जमा और निकासी मानदंड

उपभोक्ता सहायता पोर्टल (संस्करण 2.3)
शुल्क संरचना
पीजीपीबीएम कार्यक्रम के लिए कुल शुल्क में दो जमा और निकासी मानदंड भाग शामिल हैं:
वापसी योग्य सावधानी जमा - Rs. 10,000/-
अप्रतिदेय पाठ्यक्रम शुल्क – Rs. 11,80,000/-
गैर-वापसी योग्य पाठ्यक्रम शुल्क रु। 11,80,000 / - जिसमें ट्यूशन, लाइब्रेरी, केस अनुमति रॉयल्टी, पाठ्यपुस्तक, अकादमिक पाठ्यक्रम पैक, परीक्षा, और पूर्व छात्रों की गतिविधि शामिल है। शुल्क कुल पाठ्यक्रम के लिए है, और शर्तों की संख्या से संबंधित नहीं है। हालांकि, भुगतान की आसानी के लिए पाठ्यक्रम अनुसूची को निम्नलिखित अनुसूची के अनुसार नौ किश्तों में भुगतान किया जाना है। शुल्क किश्तों के भुगतान की तारीख केवल संकेतक है और कार्यक्रम कार्यालय द्वारा निश्चित रूप से घोषित जमा और निकासी मानदंड किया जाएगा ।
सऊदी अरब ने भारतीय नागरिकों को पुलिस निकासी प्रमाणपत्र जमा करने से छूट दी
एक ट्वीट में इसने कहा कि "सऊदी अरब साम्राज्य और भारत गणराज्य के बीच मजबूत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए, किंगडम ने भारतीय नागरिकों को पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) जमा करने से छूट देने का फैसला किया है।"
भारतीय महावाणिज्यदूत मोहम्मद शाहिद आलम ने खबर की पुष्टि की। अनिवार्य पीसीसी मानदंड पहले नई दिल्ली में सऊदी अरब दूतावास में लागू किया गया था, फिर इसे मुंबई में अपने वाणिज्य दूतावास तक विस्तारित किया गया था। पीसीसी को अनिवार्य रूप से जमा करने से भारत में रोजगार वीजा की प्रक्रिया में देरी हुई है।
भारतीय अधिकारियों ने पीसीसी से छूट के लिए सऊदी अरब में अपने समकक्षों का अनुसरण किया क्योंकि पुलिस द्वारा उचित सत्यापन के बाद ही पासपोर्ट जारी किया जा रहा था।
बैंकिंग में ग्राहकों को ढेरों अधिकार
बैंकों से जुड़े काम सभी लोगों के लिए आसान नहीं होते। मसलन खाता खुलवाना, लोन लेना, रकम ट्रांसफर करना, चेकबुक जारी कराना और क्लियरेंस के नियम-कायदे ज्यादा जटिल नहीं होते, फिर भी जानकारी के अभाव में ऐसे काम मुश्किल जान पड़ते हैं। इसके अलावा ग्राहकों को अक्सर अपने अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती और इस मामले में बैंकों का रवैया भी उदासीन रहता है। जाहिर है, बैंकिंग सर्विस के मामले में अधिकारों को जान-समझ लेने में ही भलाई है।
रबीआई की तरफ से गठित भारतीय बैंकिंग कोड एवं मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) की तरफ से बैंक ग्राहकों को बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं। इनमें कुछ अधिकार बहुत सामान्य, लेकिन उपयोगी हैं। यहां हम ऐसे कुछ महत्वपूर्ण अधिकारों का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी बदौलत बैंकिंग में बहुत सहूलियत हो सकती है।
खाता खुलवाने का अधिकार
कोई भी बैंक केवल स्थायी पते के सबूत के अभाव में देश जमा और निकासी मानदंड के किसी भी इलाके में रहने वाले भारतीय नागरिक का खाता खोलने से इंकार नहीं कर सकता। इसे सरलीकृत केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) मानदंड कहा जाता है। यह जरूर हो सकता कि इस अधिकार के तहत खोले गए खाते की कुछ सीमाएं हों।
फंड ट्रांसफर का अधिकार
कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक से 'नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर' (नेफ्ट) के जरिए 50,000 रुपए तक रकम किसी अन्य बैंक खाते में जमा करा सकता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि संबंधित बैंक में उस व्यक्ति का खाता हो। नेफ्ट इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर प्रणाली है, जो देशभर में 63,000 से ज्यादा बैंक शाखाओं के खातों में रकम ट्रांसफर करने की सुविधा देती जमा और निकासी मानदंड है। यह रकम ट्रांसफर करने का सरल, सुरक्षित, भरोसेमंद और तेज साधन है। इसकी लागत भी बहुत कम होती है।
मिनिमम बैंलेंस से मुक्ति
हर बेसिक बैंकिंग अकाउंट (बीबीए) में न्यूनतम रकम जमा रखने (मिनिमम बैलेंस) की जरूरत नहीं है। इस मामले में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता जमा और निकासी मानदंड कि खाता किसी सरकारी बैंक में है या निजी क्षेत्र के बैंक में। हो सकता है कि बेसिक बैंकिंग अकाउंट के खाताधारकों को मूल्य वर्धित सेवाएं न उपलब्ध कराई जाएं। पहले यह जमा और निकासी मानदंड सुविधा नहीं थी। हर खाते में मिनिमम बैलेंस रखने की बध्यता थी। ऐसा न होने पर पैनल्टी लगाई जाती थी।
सिक्योरिटी वापस लेने का हक
यदि किसी ग्राहक ने बैंक से लोन लिया है, जिसके लिए सिक्योरिटी (प्रतिभूति) दी है तो इस मामले में भी ग्राहक के कुछ अधिकार हैं। पूरी देनदारी चुकाए जाने के 15 दिन के भीतर सिक्योरिटी वापस मिलनी चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि आखिरी किस्त चुकाए जाने की तारीख से एक पखवाड़े के भीतर बैंक अनिवार्य रूप से सिक्योरिटी वापस करेगा।
सूचना का अधिकार
यदि किसी बैंक में आपका खाता है या आपने लोन ले रखा है तो ऐसी स्थिति में बैंक और आपके बीच एक करार हुआ होगा। इसके कुछ नियम और शर्तें होंगी। बैंक इनमें बदलाव कर सकता है, लेकिन ऐसा करने से 30 दिन पहले नोटिस भेजकर आपको इसकी जानकारी दी जाएगी। ग्राहकों को यह अधिकार इसलिए दिया गया है क्योंकि अक्सर इस बात की शिकाएतें मिलती थीं कि बैंक ने ग्राहक को सूचना दिए बगैर नियम और शर्तों में बदलाव कर दिए, जिसकी वजह से ग्राहक को परेशानी उठानी पड़ी।
चेक कलेक्शन में देरी पर मुआवजा
चेक कलेक्शन में बैंक की तरफ से निर्धारित समय से ज्यादा वक्त लगने पर ग्राहकों को मुआवजा पाने का अधिकार है। मुआवजे की रकम साधारण ब्याज दर के हिसाब से चुकाई जाएगी। जाहिर है, ऐसे मामले में बैंक मनमानी या लापरवाही नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा करना महंगा पड़ जाएगा। इस तरह की कोई परेशानी होने पर कार्रवाई तभी होगी, जब ग्राहक की तरफ से समय रहते शिकायत दर्ज कराई जाए। इसकी शुरुआत बैंक से ही करनी चाहिए। इसके बाद दूसरे विकल्प अपनाना चाहिए।
थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स कोई भी बैंक किसी भी ग्राहक को जबरन थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स नहीं बेच सकता। थर्ड पार्टी प्रोडक्ट का मतलब ऐसे उत्पादों से है, जो संबंधित बैंक के नहीं होते। मसलन कुछ बैंक दूसरी कंपनियों के इंश्योरेंस प्रोडक्ट बेचते हैं और बदले में उन्हें कमीशन मिलता है। इसके अलावा बैंक किसी भी ग्राहक को अपनी तरफ से अलग क्वालिटी के प्रोडक्ट ऑफर नहीं कर सकते। ग्राहक की तरफ से मांग किए जाने जमा और निकासी मानदंड पर ही ऐसी पेशकश की जा सकती है।
अनधिकृत निकासी
ग्राहक के खाते से अनधिकृत निकासी नहीं की जमा और निकासी मानदंड जा सकती। यदि किसी ग्राहक के बैंक खाते से अनधिकृत निकासी की गई है और बैंक दावा करता है कि ग्राहक की चूक के कारण ऐसा हुआ है, तो यह साबित करने की जिम्मेदारी बैंक की होगी। ग्राहक को यह साबित करने की जरूरत नहीं होगी कि वह निर्दोष है। पहले विवादित लेन-देन की स्थिति में ग्राहक को ही साबित करना पड़ता था कि इस मामले में उसकी कोई गलती नहीं है।
इंकार के कारण जानने का अधिकार
यदि बैंक कोई सुविधा देने से इंकार करता है, तो ग्राहक को इसकी वजह जानने का पूरा अधिकार है। उदाहरण के लिए यदि किसी ग्राहक ने होम लोन या चेकबुक के लिए आवेदन किया और बैंक की तरफ से उसका आवेदन ठुकरा दिया गया हो तो ग्राहक को इसकी वजहें जानने का पूरा हक दिया गया है। संबंधित बैंक को अनिवार्य तौर पर इंकार के कारण बताने होंगे।
जागरूकता की कमी बड़ी परेशानी
बीसीएसबीआई के अध्यक्ष एसी महाजन के मुताबिक हालांकि बैंकों ने ग्राहकों के अधिकारों से संबंधित नियम मान लिए हैं, लेकिन इन्हें सही तरीके से लागू करने के मामले में अब भी सुधार की जरूरत है। इन्हें लागू करने की दिशा में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि खुद बैंक अधिकारियों के बीच इन नियम-कायदों के प्रति जागरूकता नहीं है।
ग्राहकों को दिए गए अधिकारों की जानकारी बैंकों की वेबसाइट पर है। बैंकों की शाखाओं पर भी ये जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। बावजूद इसके कई बैंक शाखाओं के अधिकारियों को यह पता नहीं होता कि बैंकिंग सर्विस को लेकर उनके बैंक की क्या प्रतिबद्धताएं हैं। लिहाजा बैंकों के साथ लेन-देन करते समय ग्राहकों को ही अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना पड़ेगा। दूसरी तरफ बैंक अधिकारियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने ग्राहकों को उनके अधिकारों के बारे में बताएं।
जमा और निकासी मानदंड
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बैंकिंग प्रणाली में उपभोक्ताओं/उपभोक्ता को किस प्रकार की आम शिकायतों का सामना करना पड़ता है ?
बैंकिंग प्रणाली संबंधित शिकायतों के सांख्यिकीय मूल्यांकन के आधार पर बैंकिंग प्रणाली संबंधी आम शिकायतें नीचे दी गई हैं:
क. बैंक शाखा सेवा संबंधी:
- सेवा में विलम्ब/मनाही
- गलत/अधिक सेवा प्रभार (ब्याज सहित)
- बैंक स्टॉफ/डीएसए/बैंक मित्र द्वारा दुर्व्यवहार
- राशि नहीं निकलना किन्तु खाते में पैसे कट जाना
- एटीएम के माध्यम से निकाली गई धनराशि में भिन्नता
- असंतोषजनक शिकायत समाधान
- गलत या पूरे न किए गए वादे
बैंक शाखा सेवाओं से संबंधित शिकायतों के लिए क्या समाधान हैं ?
बैंक शाखा संबंधी अपनी शिकातयों के लिए किस प्रकार कार्रवाई की जाती है ?
शिकायतकर्ता को निम्नलिखित 3 स्तरीय प्रणाली अपनाने की सलाह दी जाती है : जमा और निकासी मानदंड
स्तर-1: बैंक-शाखा: (आपकी मूल बैंक शाखा जहां पर आपका खाता है)
1) संबंधित शाखा में लिखित में शिकायत दर्ज कराएं।
2) यदि शाखा में शिकायत का समाधान नहीं होता है तो उपभोक्ता, बैंक के नोडल अधिकारी के पास जा सकता है जिसका संपर्क विवरण शाखा में जरूर उपलब्ध होना चाहिए।
एटीएम सेवाओं के संबंध में शिकायत समाधान
उपभोक्ता को लेनेदेन के विवरण सहित अपने असफल एटीएम लेनदेन की लिखित सूचना तत्काल ही दर्ज करानी चाहिए और बैंक से निम्नलिखित स्थानों से विवरण/दस्तावेज मांगने चाहिए:
(i) प्राप्ति बैंक शाखा (वह शाखा जो प्रयोग में लाए गए एटीएम को नियंत्रित करती है)। उपभोक्ता को शिकायत जरूर दर्ज करानी चाहिए और शिकायत की एक प्रति पर पावती लेनी चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि प्राप्ति बैंक के अधिकारी आपको अपनी शिकायत दर्ज कराने के जारीकर्ता बैंक में जाने के लिए कहेंगे या फिर आपसे कुछेक दिन इंतजार करने के लिए कहेंगे और कहेंगें कि आपके असफल लेनदेन की राशि स्वत: ही आपके खाते में आ जाएगी।
(ii) जारीकर्ता बैंक शाखा (जारीकर्ता बैंक - एटीएम/डेबिट कार्ड जारी करने वाला बैंक)
शिकायतकर्ता को संबंधित बैंक (जारीकर्ता बैंक - एटीएम/डेबिट कार्ड जारी करने वाला बैंक) में एक लिखित शिकायत करनी होगी और जवाब का इंतजार करना होगा।
यदि बैंक लेनदेन के सफल होने का दावा करता है या शिकायत दर्ज कराने के 30 दिन बाद भी जवाब नहीं देता है तो शिकायतकर्ता बैंकिंग ओमबड्समेन से शिकायत कर सकता है।