कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है

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शेयर बाजार में स्टॉक कैसे चुनें? (How to pick Stocks in Share Market?)
शेयर मार्किट (Share Market) में आप किन शेयरों का व्यापार करते हैं, यह आपके अनुभव के स्तर, आपके पास कितनी पूंजी उपलब्ध है, और आप किस प्रकार की ट्रेडिंग कर रहे हैं, सहित कई मुद्दों पर निर्भर करते हैं। चाहे आप दिन के कारोबार के लिए सबसे अच्छा स्टॉक खोजने (Pick Stocks) की कोशिश कर रहे हों, या आप स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) , पोजीशन ट्रेडिंग (Position Trading ) या निवेश (Investment) जैसी अन्य शैलियों को पसंद करते हैं ।
स्टॉक चुनने के लिए आपके मानदंड को ट्रेडिंग प्लान (Trading Plan)
के हिस्से के रूप में लिखा जाना चाहिए (अधिक के लिए जोखिम प्रबंधन देखें) एक योजना विकसित करने पर विवरण)। आपकी ट्रेडिंग योजना गतिशील है, और इस प्रकार, जैसे-जैसे आप सीखना, कौशल विकसित करना और अपनी ताकत और कमजोरियों को उजागर करना जारी रखेंगे, यह विकसित होगा।
स्टॉक चुनने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए
• अपने जोखिम के स्तर को समझें और तय करें कि क्या उचित है।
• आपके व्यक्तित्व प्रकार से कोई फर्क नहीं पड़ता, निवेश करने के लिए स्टॉक चुनने के लिए एक रणनीति विकसित करें।
• एक स्टॉक चुनकर (Pick Stocks) शुरू करें और फिर परिणामों का विश्लेषण करें।
• स्टॉक की हलचल और संपूर्ण बाजार को समझने के लिए ट्रेडिंग चार्ट का उपयोग करें।
• अंत में, अपनी योजना पर कायम रहें!
अपने व्यक्तित्व के आधार पर स्टॉक चुनो (Pick Stocks Based on Your Personality)
साथ ही, आपका व्यक्तित्व प्रकार आपके द्वारा ट्रेड किए जाने वाले स्टॉक के प्रकारों में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। उदाहरण के लिए, यदि आप २३ वर्ष के हैं, वीडियो गेम में पले-बढ़े हैं, आपका दिमाग तेज़ है और ध्यान केंद्रित रहने के लिए आपको बहुत कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है अधिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, तो आपके लिए अल्पकालिक, स्केलिंग सही हो सकती है। दूसरी ओर, यदि आप 65 वर्ष के हैं, तो निर्णय लेने से पहले चीजों के बारे में सोचना पसंद करते हैं, तो हो सकता है कि स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) कम अस्थिरता वाले स्टॉक अधिक उपयुक्त हों।
आप जो भी निर्णय लें, उस पर विचार अवश्य करें। आपको यह समझने की जरूरत है कि शेयरों में उतार-चढ़ाव के विभिन्न स्तर होते हैं और कीमतों में उतार-चढ़ाव का वेग होता है। अपनी जानकारीके लिए इंडिकेटर जैसे टूल का उपयोग करके, आपको यह देखने में सक्षम होना चाहिए कि कौन शेयर खरगोश है और कौन सा शेयर कछुआ।
स्टॉक चुनते समय जोखिम प्रबंधन को ध्यान में रखें ( Keep Risk Management in Mind When Picking Stocks)
निर्धारित करें कि आप किस हद तक जोखिम के साथ रह सकते हैं और बर्दाश्त कर सकते हैं। स्टॉक चुनने (Pick Stocks) की रणनीति बनाने पर ध्यान दें जो पूंजी को संरक्षित करने और जोखिम को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य पूंजी को संरक्षित करना होना चाहिए। आपको यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि खेल में बने रहने के लिए अपनी पूंजी को संभालना बहोत ही महत्वपूर्ण है ।
व्यापार करने के लिए स्टॉक का एक पूरा स्पेक्ट्रम है, प्रत्येक में विभिन्न स्तरों की अस्थिरता, मूल्य और मात्रा विशेषताओं के साथ। जोखिम कम करके शुरुआत करें। जैसे-जैसे आपके कौशल, अनुभव और आपकी सफलता में वृद्धि होती है, आप उन शेयरों से जुड़े जोखिम को बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं जिन्हें आप व्यापार के लिए चुनते हैं।
नए व्यापारियों द्वारा की जा सकने वाली सबसे खराब गलतियों में से एक है “बस व्यापार शुरू करें” और “देखें कि यह कैसा चल रहा है।” आपको सूचित और शिक्षित व्यापारिक निर्णय लेने, विश्लेषण और गणना करने की आवश्यकता है। जैसे कोई व्यवसाय शुरू करने या बढाने के लिए एक पूर्व योजना आवश्यक है।
जब आप निवेश करने के लिए स्टॉक चुनते हैं तो इसे सरल रखें ( Keep it Simple When You pick Stocks to Invest In)
अपनी स्टॉक चुनने की प्रक्रिया (Picking Stocks Process) को सरल रखें! लंबी अवधि में आप जो भी स्टॉक चुनने की रणनीति तय करते हैं, केवल एक स्टॉक का व्यापार करके शुरू करें, देखें, अध्ययन करें और सीखें । प्रत्येक स्टॉक का अपना व्यक्तित्व और विशेषताएं होती हैं। आदर्श चाल चलने का अनुमान लगाने के लिए आपको इन “आदतों” को समझने की जरूरत है। चार्ट का अध्ययन कई समय सीमा में करें – इंट्राडे, दैनिक और साप्ताहिक। समय के साथ, एक और स्टॉक जोड़ना शुरू करें, और फिर दूसरा, इत्यादि। जब आप एक स्टॉक का व्यापार कर रहे हों, तो कुछ अन्य शेयरों के व्यवहार का अध्ययन करना और उनके व्यवहार को सीखना ठीक है।
एक बार जब आप “लर्निंग कर्व” के साथ आगे बढ़ जाते हैं, तो आप जिन अन्य शेयरों का अध्ययन कर रहे हैं, उनमें से एक का व्यापार करना शुरू करें। जब से आप इसे देख रहे कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है हैं, तब से आपको इसके व्यवहार की समझ पहले से ही होगी। उन शेयरों पर ध्यान दें जो आपकी ट्रेडिंग योजना के साथ संरेखित हों और निरंतरता की अनुमति दें।
ट्रेडिंग दिवस के दौरान अपना मानदंड न बदलें – केवल तभी जब बाजार बंद हो। अपनी योजना के साथ रहो। व्यापार के बीच में एक योजना बदलने से आप अपनी योजना पर मानसिक रूप से “धोखा” धोका देने जैसे होगा । इससे अनुशासन का सामान्य विघटन होता है।
कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरण नीचे सूचीबद्ध हैं:
• खुदपे विश्वास होने तक एक बार में केवल 5 स्टॉक चुनने चाहिए और १ ही शेयर में व्यापार करना चाहिए।
• शेयर की कीमत ₹ 150 और ₹ 250 के बिच की होनी चाहिए ।
• शेयर्स की अस्थिरता की मध्यम डिग्री होनी चाहिए ।
• कोई बायोटेक स्टॉक नहीं (उच्च इंट्राडे अस्थिरता) ।
• हर रात अपने ५ शेयरों का कई समय सीमा में अध्ययन करना जरुरी है ।
स्टॉक्स स्विंग ट्रेडिंग चुनने के तरीके (2 दिन से 3 सप्ताह तक)
• व्यापार करने के लिए 50 स्टॉक चुने – १ एक बार में अच्छी समझ के साथ इसमें बहुत शोध हो सकता है।
• शेयर कीमत ₹ २०० से ऊपर के ऊपर हो ।
• एक दिन में ३० शेयर चुने जिनका वॉल्यूम ५,००,००० से ऊपर हो ।
२५ लंबी घड़ी सूची के लिए ( 25 for Long watch list)
- मौलिक रूप से मजबूत (Strong fundamentally ) – (प्रमुख क्षेत्रों में बढ़ती राजस्व और कमाई, उच्च सापेक्ष ताकत, )
- 200 मूविंग एवरेज के ऊपर ( Above 200 moving average)
- जो निफ़्टी ५० (Nifty 50) फ्यूचर्स का अनुसरण कर रहे हो।
25 लघु घड़ी सूची के लिए ( 25 for Short watch list)
- मौलिक रूप से कमजोर (कमजोर क्षेत्रों में राजस्व और कमाई में गिरावट, कम सापेक्ष ताकत)
- 200 मूविंग एवरेज से नीचे ( Below 200 moving average)
- जो निफ़्टी ५० फ्यूचर्स का अनुसरण कर रहे हो।
जरुरी संपर्क (LINKS) इन शेयर मार्किट – NSE & BSE INDIA : IMPORTANT LINKS
Best Indicator By Market Ki Pathshala
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अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट इंडिकेटर (Best Indicators) को इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं यहां आपकी तलाश ख़त्म होती है और मै आज आपको कुछ ऐसे इंडिकेटर के बारे में बताउंगी जो इंट्राडे में बिलकुल सटीक काम करता है।
किन्तु इससे पहले कि आप अतिउत्साहित हों मै आपको पुनः याद दिला दूँ कि शेयर मार्किट में कोई भी व्यक्ति १००% सही नहीं हो सकता किन्तु हाँ आप बेस्ट इंडिकेटर के प्रयोग से अपनी एक्यूरेसी को जरूर बढ़ा सकते हैं बस आपको इन्हे सीखना और समझना आना चाहिए जो कि ज्यादा मुश्किल नहीं है आप मेरे साथ बने रहें मै आपको सरल भाषा में समझाने की कोशिश करुँगी।
वैसे तो मार्किट में सैकड़ों इंडीकेटर्स मौजूद हैं और जब कोई बिगिनर टेक्निकल एनालिसिस सीखने की शुरुआत करता है तो उसके सामने सबसे बड़ी समस्या और सवाल यही होता है कि इन इंडीकेटर्स में सबसे बढ़िया कौन सा है क्योंकि इन सारे इंडीकेटर्स को समझना और इन्हे चार्ट पर एक साथ लगाना सम्भव भी नहीं है।
तो आज मै इनमे से सिर्फ ३ इंडिकेटर को लेकर आयी हूँ जिन्हे मै उदहारण के साथ बताउंगी कि ये क्यों औरों से बढ़िया हैं इन्हे आप चार्ट पर लगा कर अपने प्रॉफिट को बढ़ा सकते हैं लेकिन मै फिर भी आपको सलाह दूंगी कि अगर आपको इंडिकेटर और फंडामेंटल बढ़िया लगे तो स्टॉक को होल्ड करें और जब तक कोई बेचने का सिग्नल न मिले तब तक न बेचें
तो चलिए शुरू करते हैं।
Best Indicator By Market Ki Pathshala
1. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)
2. मूविंग कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेन्स (MACD)
1. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)
FOR FULL DETAIL RSI का पूरा नाम Relative Strength Index है और इसकी पहचान टेक्निकल एनालिसिस में ट्रेड रिवेर्सल को पहचानने के लिए किया जाता है शेयर मार्किट में सबसे ज्यादा अगर किसी इंडिकेटर का उपयोग होता है शार्ट टर्म या इंट्राडे के लिए तो वो RSI Indicator ही है।
RSI Indicator साइड वेज़ मार्किट में भी काफी सही संकेत देता है कि स्टॉक को कब लेना है या कब बेचना है RSI ० से १०० अंक के बिच घूमता रहता है इसको आप लोअर साइड २० और अप साइड ८० पर सेट कर सकते हैं और जब ये २० के स्तर के करीब हो या इससे नीचे ट्रेड करने लगे तो ये एक ओवर सोल्ड का संकेत होता है और ऐसे में आपको खरीदारी के मौके ढूंढने चाहिए।
इसी प्रकार जब ये ८० या इससे ऊपर ट्रेड करने लगे तो ऐसे में आपको बिकवाली करनी चाहिए किन्तु ये ध्यान रखें कि आपको इंट्राडे में काम हमेशा स्टॉप लॉस के साथ करना है ताकि अगर आपका सौदा गलत पद जाये तो आपका नुक्सान सीमित रहे।
मै यहां इसका आपको एक चित्र दिखाती हूँ जिससे आप इसे अच्छे से समझ जाएँ चूँकि यहां मै आपको इंट्राडे के बारे में बता रही हूँ इसलिए मैंने ये चार्ट 15 मिनट का लिया है :-
आप इस चार्ट में ओवर बॉट और ओवर सोल्ड को अच्छे से समझ सकते हैं और अगर कहीं कोई दुविधा हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
2. मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेन्स (MACD)
MACD Line टेक्निकल एनालिसिस में प्रयोग होने वाला बहुत महत्वपूर्ण Indicator है और इसका भी लगभग सभी ट्रेडर्स इस्तेमाल करते हैं ये ट्रेड के रुझान और अवधि के बारे में जानकारी देता है पहले आप चार्ट को देखें
जैसा कि आप चार्ट में देख सकते हैं मैंने यहाँ नीले और लाल रंग की लाइन का उपयोग किया है और जैसे ही नीली लाइन लाल रंग की लाइन को काटती है वैसे ही शेयर की चाल में बदलाव आ जाता है और ये गैप जितना बड़ा होता है मोमेंटम उतना ही बड़ा होता है।
चार्ट बनाने के लिए आप किसी भी साइट चाहे वो moneycontrol की हो या inveting.com की हो आपको ये सारी सुविधा मिल जाती है और आप इंडिकेटर अपने आप से लगा सकते हैं।
Best Indicator For Intraday Trading
३. बोलिंगर बैंड (Bollinger Bands)
अगर आप ट्रेडिंग करते हो तो बोलिंगर बैंड (Bollinger Bands) का नाम आपने अवश्य सुना होगा बल्कि मै जिन - जिन इंडिकेटर के बारे में आपको बता रही हूँ उन सभी का नाम आपने सुना होगा अगर आपने इंटरनेट पर Best Indicator For Intraday सर्च किया होगा तो वहाँ आपको लोग ८ से 10 इंडिकेटर के बारे में बताएँगे
किन्तु आप सिर्फ 4 से 5 Indicators का इस्तेमाल करके अच्छा पैसा बना सकते हैं बस आपको इसे अच्छे से समझना होगा और आप मेरे साथ बने रहें मै आपको यहां विस्तार से समझाउंगी
बोलिंगर कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है बैंड एक अत्यधिक प्रचलित इंडिकेटर है जिसका ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स दोनों इस्तेमाल करते हैं इस इंडिकेटर में स्टॉक की प्राइस इंडिकेटर की दोनों लाइन्स के बिच में रहती है इसमें ऊपर वाली लाइन को अपर बैंड और नीचे की लाइन को लोअर बैंड कहते हैं।
जब स्टॉक की कीमत अपर बैंड की तरफ जाती है या उसके करीब होती है तो वो ओवर बॉट और जब स्टॉक की कीमत लोअर बैंड की तरफ जाती है या उसके करीब होती है तो वो ओवर सोल्ड की पोजीशन होती है और ऐसे में खरीदारी के मौके को तलाशना होता है।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि Bollinger Band को ट्रेडर्स और इन्वेस्टर दोनों पसंद करते हैं और वैसे मै सभी लोगों को हमेशा लम्बी अवधि के लिए ही इन्वेस्ट करने के लिए सलाह देती हूँ यह काफी लोकप्रिय रणनीति है किन्तु इस रणनीति को समझने के लिए आपको इसे अच्छे से समझना होगा
बोलिंगर बैंड का उपयोग ओवर बॉट और ओवर सोल्ड देखने के लिए किया जाता है तो चलते हैं और पहले इसको अच्छे से समझते हैं
यह तीन बैंड से मिलकर बनता है मिडिल बैंड एक सिंपल मूविंग एवरेज तथा अपर एवं लोअर बैंड मिडिल लाइन से २ डेविएशन की दूरी पर है इसका उपयोग इंट्राडे या स्विंग ट्रेडिंग में इस प्रकार करते हैं।
१. अपर बैंड को छूने के लिए आपको कीमत का इंतज़ार करना पड़ेगा ताकि आप कन्फर्म हो सकें की स्टॉक की कीमत ओवरबॉट हो गयी हैं।
२. जब बोलिंगर बैंड अपर बैंड को छूटा है तो आपको स्टॉक की कीमत को नीचे आने की प्रतीक्षा करनी है ताकि आप कन्फर्म हो सके कि ये सही काम कर रहा है।
३. ट्रेड लेने से पहले सबसे महत्वपूर्ण होता है स्टॉक का चुनाव, कैंडल स्टिक, और चार्ट को अच्छे से समझना इससे आपको एंट्री और एग्जिट दोनों में डबल कन्फर्मेशन मिल जाएगी और आपके द्वारा लिए गये ट्रेड को और बल मिलेगा
जैसा ऊपर के चित्र में दिखाया गया है आपको वैसे ही सेट करना है नीले गोले में जाके आप अपने हिसाब से रंग का चुनाव भी कर सकते हैं
इसी प्रकार एक और बंद आपको प्लाट करना है थोड़े बदलाव के साथ
अब आपका चार्ट कुछ इस प्रकार दिखेगा
मार्किट में वैसे तो बहुत सारे इंडिकेटर होते हैं और सभी अपनी - अपनी जगह सही काम करते हैं बस जो जिसमे पारंगत हो गया वो उसी का उपयोग करता है
मुझे उम्मीद है कि आप इनसभी को अच्छे से समझ गए होंगे और अगर आपका कोई सवाल हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं उम्मीद करती हूँ कि आप और आपका इन्वेस्टमेंट हमेशा सुरक्षित रहे - धन्यवाद्
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र महामारी को कैसे कर रहा है हैंडल?
महाराष्ट्र में गुरुवार देर रात तक कोरोनो वायरस के लगभग 10,000 केस सामने आ चुके थे. भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में ही अकेले 7,000 के करीब केस हैं और यह पूरे देश का सर्वाधिक प्रभावित जिला है.
दीपू राय
- नई दिल्ली,
- 01 मई 2020,
- (अपडेटेड 01 मई 2020, 1:06 PM IST)
- 30 मार्च के बाद महाराष्ट्र में हर दिन 300 से ज्यादा केस
- देश में हुई कुल मौतों में 40 फीसदी अकेले महाराष्ट्र से
भारत में 40 दिन का लॉकडाउन रविवार को खत्म होने वाला है. इसी के साथ अधिकारियों की ओर से कम से कम ग्रीन जोन में शामिल जिलों में बंदिशों में ढील देने की तैयारी की जा रही है. ग्रीन जोन्स में ऐसे जिले हैं, जहां कोरोनो वायरस संक्रमण के न्यूनतम केस हैं या कोई केस नहीं हैं.
कुछ राज्य पहले से ही जरूरी सावधानियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें और उद्योग खोले जाने के लिए हरी झंडी दिखा चुके हैं. कुछ अन्य राज्यों ने इलेक्ट्रीशियन्स और प्लंबर्स जैसे व्यवसाय से जुड़े लोगों को फिर से काम शुरू करने के लिए इजाजत दे दी है. महाराष्ट्र जैसे अधिक प्रभावित राज्य लॉकडाउन बढ़ाए जाने की हिमायत कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में हालांकि सुधार के थोड़े ही संकेत दिखाई दिए हैं. गुरुवार देर रात तक महाराष्ट्र में कोरोनो वायरस के लगभग 10,000 पुष्ट केस सामने आ चुके थे. भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में ही अकेले 7,000 के करीब केस हैं और यह कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है पूरे देश का सर्वाधिक प्रभावित जिला है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHW) की ओर से उपलब्ध डेटा के मुताबिक देश में किसी भी अन्य राज्य में महाराष्ट्र की तुलना में आधे केस भी सामने नहीं आए हैं. 30 अप्रैल तक, अकेले महाराष्ट्र में भारत के कुल केसों में 30 फीसदी केस रिपोर्ट हुए हैं. इसी तरह भारत में कुल मौतों में से 40 फीसदी अकेले महाराष्ट्र में हुई हैं. महाराष्ट्र में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में 1 प्रतिशत ज्यादा है.
केस मृत्यु दर (CFR) बीमारी के लिए पॉजिटिव टेस्ट वाले लोगों के बीच में से हुई मौतों का अनुपात होता है. Covid-19 महामारी के लिए भारत का CFR जहां 3.25 है, वहीं महाराष्ट्र के लिए 4.36 है.
हर राज्य का अलग डेमोग्राफिक (जनसांख्यिकीय) प्रोफाइल है. ऐसे में पूर्ण (Absolute) संख्या के आधार पर तुलना से घातक वायरस की असल तीव्रता का पता नहीं चलता. संक्रमण और आबादी का अनुपात राज्यों की तुलना का बेहतर पैमाना हो सकता है.
हर दस मिलियन (एक करोड़) की आबादी में केस की संख्या, ऐसा ही एक पैमाना है जो दिखाता है कि कौन सा राज्य सर्वाधिक प्रभावित है.
इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने राज्यों की आबादी के लिए 2011 की जनगणना या अन्य अनुमानों पर गौर करने की जगह हालिया 2019 के आधार डेटा का विश्लेषण किया.
केस प्रति 10 मिलियन के पैमाने के मुताबिक- सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में महाराष्ट्र, दिल्ली और लद्दाख के बाद तीसरे नंबर पर आता है. महाराष्ट्र में हर 10 मिलियन की आबादी में लगभग 600 लोग कोरोनोवायरस से संक्रमित हैं. जबकि दिल्ली में महाराष्ट्र की तुलना में लगभग दोगुने यानी हर 10 मिलियन में 1155 पॉजिटिव केस हैं.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के डेटा के मुताबिक गुरुवार देर शाम तक, महाराष्ट्र में 9915 केस और 432 मौतें रिपोर्ट हो चुकी थीं. 30 मार्च के बाद राज्य में हर दिन औसतन 300 से अधिक केस और 13 मौतें रिपोर्ट होती रही हैं.
मुंबई महाराष्ट्र में सर्वाधिक प्रभावित जिला है. इसके बाद पुणे में 1700 से अधिक और मुंबई उपनगरीय जिले में 960 केस रिपोर्ट हुए हैं. तीनों ही जिलों ने केस की संख्या में तेज वृद्धि दर्ज की है.
हालांकि, महाराष्ट्र के लिए 5-दिनी मूविंग एवरेज से पता चलता है कि यह बीते 3 दिन से ढलान की ओर है.
5- दिनी मूविंग एवरेज से केस की संख्या में अचानक उछाल या गिरावट या नए केस रिपोर्ट होने में अंतर का पता चलता है.
30 अप्रैल तक, महाराष्ट्र ने 1,35,694 टेस्ट किए, जो भारत की कुल टेस्टिंग का लगभग 16 प्रतिशत है. यह भी राज्य से केसों की अधिक रिपोर्टिंग की वजहों में से एक हो सकता है. गुरुवार देर शाम तक घातक कोरोना वायरस भारत में 33,610 लोगों को संक्रमित कर चुका है और इससे 1075 लोगों की मौत हुई है. भारत की कुल मौतों में से अकेले महाराष्ट्र में 40 प्रतिशत हुई हैं.
Covid-19 महामारी और इसकी वजह से देशभर में लॉकडाउन ने इंसानी जिंदगी को प्रभावित करने के साथ-साथ भारत के व्यापार, उद्योग और अर्थव्यवस्था पर भी खासा असर डाला है. इसलिए, पॉलिसी मेकर्स दुविधा में हैं कि लॉकडाउन को कैसे खत्म किया जाए.
स्विंग ट्रेडिंग क्या है | What is swing trading
स्विंग ट्रेडिंग क्या है- शेयर मार्केट के अंदर ट्रेडिंग करने की कई सारी स्टाइल है लेकिन इनमें से सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग को कहा जाता है स्विंग ट्रेडिंग क्या है यह ट्रेडिंग करने के लिए ऐसी रणनीति है जिसमें किसी शेयर को खरीदने के 1 दिन बाद या फिर कुछ दिनों के भीतर भी बेच दिया जाता है इसे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं ।
यदि आप शेयर मार्केट में मैं नए है और ट्रेडिंग करने का मन बना रहे हैं तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग की बजाए स्विंग ट्रेडिंग का रास्ता अपना सकते हैं इस लेख में आपको स्विंग ट्रेडिंग क्या है, स्विंग ट्रेडिंग की शुरुआत कैसे करें, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है और स्विंग ट्रेडिंग के क्या फायदे और नुकसान है आदि ऐसे कई सारे सवालों के ऊपर बात करने वाले हैं तो कृपया करके आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े ताकि आपकी स्विंग ट्रेडिंग के प्रति भावना क्लियर हो जाए
स्विंग ट्रेडिंग क्या है – what is swing trading
जब आप किसी कंपनी के शेयर को 24 घंटे या फिर इससे ज्यादा के लिए होल्ड करके रखते हैं उसे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं शेयर मार्केट में काम करने वाले कई सारे लोग इंट्राडे ट्रेडिंग और लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट से ज्यादा स्विंग ट्रेडिंग को पसंद करते हैं क्योंकि यहां पर व्यक्ति को मैं तो कम फोड़ने ही ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ता है स्विंग ट्रेडिंग के अंदर व्यक्ति को 24 घंटे या कुछ दिनों के भीतर ही 10% से 15% या इससे ज्यादा का रिटर्न देखने को मिल जाता है
स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें – how to do swing trading
शेयर मार्केट मैं किसी भी तरह की ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना अति आवश्यक है क्योंकि यहीं पर आपके द्वारा खरीदे गए शेयर को रखा जाता है इसके बाद आप नीचे दिए गए तरीकों को अपनाकर स्विंग ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते हैं
(1) टेक्निकल एनालिसिस – technical analysis
आपको यह पता लगाना होगा कि कौन सा शेयर किस जगह से सपोर्ट और रजिस्टेंस ले रहा है इसके अलावा कौन सा शेयर ट्रेंड लाइन को तोड़ रहा है या फिर उसको टच कर रहा है आदि ऐसे सभी टेक्निकल एनालिसिस के फैक्टर आपको अपना कर देखने हैं
(2) फंडामेंटल एनालिसिस
यदि आप चाहो तो जिस शेयर का आप टेक्निकल एनालिसिस कर रहे हो उसका फंडामेंटल एनालिसिस भी कर लेना चाहिए क्योंकि इससे पता चल जाता है कि कंपनी का अगला रिजल्ट कैसा होगा कंपनी कितना grow कर रही है इसके अलावा वह कंपनी की नई रणनीतियों के ऊपर कार्य कर रही है आदि देसी कई सारी बातें आपको फंडामेंटल एनालिसिस के अंदर देखने की आवश्यकता होती है
इनके साथ ही आप स्विंग ट्रेडिंग के लिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस के साथ चैनल, फिबोनाची रिट्रेसमेंट, मूविंग एवरेज और बॉलिंगर बैड जैसे कई सारे टेक्निकल एनालिसिस के तरीके अपनाकर एक अच्छे शेयर का चुनाव कर सकते हैं
इन सभी तरीकों के साथ आप न्यूज़ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जानिए कैसे जब मार्केट के अंदर कोई किसी कंपनी से संबंधित न्यूज़ आती है तो आपको यह देखना है कि इस न्यूज़ का असर उस शेयर के ऊपर क्या होने वाला है क्या वह शेयर नीचे जाएगा या ऊपर आदि ऐसे कारणों के ऊपर आप एनालिसिस करके उस शेयर के अंदर अपना स्विंग ट्रेड बना सकते हैं
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने – How to choose stocks for swing trading
SWING Trading करते समय आपको उन शेयर का चुनाव करना चाहिए जो फंडामेंटली अच्छे हो और जिनके अंदर ज्यादा लिक्विडिटी हो ताकि अगर वह शेर आपकी एनालिसिस के अगेंस्ट भी चला जाए तो भी आपको ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा इसके अलावा आप स्विंग ट्रेडिंग करते समय स्विंग ट्रेडिंग के लिए नीचे दिए गए नियमों का इस्तेमाल करके स्टॉक का चुनाव कर सकते हैं
- स्विंग ट्रेडिंग के लिए आप उन शेयर का चुनाव करें जिनके अंदर ज्यादा लिक्विडिटी होती है
- हमने आपको जो ऊपर टेक्निकल और फंडामेंटल से संबंधित नियम बताइए आप इनका इस्तेमाल करके मार्केट से एक अच्छे शेयर का चुनाव करने की कोशिश करें
- स्विंग ट्रेडिंग करते समय आपको भारतीय बाजार के साथ विदेशी बाजार के ऊपर भी नजर रखनी चाहिए जिससे आपको पता चलता रहे कि विश्व में किस वस्तु की डिमांड बढ़ रही है और किसकी घट रही है यह आपको न्यूज़ पढ़ने से भी पता चलेगा
- किसी भी कंपनी का तिमाही रिजल्ट अच्छा आएगा या बुरा इसका एनालिसिस करके आप उस कंपनी के अंदर अपनी पोजीशन बना सकते हैं
- स्विंग ट्रेडिंग के अंदर आपका सबसे ज्यादा साथ टेक्निकल एनालिसिस देता है इसलिए आप जिन स्टॉक का चुनाव करते हैं उनका अच्छे से टेक्निकल एनालिसिस करना चाहिए
स्विंग ट्रेडिंग के लाभ – Benefits of swing trading
(1) स्विंग ट्रेडिंग के अंदर आपको यह फायदा मिलता है कि यदि किसी स्टॉक के अंदर आपको प्रोफिट नहीं मिल रहा है तो आप उसको 24 घंटे या इससे ज्यादा समय के लिए रोक कर रख सकते हैं
(2) स्विंग ट्रेडिंग के लिए आपको ज्यादा समय का इंतजार नहीं करना पड़ता है क्योंकि यहां पर आप 24 घंटे या कुछ सप्ताह के लिए स्विंग ट्रेडिंग को करते हो और इसी समय के बीच में अपने प्रोफिट को निकाल लेते हैं
(3) स्विंग ट्रेडिंग के अंदर आप 6 से 7 महीनों के भीतर मिलने वाले प्रॉफिट को सिर्फ कुछ दिनों के भीतर ही निकाल सकते हैं
(4) स्विंग ट्रेडिंग के जरिए आप हर महीने अपने पैसों कौन सा मूविंग एवरेज सबसे अच्छा है के ऊपर 15% से 20% तक का रिटर्न कमा सकते
(5) इंट्राडे ट्रेडिंग करने की वजह आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आपको नुकसान कम होने के चांस रहते हैं और प्रॉफिट ज्यादा होने के चांस होते हैं
स्विंग ट्रेडिंग के नियम – swing trading rules
(1) स्विंग ट्रेडिंग करते समय आप पहले से ही अपना एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस को प्लान करके रखें
(2) स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का क चुनाव करते समय स्टॉक को प्रत्येक दिशा से देखने की कोशिश करें
(3) आपको हमेशा स्विंग ट्रेडिंग 10% से 15% तक के रिटर्न के लिए ही करनी चाहिए
(4) यदि आपको किसी स्विंग ट्रेड के अंदर 24 घंटे या एक-दो दिन के भीतर ही 5% से 10% का रिटर्न मिल जाता है तो आपको बिना भावनाओं में बह अपना प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए
(5) स्विंग ट्रेडिंग के लिए आपको भारतीय बाजार के साथ विश्व के सभी बाजार के ऊपर नजर रखनी चाहिए और इन से संबंधित न्यूज़ को पढ़ते रहना चाहिए
निष्कर्ष: स्विंग ट्रेडिंग क्या है
डियर पाठक आज के इस लेख में हमने स्विंग ट्रेडिंग के बारे में जाना आशा करते हैं आज का लेख स्विंग ट्रेडिंग क्या है आपको पसंद आया होगा पसंद आया है तो ऐसा अपने सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.