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मूल्य अस्थिरता

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भारत ने रूस के साथ वैश्विक तेल मूल्य अस्थिरता के मुद्दे को उठाया

02 September 2019 Current Affairs: भारत ने रूस के साथ वैश्विक तेल बाजार मूल्य अस्थिरता का मुद्दा उठाया जो उपभोग और उत्पादक दोनों देशों के हितों को चोट पहुंचा रहा है। यह रूस के ऊर्जा मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक के साथ बैठक में भारत के तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा व्यक्त किया गया था।

भारत ने अपने लंबे समय के सहयोगी रूस से पेट्रोलियम निर्यातक देशों (ओपेक) के संगठन के साथ अपनी सगाई के दौरान ऊर्जा की खपत करने वाले देशों के हित को ध्यान में रखने का आग्रह किया।
वे पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ एक जिम्मेदार और उचित मूल्य रखने के मामले में वैश्विक तेल बाजार को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ओपेक और उसके सहयोगियों द्वारा काटे गए किसी भी उत्पादन का ऊर्जा बाजारों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, यह देखते हुए कि ओपेक वैश्विक उत्पादन का लगभग 40% है। देश के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 83% ओपेक खाते के कारण भारत पर इसका एक विशेष परिणाम होने की उम्मीद है।

भारत - व्यापार
भारत चीन के साथ जिम्मेदार मूल्य निर्धारण पर वैश्विक सहमति का आह्वान करता है और भारत तेल आपूर्ति के लिए सामूहिक रूप से मोलभाव करने के लिए खरीदारों को बनाने के लिए ऊर्जा पर एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऊर्जा संपन्न ईरान के साथ 2015 के ऐतिहासिक समझौते से अपने देश को खींच लिया, जो प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए जुड़ा था। वेनेजुएला और भू-राजनीतिक तनावों में गिरते उत्पादन ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा की कीमतों में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की व्लादिवोस्तोक की आसन्न यात्रा पूर्वी आर्थिक मंच और साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन। यह दोनों देशों के नेताओं के बीच वर्ष 2000 के बाद से 20 वीं शिखर बैठक है जब तंत्र को संस्थागत रूप दिया गया था।
दोनों पक्षों ने पूर्वी आर्थिक मंच के लिए तेल और गैस क्षेत्र में सहयोग के लिए एक रोडमैप और कार्य योजना और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच 20 वें वार्षिक द्विपक्षीय मूल्य अस्थिरता शिखर सम्मेलन सहित ठोस सिफारिशों का प्रस्ताव करने पर सहमति व्यक्त की।
यह रूस पर प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी है, जहां भारत महत्वपूर्ण हाइड्रोकार्बन परिसंपत्तियों में दांव का मालिक है। भारतीय फर्मों ने रूस में हाइड्रोकार्बन संपत्ति में दांव लगाने में 10 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
मोदी की यात्रा को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ गोवा, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने 140 सदस्यीय मजबूत भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ दौरा किया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices -MSPs)

GS Paper 2 and 3:
विषय: केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन।
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली – उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

संदर्भ: हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की है।

MSP के विषय में :

यह क्या है?

सिद्धांत रूप में, MSP सरकार द्वारा निर्धारित वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर किसान अपनी उपज बेचने की उम्मीद कर सकते हैं। जब बाजार की कीमतें घोषित एमएसपी से नीचे आती हैं, तो खरीद एजेंसियां फसल की खरीद के लिए कदम आगे बढ़ाती हैं और कीमतों का समर्थन करती हैं।

कौन घोषणा करता है?

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर प्रत्येक बुवाई के मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए MSP की घोषणा करती है। CACP, MSPs को तय करते समय मांग और आपूर्ति के साथ बाजार में उत्पादन और मूल्य की प्रवृत्ति को ध्यान में रखता है।

यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

मूल्य अस्थिरता किसानों के जीवन को कठिन बनाती है। हालांकि बम्पर उत्पादन के वर्षों के दौरान लघु आपूर्ति में कृषि वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, वही वस्तुओं की कीमतों में गिरावट भी आ सकती है। एमएसपी यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को प्रतिकूल बाजारों में उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य मिले। एमएसपी का उपयोग सरकार द्वारा किसानों को उन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक उपकरण के रूप में भी किया गया है जो कम आपूर्ति में हैं।

मूल्य अस्थिरता

एक्ज़िम बैंक का पूर्वानुमान, भारत का वस्तु निर्यात वित्तीय वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा तथा गत वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले इस तिमाही में भारत का गैर-तेल निर्यात 7.2 प्रतिशत बढ़ेगा

भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) ने वित्तीय वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूमबर-दिसम्बर 2018 के दौरान, पिछले वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले भारत के कुल वस्तु निर्यातों में 7 प्रतिशत (77 अरब यू एस डॉलर से 82.39 अरब यू एस डॉलर की वृद्धि) तथा गैर-तेल निर्यातों में 7.2 प्रतिशत (66.65 अरब यू एस डॉलर से 71.45 अरब यू एस डॉलर) की वृद्धि होने का पूर्वानुमान लगाया है। यह पूर्वानुमान एक्ज़ि्‍म बैंक के एक्सपोर्ट लीडिंग इंडेक्सर (ई एल आई) मॉडल पर आधारित हैं, जिसमें निरंतर वृद्धि देखी गई है। भारत के कुल वस्तु निर्यातों और गैर-तेल निर्यातों में वृद्धि का पूर्वानुमान हर तिमाही आधार पर संबंधित तिमाही के लिए जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा और इस मॉडल में भी निरंतर सुधार का प्रयास किया जाता रहेगा। जनवरी-मार्च 2019 तिमाही के लिए भारत के निर्यातों में वृद्धि का अगला पूर्वानुमान मार्च 2019 के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा।

अपने शोध प्रयासों की कड़ी में एक्ज़िं‍म बैंक भारत के निर्यातों का तिमाही आधार पर ट्रैक रखने तथा वृद्धि में पूर्वानुमान के लिए एक्स़पोर्ट मूल्य अस्थिरता लीडिंग इंडेक्स (ई एल आई) तैयार करने हेतु विकसित यह इन-हाउस मॉडल है। यह इंडेक्स देश के निर्यातों पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न बाह्य एवं घरेलू कारकों को ध्यान में रखते हुए कुल वस्तु एवं गैर-तेल निर्यातों में तिमाही आधार पर वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक प्रमुख संकेतक के रूप में विकसित किया गया है।

एक्ज़िम बैंक द्वारा अपने निरंतर शोध प्रयासों की कड़ी में भारत के निर्यातों का तिमाही आधार पर ट्रैक रखने तथा वृद्धिमें पूर्वानुमान के लिए एक्सतपोर्ट लीडिंग इंडेक्सर (ई एल आई) तैयार करने हेतु यह इन-हाउस मॉडल विकसित किया गया है। इस इंडेक्स को देश के निर्यातों पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न बाह्य एवं घरेलू कारकों को ध्या न में रखते हुए इस मॉडल को देश के वस्तुक निर्यातों में तिमाही आधार पर वृद्धिन का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक प्रमुख संकेतक के रूप में विकसित किया गया है।

विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें-

श्री डेविड सिनाटे, मुख्य महाप्रबंधक/ डॉ. विश्वंनाथ जंध्या ला, मुख्यख प्रबंधक, शोध एवं विश्लेिषण समूह,

भारतीय निर्यात-आयात बैंक, केन्द्रक एक भवन,

21वीं मंजिल, विश्वn व्यापार केन्द्र संकुल, कफ़ परेड, मुम्बुई 400005

टेलीफोनः +91-22-2217 2701/ 2708/ 2711

फैक्सःन (022) 22182572

डिस्क्लेमरः उपर्युक्त परिणाम नीति निर्माताओं, शोधार्थियों और निर्यातकों के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। ये पूर्वानुमान एक्ज़िम बैंक के शोध एवं विश्लेषण समूह द्वारा तैयार किए गए हैं। इसे एक्ज़िम बैंक की राय न माना जाए। एक्स़पोर्ट लीडिंग इंडेक्सस (ई एल आई) से प्राप्त तिमाही के लिए वृद्धि पूर्वानुमान वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमोडिटी मूल्य अस्थिरता और कुछ प्रमुख विकसित और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपनाए गए व्यापार सुरक्षा उपायों सहित मुख्य रूप से हालिया घटनाओं से उत्पन्न अनिश्चितताओं के अधीन हो सकते हैं।अद्यतन डाटा में सुधार, उन्नत पूर्वानुमान पद्धतियां तथा विभिन्न तिमाहियों में प्राप्त टिप्पणियों, सुझावों और फीडबैक को शामिल करते हुए इस मॉडल में लगातार सुधार किया जाता रहेगा। वास्तविक निर्यात डाटा भारतीय अर्थव्यवस्था पर आरबीआई के आंकड़ों से लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त कमेटी के चारों सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक, जानें उनके बारे में

सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच विवाद को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है जिनमें चार सदस्य हैं. ये चारों सदस्य केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के समर्थक हैं.

पैनल के सभी चारों सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक (फाइल फोटो-PTI)

आनंद पटेल

  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2021,
  • (अपडेटेड 12 जनवरी 2021, 9:33 PM IST)
  • विवाद सुलझाने को कमेटी का गठन
  • इस कमेटी में चार सदस्य शामिल हैं
  • कमेटी के सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक

सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच विवाद सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जिनमें चार सदस्य हैं. ये चारों सदस्य केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के समर्थक हैं.

इनमें से एक अनिल घनवंत हैं, जो शतकरी संगठन के अध्यक्ष हैं. वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधारों के प्रबल समर्थक हैं.

कमेटी के दूसरे सदस्य भूपिंदर सिंह मान हैं. पंजाब के पूर्व राज्यसभा सांसद और भारतीय किसान यूनियन (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने पिछले साल सितंबर में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए कृषि कानूनों में संशोधन का सुझाव दिया था.

वहीं डॉ. अशोक गुलाटी कृषि विशेषज्ञ हैं जबकि डॉ. प्रमोद कुमार जोशी कृषि वैज्ञानिक हैं. डॉ. अशोक गुलाटी और डॉ. प्रमोद जोशी दोनों ही केंद्र के तीन कृषि सुधारों के प्रबल समर्थक हैं.

आइए कमेटी के चारों सदस्यों के बारे में जानें

अनिल घनवंत, शतकरी संगठन के अध्यक्ष

सुप्रीम कोर्ट में किसान संघ के प्रतिनिधि शतकरी संगठन के अनिल घनवंत खुले तौर पर केंद्र के कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं. दिसंबर 2020 में शतकारी संगठन ने चेतावनी दी थी कि अगर केंद्र ने नए कानूनों को वापस ले लिया, तो भविष्य में कोई भी राजनीतिक दल कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की हिम्मत नहीं करेगा. शतकरी संगठन को स्वर्गीय शरद जोशी ने स्थापित किया था.

मीडिया से बात करते हुए अनिल घनवंत ने कहा, 'एपीएमसी और एमएसपी सिस्टम जारी रहेगा और आंदोलन करने का कोई मतलब नहीं है. आंदोलनकारी किसान एपीएमसी और एमएसपी सिस्टम गारंटी की मांग कर रहे हैं.'

अनिल घनवंत ने कहा, ' कृषि कानूनों को भंग करने की मांग पूरी तरह से गलत है. आंदोलनकारी किसान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जिस प्रणाली ने किसानों को इन सभी को समाप्त करने के लिए मजबूर किया है उसे जारी रखा जाना चाहिए.'

भूपिंदर सिंह मान

पंजाब के किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान BKU (मान) के अध्यक्ष हैं. वह अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (AIKCC) के अध्यक्ष भी हैं. एआईसीसी के सदस्यों ने पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी और कुछ संशोधनों के साथ कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था. यह भी सुझाव दिया था कि जिन राज्यों में किसान विरोध कर रहे मूल्य अस्थिरता हैं उन्हें कृषि सुधारों से बाहर रखा जाना चाहिए और अन्य सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए. दिलचस्प बात यह है कि बीएस मान ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए थे.

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हालांकि, भूपिंदर सिंह मान ने पिछले साल सितंबर में पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में तीनों कृषि कानूनों में बदलाव पर विचार करने का आग्रह किया गया था और कहा गया था कि मौजूदा रूप में कानून किसानों के लिए मददगार साबित नहीं होगा.

डॉ. अशोक गुलाटी, प्रख्यात कृषिविद

डॉ. अशोक गुलाटी एक प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री हैं. वह कृषि क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पहचाने जाते हैं. वह खाद्य आपूर्ति और मूल्य नीतियों पर भारत सरकार के सलाहकार निकाय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं. डॉ. गुलाटी भी तीनों कृषि कानूनों के प्रबल समर्थक हैं. डॉ अशोक गुलाटी ने अपने एक लेख में लिखा है कि कृषि कानून मूल्य अस्थिरता सही दिशा में एक कदम है. उन्होंने तर्क दिया कि इस सुधार से किसानों की उपज का उचित मूल्य मिलेगा.

एक अन्य लेख में डॉ. गुलाटी ने लिखा कि नए कृषि कानून स्टोरेज में निजी निवेश को प्रोत्साहित करेंगे. इस प्रकार अपव्यय को कम करने और मौसमी मूल्य अस्थिरता को कम करने में मदद मिलेगी.

डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक (साउथ एशिया) डॉ. प्रमोद कुमार जोशी प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक हैं. वह भी नए कृषि कानूनों के प्रबल समर्थक हैं.

अपने हालिया लेखों में डॉ. जोशी ने कहा था कि नए कानून किसानों को वैकल्पिक मार्केंटिंग के अवसर मुहैया कराते हैं. इन कानूनों से केवल व्यापारी और बिचौलिये ही प्रभावित होंगे जो ज्यादातर पंजाब और हरियाणा में हैं. वह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के भी प्रबल समर्थक हैं और यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि जो किसान आंदोलन का हिस्सा हैं, वे गलत सूचना के शिकार हैं. सरकार मूल्य अस्थिरता को प्रदर्शनकारी किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए प्रभावी संचार रणनीति बनानी चाहिए.

कमेटी कैसे करेगी काम

इस कमेटी को सरकार द्वारा दिल्ली में एक स्थान के साथ-साथ सचिवीय सहायता प्रदान की जाएगी. समिति के लिए दिल्ली या कहीं और बैठक आयोजित करने का सारा खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. सभी किसानों के निकायों के प्रतिनिधि, चाहे वे कोई विरोध प्रदर्शन कर रहे हों या नहीं और वे कानूनों का समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं. कमेटी के विचार-विमर्श में भाग लेंगे और अपने मूल्य अस्थिरता विचार बिंदुओं को सामने रखेंगे. कमेटी सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों की सुनवाई के बाद, इस न्यायालय मूल्य अस्थिरता के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी जिसमें उनकी सिफारिशें होंगी. यह पहले बैठने की तारीख से दो महीने के भीतर किया जाएगा.

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