क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास

क्रिप्टोकरेंसी पर मनोज झा ने संसद में क्या कहा
राज्यसभा में Weapons of Mass Destruction and their Delivery Systems (Prohibition of Unlawful Activities) Bill पर बात रखते हुए आरजेडी के सांसद मनोज झा ने क्रिप्टोकरेंसी का भी जिक्र किया. मनोज झा ने इस दौरा सरकार को क्या सलाह दी इस वीडियो में देखिए.
क्या फूट चुका है बिटकॉइन का बुलबुला? इतिहास में मौजूद हैं सबक
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन जिस अभूतपूर्व रफ्तार से चढ़ी थी उससे निवेशकों में चिंता बढ़ना लाजिमी था
बिटकॉइन का हाल के कुछ दिनों में जो हश्र दिख रहा है उसने बाजार पर नजर रखने वालों के बीच एक साल से चले आ रहे इस सवाल को और गंभीर बना दिया है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में ट्यूलिपमेनिया और डॉटकॉम बुलबुले के बाद दुनिया का सबसे कुख्यात बुलबुला साबित होगी.
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन जिस अभूतपूर्व रफ्तार से चढ़ी थी ( दिसंबर, 2017 के सर्वोच्च शिखर से पचास फीसदी की कमी के पहले) उससे निवेशकों में चिंता बढ़ना लाजिमी था.
इस चार्ट के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी में पिछले तीन साल में 60 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह सचमुच अभूतपूर्व, असाधारण है.
बाजार के दूसरे बुलबुलों से तुलना
क्या क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में ट्यूलिपमेनिया और डॉटकॉम बुलबुले के बाद दुनिया का सबसे कुख्यात बुलबुला साबित होगी (फोटो: Pixabay)
क्रिप्टोकरेंसी ने 1990 के दशक में नैसडेक कंपोजिट इंडेक्स के सबसे अच्छे दिनों में दर्ज बढ़ोतरी को भी पीछे छोड़़ दिया. अगर थोड़ा इतिहास में जाएं तो इसने 1700 में मिसिसिपी और साउथ सी बुलबुले को पीछे छोड़ दिया. इसने 1630 के ट्यूलिपमेनिया को भी पीछे छोड़ दिया है..
तेजड़ियों का कहना है बिटकॉइन बूम खत्म होने की कहानी अभी दूर है. उनके मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी बाजार का विश्लेषण सिर्फ बिटकॉइन की कीमतों में बढ़ोतरी के आधार न किया जाए. लेकिन हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी में तेज गिरावट ने कुछ निवेशकों को सतर्क कर दिया है. हालांकि पिछले दिनों इस करेंसी ने 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट के बाद वापसी की है.
वैसे बिटकॉइन की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी को कम करके देखा जा सकता है. अगर सालाना आधार पर देखें तो तीन साल में बिटकॉइन की बढ़त मिसिसिपी और साउथ सी बुलबुले के दीवानगी भरे दिनों में कीमतों की तूफानी रफ्तार से कम रही है.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संदेह बरकरार
क्रिप्टोकरेंसी में कोई फंडामेंटल वैल्यू नहीं है और इस बाजार में कोई रेगुलेशन भी नहीं है. (Photo: Pixabay)
मगर, अब भी क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं. न्यूयॉर्क के कॉनवॉय इनवेस्टमेंट और जीएमओ एलएलसी के जेरेमी ग्रांथम ने बिटकॉइन की आश्चर्यजनक बढ़त का विश्लेषण किया है. पिछले बुलबुलों से तुलना करके उन्होंने बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बढ़त आगे चल कर टिक नहीं पाएगी. ग्रांथम जीएमओ के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट हैं और 74 अरब डॉलर का प्रबंधन करते हैं. 3 जनवरी को निवेशकों को जारी किए गए एक पत्र में उन्होंने कहा,
क्रिप्टोकरेंसी में कोई फंडामेंटल वैल्यू नहीं है और इस बाजार में कोई रेगुलेशन भी नहीं है. इसके अलावा इसका ढर्रा मायावी है जो भ्रम पैदा करता है. क्रिप्टोकरेंसी जिस माहौल में बढ़ रहा है वैसा सिर्फ इतिहास की किताबों में देखा गया है. यह बुलबुले के बिल्कुल मुफीद बैठता है.
अभी कुछ कहना जल्दबाजी
ग्रांथम ने बाजार को लेकर अब तक चेतावनी दी है उनमें कुछ सही साबित हुई हैं और कुछ गलत. 1990 में टेक्नोलॉजी स्टॉक्स बढ़ोतरी को उन्होंने बुलबुला करार दिया था और उस बाजार से निकल आए थे. हालांकि इस चक्कर में उन्होंने इस सेक्टर की कुछ बड़ी बढ़तों का फायदा नहीं उठा नहीं सके थे. बहरहाल. यह वक्त तय करेगा कि ग्रांथम और दूसरे मंदड़िये सही हैं या गलत. बिटकॉइन के मामले में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
(इनपुट: ब्लूमबर्ग)
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RBI एक दिसम्बर को लॉन्च करेगा खुदरा लेन-देन के लिए ‘डिजिटल रुपया’ समझिए e₹ के फायदे
-डिजिटल रुपया (e₹-R) किसी कमर्शियल बैंक की नहीं बल्कि RBI की जिम्मेदारी होगा
-e₹-R को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा
-डिजिटल रुपये का इस्तेमाल बिना बैंक अकाउंट के भी किया जा सकेगा
आरबीआई ने कहा है कि वह एक दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपये (e₹-R) के लिए पहली खेप लॉन्च करेगी। E₹-R एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा। यह कानूनी निविदाओं का प्रतिनिधित्व भी करेगा। आरबीआई ने यह भी बताया कि डिजिटल रुपया (e₹-R) उसी मूल्यवर्ग के जारी होंगे जिस मूल्य के कागजी नोट (1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 व 2000) या सिक्के (0.50, 1, 2, 5, 10, 20) जारी किए जाते हैं।
e₹-R कैसे काम करेगा?
– बैंक के जरिए e₹-R डिजिटल टोकन हासिल किया जा सकेगा। शुरू में आठ बैकों से ये टोकन मिलेंगे
– e₹-R डिजिटल वॉलेट में उपलब्ध होगा जिसे मोबाइल फोन या कंप्यूटर-लैपटॉप के जरिए इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास करना संभव होगा
– यह सब्सिडियरीज यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा
– दुकानदार के यहां क्यूआर कोड के जरिए e₹-R डिजिटल वॉलेट से भुगतान करना होगा
– e₹-R का व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति व व्यापारियों के बीच लेनदेन किया जा सकेगा
– e₹-R पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा और इसे नकद की तरह बैंक में जमा कराया जा सकेगा
e₹-R को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा
इन बैंकों में मिलेगा e₹-R डिजिटल टोकन
ई डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा लोकेशन पर उपलब्ध होगा। रिटेल डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में चार बैंक शामिल होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक शामिल हैं। दूसरे चरण के पायलट प्रोजेक्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक व कोटक महिंद्रा बैंक शामिल रहेंगे।
इन शहरों से होंगी डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट की शुरुवात
खुदरा लेन-देन के लिए डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु व भुवनेश्वर जैसे शहरों को शामिल किया गया है। उसके बाद के चरणों में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला शहर शामिल होंगे शामिल होंगे। रिजर्व बैंक ने कहा है आवश्यकतानुसार अधिक बैंकों, उपयोगकर्ताओं और स्थानों को शामिल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
पायलट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इस पायलट से मिले अनुभवों के आधार पर भविष्य के पायलटों में e₹-R टोकन और आर्किटेक्चर की विभिन्न विशेषताओं और अनुप्रयोगों का परीक्षण किया जाएगा।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (central bank digital currency) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की गई। CBDC फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
आरबीआई CBDC की शुरुआत क्यों कर रहा है?
भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा। ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। रिजर्व बैंक का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।
दिल्ली AIIMS से हैकर्स ने 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी, कहा- पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में लेंगे
AIIMS Server Hack: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली का सर्वर सोमवार को लगातार छठे दिन प्रभावित रहा। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि इस बीच, हैकर्स ने कथित तौर पर अस्पताल के अधिकारियों से अनुमानित 200 करोड़ रुपये की मांग की है। साथ ही पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में करने की बात कही है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि फिरौती की कोई मांग एम्स अधिकारियों द्वारा ध्यान में नहीं लाई गई है। बता दें कि 23 नवंबर को रैनसमवेयर अटैक करके हैक दिल्ली एम्स के सर्वर को हैक कर लिया था।
सूत्रों ने कहा कि सर्वर हैक होने की वजह से आपात स्थिति में रोगी देखभाल सेवाएं, आउट पेशेंट, इन पेशेंट और प्रयोगशाला विंग को मैन्युअल रूप से प्रबंधित किया जा रहा है। इसस बीच, एम्स की कंप्यूटर शाखा ने सोमवार को संस्थान के सभी विभागों को नेटवर्क से जुड़ी अपनी फाइलों का बैकअप बनाने के लिए लिखा के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बुधवार सुबह हैकिंग का पता चलने के कारण लगभग 3 से 4 करोड़ मरीजों के डेटा से समझौता किया जा सकता है।
सोमवार को एम्स प्रबंधन ने बताया कि डेटा बहाली और सर्वर की सफाई का काम चल रहा है। डेटा की मात्रा और अस्पताल सेवाओं के लिए बड़ी संख्या में सर्वर के कारण अधिकारियों को समय लग रहा है। साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं। आउट पेशेंट, इन-पेशेंट और प्रयोगशालाओं सहित सभी अस्पताल सेवाएं मैनुअल मोड पर चलती रहीं। इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आईएन), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने रैंसमवेयर क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास हमले की जांच शुरू कर दी है।
बता दें कि 25 नवंबर को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई द्वारा जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल जांच एजेंसियों की सिफारिशों पर अस्पताल में कंप्यूटरों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। गौरतलब है कि एम्स के सर्वर में पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, नौकरशाहों और जजों समेत कई वीआईपी का डेटा स्टोर है।