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वित्तीय बाजार के प्रकार

वित्तीय बाजार के प्रकार

भारत में मुद्रा और वित्त बाजार के साधन

मुद्रा बाजार एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है।

मुद्रा बाजार एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है। मुद्रा बाजार में ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक पत्र/पेपर और बैंकरों की स्वीकृतियां आदि खरीदे और बेचे जाते हैं।

मुद्रा बाजार साधन (Money Market Instruments): मुद्रा बाजार अल्पकालीन पैसे के लिए एक बाजार है और वित्तीय परिसंपत्तिया पैसे की सबसे नजदीकी विकल्प होती हैं। लघु अवधि शब्द का आमतौर पर एक 1 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए प्रयोग किया जाता है ।

मुद्रा बाज़ार के मुख्य साधन इस प्रकार है:-

कॉल/ नोटिस मनी मार्केट (Call Money Market): कॉल/ नोटिस मनी वह पैसा है जो एक लघु अवधि के लिए उधार दिया या लिया जाता है। जब पैसा एक दिन के लिए उधार दिया या लिया जाता है तो इसे कॉल (ओवरनाइट) मनी के रूप में जाना जाता है, इस तरह के पैसे को एक दिन के लिए उधार लिया जाता है और अगले कार्यदिवस (छुट्टियों की संख्या की परवाह किए बगैर) पर चुकता कर दिया जाता है, इसे "कॉल मनी" कहा जाता है। जब पैसा 1 या उससे अधिक अथवा 14 दिनों से ज्यादा समय के लिए उधार लिया जाता है तो इसे "नोटिस मनी" कहा जाता है। इस तरह के लेनदेन के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है।

इंटर- बैंक टर्म मनी (Inter- Bank Term Money): 14 दिनों से अधिक की अवधि की परिपक्व जमा राशि के लिए अंतर-बैंक बाजार को मुद्रा बाजार (Money Market) के रूप में जाना जाता है। इसके लिए वहीं नियम लागू होते हैं है जो कॉल/नोटिस मनी के लिए होते हैं, सिवाय कि मौजूदा नियम जिसमें निर्दिष्ट संस्थाओं को 14 दिनों से अधिक की अवधि के लिए उधार देने के लिए अनुमति नहीं होती है।

ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills): भारत में ट्रेज़री बिल्स की शुरुआत 1917 में पहली बार की गयी थी । लघु अवधि के लिए (एक वर्ष तक) केंद्र सरकार द्वारा उधार लेने के साधनों को ट्रेजरी बिल्स कहा जाता है। सरकार इसी के माध्यम से उधार लेती है । ये सर्वाधिक तरल प्रतिभूतियां होती हैं । इनका निर्गमन रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकार के लिए किया जाता है। यह सरकार द्वारा किया गया एक वादा है जिसमें जारी होने की तिथि के एक वर्ष से कम अवधि के भीतर राशि का भुगतान करना होता है। इन्हें अंकित मूल्य के लिए एक छूट के तहत जारी किया जाता है

जमाराशियों का प्रमाण पत्र (Certificate of Deposits): जमाराशि के प्रमाणपत्र (सीडी) एक विनिमेय मुद्रा बाजार साधन है। यह डीमैट के रूप या एक बैंक में जमा राशि के लिए एक प्रमाणपत्र के रुप में या एक निर्धारित समय अवधि के लिए किसी अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया गया एक वचनबद्ध प्रमाणपत्र होता है।

वर्तमान में सीडी जारी करने के लिए दिशा-निर्देशों का नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है जिसमें समय -समय पर संशोधन भी किया जाता है। सीडी को निम्न संस्थान जारी कर सकते हैं:(I) निर्धारित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर वाणिज्यिक बैंक और स्थानीय क्षेत्रीय बैंक (एलएबी); (ii) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह अनुमति प्रदान होती है कि वे एक लघु अवधि के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय नीतियों के तहत संसाधन जुटाएं। बैंकों को अपनी आवश्यकताओं के आधार पर सीडी जारी करने की स्वतंत्रता है। एक वित्तीय संस्थान (एफआई) कुल मिलाकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय निर्देशों के आधार पर सीडी जारी कर सकता है। इसे 1989 में शुरू किया गया था।

वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) (सीपी):

इसे मूलतः वाघुल समिति की संस्तुति पर मार्च 1989 को शुरू किया गया था। C.P. एक प्रतिज्ञा पत्र युक्त अल्प अवधि का प्रपत्र है जिसकी अवधि 7 से 90 दिन की होती है । सीपी की न्यूनतम परिपक्वता अवधि 7 दिनों की होती है। इसका निर्गमन बट्टा आधार पर होता है । सीपी साफ तौर पर एक समर्थन करने और वितरण से संबंधित समझौता है।

एक कंपनी जो सी.पी. जारी करने के लिए पात्र होगी- (क) कंपनी का कुल मूल्य, नवीनतम आडिटे की बैलेंस शीट के अनुसार 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए (ख) बैंकिग प्रणाली में कंपनी की कार्यशील पूंजी (निधि आधारित) की सीमा 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए और (ग) कंपनी के ऋण खाते को वित्तपोषण बैंक/ बैंको द्वारा तय एक मानक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग क्रिसिल द्वारा पी -2 या अन्य एजेंसियों द्वारा तय इसी प्रकार की रेंटिंग होनी चाहिए।

पूंजी बाजार साधन (Capital Market Instruments): पूंजी बाजार में आम तौर पर निम्नलिखित दीर्घकालिक अवधि होती है, जैसे- एक वर्ष से अधिक की अवधि, वित्तीय साधनों; इक्विटी खंड में इक्विटी शेयर, प्रमुख शेयर, परिवर्तनीय मुख्य शेयर, गैर-परिवर्तनीय प्रमुख शेयर और ऋण खंड डिबेंचर, जीरो कूपन बांड, भीरी डिस्काउंट बांड आदि ।

हाइब्रिड साधन (Hybrid Instruments): हाइब्रिड साधनों में इक्विटी और डिबेंचर, दोनों विशेषताएं होती हैं। इस तरह के साधन को हाईब्रिड साधन कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, परिवर्तनीय डिबेंचर, वारंट आदि।

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Chapter 10. वित्तीय बाज़ार : पेज 1 Business Study class 12th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

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Chapter 10. वित्तीय बाज़ार

पेज 1

अध्याय -10

वित्तीय बाजार

वित्तीय बाजार : वित्तीय बाजार से अभिप्राय वित्तीय संपत्तियों के सृजन व विनिमय से हैं |

वित्तीय बाजार वित्त के पूर्ति कर्ता व माँग पक्षकारों को जोड़ने का कार्य करता हैं |

वित्तीय बाज़ार के कार्य

(1) वित्तीय बाज़ार रोकड़ के रूप में पड़े वित्तीय को गति प्रदान कर उनकों उचित प्रयोग की ओर ली जाता हैं | यह वित्तीय बचत कर्ताओं और वित्त की माँग करने वालों को जोड़ने का कार्य करता हैं |

(2) वित्त्यी बाजार प्रतिभोतियों के मूल्य का निर्धारण में भी मददगार हैं |

(3) वित्तीय बाज़ार में कभी भी प्रतिभोतियों को रोकड़ में व रोकड़ को प्रतिभूतियों में बदलवाया जा सकता हैं | इस प्रकार वित्तीय बाज़ार वित्तीय संपत्तियों को तरलता प्रदान करता हैं |

(4) वित्तीय बाज़ार प्रतिभूतियों से संबंधित सूचनाएं भी उपलब्ध करता हैं |

वित्तीय बाज़ार के प्रकार

(2) पूंजी बाज़ार ; इसके प्रकार

मुद्रा बाज़ार : मुद्रा बाज़ार से अभिप्राय ऐसे बाज़ार से है जिसकें अंतर्गत केवल अल्पकालीन प्रतिभूतियों में लेन-देन किए जाते हैं | इसकी भुगतान अवधि एक वर्ष या उससे कम की होती हैं | जैसे :- खजाना बिल, कॉमर्शियल बिल, कॉमर्शयल पेपर, माँग मुद्रा, जमा प्रमाण पत्र और वाणिज्यिक बिल आदि |

मुद्रा बाज़ार प्रपत्र

(1) खजाना बिल : इससें अभिप्राय उस अल्पकालीन प्रपत्र से है जो केंद्रीय सरकार द्वारा उनकी अल्पकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय संस्थाओं अथवा लोगों को जारी किए जाते हैं | इसे जीरो कूपन बांड भी कहा जाता हैं |

(2) कमर्शियल पेपर : यह अल्पकालीन असुरक्षित प्रतिज्ञा पत्र होते हैं | यह एक प्रकार का असुरक्षित प्रतिज्ञा-पत्र होता हैं |

(3) माँग मुद्रा/अल्प-सुचना ऋण : यह ऐसे प्रपत्र है जिनका भुगतान ऋणी अथवा ऋणदाता की इच्छा पर किया जाता हैं | इसका उपयोग मुख्यता बैंकों द्वारा अपनी नकद आरक्षित अनुपात को बनाए रखने के लिए किया जाता हैं |

(4) जमा प्रमाण-पत्र : यह विनिमय साध्य प्रपत्र होते हैं जो कि बेचान द्वारा हस्तांतरण किए जा सकते हैं |

(5) वाणिज्यिक बिल : यह भी विनिमय साध्य प्रपत्र है जिसका उपयोग उधार बिक्री के लिए वित्तीय व्यवस्था करने के लिए किया जाता हैं |

भारतीय वित्तीय प्रणाली के घटक

वित्तीय प्रणाली उस प्रणाली को कहते हैं जिसमें मुद्रा और वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रवाह बचत करने वालों से निवेश करने वालों की तरफ होता है | वित्तीय प्रणाली के मुख्य घटक हैं : मुद्रा बाजार, पूंजी बाजार, विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार, बैंक, सेबी और RBI हैं | ये वित्तीय घटक बचत कर्ता और निबेशकों के बीच एक कड़ी या मध्यस्थ का कार्य करते हैं |

वित्तीय प्रणाली से आशय संस्थाओं (institutions), घटकों (instruments) तथा बाजारों के एक सेट से हैI ये सभी एक साथ मिलकर अर्थव्यवस्था में बचतों को बढाकर उनके कुशलतम निवेश वित्तीय बाजार के प्रकार को बढ़ावा देते हैं I इस प्रकार ये सब मिलकर पूरी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाते है I इस प्रणाली में मुद्रा और वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रवाह बचत करने वालों से निवेश करने वालों की तरफ होता हैI वित्तीय प्रणाली के मुख्य घटक हैं: मुद्रा बाजार, पूंजी बाजार, विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार, बैंक, सेबी और RBI हैं I ये वित्तीय घटक बचत कर्ता और निबेशकों के बीच एक कड़ी या मध्यस्थ का कार्य करते हैं I

भारतीय वित्तीय प्रणाली को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है I

  1. मुद्रा बाजार (अल्पकालिक ऋण)
  2. पूंजी बाजार (मध्यम और दीर्घकालिक ऋण)

भारतीय वित्तीय प्रणाली को इस प्रकार बर्गीकृत किया जा सकता है .

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वित्तीय प्रणाली का निर्माण वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रदान किए गए उत्पादों और सेवाओं से हुआ है जिसमें बैंक, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड, संगठित बाजार, और कई अन्य कंपनियां शामिल हैं जो आर्थिक लेनदेन की सुविधा प्रदान करती हैं। लगभग सभी आर्थिक लेनदेन एक या एक से अधिक वित्तीय बाजार के प्रकार वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रभावित होते हैं। वे स्टॉक और बांड, जमाराशि पर ब्याज का भुगतान, उधार मांगने वालों और ऋण देने वालों को मिलाते हैं तथा आधुनिक अर्थव्यवस्था की भुगतान प्रणाली को बनाए रखते हैं।

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इस प्रकार के वित्तीय उत्पाद और सेवाएं किसी भी आधुनिक वित्तीय प्रणाली के निम्नलिखित मौलिक उद्देश्यों पर आधारित होती हैं:

  1. एक सुविधाजनक भुगतान प्रणाली की व्यवस्था
  2. मुद्रा को उसके समय का मूल्य दिया जाता है
  3. वित्तीय जोखिम को कम करने के लिए उत्पाद और सेवाओं को उपलब्ध कराती हैं या वांछनीय उद्देश्यों के लिए जोखिम लेने का साहस प्रदान करती हैं।
  4. एक वित्तीय बाजार के माध्यम से साधनों का अनुकूलतम आवंटन होता है साथ ही बाजार में आर्थिक उतार-चढ़ाव की समस्या से निजात मिलती है I

वित्तीय प्रणाली के घटक- एक वित्तीय प्रणाली का अर्थ उस प्रणाली से है जो निवेशकों और उधारकर्ताओं के बीच पैसे के हस्तांतरण को सक्षम बनाती है। एक वित्तीय प्रणाली को एक अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय या संगठनात्मक स्तर पर परिभाषित किया जा सकता है। "वित्तीय प्रणाली" में "प्रणाली" शब्द एक जटिल समूह को संदर्भित करता है और अर्थव्यवस्था के अंदर संस्थानों, एजेंटों, प्रक्रियाओं, बाजारों, लेनदेन, दावों से नजदीकी रूप से जुडा होता है। वित्तीय प्रणाली के पांच घटक हैं, जिनका विवरण निम्नवत् है:

  1. वित्तीय संस्थान: यह निवेशकों और बचत कर्ताओं को मिलाकर वित्तीय प्रणाली को गतिमान बनाये रखते हैं। इस संस्थानों का मुख्य कार्य बचत कर्ताओं से मुद्रा इकठ्ठा करके उन निवेशकों को उधार देना है जो कि उस मुद्रा को बाजार में निवेश कर लाभ कमाना चाहते है अतः ये वित्तीय संस्थान उधार देने वालों और उधार लेने वालों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं I इस संस्थानों के उदहारण हैं :- बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, स्वयं सहायता समूह, मर्चेंट बैंकर इत्यादि हैं I
  2. वित्तीय बाजार: एक वित्तीय बाजार को एक ऐसे बाजार के रुप में परिभाषित किया जा सकता है जहां वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण या हस्तानान्तरण होता है। इस प्रकार के बाजार में मुद्रा को उधार देना या लेना और एक निश्चित अवधि के बाद उस ब्याज देना या लेना शामिल होता है I इस प्रकार के बाजार में विनिमय पत्र, एडहोक ट्रेज़री बिल्स, जमा प्रमाण पत्र, म्यूच्यूअल फण्ड और वाणिज्यिक पत्र इत्यादि लेन देन किया जाता है I वित्तीय बाजार के चार घटक हैं जिनका विवरण इस प्रकार है:
  1. मुद्रा बाज़ार: मुद्रा बाजार भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है I यह सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि के फण्ड तथा ऐसी वित्तीय संपत्तियों, जो मुद्रा की नजदीकी स्थानापन्न है, के क्रय और विक्रय के लिए बाजार है I मुद्रा बाजार वह माध्यम है जिसके द्वारा रिज़र्व बैंक अर्थव्यवस्था में तरलता की मात्रा नियंत्रित करता है I

इस तरह के बाजारों में ज्यादातर सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों का दबदबा रहता है। इस बाजार में कम जोखिम वाले, अत्यधिक तरल, लघु अवधि के साधनों वित्तीय साधनों का लेन देन होता है।

  1. पूंजी बाजार: पूंजी बाजार को लंबी अवधि के वित्तपोषण के लिए बनाया गया है। इस बाजार में लेन-देन एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए किया जाता है।
  2. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार: विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बहु-मुद्रा आवश्यकताओं से संबंधित होता है। जहां पर मुद्राओं का विनिमय होता है। विनिमय दर पर निर्भरता, बाजार में हो रहे धन के हस्तांतरण पर निर्भर रहती है। यह दुनिया भर में सबसे अधिक विकसित और एकीकृत बाजारों में से एक है।
  3. ऋण बाजार (क्रेडिट मार्केट): क्रेडिट मार्केट एक ऐसा स्थान है जहां बैंक, वित्तीय संस्थान (FI) और गैर बैंक वित्तीय संस्थाएं NBFCs) कॉर्पोरेट और आम लोगों को लघु, मध्यम और लंबी अवधि के ऋण प्रदान किये जाते हैं।

निष्कर्ष: उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एक वित्तीय प्रणाली उधारदाताओं और उधारकर्ताओं को अपने आपसी हितों के लिए एक दूसरे के साथ संवाद स्थापित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस संवाद का अंतिम फायदा मुनाफा पूंजी संचय (जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बहुत जरूरी है जो धन की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं) और देश के आर्थिक विकास के रूप में सामने आता है।

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Indian Financial System (भारतीय वित्त व्यवस्था)- अर्थ, संरचना, कार्य और इसकी PDF

Indian Financial System (भारतीय वित्त व्यवस्था)- अर्थ, संरचना, कार्य और इसकी PDF_40.1

Indian Financial System (भारतीय वित्त व्यवस्था) अर्थ

भारतीय वित्त व्यवस्थादेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वह प्रणाली है जो लोगों और निवेशकों के बीच धन के प्रवाह का प्रबंधन करती है और इस प्रकार देश में पूंजी निर्माण में योगदान करती है।

भारतीय वित्त व्यवस्थाका गठन वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों, बीमा कंपनियों, पेंशन, फंड आदि द्वारा किया जाता है।

भारतीय वित्त व्यवस्था के घटक

भारतीय वित्त व्यवस्थाके चार मुख्य घटक हैं। वे हैं:
वित्तीय संस्थान
यह निवेशक और उधारकर्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। जैसे : बैंक, बीमा, एनबीएफसी, म्युचुअल फंड आदि।
वित्तीय परिसंपत्तियां
वित्तीय बाजार में कारोबार किए जाने वाले उत्पादों को वित्तीय परिसंपत्ति कहा जाता है। उदाहरण : कॉल मनी, ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाणपत्र आदि।
वित्तीय सेवाएं
वित्तीय सेवाएं परिसंपत्ति प्रबंधन और देयता प्रबंधन कंपनियों द्वारा प्रदान की जाती हैं। जैसे : बैंकिंग सेवाएं, बीमा सेवाएं, विदेशी मुद्रा सेवाएं आदि।
वित्तीय बाजार: यहां क्रेता और विक्रेता एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और वित्तीय परिसंपत्तियों के व्यापार में भाग लेते हैं।

वित्तीय बाजार दो प्रकार के होते हैं:

  • मुद्रा बाजार यह केवल लघु अवधि के निवेश से संबंधित है। इसमें ज्यादातर सरकार, बैंकों और अन्य बड़े संस्थानों का वर्चस्व है। इसमें कम जोखिम और अत्यधिक तरल साधन शामिल हैं।
  • पूंजी बाजार यह उन लेन-देन से संबंधित है जो बाजार में एक वर्ष से अधिक समय से हो रहे हैं।

भारतीय वित्त व्यवस्था संरचना

यह धन के हस्तांतरण की सुविधा के लिए वित्तीय संस्थानों, वित्तीय बाजारों, वित्तीय साधनों और वित्तीय सेवाओं का एक नेटवर्क है। इस प्रणाली में बचतकर्ता, बिचौलिये, लिखत और निवेशक शामिल हैं।

भारतीय वित्त व्यवस्था के कार्य

  • बचत जुटाने में मदद करता है।
  • जमाराशियां जारी करना और एकत्र करना (मुख्य रूप से बैंकिंग संस्थानों द्वारा)
  • एकत्रित धन (बैंकों) से ऋण की आपूर्ति
  • वित्तीय लेनदेन का उपक्रम (जैसे म्यूचुअल फंड)
  • शेयर बाजारों और अन्य वित्तीय बाजारों के विकास को बढ़ावा देना।
  • कानूनी वाणिज्यिक संरचना की स्थापना।

भारतीय वित्त व्यवस्था संहिता (IFSC)

भारतीय वित्त व्यवस्था संहिता (IFS कोड या IFSC) एक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है जो भारत में इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर की सुविधा देता है। एक कोड विशिष्ट रूप से भारत में तीन मुख्य भुगतान और निपटान प्रणालियों में भाग लेने वाली प्रत्येक बैंक शाखा की पहचान करता है: नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) प्रणाली।

भारतीय वित्त व्यवस्था Pdf

भारतीय वित्त व्यवस्था के लिए पीडीएफ दिए गए लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है:

Indian Financial System in hindi- FAQs

Q. अल्पावधि तरलता प्रवाह के लिए किस वित्तीय बाजार का उपयोग किया जाता है?

उत्तर. मुद्रा बाजार

Q. भारतीय वित्त व्यवस्थाके घटक क्या हैं?

उत्तर. वित्तीय बाजार, वित्तीय संस्थान, वित्तीय संपत्ति, वित्तीय सेवाएं।

Q. वित्तीय बाजार जहां धन का प्रवाह एक वर्ष से अधिक समय तक रहता है, कहलाता है?

विनिमय बाजार क्या है - विदेशी विनिमय बाजार के कार्य

विदेशी विनिमय बाजार एक विकेन्द्रीकृत वैश्विक बाजार है जहां सभी दुनिया की मुद्राओं का कारोबार होता है एक दूसरे, और व्यापारी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन से लाभ या हानि बनाते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार को विदेशी मुद्रा बाजार, FX या मुद्रा ट्रेडिंग मार्केट के रूप में भी जाना जाता है।

यह आसान है ना? व्यापारियों को मुद्रा बाजारों में उतार-चढ़ाव से लाभ उठाने के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।. बाजार का आकार वास्तव में बड़ा है, लेकिन जिस तरह से एफएक्स बाजार अन्य वित्तीय बाजारों के विपरीत कार्य करता है, वह काफी सरल है.

अब पूरी तरह से विचार करते हैं विनिमय बाजार क्या है.

विदेशी विनिमय बाजार

विदेशी विनिमय बाजार दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है प्रति दिन $ 5 ट्रिलियन से अधिक औसत व्यापार मूल्य के साथ.

विदेशी मुद्रा शुरुआती अक्सर सोच रहे हैं - जहां विदेशी विनिमय बाजार स्थित है? सवाल यह है - विदेशी मुद्रा का कोई केंद्रीकृत बाजार नहीं है जहां लेनदेन आयोजित किए जाते हैंd. विदेशी मुद्रा व्यापार इलेक्ट्रॉनिक रूप से ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) किया जाता है, जिसका अर्थ है कि सभी व्यापारिक लेनदेन दुनिया भर के व्यापारियों और अन्य बाजार प्रतिभागियों द्वारा कंप्यूटर के माध्यम से किए जाते हैं.

ट्रेडों का कोई केंद्रीकृत स्थान नहीं होने के साथ, विदेशी विनिमय बाजार दिन में 24 घंटे खुला रहता है, साढ़े पांच सप्ताह में दिन, और मुद्राओं लगभग हर समय क्षेत्र में दुनिया भर में कारोबार कर रहे हैं.

विदेशी मुद्रा बाजार सबसे अधिक तरल बाजार है और इसकी उच्च तरलता का मतलब है कि समाचार और अल्पकालिक घटनाओं के जवाब में कीमतें तेजी से बदल सकती हैं, जिससे कई व्यापारिक अवसर पैदा हो सकते हैं.

world map

कैसे विदेशी मुद्रा बाजार पर व्यापार करने के लिए

अब, विनिमय बाजार क्या है, की बेहतर समझ होने के बाद, आइए देखें कि वास्तव मेंकैसे विदेशी मुद्रा बाजार काम करता है.

विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले व्यापार में एक साथ खरीद शामिल है एक मुद्रा और दूसरे की बिक्री। इसका कारण यह है कि एक मुद्रा का मूल्य सापेक्ष है अन्य मुद्रा के लिए और उनकी तुलना से निर्धारित होता है। एक खुदरा व्यापारी के नजरिए से विदेशी मुद्रा व्यापार दूसरे के सापेक्ष एक मुद्रा के मूल्य पर अटकलें है.

यहां यह कैसे चला जाता है:

प्रत्येक मुद्रा जोड़ी एक "आधार मुद्रा" (पहली मुद्रा) से मिलकर एक इकाई के बारे में सोचा जा सकता है और एक "काउंटर (या उद्धृत) मुद्रा" (दूसरी मुद्रा) जिसे खरीदा या बेचा जा सकता है। यह दिखाता है कि कितना बेस करेंसी की एक यूनिट खरीदने के लिए काउंटर करेंसी की जरूरत होती है। तो, EUR/USD मुद्रा जोड़ी में EUR आधार मुद्रा है और USD काउंटर मुद्रा है। यदि आप यूरो की कीमत के खिलाफ वृद्धि की उम्मीद अमेरिकी डॉलर की कीमत आप EUR/USD मुद्रा जोड़ी खरीद सकते हैं । जबकि एक मुद्रा जोड़ी खरीदने (लंबे समय तक जा रहा है) बेस करेंसी (यूरो) खरीदी जा रही है, जबकि काउंटर करेंसी (USD) बेची जा रही है। इस प्रकार, आप खरीदते हैं EUR/USD मुद्रा जोड़ी कम कीमत पर बाद में इसे उच्च कीमत पर बेचने के लिए और एक परिणाम के रूप में एक लाभ बनाते हैं । यदि आप विपरीत स्थिति की उम्मीद है, आप मुद्रा जोड़ी बेच सकते हैं (कम जाओ), जिसका अर्थ है यूरो बेचते हैं और अमेरिकी डॉलर खरीदते हैं.

विदेशी विनिमय बाजार

हालांकि, जोखिम हमेशा रहता है। यदि आप अमेरिकी डॉलर के खिलाफ यूरो खरीदते हैं, कि यूरो की उम्मीद कीमत में वृद्धि होने जा रहा है, लेकिन इसके बजाय अमेरिकी डॉलर मजबूत, आप तो नुकसान भुगतना होगा । इसलिए विदेशी मुद्रा व्यापार से आप जो लाभ उठा सकते हैं, इसके अलावा, आपको हमेशा इसमें शामिल जोखिम पर विचार करना चाहिए।

जैसा कि आप देख सकते हैं कि विदेशी विनिमय बाजार समझने के लिए इतना जटिल नहीं है और इतना खतरनाक नहीं है प्रवेश करना। आप कुछ ही मिनटों में बाजार के प्रतिभागियों में से एक बन सकते हैं और अधिक से अधिक पैसा कमाना शुरू कर सकते हैं आसानी.

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विदेशी मुद्रा बाजार के इतिहास

विदेशी मुद्रा बाजार के इतिहास में दो विशेष घटनाओं जो अपने गठन और विकास पर एक गहरी छाप छोड़ी द्वारा चिह्नित है। इन दो घटनाओं के ऐतिहासिक स्वर्ण मानक प्रणाली और ब्रेटन वुड्स प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं.

गोल्ड स्टैंडर्ड और ब्रेटन वुड्स सिस्टम

गोल्ड स्टैंडर्ड प्रणाली 1875 में मुख्य विचार गठन के पीछे यह सरकारों की गारंटी है कि कि एक मुद्रा सोने के द्वारा समर्थित किया जाएगा था। सभी प्रमुख आर्थिक देशों सोने की एक औंस के लिए मुद्रा की राशि में परिभाषित के रूप में सोने की शर्तें और इन राशियों के लिए अनुपात में उनकी मुद्राओं के मूल्य इन के लिए मुद्रा विनिमय दरों बन गया। यह इतिहास में मुद्रा विनिमय की पहली मानकीकृत साधन के रूप में चिह्नित। हालांकि, मैं विश्व युद्ध के सोने के मानक प्रणाली देशों की आर्थिक नीतियों, जो सोने के मानक के स्थिर विनिमय दर प्रणाली से विवश नहीं किया जाएगा आगे बढ़ाने की मांग की के रूप में की एक टूटने का कारण बना.

जुलाई 1944 में मित्र राष्ट्रों से 700 से अधिक प्रतिनिधियों के लिए एक मौद्रिक प्रणाली है जो अंतर को सोने के मानक के पीछे छोड़ दिया भरना होगा के महत्व को आगे लाया। वे ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर में एक बैठक की व्यवस्था की, एक प्रणाली है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार के प्रकार मुद्रा प्रबंधन की ब्रेटन वुड्स प्रणाली बुलाया जाएगा स्थापित करने के लिए। ब्रेटन वुड्स प्रणाली के निर्माण के स्थिर विनिमय दर के गठन के लिए नेतृत्व के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका के सोने की एक औंस के लिए $ 35 के बराबर और अन्य देशों के संदर्भ में अमेरिकी डॉलर के मूल्य में परिभाषित डॉलर के लिए अपनी मुद्राओं आंकी। अमेरिकी डॉलर के मुख्य आरक्षित मुद्रा और केवल मुद्रा है कि सोने से समर्थन प्राप्त हुआ। हालांकि, 1970 में अमेरिका स्वर्ण भंडार इसलिए समाप्त हो गया है कि यह असंभव था अमेरिकी कोष सभी विदेशी केंद्रीय बैंकों द्वारा आयोजित भंडार को कवर करने के लिएs.

अगस्त 1971 में अमेरिका ने घोषणा की कि यह होगा कि अमरीकी डॉलर विदेशी केंद्रीय बैंकों रिजर्व .इस में था के लिए अब कोई विदेशी मुद्रा सोने ब्रेटन वुड्स प्रणाली के अंत और विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग सिस्टम की शुरुआत थी.

विदेशी मुद्रा बाजार व्यापार सत्र

मुद्रा विनिमय बाजार कभी नहीं सोता है, और उद्धरण लगातार बदलते हैं । सप्ताह में पांच दिन घड़ी के आसपास यही एकमात्र बाजार खुला रहता है। मुद्राओं की बड़ी मात्रा ज्यूरिख, हांगकांग, न्यूयॉर्क, टोक्यो, फ्रैंकफर्ट, लंदन, सिडनी, पेरिस और अन्य वैश्विक वित्तीय केंद्रों में अंतरराष्ट्रीय इंटरबैंक बाजार पर कारोबार कर रहे हैं । इसका मतलब यह है कि इंटरबैंक बाजार हमेशा खुला रहता है-जब दुनिया के एक हिस्से में वर्किंग डे खत्म होता है, तो दूसरे गोलार्द्ध में बैंकों ने पहले ही अपने दरवाजे खोल दिए हैं और व्यापार चल रहा है.

कोई समय सीमा नहीं - एक व्यस्त काम कार्यक्रम वाले व्यापारियों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण शर्त। उन्हें इंटरबैंक बाजार पर व्यापार सत्रों के खुलने और बंद होने के घंटों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और वे कभी भी अपने व्यापार की व्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि यह विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए कोई फर्क नहीं पड़ता है जो बैंक उनके लेनदेन के लिए तरलता प्रदान करता है.
लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार तरलता दिन के दौरान बदल सकते हैं, जो समय क्षेत्र बैंकों के आधार पर इस समय काम कर रहे है (जब तरलता गिर जाता है, फैलता है और मूल्य परिवर्तन की गति धीमा) । उदाहरण के लिए, जापानी येन के साथ जोड़े जापानी बैंकों के काम के समय के दौरान सबसे अधिक तरल हो जाएगा.

नीचे आप इंटरबैंक बाजार (यानी उच्च तरलता की अवधि) पर व्यापार सत्रों के उद्घाटन और समापन घंटे पा सकते हैं, जो प्रत्येक समय क्षेत्र के सबसे बड़े बैंकों के शुरुआती घंटों द्वारा निर्धारित होते हैं.

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