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क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है?

क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है?
क्‍या रूस से व्‍यापार बढ़ाने की है तैयारी
वैसे तो रिजर्व बैंक का मकसद रुपये पर डॉलर व अन्‍य करेंसी का दबाव घटाना है, जिसके लिए नया सिस्‍टम डेवलप किया जा रहा है, लेकिन कुछ एक्‍सपर्ट का कहना है कि इस कदम से रूस के साथ व्‍यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूस पर कई प्रतिबंध लग चुके हैं और वह अपना रिजर्व डॉलर इस्‍तेमाल नहीं कर पा रहा है. ऐसे में क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? नया सिस्‍टम आने के बाद रूस से व्‍यापार बढ़ाने में क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? मदद मिलेगी. इसके अलावा ईरान सहित व्‍यापारिक प्रतिबंध झेल रहे अन्‍य देशों के साथ भी भारत अपना व्‍यापार बढ़ा सकेगा.

रिजर्व बैंक शुरू कर रहा रुपये में ग्‍लोबल ट्रे‍ड सेटलमेंट, कैसे काम करेगा यह सिस्‍टम और कितना होगा फायदा?

डॉलर के मुकाबले रुपया 79.60 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया है.

डॉलर के मुकाबले रुपया 79.60 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया है.

डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आ रही गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ते दबाव से बचने के लिए आरबीआई ने नया ट्रेड . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 14, 2022, 13:17 IST
दुनिया के बाकी देश डॉलर, येन, यूरो और पाउंड में ही ग्‍लोबल ट्रेडिंग करते हैं.
रिजर्व बैंक का मकसद रुपये पर डॉलर व अन्‍य करेंसी का दबाव घटाना है.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 महीने के आयात के लिए पर्याप्‍त है.

नई दिल्‍ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्‍लोबल मार्केट में भारत की पहुंच बढ़ाने और ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कराने की बात कही है. यह सिस्‍टम किस तरह से काम करेगा और भारत को इसका क्‍या फायदा मिलेगा. कमोडिटी एक्‍सपर्ट इसे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बड़ा मूव बता रहे हैं.

यूरोपीय स्टॉक फ्यूचर्स में वृद्धि; ईसीबी मिनट, जर्मन IFO का इंतजार है

शेयर बाजार क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? 24 नवंबर 2022 ,12:31

यूरोपीय स्टॉक फ्यूचर्स में वृद्धि; ईसीबी मिनट, जर्मन IFO का इंतजार है

© Reuters

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

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Investing.com - यूरोपीय शेयर बाजारों में गुरुवार को कमजोर कारोबार में थोड़ा अधिक खुलने की उम्मीद है, क्योंकि निवेशक फेडरल रिजर्व की नवीनतम बैठक के साथ-साथ चीन से ताजा प्रोत्साहन की खबरों को पचाते हैं।

भारत में तेजी से बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार के क्या हैं कारण ?

एक विविध संघीय जनतंत्र होने के बावजूद बीते छः वर्षों में पूरे भारत के लिए सीमलेस, सम्मिलित एवं पारदर्शी क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? व्यवस्थाएँ तैयार करने पर बल दिया गया है। जहाँ पहले भारत में अप्रत्यक्ष कर ढाँचे का एक बहुत बड़ा जाल फैला हुआ था, वहीं अब जीएसटी के रूप में केवल एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पूरे देश के व्यापार संस्कृति का एक हिस्सा बन चुकी है।

आपको याद होगा, दिनांक 25 सितम्बर 2019 को न्यूयॉर्क में ब्लूम्बर्ग वैश्विक व्यापार फ़ोरम 2019 में भारत क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशी निवेशकों को निमंत्रण देते हुए कहा था कि वे भारत में अपने निवेश को बढ़ाएँ क्योंकि विकास ही आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। आज भारत की जनता उस सरकार के साथ खड़ी है जो व्यवसाय का माहौल सुधारने के लिए बड़े से बड़े और कड़े से कड़े फ़ैसले लेने में पीछे नहीं रहती है।

जरुरी जानकारी | रुपये 23 पैसे की तेजी के साथ 81.70 प्रति डॉलर पर

जरुरी जानकारी | रुपये 23 पैसे की तेजी के साथ 81.70 प्रति डॉलर पर

मुंबई, 24 नवंबर विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर होने तथा घरेलू शेयर बाजार में तेजी के बीच निवेशकों की कारोबारी धारणा मजबूत हुई जिससे अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 23 पैसे की तेजी के साथ 81.क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? 70 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के कमजोर आर्थिक आंकड़े और फेडरल रिजर्व के आक्रामक रवैये में नरमी के संकेत के बाद अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर कमजोर हो गया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.72 पर खुला। कारोबार के क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? दौरान रुपया 81.60 के दिन के उच्चस्तर और 81.77 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 23 पैसे की तेजी के साथ 81.70 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

कैसे मजबूत हुई रुपये की स्थिति

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यूएस फेड और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण डॉलर में गिरावट जारी रही जिससे रुपये की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। तेल की कीमतों में कमजोरी ने भी भारतीय रुपये को समर्थन दिया। इस साल अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में 6.6% की गिरावट आई है, यहां तक कि कुछ एशियाई करेंसी में भी रुपये की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट देखी गई है।
सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें 1,700-1,760 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर है और आने वाले हफ्तों में क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? इसके स्थिर कारोबार की उम्मीद है।

आंकड़ों की बात करें तो डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू लगातार काम होती गई है। जानकारी के मुताबिक, करीब 20 साल बाद डॉलर और यूरो की वैल्यू बराबर हो चुकी है, जबकि यूरो (Euro) लगातार डॉलर से ऊपर रहता आया है। वहीं, दिसंबर 2014 से अब तक इंडियन करेंसी डॉलर के मुकाबले करीब 25 फीसदी कमजोर हो चुकी है। डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू एक साल पहले 74.54 के स्तर पर थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में रुपये में गिरावट की वजह कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी को बताया था। साथ ही उन्होंने इसके कारणों में रूस-यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग को भी शामिल किया था।

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