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विदेशी मुद्रा लिंक और उपकरण

विदेशी मुद्रा लिंक और उपकरण

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश की मौद्रिक व्यवस्था का प्रबंध कैसे करती है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम,1934 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी. RBI को नोट जारी करने और उन्हें वाणिज्यिक बैंकों की मदद से देश की अर्थव्यवस्था में पहुँचाने का काम करती है. नोटों को जारी छापने के लिए रिजर्व बैंक; न्यूनतम रिजर्व प्रणाली (Minimum Reserve System) को अपनाता है.

RBI का संक्षिप्त इतिहास

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी। रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय शुरुआत में कलकत्ता में खोला गया था लेकिन 1937 में इसे स्थायी रूप से बॉम्बे ले जाया गया.

आरबीआई देश की सर्वोच्च मौद्रिक संस्था है, यह नोटों (एक रुपये को छोड़कर) का मुद्रण करती है और देश के वाणिज्यिक बैंकों को वितरित करती है। इसलिए आर. बी. आई. पूरी अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति का निर्णय करती है.

RBI का गठन किया गया था–

  • अर्थव्यवस्था में मुद्रा का मुद्रण और वितरण सुनिश्चित करना।
  • ‘बैंकों के बैंक’ के तौर पर काम करने के लिए।
  • विदेशी मुद्रा के संरक्षक के तौर पर काम करने और वित्तीय मामलों में केंद्र एवं राज्य सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए।

आरबीआई की प्रस्तावना (Preamble of the RBI):

भारतीय रिजर्व बैंक की प्रस्तावना में रिजर्व बैंक के मूल कार्यों को इस प्रकार वर्णित किया गया हैः

" …बैंक नोटों के मुद्दे को विनियमत करना और भारत में मौद्रिक स्थिरता हासिल करने की दृष्टि से भंडार बनाए रखना एवं देश के लाभ को ध्यान में रखते हुए इसकी मुद्रा एवं साख प्रणाली का संचालन करना। "

संगठनात्मक संरचनाः केंद्रीय निदेशक बोर्ड (Organisation Structure):

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आर.बी.आई. के मुख्य कार्य:

1. नोटों को जारी करनाः देश में नोटों को जारी करने के मामले में रिजर्व बैंक का एकाधिकार है। इसके पास एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी मूल्यवर्ग के नोटों को जारी करने का एकमात्र एकाधिकार है। चूंकि वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाने वाला एक रुपये का नोट भी इसके माध्यम से वितरित होता है, इसलिए रिजर्व बैंक वैध निविधा धन के एकमात्र स्रोत के तौर पर भी काम करता है। नोट के मामले के लिए रिजर्व बैंक न्यूनतम भण्डारण प्रणाली (Minimum Reserve System) को अपनाता है। वर्ष 1957 से इसने 200 करोड़ रुपयों के स्वर्ण और विदेशी मुद्रा का भंडार हमेशा बनाए रखा है जिसमें से कम– से– कम करीब 115 करोड़ रुपये का स्वर्ण भंडार होना चाहिए।

2. सरकार का बैंकरः रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार के लिए बैंकर, एजेंट और सलाहकार के तौर पर काम करना है। यह राज्य एवं केंद्र सरकार के सभी बैंकिंग कार्यों को करता है और यह उपयोगी भी है।

जिस प्रकार सामान्य बैंक अपने ग्राहकों के लिए काम करते हैं उसी प्रकार बैंकरों का बैंक– रिजर्व बैंक भी काम करता है। यह न सिर्फ वाणिज्यिक बैंकों का बैंकर है बल्कि यह अंतिम ऋणदाता भी है।

3. साख का नियंत्रकः रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा बनाए गई साख को नियंत्रित करने की भी जिम्मेदारी लेता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए देश में साख को कुशलता से नियंत्रित और विनियमित करने के लिए यह मात्रात्मक एवं गुणात्मक तकनीकों का व्यापक प्रयोग करता है।

4. विदेशी मुद्रा भंडार का अभिरक्षकः विदेशी विनिमय दरों को स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक विदेशी मुद्राओं को बेचता और खरीददता है। साथ ही यह देश के विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण भी करता है।

5. अन्य कार्यः बैंक कई प्रकार के विकासात्मक कार्य भी करता है। इनमें शामिल हैं– कृषि के लिए ऋण की व्यवस्था हेतु निकासघर का कार्य व्यवस्थित करना, आर्थिक आंकड़े एकत्र और प्रकाशित करना, सरकारी प्रतिभूतियों एवं व्यापार बिलों की खरीद– फरोख्त, मूल्यवान वस्तुओं की सरकारी खरीद–बिक्री के लिए ऋण प्रदान करना आदि। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता है और भारत की सदस्या का प्रतिनिधित्व करता है।

देश के मौद्रिक बाजारों का प्रबंध रिजर्व बैंक कैसे करता है?

देश के मौद्रिक बाजार को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई दो प्रकार के उपकरणों का प्रयोग करता हैः

(i) मुक्त बाजार संचालन

(ii) छुट दर या बैंक दर

(iii) नकद आरक्षित अनुपात (कैश रिजर्व रेश्यो)

(i) मुक्त बाजार संचालन (ओएमओ): इस पद्धति के तहत आरबीआई मुक्त बाजार में सरकारी प्रतिभूतियां और ट्रेजरी बिलों की खरीद– बिक्री करता है। जब आरबीआई मुद्रास्फीति या बाजार में पैसे की आपूर्ति को कम करना चाहता है तो यह सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों को वित्तीय संस्थानों को बेच देता है और इसका विपरीत।

(ii) छूट दर या बैंक दरः वह दर जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को पैसे उधार देती है। जब आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बाजार में पैसे की आपूर्ति कम करना चाहती है तो यह बैंक दर को बढ़ा देती है ताकि उधार लेना सभी उधारकर्ताओं (संस्थानों) के लिए महंगा हो जाए।

(iii) नकद आरक्षित अनुपात (कैश रिजर्व रेश्यो– सीआरआर): यह वह पैसा होता है जिसे वाणिज्यिक बैंकों ने आरबीआई में जमा कराया होता है। जब आरबीआई यह देखती है कि बाजार में अत्यधिक पैसा आने की वजह से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति बढ़ गई है तो मुद्रास्फीति को रोकने के लिए आरबीआई सीआरआर बढ़ा देती है ताकि वाणिज्यिक बैंकों के पास उधार देने के लिए कम पैसे बचें।

(i) क्रेडिट राशनिंग

(ii) ऋण मार्जिन में बदलाव

(iii) नैतिक प्रत्यायन

(i) क्रेडिट राशनिंग – इस पद्धति में ( उच्च मुद्रास्फीति के समय) ऋण सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में दिया जाता है जो अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण (उत्पादक उधार देना) होते हैं। अन्य उपाय है, धन की आपूर्ति की जांच के लिए सीमा को बढ़ाने के बाद अन्य ऋणों पर ब्याज का निर्धारण।

(ii) ऋण मार्जिन में बदलावः इस विधि के तहत बैंक गिरवी रखी गई संपत्ति के मान के कुछ प्रतिशत तक ही ऋण देते हैं। गिरवी रखी गई संपत्ति और दिए गए ऋण की धनराशि के बीच का अंतर ऋण मार्जिन कहलाता है।

(iii) नैतिक प्रत्यायनः नैतिक प्रयायन आरबीआई के निर्देशों के अनुरुप वाणिज्यिक बैंकों को ऋण के अग्रिम का भुगतान करने के लिए मनाना है। इस विधि के तहत आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से देश में धन की आपूर्ति के प्रबंधन में सहयोग की बात करता है।

वित्तीय उत्पाद परियोजना निर्यात

हाल के वर्षों में भारतीय परियोजना निर्यातकों ने अपनी प्रतिभा और प्रौद्योगिकी क्षमताओं की बदौलत अनेक संविदाएं हासिल की हैं| एक्ज़िम बैंक भारत से परियोजना निर्यात को प्रोत्साहित करने वाले प्रमुख सूत्रधारों में से एक रहा है| हमने भारतीय कंपनियों को बीते दो दशकों से ज्यादा समय से विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में संविदाएं प्राप्त करने और मेजबान देशों की उनके विकासात्मक लक्ष्य हासिल करने में मदद की है|

हम इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट, निर्माण कार्य (सिविल, मकैनिकल, इलेक्ट्रिकल या इंस्ट्रूमेंटल) जैसे कार्यों के लिए नियमित रूप से सहायता देते रहे हैं| इनमें आपूर्ति संबंधी विशेष उपकरण, निर्माण कार्य और बिल्डिंग मटीरियल, परामर्श, तकनीकी जानकारी, तकनीक अंतरण, डिजाइन, इंजीनियरी (आधारभूत एवं विस्तृत) शामिल हैं| हम मौजूदा या नई परियोजनाओं, संयंत्रों अथवा ऐसी प्रक्रियाओं में भी सहयोग करते हैं, जिन्हें भारत में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मक बिडिंग जैसी प्रक्रियाओं में अतिरिक्त सहयोग की जरूरत होती है| इनमें भारत में बहुपक्षीय निधिक परियोजनाएं भी शामिल हैं|

हम परियोजनाओं और सेवाओं के निर्यात के लिए फंडेड और नॉन फंडेड सुविधाएं प्रदान करते हैं। इसकी निम्न श्रेणियां हैं:

Civil engineering and construction projects

सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण परियोजनाएं:

इनमें सिविल कार्य, स्टील संरचनात्मक कार्य, निर्माण सामग्री और विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं के लिए उपकरणों की आपूर्ति शामिल हैं|

Turnkey projects

टर्न की परियोजनाएं:

इनमें डिजाइन, इंजीनियरिंग, सिविल निर्माण, भवन निर्माण, संयंत्र लगाना और इन्हें परिचालन में लाना, बिजली आपूर्ति एवं वितरण जैसी सेवाओं के साथ उपकरणों की आपूर्ति भी शामिल है|

Technical and Consultancy Service contracts

तकनीकी और परामर्शी सेवा संविदाएं:

इसमें तकनीकी ज्ञान, कौशल, कार्मिकों के प्रशिक्षण संबंधी सेवाएं शामिल हैं| सेवा संविदाओं के कुछ उदाहरण हैं: परियोजना क्रियान्वयन सेवाएं, प्रबंधन सेवाएं, संयंत्र स्थापना चरण में पर्यवेक्षण, सॉफ्टवेयर निर्यात में सी ए डी / सी ए एम सॉल्यूशन, लेखांकन एवं वित्तपोषण प्रणाली|

Supplies

आपूर्तिः

आपूर्ति संविदाओं में पूंजीगत माल और औद्योगिक माल का निर्यात शामिल है| आपूर्ति संविदाओं के कुछ उदाहरण हैं: स्टेनलैस स्टील के स्लैब और फेरो-क्रोम विनिर्माण उपकरण, डीजल जनरेटर, पंप और कंप्रेसर|

निधिक (फंडेड) सुविधाएं

Pre shipment credit

प्री शिपमेंट ऋण

(निर्यात करने से पूर्व ऋण) यह वह ऋण है जो कंपनी को विनिर्माण चरण में पर्याप्त वित्त उपलब्ध कराने के लिए दिया जाता है| यह ऋण भारतीय और विदेशी दोनों मुद्राओं में प्रदान किया जाता है| ऐसी ऋण सुविधा से निर्यातकों को कच्चा माल और अन्य सामग्री खरीदने में मदद मिलती है| साथ ही निर्माण कार्य या टर्न-की परियोजनाओं के लिए रुपया अथवा विदेशी मुद्रा जुटाने में भी मदद मिलती| हम निर्यात उत्पादन के लिए माल तैयार करने हेतु कच्चे माल तथा अन्य सामग्री के आयात के लिए भी विदेशी मुद्रा में प्री शिपमेंट ऋण सुविधा उपलब्ध कराते हैं|

Post shipment credit

पोस्ट शिपमेंट ऋण

(निर्यात पश्चात ऋण) यह माल के निर्यात हो जाने के बाद निर्यात बिल पर दी जाने वाली विदेशी मुद्रा लिंक और उपकरण ऋण सुविधा है। इस सुविधा के जरिए भारतीय निर्यातक माल पहुंच जाने के बाद के चरण में अपने आयातक को मियादी ऋण प्रदान कर पाता है। ऐसी सुविधाएं हम खुद या वाणिज्यिक बैंकों के सहयोग से मुहैया कराते हैं|

पात्रता:

भारतीय उत्पादक और परियोजना निर्यातक निर्यात व्यापार संबंधी अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए इन सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं|

इन सुविधाओं में भारतीय मशीनरी और इंजीनियरी माल का निर्यात एवं संबंधित सेवाएं शामिल हैं|

हमारी सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए निम्न में से कोई भी प्रतिभूति (सिक्योरिटी) दी जा सकती है:

शेयरधारक या निदेशक की गारंटी

ग्राहकों की चल और / या अचल आस्तियों पर प्रभार

बीमा पॉलिसी, करारों, संविदा प्राप्तियों, अधिकारों और लाभों का समनुदेशन

बैंक को स्वीकृत कोई अन्य प्रतिभूति

निर्यात परियोजना नकदी प्रवाह घाटा वित्त (ई पी सी डी एफ)

यह सुविधा उन भारतीय परियोजना निर्यातकों को उपलब्ध कराई जाती है जो विदेशों में परियोजना निर्यात संबंधी संविदाएं करते हैं| भारतीय रुपये और विदेशी मुद्रा दोनों में उपलब्ध यह सुविधा परियोजना के निर्माण चरण में नकदी की कमी से निपटने में निर्यातकों की मदद करती है|

पात्रता:

डीम्ड एक्सपोर्ट के लिए हमारी वित्त सुविधा के अंतर्गत निम्नलिखित इकाइयां ऋण ले सकती हैं:

ऐसी भारतीय कंपनियां जो भारत में बहुपक्षीय वित्तीय एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित संविदाएं क्रियान्वित कर रही हों|

ऐसी संविदाएं, जिनके लिए विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत निर्यात लाभ उपलब्ध हों|

गैर निधिक (नॉन फंडेड) सुविधाएं

NON FUNDED FACILITIES

भारतीय कंपनियां अपनी निर्यात संविदाओं या डीम्ड एक्सपोर्ट संविदाओं को सुगम बनाने के लिए गैर निधिक सुविधाएं हासिल कर सकती हैं|

अग्रिम भुगतान गारंटी (ए पी जी):

इससे परियोजना की तैयारी के लिए संविदा मूल्य की 10-20 प्रतिशत राशि अग्रिम रूप में मिल जाती है| वस्तुतः यह एक गारंटी है, जिसे परियोजना निर्यातकों को जारी किया जाता है| आमतौर पर इसे परियोजना क्रियान्वयन के दौरान हुए भुगतान से समानुपातिक आधार पर वसूला जाता है।

निष्पादन गारंटी (पी जी) :

निर्यातक संविदा मूल्य की 5-10 फीसदी तक की निष्पादन गारंटी हासिल कर सकता है। यह मेंटेनेंस अवधि के पूरा होने और/ या विदेशी ग्राहक द्वारा अंतिम स्वीकृति प्रमाणपत्र (एफ ए सी) प्रदान किए जाने तक वैध होती है।

प्रतिधारण राशि की गारंटी (आर एम जी):

इसके जरिए निर्यातक ग्राहक से रुका हुआ भुगतान पाने में सक्षम होते हैं। वह भी परियोजना स्वीकृति प्रमाणपत्र (पी ए सी) / अंतिम स्वीकृति प्रमाणपत्र (एफ ए जी) जारी होने से पहले।

अन्य गारंटियां :

उदाहरण के लिए सीमा शुल्क के एवज में या प्रवासी श्रमिकों, उपकरणों आदि के लिए दी गई जमानत राशि के लिए दी जाने वाली गारंटी।

पात्रता:

विदेशों में या भारत में समनिर्यात (डीम्ड) एक्सपोर्ट संविदाएं हासिल करने वाले भारतीय परियोजना निर्यातक।

Prepaid Forex Travel Card

थॉमस कुक के सीमाहीन प्रीपेड मल्टी करेंसी कार्ड स्मार्ट कार्ड के रूप में आपकी विदेशी मुद्रा संबंधी सारी जरूरतों को पूरा करते हैं। यह एक साधारण कार्ड है जो बड़ी आसानी से आपकी जेब में आ जाता है और आपको एक यात्री के रूप में खर्च करने की ताकत देता है। इससे कोई अंतर नहीं होता कि आप किस देश कि यात्रा कर रहे हैं, इस कार्ड कि मदद से आप न केवल अपनी मांसपसंद ख़रीदारी कर सकते हैं बल्कि एटीएम से पैसा भी निकाल सकते हैं। इस कार्ड से ख़रीदारी करते समय आपको बिलकुल अपने घर जैसा आराम से काम कर सकते हैं। फोरेक्स कार्ड कि सुविधाओं में इस कार्ड का आप घर बैठे खरीद सकते हैं और यह आपके घर पर पहुंचाना भी शामिल है। या फिर आप थॉमस कुक कि किसी नजदीकी ब्रांच में जाकर ज़रूरी जानकारी देकर भी यह प्राप्त कर सकते हैं।

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वन करेंसी कार्ड

वन करेंसी कार्ड आपको बढ़ी हुई दर पर मुद्रा कनवर्ज़न चार्ज से सुरक्शित करते हैं। विदेश यात्रा पर जाते समय यदि होटल और फ्लाइट पर अच्छी डील मिल जाती है तो विदेश यात्रा कि लागत कम हो जाती है। इस लागत को आप विदेशी मुद्रा विनिमय पर भी बचा सकते हैं। थॉमस कुक ने मास्टर कार्ड के साथ मिलकर सस्ती दर पर यात्रा करेंसी कार्ड कि व्यवस्था करता है जिससे आपकी यात्रा बिना परेशानी के सम्पन्न हो सकती है। इसके साथ ही यह कार्ड आपको विदेश यात्रा करते समय विभिन्न देशों में जाने पर मुद्रा विनिमय शुल्क से भी बचाव करता है जो सामान्य रूप में 3% से 4% तक हो सकता है। थॉमस कुक का वर्षों का अनुभव विश्व स्तर कि सुविधाएं देने में दक्ष हो गया है। तो बिना देर किए अपनी यात्रा के अनुभव को सुखमय बनाएँ और थॉमस कुक के साथ फोरेक्स कार्ड लेकर अपने आनंद को दुगुना कर दें। विदेश यात्रा को सुखमय बनाने के लिए उपयोगी टिप्स ज़रूर पढ़ें।

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सीमाहीन प्रीपेड कार्ड के लाभ

स्मार्ट

  • एक ही कार्ड में नौ करेंसी तक लोड करी जा सकती हैं
  • 35.2 लाख व्यावसायिक संस्थानों और 2.2 लाख एटीएम में प्रयोग किए जा सकता है
  • एक ट्रिप का बचा हुआ फंड दूसरे ट्रिप में इस्तेमाल करें या विदेश में कैश की कमी होने पर एटीएम से फंड निकाल लें
  • पहले से ही करेंसी को लोड करवाने से करेंसी के उतार-चड़ाव से पूरी तरह से अप्रभावित

सुरक्शित:

  • चिप और पिन द्वारा सुरक्शित
  • आपके बैंक एकाउंट से लिंक नहीं
  • कार्ड के खोने या चोरी होने पर मुफ्त रिप्लेस्मेंट
  • एसएमएस और ईमेल अलर्ट

सुविधाजनक

  • ज़ीरो शुल्क पर बैकअप कार्ड मिल सकता है
  • कार्ड के खोने और चोरी होने पर कार्ड की रिप्लेस्मेंट मुफ्त
  • भारत में बैलेंस जानने की सुविधा
  • ऑल पॉइंट नेटवर्क एटीएम में कोई सरचार्ज नहीं
  • 10,000 अमरीकी डॉलर तक बीमा सुविधा
  • जेट एयरवेज और ताज इनर सर्किल में लोयल्टी प्रोग्राम को रीडिम करने की सुविधा
  • बैलेंस चेक करना, स्टेटमेंट देखना, पिन चेक करना या कार्ड को ब्लॉक करने के लिए कस्टमर पोर्टल की सुविधा

ग्राहक सहायता

  • भारत में पूरी तरह समर्पित टोल फ्री नंबर
  • 24*7 भौगोलीय ग्राहक सहायता सुविधा
  • इमरजेंसी सेवा

आवश्यक डोक्यूमेंट्स

ग्राहक सहायता

करेंसी कार्ड को रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और फेमा नियमन के अनसार ही किया जाना चाहिए। ट्रेवल करेंसी कार्ड का प्रयोग रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और फेमा नियमन के अनसार ही किया जाना चाहिए। कार्ड में विदेशी मुद्रा को भरवाते समय विदेशी मुद्रा प्रबंधन एक्ट 1999 और इस संबंध में आरबीआई के नियमों को ध्यान में रखा जाता है।

करेंसी कार्ड को रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और फेमा नियमन के अनसार ही किया जाना चाहिए। ट्रेवल करेंसी कार्ड का प्रयोग रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और फेमा नियमन के अनसार ही किया जाना चाहिए। कार्ड में विदेशी मुद्रा को भरवाते समय विदेशी मुद्रा प्रबंधन एक्ट 1999 और इस संबंध में आरबीआई के नियमों को ध्यान में रखा जाता है।

संबन्धित पूछे जाने वाले प्रश्न

  • फोरेक्स कार्ड क्या है

फोरेक्स कार्ड एक प्रकार का प्रीपेड कार्ड होता है जिसका प्रयोग विदेशी मुद्रा के रूप में भुगतान करने या पैसा निकालने के लिए किया जाता है। आप इस कार्ड का प्रयोग उस डेबिट कार्ड के रूप में भी कर सकते हैं जो आपके एकाउंट से लिंक किया गया है। फोरकेस कार्ड पर ज़ीरो या न्यूनतम शुल्क लिया जा सकता है।

फेमा अधिनियम के अनुसार, सीमाहीन प्रीपेड कार्ड और वन करेंसी कार्ड का उपयोग विदेशी मुद्रा के रूप में पैसा निकालने या भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। इस कार्ड को नेपाल, भारत और भूटान में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन देशों के अतिरिक्त किसी अन्य देश में वेबसाइट के रजिस्टर्ड होने के कारण आप इस कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

आपको प्रचलित बाज़ार दर और मूल्य पर विदेशी मुद्रा सरलता से प्राप्त हो सकती है। प्रीपेड फोरेक्स कार्ड आपको पहले से लेने पर आसान बाज़ार दर को लॉक करने कि सुविधा देता है।

जी हाँ, प्रीपेड फोरेक्स का एक निश्चित वैध समय होता है। थॉमस कुक सीमाहीन मल्टी करेंसी कार्ड 5 वर्ष के लिए और वन करेंसी कार्ड 3 वर्ष के लिए वैध होता है।

थॉमस कुक में प्रीपेड फोरेक्स कार्ड के लिए कोई वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क नहीं दिया जाता है। लेकिन यदि छह माह विदेशी मुद्रा लिंक और उपकरण तक इस कार्ड से कोई लेन देन करते हैं तो आपको अनएक्टिविटी शुल्क देना हो सकता है।

आप अपनी ज़रूरत के अनुसार एक ही फोरकेस कार्ड को एक से अधिक बार प्रयोग कर सकते हैं। जैसे यदि आपके दूसरे ट्रिप में कुछ विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है तब आप वन करेंसी कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन यदि आपको डॉलर के अतिरिक्त कोई और करेंसी लेकर जानी है तब आप बोर्डर्लेस प्रीपेड कार्ड अगर आपके पास नहीं है तो खरीदना पड़ सकता है।

आप या तो थॉमस कुक शाखा में जा सकते हैं या ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। बस 'विदेशी मुद्रा खरीदें' का चयन करें, अपनी वांछित मुद्रा और राशि चुनें। अपने सभी विवरण दर्ज करें और वितरण विकल्प चुनें। भुगतान करें और आप जाने के लिए अच्छे हैं!

थॉमस कुक से विदेशी मुद्रा कार्ड खरीदने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी
• वैध पासपोर्ट
• हवाई टिकट या वीज़ा
• बेसिक ट्रेवल कोटा फॉर्म
• निवास की आज्ञा
• बिजनेस यात्रा की स्थिति में LERMS पत्र

यदि आप अपना विदेशी मुद्रा कार्ड खो देते हैं तो बस निकटतम थॉमस कुक शाखा में जाएं और हम आपको एक नया विदेशी मुद्रा कार्ड प्रदान करेंगे, बिल्कुल मुफ्त। आपका पैसा सुरक्षित रहेगा क्योंकि कार्ड चिप और पिन संरक्षित है।

हाँ तुम कर सकते हो। थॉमस कुक के बॉर्डरलेस प्रीपेड कार्ड के साथ, आप एक विदेशी मुद्रा कार्ड में 8 मुद्राएं लोड कर सकते हैं।

हां, आप किसी भी एटीएम पर अपने विदेशी मुद्रा कार्ड का उपयोग कर सकते हैं जो मास्टर कार्ड स्वीकार करता है।

आप या तो थॉमस कुक की वेबसाइट पर लॉग ऑन कर सकते हैं और पिन बदल सकते हैं या हमारी 24/7 ग्राहक देखभाल सहायता को कॉल कर सकते हैं।

जब आप विदेश में एक मुद्रा कार्ड का उपयोग करते हैं, तो कुछ व्यापारी आपको स्थानीय मुद्रा में बिलिंग के मुकाबले भारतीय रुपये में बिलिंग का विकल्प दे सकते हैं। जिस देश में आप यात्रा कर रहे हैं उससे भिन्न मुद्रा में बिलिंग की यह अवधारणा को डायनामिक मुद्रा रूपांतरण (डीसीसी) कहा जाता है।

थॉमस कुक के कार्ड के साथ आपको थॉमस कुक के ऑल प्वाइंट नेटवर्क (एपीएन) एटीएम में किसी लेनदेन शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। आपसे एटीएम के बैंक द्वारा लेनदेन शुल्क लिया जाएगा यदि आप एटीएम से वापस निकलें जो थॉमस कुक के एपीएन में नहीं है। व्यापारी प्रतिष्ठानों पर, यदि आप अपने देश की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा में भुगतान कर रहे हैं तो आपसे मुद्रा रूपांतरण शुल्क लिया जाएगा।

श्रीलंका संकट: दवाओं की कमी से बन रहे हैं मेडिकल इमरजेंसी के हालात, विदेशी मुद्रा की कमी की इसकी बड़ी वजह

श्रीलंका में खाद्य पदार्थों, ईंधन और दूसरी जरूरी चीजों की कमी की खबरें इस समय दुनिया भर के मीडिया में छाई हुई हैं। इस बीच दवाओं की कमी की खबर ने चिंता और बढ़ा दी है।

श्रीलंका संकट

श्रीलंका का आर्थिक संकट अब जानलेवा बनने के मुकाम पर पहुंच गया है। अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो गई है। अस्पतालों के मुताबिक उन्हें उन उपकरणों की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी आपातकालीन इलाज में जरूरत पड़ती है। इस अभाव का सीधा कारण देश में विदेशी मुद्रा की कमी है। इस कारण दवाओं और जरूरी उपकरणों का आयात नहीं पा रहा है।

श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को कर्ज डिफॉल्ट करने का फैसला किया। यानी उसने एलान कर दिया कि वह तय समयसीमा के अंदर कर्ज और ब्याज को नहीं चुका पाएगी। जानकारों का कहना है कि इस फैसले के बाद श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा हासिल करना और कठिन हो जाएगा। टीवी चैनल अल-जजीरा के मुताबिक अब श्रीलंका सरकार ने अपनी सारी उम्मीदें चीन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर टिका दी हैं, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि अब आईएमएफ बेहत सख्त शर्तों पर ही कर्ज देने को राजी होगा।

श्रीलंका में खाद्य पदार्थों, ईंधन और दूसरी जरूरी चीजों की कमी की खबरें इस समय दुनिया भर के मीडिया में छाई हुई हैं। इस बीच दवाओं की कमी की खबर ने चिंता और बढ़ा दी है। कोलंबो में एक बेहद नाराज दिख रहे डॉक्टर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा कि हमने तीन महीने पहले दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के अभाव के बारे में सरकार को चेतावनी दी थी। लेकिन उनकी तरफ से यही कहा जाता रहा कि आयात करने के लिए डॉलर उपलब्ध नहीं है। ये सरकार स्वास्थ्य का बुनियादी अधिकार सुनिश्चित करने में नाकाम रही है।

खबरों के मुताबिक इस अभाव का असर सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों पर पड़ा है। जिन दवाओं की सबसे ज्यादा कमी हो गई है, उनमें हृदय रोग की दवाएं भी हैं। ब्लड क्लॉट्स को डिसॉल्व करने के लिए दी जानी दवा टेनेक्टाप्लेज आज शायद ही किसी अस्पताल में उपलब्ध है। यही हाल हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं का भी है। डायबिटीज के इंजेक्शन इंसुलीन और मिर्गी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा सोडियम वालप्रोएट की भी भारी कमी हो चुकी है। एंटी-बायोटिक दवाएं भी कम मात्रा में उपलब्ध हैं।

वेबसाइट निक्कई एशिया के मुताबिक दवाओं के अभाव के कारण कई अस्पतालों ने सर्जरी रोक दी है। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि अगर दवाओं की कमी जारी रही, तो श्रीलंका को मेडिकल इमरजेंसी का सामना करना पड़ सकता है।

श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे को एक पत्र लिखा था। उसमें दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की पैदा हो रही कमी को लेकर उन्हें आगाह किया गया था। इस पत्र में कहा गया था कि इस अभाव के कारण पैदा होने वाले आपातकाल से 2004 में आई सुनामी और कोविड-19 महामारी जैसी तबाही हो सकती है। सूनामी के कारण तब 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। कोविड-19 से 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

डॉक्टर इस बात से खासे नाराज हैं कि राजपक्षे सरकार लोगों की सेहत के तकाजों की लगातार उपेक्षा कर रही है। उसके नजरिए की आलोचना करते हुए आलोचकों ने ध्यान दिलाया है कि इस समय देश में स्वास्थ्य मंत्री का पद खाली है।

कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी
आर्थिक संकट के बीच राजधानी कोलंबो में लोगों का सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। लोग श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर राजधानी कोलंबो के मुख्य समुद्र तट गॉल फेस पर एकत्र हुए और देश में आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पीएम महिंदा राजपक्षे के खिलाफ नारेबाजी की।

विस्तार

श्रीलंका का आर्थिक संकट अब जानलेवा बनने के मुकाम पर पहुंच गया है। अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो गई है। अस्पतालों के मुताबिक उन्हें उन उपकरणों की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी आपातकालीन इलाज में जरूरत पड़ती है। इस अभाव का सीधा कारण देश में विदेशी मुद्रा की कमी है। इस कारण दवाओं और जरूरी उपकरणों का आयात नहीं पा रहा है।

श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को कर्ज डिफॉल्ट करने का फैसला किया। यानी उसने एलान कर दिया कि वह तय समयसीमा के अंदर कर्ज और ब्याज को नहीं चुका पाएगी। जानकारों का कहना है कि इस फैसले के बाद श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा हासिल करना और कठिन हो जाएगा। टीवी चैनल अल-जजीरा के मुताबिक अब श्रीलंका सरकार ने अपनी सारी उम्मीदें चीन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर टिका दी हैं, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि अब आईएमएफ बेहत सख्त शर्तों पर ही कर्ज देने को राजी होगा।

श्रीलंका में खाद्य पदार्थों, ईंधन और दूसरी जरूरी चीजों की कमी की खबरें इस समय दुनिया भर के मीडिया में छाई हुई हैं। इस बीच दवाओं की कमी की खबर ने चिंता और बढ़ा दी है। कोलंबो में एक बेहद नाराज दिख रहे डॉक्टर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा कि हमने तीन महीने पहले दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के अभाव के बारे में सरकार को चेतावनी दी थी। लेकिन उनकी तरफ से यही कहा जाता रहा कि आयात करने के लिए डॉलर उपलब्ध नहीं है। ये सरकार स्वास्थ्य का बुनियादी अधिकार सुनिश्चित करने में नाकाम रही है।

खबरों के मुताबिक इस अभाव का असर सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों पर पड़ा है। जिन दवाओं की सबसे ज्यादा कमी हो गई है, उनमें हृदय रोग की दवाएं भी हैं। ब्लड क्लॉट्स को डिसॉल्व करने के लिए दी जानी दवा टेनेक्टाप्लेज आज शायद ही किसी अस्पताल में उपलब्ध है। यही हाल हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं का भी है। डायबिटीज के इंजेक्शन इंसुलीन और मिर्गी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा सोडियम वालप्रोएट की भी भारी कमी हो चुकी है। एंटी-बायोटिक दवाएं भी कम मात्रा में उपलब्ध हैं।

वेबसाइट निक्कई एशिया के मुताबिक दवाओं के अभाव के कारण कई अस्पतालों ने सर्जरी रोक दी है। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि अगर दवाओं की कमी जारी रही, तो श्रीलंका को मेडिकल इमरजेंसी का सामना करना पड़ सकता है।

श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे को एक पत्र लिखा था। उसमें दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की पैदा हो रही कमी को लेकर उन्हें आगाह किया गया था। इस पत्र में कहा गया था कि इस अभाव के कारण पैदा होने वाले आपातकाल से 2004 में आई सुनामी और कोविड-19 महामारी जैसी तबाही हो सकती है। सूनामी के कारण तब 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। कोविड-19 से 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

डॉक्टर इस बात से खासे नाराज हैं कि राजपक्षे सरकार लोगों की सेहत के तकाजों की लगातार उपेक्षा कर रही है। उसके नजरिए की आलोचना करते हुए आलोचकों ने ध्यान दिलाया है कि इस समय देश में स्वास्थ्य मंत्री का पद खाली है।

कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी
आर्थिक संकट के बीच राजधानी कोलंबो में लोगों का सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। लोग श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर राजधानी कोलंबो के मुख्य समुद्र तट गॉल फेस पर एकत्र हुए और देश में आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पीएम महिंदा राजपक्षे के खिलाफ नारेबाजी की।

वैधानिक सेवाएं

एसटीपी योजना व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात सहित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास और निर्यात के लिए 100% निर्यात उन्मुखी योजना है, जो संचार लिंक या भौतिक मीडिया का इस्तेमाल करती है।यह एक अनूठी योजना है यह एक क्षेत्र, अर्थात् कंप्यूटर सॉफ्टवेयर पर ही केंद्रित है।यह योजना 100% निर्यात उन्मुखी इकाईयों(ईओयू) और निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) की सरकार की अवधारणा और विश्व में किसी भी स्थान पर संचालित विज्ञान पार्कों/प्रौद्योगिकी पार्कों की अवधारण को जोड़ता है ।एसटीपी योजना की अनूठी विशेषता यह है कि यह सदस्य इकाइयों को एकल बिंदु संपर्क सेवाएँ प्रदान करती है ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय परिपाटी की गति के साथ निर्यात संचालन कर सकें।

योजना का लाभ और विशेषताएं

  • सिंगल विन्डो क्लीयरेंस प्रणाली के अंतर्गत स्वीकृति दी जाती है।
  • विदेशी मुद्रा लिंक और उपकरण
  • कंपनी भारत में किसी भी स्थान पर एसटीपी इकाई स्थापित कर सकती है।
  • क्षेत्राधिकार एसटीपीआई प्राधिकारी भारतीय निवेश के 100 मिलियन से कम लागत की योजनाओं स्वीकृति दे सकते हैं
  • 100% विदेशी इक्विटी की अनुमति है
  • एसटीपी इकाइयों में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के सभी आयात पूरी तरह से शुल्क मुक्त हैं, पुरानी पूंजीगत वस्तुओं के आयात की भी अनुमति है।
  • सरलीकृत न्यूनतम निर्यात प्रदर्शन मानदंड, अर्थात् , "सकारात्मक निवल विदेशी मुद्रा आय"
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए कंप्यूटर प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है बशर्ते कि एसटीपी परिसर के बाहर कोई कंप्यूटर टर्मिनल स्थापित नहीं किये जाएं।
  • घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) में बिक्री मूल्य के संदर्भ में 50% तक निर्यात स्वीकार्य होगा।
  • डीटीए से खरीदे गए पूंजीगत सामान कर लाभ के पात्र हैं।
  • विदेशी उद्यमियों द्वारा किये गए निवेश,तकनीकी जानकारी सम्बन्धी शुल्क,रॉयल्टी,लाभांश को उन पर देय आय कर के भुगतान के बाद वापस किया जा सकता है।
  • कंप्यूटर और कंप्यूटर सम्बन्धी उपकरणों को मान्यता प्राप्त गैर-वाणिज्यिक शैक्षणिक संस्थानों, पंजीकृत धर्मार्थ अस्पतालों, सार्वजनिक पुस्तकालयों, सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठानों, सरकार के संगठनों, भारत, या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार को उनके आयात के दो साल बाद बिना किसी शुल्क के भुगतान के दान किया जा सकता है।
  • पांच साल की अवधि में पूंजीगत सामानों पर 100 प्रतिशत मूल्यह्रास।

इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (ईएचटीपी) योजना

ईएचटीपी योजना इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के विकास और निर्यात की एक 100% निर्यात उन्मुखी योजना है।

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