ऑप्शन खरीदार

एमसीएक्स का सोने में ऑप्शन जल्द
जिंसों में ऑप्शन कारोबार संभवतया अगले सप्ताह धनतेरस तक हकीकत बन सकता है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने में ऑप्शन कारोबार शुरू होने के आसार हैं। एमसीएक्स जिंसों में ऑप्शन शुरू करने वाला देश का पहला एक्सचेंज है। इसे सोना (1 किलोग्राम) वायदा पर आधारित गोल्ड ऑप्शन सौदे शुरू करने के लिए सेबी की मंजूरी मिल गई है।
सरकार ने सबसे पहले फरवरी 2015 में जिंसों में ऑप्शन को मंजूरी दी थी। दो साल पहले जिंस नियामक के सेबी में विलय से ऑप्शन कारोबार को अमलीजामा पहचाने का रास्ता साफ हो गया था। जिंसों में ऑप्शन को मंजूरी मिले करीब दो साल हो गए हैं और अब जल्द ही यह हकीकत बनने जा रहा है। एक अन्य एक्सचेंज एनसीडीईएक्स को सेबी से ग्वार में ऑप्शन कारोबार शुरू करने की मंजूरी मिली है। ग्वार एनसीडीईएक्स पर सबसे ज्यादा कारोबार वाली जिंसों में से एक है। सूत्रों के मुताबिक एनसीडीईएक्स जोखिम प्रबंधन प्रणाली और अन्य मसलों का परीक्षण कर रहा है।
एमसीएक्स ने एक परिपत्र में कहा कि तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी, लेकिन कारोबारियों का अनुमान है कि एक्सचेंज दीवाली से पहले कारोबार शुरू कर देगा। एमसीएक्स 1 किलोग्राम सोना वायदा पर आधारित ऑप्शन को मंजूरी दे रहा है। इसका मतलब है कि गोल्ड मिनी जैसे अन्य वैरिएंट में ऑप्शन कारोबार की मंजूरी नहीं होगी। दो प्रकार यानी कॉल एवं पुट ऑप्शन उपलब्ध होंगे। कॉल ऑप्शन को खरीदने का मतलब है कि खरीदार को कीमतों में बढ़ोतरी के आसार नजर आ रहे हैं और पुट ऑप्शन खरीदने का मतलब है ऑप्शन खरीदार कि खरीदार को कीमतों में गिरावट के आसार दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही मामलों में कीमत हलचल के अनुमान सही साबित होते हैं तो ऑप्शन का प्रीमियम और खरीदार का लाभ बढ़ेगा।
सेलिंग ऑप्शन में इसके ठीक विपरीत होता है। भारत में बाजार नियामक सेबी ने यूरोपीय शैली के ऑप्शन को मंजूरी दी है, जिसका मतलब है कि परिपक्वता की एक निश्चित अवधि होगी और जिंसों में ऑप्शन उन वायदा अनुबंधों में शुरू किए जाएंगे, जो कारोबार के लिए शुरू किए गए हैं। हालांकि ऑप्शन के निपटान का तीरका इक्विटी से अलग होगा। इक्विटी में ऑप्शन का निपटान नकद में होता है, लेकिन जिंसों में भौतिक डिलिवरी में भी निपटान की मंजूरी होने के कारण ऑप्शन में यह विकल्प भी होगा। इसलिए अगर निश्चित समयावधि में स्कवेयर ऑफ न करने पर सभी ऑप्शन परिवक्वता पर ïवायदा अनुबंध बन जाएंगे।
इसके वायदा अनुबंध बनने के बाद इस पर वायदा के सभी नियम लागू होंगे और तब डिलिवरी भी दी जा सकेगी। एमसीएक्स के परिपत्र में विस्तार से बताया गया है कि ऑप्शन का कारोबार और निपटान कैसे होगा। जब कोई व्यक्ति ऑप्शन खरीदता है तो वह बोला जा रहा प्रीमियम चुकाता है और अगर रुझान पलट जाता है तो उसे अधिक से अधिक चुकाए गए प्रीमियम का ही नुकसान होता है, जबकि ऑप्शन का विक्रेता बाजार आधारित प्रीमियम नुकसान का असीमित जोखिम उठाता है। आयातक बैंक एवं एजेंसियां और कारोबारी एवं सराफ अपने कीमत जोखिमों की हेजिंग के लिए ऑप्शन खरीदते हैं। इसमें अहम यह होगा कि कौन ऑप्शन बेचता है।
इन ऑप्शन के विक्रेता बैंक या ऐसे ऋणदाता हो सकते हैं, जो बदला या मुनाफा कमाने के लिए धन का निवेश करते हैं, जो आमतौर पर सामान्य ब्याज दरों से अधिक होती हैं। आम तौर पर ऐसे ऋणदाता ऑप्शन की बिक्री करते हैं क्योंकि ऑप्शन के खरीदार जोखिम की हेजिंग करते हैं और अगर उनका दांव गलत जाता है तो वे अपने प्रीमियम को भूलने के लिए तैयार होते हैं। इसकी वजह यह है कि हेज एक तरीके का बीमा प्रीमियम है। हालांकि ऑप्शन के विक्रेता सबसे ज्यादा जोखिम लेते हैं, इसलिए वे ऑप्शन कारोबार में सबसे ज्यादा पैसा बनाते हैं।
निवेशकों को भाया ऑप्शन कारोबार
इस साल एक्सचेंज पर विकल्प खंड (ऑप्शन) में कारोबार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इसके पीछे नए खुदरा ट्रेडरों के बाजार में आने, वायदा खंड में मार्जिन बढऩे, एल्गो ट्रेडरों की गतिविधियां बढऩे तथा साप्ताहिक सौदा निपटान चक्र जैसे विभिन्न कारकों का योगदान रहा।
ऑप्शन खंड में कुल अनुंबधों की संख्या वित्त वर्ष 2022 में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) अनुबंधों का 97 फीसदी रही। इनमें से ज्यादातर कारोबार निफ्टी और बैंक निफ्टी सूचकांक के ऑप्शन तक केंद्रित है। पांच साल पहले यह आंकड़ा करीब 83 फीसदी था। बाजार के जानकारों का मानना है कि इस तरह की ट्रेडिंग पर अधिकांश पैसे अनुमानों पर लगाए जाते हैं और निफ्टी के किसी खास हफ्ते में चढऩे या उतरने पर दांव लगाया जाता है। 90 फीसदी से अधिक खुदरा या छोटे ट्रेडर इसी तरह निवेश करते हैं और वे अपने पैसे गंवा रहे हैं, जो देश में दीर्घावधि की इक्विटी संस्कृति के लिए अनुकूल नहीं है।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के रिटेल प्रमुख राहुल रेगे ने कहा, 'ऑप्शन ट्रेडिंग रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और इसमें आगे भी इजाफा होगा।' उन्होंने कहा कि कई सारे खुदरा निवेशक वायदा की तुलना में अब विकल्प (ऑप्शन) को पसंद कर रहे हैं। धनाढ्य निवेशक अपने परिवार उद्यम या चुनिंदा एल्गो ट्रेडरों के माध्यम से एल्गो आधारित रणनीति के तहत इस खंड में निवेश कर रहे हैं।
पिछले साल उच्चतम मार्जिन नियमों को लागू करने के बाद से वायदा खंड में मार्जिन की जरूरत काफी बढ़ गई है। नकद खंड में भी इंट्राडे कारोबार के लिए ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली मार्जिन सुविधा 8 से 10 गुना से घटाकर 2 से 3 गुना कर दी गई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में डेरिवेटिव विश्लेषक चंदन तापडिय़ा ने कहा, 'वायदा में कारोबार करने के लिए शुरुआती मार्जिन की जरूरत होती है और पोजिशन अनुकूल नहीं रही तो मार्क टू मार्केट मार्जिन देना होता है। ऑप्शन खरीदार को केवल प्रीमियम चुकाना होता है और ऑप्शन विक्रेता अपने निवेश पोर्टफोलियो को मार्जिन की जरूरत के लिए जमानत के तौर पर रख सकते हैं। यही वजह है कि नए चतुर ट्रेडर वायदा की तुलना में विकल्प को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।'
उदाहरण के लिए निफ्टी के 16,300 के स्तर पर अगर 10 फीसदी मार्जिन की जरूरत हो तो निफ्टी फ्यूचर का एक लॉट खरीदने के लिए निवेशकों को 8,15,000 रुपये के आकार के सौदे के लिए 81,500 रुपये देने होंगे। दूसरी ओर निफ्टी ट्रेडिंग के 2 रुपये पर कॉल या पुट ऑप्शन के लिए निवेशकों के केवल 100 रुपये देने होंगे। अनुबंध के साप्ताहिक निपटान की व्यवस्था 2019 में शुरू की गई थी। इससे भी निवेशक आसानी से मुनाफा कमाने की उम्मीद में इस खंड में आए। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, 'छोटे ट्रेडरों के लिए ऑप्शन खंड किसी खेल की तरह हो गया है, जो इस खंड में 15,000 से 20,000 रुपये की छोटी राशि का दांव लगाते हैं।' उन्होंने कहा कि गुरुवार को सौदे के निपटान खत्म होने के दिन अपराह्नï 2 बजे के बाद अधिकांश पैसा निफ्टी और बैंक निफ्टी के ऑप्शन में लगाया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैसे को म्युचुअल फंड में एसआईपी के जरिये या बेहतर शेयरों में सीधे लगाया जाना चाहिए। अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स ऐंड रिसर्च इनक्रेड इक्विटीज में निदेशक सिद्घार्थ भामरे ने कहा, 'बाजार के कुल वॉल्यूम का करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी एक खंड में होना परिपक्व बाजार का संकेत नहीं है।' उन्होंने कहा, 'वॉल्यूम में इजाफा मुख्य रूप से अटकलों की वजह से है, न कि हेजिंग या वास्तविक रणनीति के कारण। ट्रेडर दो से तीन दिन या महीने भर में दोगुना प्रतिफल चाहते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में वे अपनी पूंजी गंवा देते हैं।'
मान लें कि निफ्टी के 16,300 के स्तर पर अगर अनुबंध का आकार 50 है। यदि आप 100 रुपये में 16,500 कॉल ऑप्शन खरीदते हैं और निफ्टी 16,600 से ऊपर पहुंच जाता है तो आपको 5,000 रुपये का मुनाफा होगा। इसका मतलब हुआ कि आपने 100 रुपये के निवेश पर 5,000 रुपये कमा लिए। टर्नओवर की गणना अनुबंध के मूल्य के आधार पर की जाती है न कि प्रीमियम मूल्य पर, ऐसे में आप प्रभावी रूप से 100 रुपये का प्रीमियम चुकाकर 8,25,000 रुपये का कारोबार करते हैं।
हालांकि बाजार के जानकार इस खंड में गंभीर भागीदारों के आने से उत्साहित हैं। इनमें से कुछ लोग बाजार की बारीकियों को सीखने के लिए पेशेवरों की मदद ले रहे हैं।
ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा फायदा
पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स ऑप्शन खरीदार का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।
संक्षेप में यदि आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का भविष्य अनुबंध खरीदते हैं या बेचते हैं और यदि यह आपकी अपेक्षित दिशा के विपरीत चल रहा है, तो इसका मतलब है कि आपकी जोखिम असीमित है, वहीं अगर आपने भविष्य के अनुबंध के स्थान पर एक विकल्प अनुबंध खरीदा है, जिसका मतलब है कि आपकी जोखिम रिटर्न भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए सीमित है जबकि फेवरेबल मार्केट मूवमेंट तक विस्तार करने के लिए रिटर्न असीमित होता है। ऑप्शन खरीदारों को प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है ताकि उन्हें अधिकार तो प्राप्त हो लेकिन कोई दायित्व न हो, इसलिए बाजार में गिरावट होने पर जोखिम सीमित होती है, जबकि बाजार में बढ़ोत्तरी होने पर रिवॉर्ड असीमित होता है। दूसरी ओर, चूँकि ऑप्शन विक्रेताओं को प्रीमियम प्राप्त होता है, इसलिए उनकी जोखिम असीमित होती है, जबकि लाभ केवल इस प्रीमियम के अनुबंध तक सीमित होता है जो उन्हें इस ऑप्शन के अनुबंध के लिए मिलता है। कॉल खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है जबकि पुट खरीदार को बेचने का अधिकार मिलता है, जबकि ऑप्शन विक्रेताओं को दायित्व हस्तांतरित होता है चाहे वे कॉल चुनें या पुट।
ऑप्शन खरीदारों के लिए लाभ
ऑप्शन खरीदारों ऑप्शन खरीदार को केवल प्रीमियम का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, इसलिए अनुबंध प्राप्त करने के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है। जोखिम सीमित होती है जो कि अधिकतम प्रीमियम राशि तक ही रहती है, चाहे बाजार स्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल हों। सुरक्षात्मक पुट्स ले कर पोर्टफोलियो की प्रतिरक्षा (हेजिंग) की जा सकती है।
ऑप्शन विक्रेताओं के लिए लाभ
रेंज बाउण्ड मूव से लाभ जैसे कि जब यह सीमा में रहता है तो प्रीमियम में गिरावट आती है। घटते प्रीमियम का लाभ जैसे कि डीप ओटीएम स्ट्राइक में कुछ प्रीमियम शामिल होते हैं, और इस बात की संभावना काफी उच्च होती है कि ये प्रीमियम शून्य की ओर बढ़ेंगे।
मनी कॉल की बिक्री करके स्थिति की लागत को कम करना।
ऑप्शन और ऑप्शन व्यापार के मिथक तथा वास्तविकता
ऑप्शन जोखिम से भरा होता है : ऑप्शन केवल तभी जोखिम भरे होते हैं जब हम उनका उपयोग करना नहीं जानते। खरीदार के लिए जोखिम केवल प्रीमियम राशि तक सीमित होता है। नेकेड विक्रेता होने पर ही ऑप्शन में उच्च जोखिम की संभावना होती है। इसलिए इसमें उचित बाजारगत निर्णय या हेजिंग रणनीति की आवश्यकता होती है जो वास्तव में जोखिम को कम कर देता है और यही ऑप्शन सेगमेंट की खूबसूरती है।
ऑप्शन को समझना मुश्किल है: ऑप्शन की वास्तविकता को समझना कोई मुश्किल काम नहीं है। असल में, आपको एक निर्दिष्ट मूल्य पर अंतर्निहित स्टॉक खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त होता है। इससे भी बेहतर, केवल दो ऑप्शन हैं :- कॉल और पुट; और आप या तो खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं। यदि आप इस क्षेत्र में नये हैं, तो कॉलर, लेडर स्प्रेड, आयरन कोंडोर, स्ट्रिप, स्ट्रैप, बटरफ्लाई, कैलेंडर स्प्रेड, बॉक्स इत्यादि के बजाय अपेक्षाकृत सरल रणनीतियों के साथ रहना सबसे अच्छा है।
ऑप्शन बेचना मुफ्त पैसे प्राप्त करने जैसा है: एक गलत धारणा यह भी है कि ऑप्शन की बिक्री लगभग जोखिम मुक्त है। यद्यपि नकदी एकत्र करने के लिए ऑप्शन की बिक्री की जा सकती है, लेकिन नेकेड या असुरक्षित विकल्पों को बेचने पर यह जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इसमें रिस्क असीमित है। ऑप्शन विक्रेता ज्यादातर समय फायदे में रह सकते हैं; लेकिन कभी-कभी आकस्मिक नुकसान भारी पड़ सकता है जब अनुभवहीन निवेशक नियम के अनुसार जोखिम का प्रबंधन न करे।
केवल ऑप्शन विक्रेता पैसे कमाते हैं: तथ्य यह है कि दोनों ही यानी ऑप्शन के खरीदार और विक्रेता ऑप्शन व्यापार से लाभ कमा सकते हैं। यदि केवल विक्रेता ही पैसा कमाएंगे तो कोई खरीदार नहीं होगा, कोई खरीदार नहीं होगा तो कोई बाजार नहीं होगा। कभी-कभी कई स्थितियों में विकल्प खरीदने में भी बढ़त मिलती है, खासकर उच्च अस्थिरता, ट्रेंडिंग या विनिर्दिष्ट बाजार के परिदृश्य में। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि प्रीमियम कई गुना हो जाता है।
एक सामान्य मिथक यह है कि ऑप्शन व्यापार बहुत जोखिम भरा है। ऑप्शन जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन हमेशा ऐसा होना जरूरी नहीं है। जोखिम की सहनशीलता के आधार पर कोई ऑप्शन कम या अधिक जोखिम भरा हो सकता है। इसका उपयोग अनुमान के लिए भी किया जा सकता है और हेजिंग, सुरक्षा और लेवरेज के लिए भी। ऑप्शन के साथ पैसे कमाने के एक से अधिक तरीके हैं और हम मानते हैं कि ऑप्शन की ऐसी खूबसूरती और अनुकूलित ऑप्शन की रणनीति भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी।
फेस्टिव सीजन में ‘Buy Now Pay Later’ पर खरीदारी करने से पहले जान लें ये 5 बातें!
हम में से कई लोग दिवाली के आसपास फेस्टिव सीजन में बड़ी खरीदारी (Diwali Shopping) करते हैं. अक्सर बड़े सामानों की खरीदारी EMI पर की जाती है. और इसके लिए आजकल बाजार में कई ऑप्शन मौजूद हैं. सबसे नया विकल्प Buy Now Pay Later का है. लेकिन अगर आप ये ऑप्शन लेने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में आपको ये 5 बातें पहले जान लेनी चाहिए.
क्या होता है Buy Now Pay Later
कई फिनटेक और फाइनेंस कंपनियां अपने ग्राहकों को Buy Now Pay Later की सुविधा देती हैं. ये एक तरह का लोन ही होता है जो ग्राहकों को किसी खरीदारी के लिए दिया जाता है और इसमें ग्राहक को एक तय समयअवधि में इसकी EMI चुकाने का ऑप्शन चुनना होता है. ऐसी सुविधा देने वाली कंपनियां बैंकों से टाई-अप करती हैं और ग्राहकों को छोटी अवधि एवं राशि के लोन देती हैं.
कौन लेता है Buy Now Pay Later लोन
आम तौर पर फेस्टिव सीजन में खरीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड या EMI के ऑप्शन चुनते हैं. बड़ी सेल और भारी डिस्काउंट का फायदा उठाने के लिए लोग इन विकल्प का चुनाव करते हैं. लेकिन ये ऑप्शन उन लोगों के लिए हैं जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी है. जबकि जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती या जिनके पास आधिकारिक लोन लेने का ऑप्शन नहीं होता वो Buy Now Pay Later के ऑप्शन पर जाते हैं.
Buy Now Pay Later में कैसे होता है पेमेंट
जब भी कोई ग्राहक Buy Now Pay Later ऑप्शन चुनता है, तो बीच में एक मर्चेंट प्लेयर होता है. ये कोई फिनटेक कंपनी हो सकती है. इस ऑप्शन से खरीदारी करने पर ये मर्चेट सामने वाली पार्टी को पेमेंट कर देता है और आप से महीने की किस्तों में वो पेमेंट लेता है. आम तौर पर ये पेमेंट No Cost EMI के रूप में होता है.
ये कंपनियां देती हैं Buy Now Pay Later फैसिलिटी
अभी इंडिया में लगभग सभी बड़ी फिनटेक कंपनियां अपने ग्राहकों को Buy Now Pay Later की सुविधा देती है. इसमें MobiKwik Zip, Paytm Postpaid, Zest Money, Early Salary, LazyPay, Simpl के साथ-साथ Amazon Pay Later और Flipkart Pay Later के ऑप्शन भी मौजूद हैं.
छोटे अमाउंट के लिए Buy Now Pay Later
Buy Now Pay Later की फैसिलटी देने वाली Lazy Pay और Simpl जैसी कंपनियां सीधे आपका मौके पर बिल पेमेंट कर देती हैं और एक तय अवधि के बाद आपको उसका पेमेंट करना होता है. इस तरह की कंपनियां अक्सर Swiggy या Big Basket जैसे मर्चेंट के साथ टाई-अप करती हैं जहां खरीदारी का अमाउंट कम होता है.
Buy Now Pay Later में मिले बड़ा लोन
कुछ Buy Now Pay Later फैसिलिटी देने वाली कंपनियां लोगों ऑप्शन खरीदार को बड़ी राशि का लोन भी देती हैं. इनमें Capital Float, Zest Money और Early Salary शामिल है. Early Salary के चीफ बिजनेस ऑफिसर विमल साबू बताते हैं कि इस तरह की कंपनियां EMI पर लोन ऑफर करती हैं और ये 1 ये 3 लाख रुपये तक हो सकता है. लेकिन Buy Now Pay Later लोन क्या उतना ही सेफ है और काम का है.
Buy Now Pay Later का ब्याज
अगर आप Buy Now Pay Later ऑप्शन चुनने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको उस पर लगने वाले ब्याज के बारे में जानकारी लेनी चाहिए. कई बार ये Zero Cost पर भी मिलता है लेकिन इसमें फिनटेक कंपनियां किसी सामान की खरीदारी से मिलने वाले मार्जिन को मर्चेंट के साथ बांट लेती हैं. ऐसे में ब्याज फ्री लोन की अवधि 15 से 30 दिन होती है और उसके बाद आपको ईएमआई में पेमेंट देना होता है.
अगर Buy Now Pay Later में हुआ डिफॉल्ट
कई बार ऐसा होता है जब हम अपनी मासिक किस्त समय पर नहीं चुका पाते. जब बैंक से लोन लेने पर हम ऐसा करते हैं तो हमें भारी ब्याज और जुर्माना देना होता है. Buy Now Pay Later सुविधा में भी अगर आप समय पर किस्त नहीं चुकाते हैं तो आपको 500 से 1000 रुपये तक की लेट फीस के साथ 2.5% मासिक ऑप्शन खरीदार तक का ब्याज देना पड़ सकता है.
Buy Now Pay Later में रिफंड मिलता है?
कई बार ऐसा होता है कि हम कोई खरीदारी करते हैं और वो हमें पसंद नहीं आती या उसमें कुछ खराबी आ जाती है. ऐसे में अगर आपने पेमेंट Buy Now Pay Later ऑप्शन से किया है तो कई बार इसके रिफंड में दिक्कत आ सकती है. इस बारे में फिनकेयर एसबीएफ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अंकित मिश्रा का कहना है कि इस तरह की दिक्कत तब आती है जब ग्राहक लोन की शर्तों को सही से समझ नहीं पाता या उसमें पादर्शिता का अभाव होता है. इसलिए ग्राहकों को इस तरह का लोन लेने से पहले पूरी परख करनी चाहिए.
Buy Now Pay Later खराब करता है CIBIL!
किसी भी व्यक्ति को बड़े लोन लेने के लिए CIBIL के क्रेडिट स्कोर की जरूरत पड़ती है. अक्सर देखने को मिलता है कि लोग बिना जरूरत के ही Buy Now Pay Later की फैसिलिटी ले लेते हैं. ऐसे में इस फैसिलिटी के तहत जो राशि आपको एलॉट होती है वो असल में आपकी क्रेडिट लाइन का ही हिस्सा होती है. और अगर आप इसे यूज नहीं करते हैं तो ये आपके क्रेडिट लाइन को घेरे रहकर कमजोर बनाती है. इसका सीधा असर आपके CIBIL Score पर पड़ता है.
ऑनलाइन कैसे बुक कर सकते हैं ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर? खरीदने से पहले जान लें प्रोसेस
ओला तीन इलेक्ट्रिक स्कूटर S1 Air, S1 और S1 Pro बेचती है.
अगर आप भी ओला का कोई भी इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना चाहते हैं तो उसके आपको भी ऑनलाइन वेबसाइट पर ही बुक करना होगा. यहां बता रहे हैं कि ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर को ऑनलाइन कैसे बुक किया जा सकता है?
- News18Hindi
- Last Updated : October 31, 2022, 08:16 IST
हाइलाइट्स
ओला इलेक्ट्रिक की ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट करना होगा.
इसके बाद स्कूटर का मॉडल और कलर ऑप्शन को सिलेक्ट करना होगा.
आखिर में आपको बुकिंग अमाउंट का पेमेंट कर रसीद सेव करनी होगी.
नई दिल्ली. ओला इलेक्ट्रिक देश में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचने वाली कंपनियों में से एक है. कंपनी ने हाल ही में S1 Air इलेक्ट्रिक स्कूटर को लॉन्च किया है, जिससे अब इसके लाइनअप में तीन इलेक्ट्रिक स्कूटर S1 Air, S1 और S1 Pro हो गए हैं. खास बात यह है कि ओला इलेक्ट्रिक के पास ऑफलाइन डीलरशिप नहीं है, वे अभी भी स्कूटरों की बिक्री ऑनलाइन ही करते हैं. हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक पूरे देश में डीलरशिप खोलने पर काम कर रही है.
अगर आप भी ओला का कोई भी इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना चाहते हैं तो उसके आपको भी ऑनलाइन वेबसाइट पर ही बुक करना होगा. यहां बता रहे हैं कि ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर को ऑनलाइन कैसे बुक किया जा सकता है?
इस वेबसाइट पर करना होगा विजिट
सबसे पहले ओला इलेक्ट्रिक की ऑफिशियल वेबसाइट https://olaelectric.com/ पर विजिट करना होगा. इस लिंक जरिए आप सीधे वेबसाइट पर पहुंच सकते हैं. इसके बाद आपको “रिजर्व” बटन सर्च करना होगा. अब, आप तीनों स्कूटरों और उनके कलर ऑप्शन को देख सकते है. यहां आप इन स्कूटर को कम्पेयर कर सकते हैं और स्पेसिफिकेशन देख सकते हैं.
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ऐसे करें कलर और मॉडल का सिलेक्शन
स्कूटर के सिलेक्शन के बाद खरीदार को कलर ऑप्शन का चयन करना होगा. इसके बाद उसे पिनकोड का सिलेक्ट करना होगा, जहां स्कूटर की डिलीवरी होगी. नियम, शर्तें और गोपनीयता पॉलिसी पढ़ने के बाद ग्राहको को “रिजर्व” बटन पर क्लिक करना होगा. रिजर्व बटन पर क्लिक करते ही एक वेब पेज खुलेगा. यहां लॉग इन करने ऑप्शन खरीदार के लिए फोन नंबर और एक ओटीपी मांगेगा और फिर बुकिंग पेज पर रीडायरेक्ट करेगा. खरीदार को “कंटिन्यू” पर क्लिक करना होगा, फिर एक पेमेंट पेज देगा, जहां स्कूटर के लिए एक स्लॉट रिजर्व करने के लिए राशि का भुगतान करना होगा.
आखिर में होगा पेमेंट
सफल भुगतान के बाद वेबसाइट एक नोट लिखा आएगा, जिस पर लिखा होगा, “बधाई हो, अब आप क्रांति का हिस्सा हैं”. इसके बाद आपको “रसीद देखें” ऑप्शन दिखाई देगा. खरीदार भविष्य के लिए बुकिंग रसीद को सेव करके भी रख सकते हैं. इसका मतलब यह है कि स्कूटर को रिजर्व कर दिया गया है, लेकिन पूरी पेमेंट हो जाने के बाद ही स्कूटर की डिलीवरी मिलेगी. इसके लिए जब भी परचेज विंडो खुलेगी ओला इलेक्ट्रिक ग्राहक को जानकारी देगी.
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