जो खर्च होता है, उसे Cost Of Purchase कहा जाता है।

Cost Of Purchase में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :

  • Coolie Charges (कुली खर्च)
  • Freight (भारा)
  • Carriage (भाड़ा या ढुलाई)
  • Octroi Duty (चुंगी कर )
  • Import Tax (आयत कर)

Cost Of Production में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :

  • Wages (मजदूरी)
  • Factory Rent (कारखाना का किराया )
  • Factory Lighting (कारखाना का रोशनी)
  • Factory Insurance (कारखाना का बीमा )
  • Fuel (ईंधन)
  • Power (शक्ति)
  • Coal (कोयला)
  • Gas ( गैस)
  • Water ( पानी)
  • Manufacturing (निर्माण व्यय)
  • Excise Duty (उत्पादन कर)

Trading Account में Credit तरफ निम्नलिखित मदों को लिखा जाता है :-

  1. Sales (विक्रय ) : जिस वस्तु की व्यवसाय की जाती है उसे बेचे जाने को Sales कहा है। Sales में से Sales Return को घटा लिया जाता है।
  2. Closing Stock (अंतिम रहतिया ) : वर्ष के अंत में जो वस्तुएँ बची होती है उसे Closing Stock कहा जाता है।

Trading Account में Credit तरफ कम होने पर Loss होती है ओर Debit तरफ कम होने पर Profit होता है।

लाभ को शकल लाभ (Gross Profit) तथा हानि को शकल हानि (Gross Loss) के नाम से जाना जाता है।

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