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डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए

डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए
3. इनकम फंड्स की कुछ प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

इनकम फंड- विशेषताएं, प्रकार, जोखिम और रिटर्न, निवेश कैसे करें

इनकम फंड्स म्यूचुअल फंड्स हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों के लिए सिक्योरिटीज और इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके ब्याज और डिविडेंड देने वाली इनकम स्ट्रीम जेनरेट करना है। ये मूल रूप से वे डेट फंड हैं जो लंबे कार्यकाल के लिए अत्यधिक रेटेड सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। यहां, प्रशंसा के बजाय पूंजी की रक्षा के लिए महत्व दिया जाता है, इसलिए फंड मैनेजर निवेश करते समय थोड़ा अधिक सतर्क रहते हैं। सेबी इन फंडों को उन फंडों के रूप में वर्गीकृत करता है जिनकी मैकाले अवधि 4 वर्ष के बराबर या उससे अधिक है। डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए इस प्रकार, मोटे तौर पर 2 तरह के फंड होते हैं जो इनकम म्यूचुअल फंड्स के अंतर्गत आते हैं। पहला है, ‘लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स ’जिसका कार्यकाल 7 वर्ष से अधिक है, और ‘मीडियम से लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स’ का कार्यकाल 4 से 7 वर्ष है।

आय निधि की विशेषताएं

आय फंड कई निश्चित आय निवेश विकल्पों में निवेश करते हैं ताकि जोखिम बाहर फैल जाए। साथ ही, इनमें से कई विकल्प खुदरा निवेशकों के लिए खुले नहीं हैं। उदाहरण के लिए, आप अपने दम पर सरकारी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल नहीं खरीद सकते हैं; केवल संस्थागत निवेशकों को उन्हें थोक आधार पर खरीदने की अनुमति है।

यह फंड की कुल संपत्ति का प्रतिशत है जो एएमसी फंड प्रबंधन सेवाओं की पेशकश के लिए शुल्क डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए के रूप में वसूल करता है। सेबी ने आय कोष पर 2.25% की ऊपरी सीमा बनाई है। उच्च व्यय अनुपात वाले फंड का रिटर्न पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इन फंडों पर रिटर्न बहुत अधिक नहीं होता है क्योंकि वे ऋण आधारित होते हैं।

इन फंडों की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक कम क्रेडिट और डिफ़ॉल्ट जोखिम स्तर है। डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए चूंकि फंड मैनेजर पूंजी संरक्षण पर अधिक लक्ष्य रखते हैं, इसलिए निवेश कॉर्पोरेट ऋण, सरकारी बॉन्ड या उच्च क्रेडिट रेटिंग वाले मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किए जाते हैं। लेकिन लंबी अवधि के साथ होल्डिंग्स के कारण ब्याज दर जोखिम मौजूद है, जिसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव के जवाब में, इन फंडों के मूल्य में उतार-चढ़ाव की उम्मीद है।

आय धन के लिए कराधान

इनकम फंड कैपिटल गेन टैक्स के अधीन होते हैं, जो होल्डिंग पीरियड के अनुसार लगाया जाता है, जो कि वह अवधि होती है, जिसके लिए आप फंड की यूनिट्स को होल्ड करते हैं, या यूनिट्स को खरीदने और रिडीम करने के बीच की अवधि होती है।

यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष तक है, तो एसटीसीजी लगाया जाता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाता है और कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।

यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष से अधिक है, तो एलटीसीजी को अनुक्रमण लाभ के बाद 20% पर लगाया जाता है।

डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

यदि किसी ने आपसे पूछा कि किसे ज़्यादा प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट्स या विटामिन खाने चाहिए तो आपका जवाब क्या होगा?
हर कोई!

हर किसी को सभी तरह के पोषक तत्व खाने की ज़रूरत होती है, लेकिन हर व्यक्ति की उम्र और शारीरिक आवश्यकताओं पर निर्भर करते हुए पोषक तत्वों का अनुपात अलग होगा। उदाहरण के लिए, वयस्कों के तुलना में बढ़ते हुए बच्चों को ज़्यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स की ज़रूरत होती है। उन्हें ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त आपूर्ति की ज़रूरत भी होती है। यही सिद्धांत आपके निवेश पोर्टफोलियो पर भी लागू होता है।

हर व्यक्ति को अपने निवेश पोर्टफोलियो में इक्विटी, निश्चित आय, सोने, रीयल-एस्टेट और अन्य एसेट्स की ज़रूरत होती है। लेकिन हर व्यक्ति के लिए हर एसेट का अनुपात अलग-अलग होगा। इसलिए, हर किसी को फिक्सड इन्कम संपत्ति (एसेट्स), जैसे डेट फंड्स, में कुछ निवेश करने की ज़रूरत होती है। 30 वर्ष या उसके आस-पास की उम्र के युवाओं के तुलना में वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो का ज़्यादा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए। युवाओं के बीच, एक परंपरागत निवेशक जो ज़्यादा डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए जोखिम उठाने में असहज महसूस करता हो, उसे अपने उन साथियों के तुलना में डेट फंड्स में ज़्यादा निवेश करना चाहिए, जो इक्विटी में निवेश करने की जोखिमभरी प्रवृत्ति में सहज महसूस करते हैं। एक सामान्य नियम के रूप में, आपकी उम्र के बराबर आपके पोर्टफोलियो के अनुपात को फिक्सड इन्कम एसेट्स, जैसे डेट फंड्स, में निवेश करने की सिफ़ारिश की जाती है। नए म्यूचुअल फंड निवेशक भी डेट फंड्स के साथ शुरुआत कर सकते हैं।

जानें क्या हैं डेट म्यूचुअल फंड में निवेश के नफा-नुकसान

म्यूचुअल फंड

आसान पेपरवर्क
म्यूचुअल फंड से जुड़ा पेपरवर्क उलझाऊ नहीं होता है. आप म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट की सॉफ्टकॉपी हासिल कर सकते हैं. अगर आप इसे खो भी दें तो कोई फर्क नहीं पड़ता है. आप रिडेम्प्शन स्लिप पर दस्तखत करें और फंड हाउस में उसे जमाकर अपना पैसा वापस ले लें. इसके मुकाबले बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीट अगर खो जाए तो आपको काफी पेपरवर्क करना पड़ सकता है.

टीडीएस नहीं
डेट म्यूचुअल फंड में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) नहीं लगता है. अगर इनमें निवेश को तीन साल तक बनाए रखा जाए तो इंडेक्सेशन बेनिफिट मिल सकता है. अगर पैसा निकालना हो तो डेट म्यूचुअल फंड को 1 रुपये की यूनिट में तोड़ा जा सकता है और निवेशक जरूरी रकम निकाल सकता है. स्मॉल सेविंग प्रोडक्ट या एफडी के मामले में आपको पूरा डिपॉजिट तोड़ना पड़ता है.

Hybrid Mutual Funds: कम रिस्‍क में बेहतर रिटर्न; डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए किसे करना चाहिए निवेश? क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

Hybrid Mutual Funds: म्‍यूचुअल फंड में एक कैटेगरी हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड्स की है. इन स्‍कीम्‍स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्‍लास में लगाती हैं. प्‍योर इक्विटी स्‍कीम के मुकाबले इसमें रिस्‍क कम रहता है.

Hybrid Mutual Funds: शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच म्‍यूचुअल फंड्स में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. म्‍यूचुअल फंड में निवेश आज के समय डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए में काफी आसान है. निवेशक को इक्विटी फंड से लेकर डेट फंड, गोल्‍ड फंड और इंफ्रा फंड की स्‍कीम्‍स में निवेश का ऑप्‍शन मिलता है. हर कैटेगरी का अपना-अपना रिस्‍क और रिटर्न का कैलकुलेशन है. इनमें एक कैटेगरी हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड्स (Hybrid Mutual Funds) की है. इन स्‍कीम्‍स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्‍लास में लगाती हैं. प्‍योर इक्विटी स्‍कीम के मुकाबले इसमें रिस्‍क कम रहता है.

हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न फैक्‍टर समझिए

हाइ‍ब्रिड म्‍यूचुअल फंड्स में भी अलग-अलग कैटेगरी है. इनमें एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज, मल्टी एसेट एलोकेशन, आर्बिट्राज और इक्विटी सेविंग स्कीम्‍स शामिल हैं. बैलेंस्‍ड हाइब्रिड फंड्स की बात करें, तो बीते 5 साल में इनका रिटर्न औसतन 20 फीसदी सालाना तक रहा है.

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स का डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए भी बीते 5 साल में औसत रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है. कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न इसी अवधि में 10 फीसदी तक रही है. हाइब्रिड इक्विटी सेविंग स्‍कीम्‍स की बात करें, तो इनका 5 साल का रिटर्न करीब 11 फीसदी तक, हाइब्रिड आर्बिट्राज का करीब 6 फीसदी तक और हाइब्रिड मल्‍टी एसेट अलोकेशन फंड्स का रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है.

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Hybrid Funds में किसे करना चाहिए निवेश

BPN फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि हाइब्रिड फंड्स एक तरह से म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) या ETF का एक क्‍लासिफिकेशन है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. ये स्कीम्‍स सोने में भी पैसा लगाती हैं. यानी एक ही डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और सोने में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इस तरह से इनका निवेश काफी डायवर्सिफाइड होता है. इसका फायदा यह है कि अगर इक्विटी में रिटर्न बिगड़ता है तो डेट या सोने का रिटर्न ओवरआल रिटर्न बैलेंस कर सकता है. उसी तरह से डेट या सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है.

निगम का कहना है कि अगर आप कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर हैं. यानी, डायरेक्‍ट इक्विटी का जोखिम से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund) एक अच्‍छा ऑप्‍शन हो सकता है. इनमें जहां दूसरे कैटेगिरी के मुकाबले रिस्क कम है, वहीं रिटर्न भी बेहतर मिल रहा है. कुल मिलाकर बात करें, तो इसमें डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए हाइब्रिड फंड्स में अलग-अलग कैटेगरी के रिस्‍क फैक्‍टर को देखकर निवेशक निवेश कर सकते हैं. बेहतर कम जोखिम लेने वाले निवेशक से लेकर एग्रेसिव निवेशकों के लिए भी इन फंड्स में निवेश का ऑप्‍शन है.

ETF में किसे निवेश करना चाहिए?

ETF में किसे निवेश करना चाहिए?

ETFs कम लागत में शेयर बाज़ार में पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं।वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्ट किए जाते हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं, जिससे वे आपकी पसंद डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए के कुछ शेयरों में निवेश के विपरीत डाइवर्सिफिकेशन पेश करते हैं।

ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। ETFs निवेश के कई दूसरे मौजूदाविकल्पों तक भी पहुँच देते हैं जैसे कमोडिटीज़, विदेशी इंडेक्स और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश करना। आप अपनी पोज़ि‍शन को बचाने के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश पर उपलब्ध नहीं होता है।

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