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ETF लिक्विडिटी

ETF लिक्विडिटी
Money Guru: पैसे से ही पैसा (Money) बनता है. लेकिन इसके लिए बेहतर निवेश विकल्पों में पैसा लगाना जरूरी है. बात अगर सोना या चांदी में निवेश की करें तो निवेशकों के मन में एक सवाल होता है कि आखिर निवेश सोने (Gold) में करना ज्यादा सही होगा या चांदी (Silver) में. साथ ही किस फॉर्मेट में किया जाए. इसके अलावा, निवेशक के पोर्टफोलियो में क्या सही और क्या नहीं, इसे समझना भी बेहद जरूरी है. गोल्ड ETF में निवेश के फायदे क्या हैं? सोने-चांदी (Gold-Silver investment) में निवेश को लेकर ऐसे ही कुछ सवाल हैं जिस पर रेलिगेयर ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी)सुगंधा सचदेवा और आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेट के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज यहां चर्चा कर रहे हैं. आइए इन्हें समझते हैं.

Mutual Fund ला सकेंगे पैसिव ELSS, डेट ETF और इंडेक्‍स फंड; SEBI ने दी मंजूरी

SEBI सर्कुलर के मुताबिक, अब म्‍यूचुअल फंड्स हाउस पैसिव इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम (ELSS), डेट बेस्‍ड ईटीएफ और डेट बेस्‍ट इंडेक्‍स फंड लॉन्‍च कर सकेंगे. इसके लिए क्राइटेरिया भी तय किया है.

SEBI new circular on Mutual Fund: मार्केट रेग्‍युलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड्स को पैसिव ELSS स्कीम के साथ साथ डेट आधारित ETF और ETF लिक्विडिटी डेट इंडेक्स फंड लॉन्च करने की इजाजत दे दी है. सेबी ने इस पर सर्कुलर जारी किया है. अब पैसिव ELSS के जरिए निवेशक अप्रूव्‍ड म्‍यूचुअल फंड में निवेश के जरिए टैक्‍स बचा सकेंगे. पैसिव फंड से ट्रांसपरेंसी, डाइवर्सिफिकेशन, कम लागत का लाभ होगा.

सर्कुलर के मुताबिक, अब म्‍यूचुअल फंड्स हाउस पैसिव इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम (ELSS), डेट बेस्‍ड ईटीएफ और डेट बेस्‍ट इंडेक्‍स फंड लॉन्‍च कर सकेंगे. इसके लिए क्राइटेरिया ETF लिक्विडिटी भी तय किया है. जैसेकि, म्‍यूचुअल फंड्स (MFs) को एक्टिव या पैसिव में से एक ELSS रखना होगा. टॉप 250 मार्केट कैप कंपनियों के इंडेक्स पर आधारित ELSS फंड लाना होगा.

डेट ETF और इंडेक्स फंड लाना आसान

सर्कुलर के मुताबिक, MFs के लिए डेट वाले ETF और इंडेक्स फंड लाना आसान किया गया है. ये तीन कैटेगरी में लाए जा सकेंगे. कॉरपोरेट डेट, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और राज्‍य सरकार के SDL में ETF लाए जा सकेंगे. हालांकि, किसका-कितना एक्‍सपोजर होगा उस इंडेक्‍स या ईटीएफ में यह भी तय किया गया है. अगर 80 फीसदी कॉरपोरेट डेट वाला इंडेक्‍स है, तो वहां पर AAA रेटेड वाली सिक्‍युरिटीज है, तो उनकी लिमिट 15 फीसदी होगी.

वहीं, अगर AA रेटेड है, तो उसकी लिमिट 12.5 ETF लिक्विडिटी फीसदी होगी. वहीं, A रेटेड पर 10 फीसदी सिंगल सिक्योरिटी लिमिट होगी. इसका मतलब यह है कि बहुत लो क्‍वालिटी वाले इंडेक्‍स या ईटीएफ हैं, तो उनका एक्‍सपोजर कम होगा. जिससे कि रिस्‍क को कम रखा जा सके. इसी तरह, हाइब्रिड रेटिंग वाले इंडेक्‍स के लिए भी एक्सपोजर लिमिट तय की गई है. लेकिन, सरकारी कंपनियों की सिक्‍युरिटीज है, तो जहां 10 फीसदी की लिमिट है, वहां 15 फीसदी होगी.


बिजनेस ग्रुप का मैक्सिमम 25% होगा एक्‍सपोजर

सर्कुलर के मुताबिक, किसी स्‍कीम या इंडेक्‍स में एक बिजनेस ग्रुप ETF लिक्विडिटी का मैक्सिमम एक्‍सपोजर 25 फीसदी से ज्‍यादा नहीं होगा. ताकि, अगर ग्रुप किसी मुश्किल में पड़े, तो उसका असर निवेशकों पर न हो. साथ ही इन स्‍कीम्‍स में जब निवेशक बेचना या निकलना चाहें तो इसके लिए 2 मार्केट मेकर अप्‍वाइंट करना होगा. मार्केट मेकर वो होंगे, जो जरूरत पर निवेशक जब बेचने जाए तो उनको खरीदकर उनको पैसा मुहैया करा सके. लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए कम से कम 2 मार्केट मेकर जरूरी होगा. मार्केट मेकर का इंसेटिव स्कीम के TER के दायरे में ही होगा.

सेबी ने न्‍यू फंड ऑफर (NFO) का मौजूदा साइज 10 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है. जिससे कि म्‍यूचुअल फंड हाउस इस तरह की स्‍कीम को ज्‍यादा से ज्‍यादा लाएं. कम निवेशक आते हैं, तो भी कोई दिक्‍कत न हो. केवल 25 करोड़ रु से अधिक के सौदे ही सीधे MF कंपनी से होंगे. पैसिव फंड से ट्रांसपरेंसी, डाइवर्सिफिकेशन, कम लागत का लाभ होगा.

लिक्विड ETF की मदद से शेयर बाजार में बढ़ाएं अपनी कमाई, ऐसे करें स्मार्ट इनवेस्टमेंट

लिक्विड ETF की मदद से शेयर बाजार में बढ़ाएं अपनी कमाई, ऐसे करें स्मार्ट इनवेस्टमेंट

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Oct 08, 2022 | 2:19 PM

सभी जानते हैं कि निवेश का रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है आप अपने पैसे पर कितना जोखिम उठा रहे हैं. बाजार में ऐसे सैकड़ों इंस्ट्रूमेंट्स हैं जहां जोखिम के अलग अलग स्तरों पर अलग अलग रिटर्न मिलता है. स्मार्ट इनवेस्टर बाजार में मौजूद इन सभी विकल्पों का इस्तेमाल इस तरह से करते हैं जिससे वो पैसे की सुरक्षा से लेकर ऊंचे रिटर्न दोनो का ही फायदा उठा सकें. आज हम आपको एक ऐसी ही स्मार्ट रणनीति बताने जा रहे हैं जहां आप ऐसे ही बाजार के दो अलग अलग निवेश विकल्पों का इस्तेमाल कर अपने पैसों को पहले से ज्यादा तेजी के साथ बढ़ते हुए देख सकते हैं.

क्यों जरूरी है स्मार्ट इनवेस्टमेंट

बाजार में आम निवशक निवेश ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए करते हैं जो डीमैट अकाउंट और सेविंग अकाउंट से अटैच होता है. आप ETF लिक्विडिटी का कैश सेविंग अकाउंट में रहता है वहीं स्टॉक डीमैट अकाउंट में रहते हैं. यानि साफ है कि जब आपका पैसा स्टॉक मार्केट में नहीं होता तो उसपर सबसे कम रिटर्न मिल रहा होता है. दरअसल सेंविग्स अकाउंट में ब्याज दरें सबसे निचले स्तरों पर रहती है. वहीं शेयर बाजार में स्टॉक की बिकवाली करने पर पैसा भी 2 दिन में मिलता है. यानि इन दो दिन आपका कैश वास्तव में कोई कमाई नहीं कर रहा होता.

कई बार आपको स्टॉक में निवेश के मौके नहीं मिलते. ऐसे ETF लिक्विडिटी में आपका पैसा लंबे समय तक सेविंग्स अकाउंट में ही पड़ा रहता है. दूसरी तरफ समस्या ये ETF लिक्विडिटी है कि बाजार में मौकों की तलाश में इस पैसे की एफडी भी नहीं करा पाते. अगर रकम बड़ी है और वो ज्यादा समय तक सेविंग्स अकाउंट में पड़ी रहती है तो आपको पता ही नहीं चलता कि आपने कितनी कमाई का मौका गंवा दिया.. लेकिन अगर आप लिक्विड ईटीएफ की मदद लेते हैं तो आप अपनी कमाई कहीं ज्यादा बढ़ा सकते हैं. जानिए क्या है ये इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजी.

क्या है लिक्विड ईटीएफ

लिक्विड ईटीएफ यानि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड निवेश के ऐसे विकल्प होते हैं जो शेयर बाजार में स्टॉक की तरह खरीदे और बेचे जा सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ ये फंड्स बेहद छोटी अवधि के जमा में निवेश करते हैं. यानि सीधे शब्दों में कहें तो लिक्विड ईटीएफ कम जोखिम और सेविंग्स से ज्यादा रिटर्न तो देते ही हैं ये नकदी की तरह तेजी से कैश भी कराए जा सकते हैं. बाजार में ढेरों लिक्विड ईटीएफ हैं. लिक्विड फंड ईटीएफ में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल केवल 0.25% पर कुल खर्च अनुपात के साथ सबसे सस्ता ईटीएफ प्रदान करता है, इसके साथ ही कई और बेनेफिट्स भी मिलते हैं.

बाजार के जानकार सलाह देते हैं कि अगर आपको शेयरों में निवेश का मौका मिलता है तो अपने पैसे को उस स्टॉक में लगाए, प्रॉफिट मिलने पर पैसे को सेविंग्स अकाउंट में छोड़ने की जगह सीधे लिक्विड ईटीएफ में लगा दें. वहीं आने वाले समय में आप फिर से स्टॉक में निवेश का मौका मिलने पर इस लिक्विड ईटीएफ की रकम से सीधे शेयर खरीद लें. यानि आप सेविंग्स अकाउंट में पैसे छोड़ने की जगह उसे लिक्विड ईटीएफ में लगा दें

बाजार में मांग

सोने (gold) की ज्यादातर मांग संपत्ति की वृद्धि या निवेश के लिए
चांदी की मांग औद्दोगिक गतिविधियों में ज्यादा
चांदी निवेश के लिए छोटे, खुदरा निवेशकों की पसंद
सोने की मांग का 90% हिस्सा निवेश संबंधिंत
औद्दोगिक गतिविधियों में सोने की खपत 10% के बराबर

सोने की तुलना में चांदी अधिक स्थिर
चांदी में निवेश डायवर्सिफिकेशन के लिए अच्छा
कभी-कभी छोटी अवधि में चांदी में बढ़ती है अस्थिरता
बाजार में कम लिक्विडिटी के समय,चांदी में अधिक जोखिम
दोनों की तुलना में सोने का रिकॉर्ड चांदी से बेहतर

गोल्ड टू सिल्वर रेश्यो

कम गोल्ड-सिल्वर रेश्यो चांदी के लिए अच्छा
आर्थिक मंदी में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो बढ़ता है
मार्च 2020 में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा
1983 और 2011 में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो का न्यूनतम स्तर था

एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
शेयर की तरह एक्सचेंज पर होती है ETF की ट्रेडिंग
ICICI प्रूडेंशियल,ABSL के सिल्वर ETF लॉन्च
सिल्वर के अलग-अलग विकल्पों का एक फंड
डीमैट के जरिए कर सकेंगे चांदी में निवेश
निवेश की लागत हाजिर और वायदा से काफी कम
हाजिर की तरह स्टोरेज को लेकर झंझट नहीं
शुद्धता की कोई दिक्कत नहीं होगी

-सोने (gold)की मांग
-डॉलर इंडेक्स प्राइस
-राजनीतिक अनिश्चितता
-ब्याज दरें
-वित्तीय अस्थिरता
-सुरक्षित निवेश विकल्प
-आर्थिक मंदी के संकेत
-अच्छा मॉनसून

पेपर गोल्ड में निवेश का सबसे अच्छा तरीका
गोल्ड ETF ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड है
1 गोल्ड ETF यूनिट 1 ग्राम सोने के बराबर है
गोल्ड में निवेश के साथ ही स्टॉक में निवेश की सुविधा
गोल्ड ETF को शेयर की तरह BSE, NSE पर खरीद सकते हैं

ग्रोथ ओरिएंटेड- इक्विटी और रियल एस्टेट
डिफेंस ETF लिक्विडिटी ओरिएंटेड- डेट और कमोडिटी
एसेट जिनका आपस में उलटा संबध,उन्हें चुनें
डेट और इक्विटी,अलग बाजार में अलग रिएक्ट करते हैं
मध्यम अवधि के लक्ष्य के लिए 70% इक्विटी,30% डेट रखें
लंबी अवधि में 80% इक्विटी,20% डेट एलोकेशन करें.

गोल्ड टू सिल्वर रेश्यो

कम गोल्ड-सिल्वर रेश्यो चांदी के लिए अच्छा
आर्थिक मंदी ETF लिक्विडिटी में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो बढ़ता है
मार्च 2020 में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा
1983 और 2011 में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो का न्यूनतम स्तर था

एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
शेयर की तरह एक्सचेंज पर होती है ETF की ट्रेडिंग
ICICI प्रूडेंशियल,ABSL के सिल्वर ETF लॉन्च
सिल्वर के अलग-अलग विकल्पों का एक फंड
डीमैट के जरिए कर सकेंगे चांदी में निवेश
निवेश की लागत हाजिर और वायदा से काफी कम
हाजिर की तरह स्टोरेज को लेकर झंझट नहीं
शुद्धता की कोई दिक्कत नहीं होगी

-सोने (gold)की मांग
-डॉलर इंडेक्स प्राइस
-राजनीतिक अनिश्चितता
-ब्याज दरें
-वित्तीय अस्थिरता
-सुरक्षित निवेश विकल्प
-आर्थिक मंदी के संकेत
-अच्छा मॉनसून

पेपर गोल्ड में निवेश का सबसे अच्छा तरीका
गोल्ड ETF ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड है
1 गोल्ड ETF यूनिट 1 ग्राम सोने के बराबर है
गोल्ड में निवेश के साथ ही स्टॉक में निवेश की सुविधा
गोल्ड ETF को शेयर की तरह BSE, NSE पर खरीद सकते हैं

ग्रोथ ओरिएंटेड- इक्विटी और रियल एस्टेट
डिफेंस ओरिएंटेड- डेट और कमोडिटी
एसेट जिनका आपस में उलटा संबध,उन्हें चुनें
डेट और इक्विटी,अलग बाजार में अलग रिएक्ट करते हैं
मध्यम अवधि के लक्ष्य के लिए 70% इक्विटी,30% डेट रखें
लंबी अवधि में 80% इक्विटी,20% डेट एलोकेशन करें.

इंडेक्स फंड में होती है मॉडरेट रिस्क


इंडेक्स फंड, एक्टिवली मैनेज्ड फंड की ETF लिक्विडिटी तुलना में कम रिस्की होते हैं यानि कि मध्यम जोखिम निवेश हैं. जहां सक्रिय फंडों में मार्केट से बेहतर परफॉर्म करने की होड़ में ज्यादा रिस्क ली जाती है, वहीं इसके विपरीत इंडेक्स फंड का रिटर्न इसके अंडरलाइंग इंडेक्स से जुड़ा होता है. इसे ट्रैक किया जाता है.


एक्सचेंज फंड पर इंडेक्स ETF लिक्विडिटी फंड का कारोबार नहीं होता है इसलिए नियमित फंड की तुलना में इंडेक्स फंड की लिक्विडिटी कम है. साथ ही साथ इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो कम होता है. इससे इसकी लागत भी कम होती है.

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