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स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे

स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे
यदि आप युवा हैं और आपमें जोखिम लेने की क्षमता है तो लाभ के समंदर के किनारे बैठे रहना समझदारी भी नहीं है।

Smart Investment: म्यूचुअल फंड को लेकर कहीं आपके साथ भी न हो जाए फर्जीवाड़ा, जानिए कहां खोलें अकाउंट और कैसे करें शुरुआत?

बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है। इसका एक कारण भारतीय शेयर बाजारों द्वारा दिया गया रिकॉर्ड रिटर्न है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 05, 2022 11:00 IST

Mutual Fund Investment- India TV Hindi

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Mutual Fund Investment

Highlights

  • बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है
  • स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे
  • आप म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश कर सकते हैं
  • आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं

हमारे दफ्तर में काम करने वाली वरिष्ठ पत्रकार विनीता जी को बीते दिन एक निवेश सलाहकार ने संपर्क किया जो म्यूचुअल फंड में निवेश की सलाह दी। उन्हें एक अनजान फंड में भारी निवेश के लिए सलाह दी गई। यह ऐसा फंड था जिसकी कोई पुरानी ट्रेड हिस्ट्री नहीं थी। साथ ही उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि यह फंड कहां निवेश करता है, इसकी रेटिंग कितनी है और सबसे बड़ा सवाल आपके पैसे की सुरक्षा होगी कि नहीं। शुक्र ही वे इस फर्जीवाड़े में उलझने से बच गईं। लेकिन हर कोई उनके जैसा खुश किस्मत नहीं होता है।

बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है। इसका एक कारण भारतीय शेयर बाजारों द्वारा दिया गया रिकॉर्ड रिटर्न है। अखबारों में छपने वाली इन मुनाफेभरी खबरों के बीच अब आम भारतीयों को भी बाजार पहले से अधिक लुभाने लगा है। लेकिन जहां अधिकतर लोगों को बाजार में निवेश को लेकर जानकारी नहीं है। वहीं अपनी छोटी कमाई पर दांव लगाने वाले नए निवेशकों के लिए उतार चढ़ाव से भरे बाजार में पैसे लगाना खतरों से खाली नहीं है। हालांकि यह भी ठीक नहीं है कि आप हाथ पर हाथ रखे दुनिया को मुनाफा उठाते देखते रहें।

यदि आप युवा हैं और आपमें जोखिम लेने की क्षमता है तो लाभ के समंदर के किनारे बैठे रहना समझदारी भी नहीं है।

बाजार के इन खतरों को कम करते हुए निवेश का आसान उपाय है म्यूचुअल फंड। आप जैसे किसी बैंक की एफडी या पोस्टऑफिस स्कीम में निवेश करते हैं ठीक वैसे ही म्यूचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। यहां आप बाजार में सीधे पैसा नहीं कमाते, बल्कि आपकी ओर से बाजार के जानकार पैसा लगाते हैं। न तो आपको शेयर बाजार के रोज के उतार चढ़ाव पर नजर रखनी होती है और न हीं एक साथ ढेर सारा पैसा लगाना होता है। आप मात्र 500 रुपये की एसआईपी यानि हर महीने एक निश्चित रकम लगाकार शुरुआत कर सकते हैं।

आज इंडिया टीवी पैसा की टीम आपके लिए म्यूचुअल फंड से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आई है। यहां आपको म्यूचअल फंड में निवेश की शुरुआत करने से लेकर सभी जानकारियां आसानी से मिल जाएंगी।

क्या होता है म्यूचुअल फंड (What is Mutual Funds)

म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है। मान लीजिए आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो फंड कंपनी आपके पैसे से अलग अलग कंपनियों के शेयर खरीदती हैं। जब इन कंपनियों के शेयर बढ़ते या घटते हैं तो आपको उसी के हिसाब से नफा या नुकसान होता है। यहां आप सीधे पैसे नहीं लगाते हैं। आपकी ओर से अनुभवी फंड मैनेजर कंपनी की बैलेंस शीट और अन्य आंकड़े देखकर मजबूत शेयरों में पैसा लगाते हैं।

म्यूचुअल फंड में क्या फायदा है?

आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं। परिणामस्वरूप, व्यक्ति म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश कर सकते हैं। इसका फायदा यह होता है कि आपका पैसा एक जगह नहीं लगाया जाता। मान लीजिए कि आपको शेयरों में नुकसान हुआ और बॉण्ड में फायदा तो आपका नुकसान की संभावना बहुत कम होगी।

कैसे खुलवाएं खाता

पहले करवाएं केवाइसी

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना केवाईसी पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। केवाईसी का मतलब है कि आपको अपनी जानकारी देनी होगी, आपका आधार और पैनकार्ड इसमें मदद करते हैं। केवाईसी सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई.केवाईसी कर सकते हैं।

कहां खरीद सकते हैं म्युचुअल फंड

केवाईसी सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर या बैंक जाकर भी म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। ऑनलाइन के जमाने में आप सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फंड चुन सकते हैं।

सलाहकार के साथ शुरुआत करना बेहतर

सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव आपका फैसला है। अगर आपको खुद अपने निवेश करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार या बैंक आदि।

म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं?

म्यूचुअल फंड तीन प्रकार होते हैं- इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड।इक्विटी फंड सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। वहीं डेट फंड आपका पैसा कंपनियों द्वारा जारी ऋणपत्रों में पैसा लगाते हैं। यह इक्विटी के मुकाबले कम जोखिम भरा होता है। वहीं तीसरे हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेट दोनों का समावेश होता है। इसके अलावा ओपन एंडेड फंड, क्लोज एंडेड फंड, सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड, पैसिवली मैनेज्ड फंड।

म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?

इसमें निवेशक एकमुश्त रकम फंड में लगाते हैं। इसके बाद एक तय समय अंतराल पर उस स्कीम से थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर करते रहते हैं। डेट फंड में एकमुश्त पैसा लगाने से सुरक्षित रिटर्न मिलता रहता है, वहीं एक तय अवधि में आपका पैसा धीरे धीरे ज्‍यादा रिटर्न देने वाली इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर हो जाता है।

अंत में. क्या म्यूचुअल फंड सही है?

छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं। इनके साथ बहुत ज्‍यादा जोखिम होता है। नए निवेशकों को इन स्‍कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं।

Swing Trading क्या है? | स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

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दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने में इन्वेस्टमेंट करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है और स्विंग ट्रेडिंग कैसे की जाती है अगर नही, तो आइये आज हम आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है तो जो कैंडिडेट स्विंग ट्रेडिंग बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.

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Table of Contents

स्विंग ट्रेडिंग क्या है (What is Swing Trading in Hindi)

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जहाँ पर ट्रेडर्स शेयर्स को खरीदने के कुछ दिन के बाद बेचते हैं मतलब कि एक दिन से ज्यादा के लिए शेयर्स खरीदते हैं और थोड़े समय तक होल्ड करने के बाद दाम बढ़ने पर शेयर्स को बेच देते है जिससे उन्हें कुछ न कुछ फायदा हो जाता है.

एक अच्छी स्विंग ट्रेडर की ओप्पोर्चुनिटी को ढूंढने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का और कभी-कभी फंडामेंटल एनालिसिस का भी उपयोग करता है साथ ही चार्ट के माध्यम से मार्केट ट्रेंड और पैटर्न्स का विश्लेषण करता है. स्विंग ट्रेडिंग को मंथली ट्रेडिंग भी कहा जाता है क्योंकि एक महीने के अंदर ही शेयर्स को खरीदना और बेचना होता है स्विंग ट्रेडिंग से महीने का 5% से 10% तक रिटर्न कमाया जा सकता है स्विंग ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

स्विंग ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अमाउंट और डीमैट अकाउंट होना जरूरी होता है क्युकी ट्रेडिंग अकाउंट शेयर को खरीदने के लिए और डीमैट अकाउंट ख़रीदे हुए शेयर्स को रखने के लिए जरूरी है.

Swing Trading काम कैसे करती है?

स्विंग ट्रेडर का काम किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले मार्केट का स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे ट्रेंड शेयर्स की कीमत में उतार-चढ़ाव ट्रेडिंग चार्ट में बनने वाले पैटर्न का विश्लेषण करना होता है. सिम्पल तौर पर एक स्विंग ट्रेडर उन शेयर्स पर विश्लेषण करता है जिसमें ट्रेडिंग अधिक होती है. अन्य तरह की ट्रेडिंग की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में ज्यादा रिस्क होता है क्युकी इसमें गैप रिस्क शामिल होता है, अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई अच्छी खबर आती हैं तो स्टॉक के प्राइस मार्केट खुलने के बाद अचानक से ही बढ़ जाते हैं लेकिन अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं तो मार्केट खुलने के बाद स्टॉक के प्राइस में भारी गैप डाउन भी देखने को मिलती हैं इस तरह के रिस्क को ओवरनाईट रिस्क’ कहा जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग करने के फायदे क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित फायदे है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स को कुछ दिनों या कुछ हफ्तों के लिए होल्ड करके रखा जाता है इसलिएइंट्राडे की तुलना में लाइव मार्केट में ज्यादा समय रहने की जरूरत नहीं होती है.
  • स्विंग ट्रेडिंग मेंट्रेडर्स को बाजार के साइडवेज़ होने पर एक अच्छा रिटर्न मिलता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग जॉब या बिज़नेस करने वाले लोगो के लिए सबसे अच्छा होता हैं.
  • स्विंग ट्रेडिंग में छोटे-छोटे रिटर्न्स साल में एक अच्छा रिटर्न भी बन जाता है.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग करना आसान होता हैं क्युकी इसमें सिर्फ आपको सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में स्ट्रेस लेवेल कम कुछ होता है.

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के कुछ नुकसान भी है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में ओवरनाईट और वीकेंड रिस्क भी रहता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग में गैप रिस्क भी शामिल होता है
  • अगर किसी तरह से मार्केट का अचानक ट्रेंड बदल जाता है तो यहां काफी देय भी नुकसान हो सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे करे?

सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस: स्विंग ट्रेडिंग में सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस बहुत जरूरी होता है तो इसीलिये आप भी यही कोशिश यही करना कि सपोर्ट पर ब्रेकआउट के बाद शेयर्स ख़रीदे और रेजिस्टेंस पर ब्रेकडाउन पर बेच दे.
न्यूज़ बेस्ड स्टॉक: एक स्विंग ट्रेडर ऐसे शेयर्स को चुनता है जिसमें बाजार की किसी खबर का असर हो और उस खबर के कारण वह स्टॉक किसी एक दिशा में ब्रेकआउट देने की तैयारी में हो या ब्रेकआउट दे चुका हो, वह खबर बुरी या अच्छी किसी भी प्रकार की हो सकती है खबर अच्छी हुई तो ऊपर की तरफ ब्रेक आउट होगा, नहीं तो नीचे की तरफ ब्रेडडाउन होगा.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निक्स: स्विंग ट्रेडिंग के लिए आपको हमेशा हाई Liquidity शेयर्स को चुनना होता है इसके अलावा शेयर में एंट्री और एग्जिट के लिए MACD, ADX और Fast Moving Average का यूज किया जा सकता है.

इसे भी पढ़े?

आज आपने क्या सीखा?

हमे उम्मीद है कि हमारा ये (swing trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे हमने आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.

हमारी ये (swing trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.

‘The Big Bull’ में दिखेगी 4000 करोड़ के घोटाले की कहानी, शेयर बाजार में डूब गए थे करोड़ों

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Harshad Mehta Stock Market Scam: शेयर बाजार के सबसे बड़े घोटाले की कहानी

Harshad Mehta Scam, Big Bull of the Stock Market: अगर आप शेयर बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं तो उम्मीद है कि हर्षद मेहता का नाम सुना होगा. असल में हर्षद मेहता वह नाम है जो शेयर बाजार के बड़े घोटाले में शामिल रहा है. ब्रोकर हर्षद मेहता के घोटाले के चलते 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार बुरी तरह से हिल गया था और लाखों लोगों के पैसे भी डूब गए. अब इसी घोटाले को लेकर एक फिल्म बनी है, जिसका नाम है द बिग बुल. इस फिल्म में अभिषेक बच्चन शेयर ब्रोकर हर्षद मेहता का किरदार निभा रहे हैं. यह फिल्म हर्षद मेहता के जीवन और उनके द्वारा किए गए वित्तीय अपराधों पर आधारित है. इस फिल्म में 1990 और 2000 के बीच हुईं शेयर बाजार की वास्तविक घटनाएं दिखाई जाएंगी.

‘बिग बुल’ हर्षद मेहता

हर्षद मेहता ‘बिग बुल’ कहा जाता था क्‍योंकि उसने स्‍टॉक मार्केट में बुल रन शुरू किया था. हर्षद मेहता ने 1980-90 के दशक में स्टॉक मार्केट की दिशा ही बदल डाली थी. लेकिन बाद में हर्षद मेहता ने करीब 4000 करोड़ का घोटाला किया और इसकी वजह से तमाम शेयर होल्डर्स के सपने टूट गए. इस घोटाले के लिए बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए 5 साल की सजा और 25000 रुपये का जुर्माना किया था. मेहता थाणे जेल में बंद था. वहीं, 31 दिसंबर 2001 को 47 की उम्र में मौत हो गई थी.

85 करोड़ में बनी है फिल्म

इसी कहानी पर द बिग बुल नाम से फिल्म बनकर तैयार है. इसमें अभिषेक बच्चन और इलियाना डीक्रूज ने मुख्य भमिका निभाई है. इसके अलावा राम कपूर, निकिता दत्ता और लेखा प्रजापति भी फिल्म में हैं. यह फिल्म अजय देवगन फिल्म्स के बैनर तले बनी है. अजय देवगन ने फिल्म स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे में मुख्य प्रोड्यूसर भी हैं. इस फिल्म को बनने और इसके प्रचार आदि में कुल 85 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया है. इसे अमेजन प्राइम वीडियो पर दिखाया जाएगा.

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कौन है हर्षद मेहता ?

हर्षद मेहता का जन्म गुजरात के राजकोट में एक छोटे से बिजनेसमैन फैमिली में पैदा हुआ था. हर्षद मेहता ने मुंबई के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की. उसने लाजपत राय कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई की. हर्षद ने पहली नौकरी न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बतौर सेल्स पर्सन की और वहीं दौर था, जब उसकी रूचि शेयर बाजार में हुई. हर्षद मेहता ने स्टॉक मार्केट के हर पैंतरे सीखे और 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी शुरू की. उसने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप ली.

जानें क्या था वह घोटाला

हर्षद मेहता के एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में पैसा लगाने के बाद एसीसी के भाग्य ही बदल गए. एसीसी का जो शेयर 200 रुपये का था उसकी कीमत कुछ ही समय में 9000 रुपये हो गई. 1990 तक हर्षद मेहता का नाम हर निवेशक की जुबान पर आ गया. हर्षद मेहता के महंगे घर और महंगी गाड़ियों के शौक ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया. लेकिन सवाल उठा कि आखिर हर्षद मेहता इतना पैसा कहां से ला रहा है?

1992 में हर्षद मेहता के घोटाले का पर्दाफाश हुआ. पता चला कि हर्षद मेहता बैंक से एक 15 दिन का लोन लेता था और उसे स्टॉक मार्केट में लगा देता था. साथ ही 15 दिन के भीतर वो बैंक को मुनाफे के साथ पैसा लौटा देता था. हर्षद मेहता एक बैंक से फेक बीआर बनावाता जिसके बाद उसे दूसरे बैंक से भी आराम से पैसा मिल जाता था. हालांकि इसका खुलासा होने के बाद सभी बैंक ने उससे अपने पैसे वापस मागने शुरू कर दिए. मेहता पर 72 चार्ज लगाए गए और लगभग सिविल केस फाइल हुए.

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पारंपरिक और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में से आपके लिए कौन बेहतर?

लॉकडाउन शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने शेयर बाजार में एंट्री की. इनमें से कई ने नए डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्मों की सेवाएं ली.

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बाजार के एक्सपर्ट्स का ऑनलाइन खातों की संख्या में तेजी वृद्धि की तीन प्रमुख वजहें हैं - बेहतर नेटवर्क, किफायती भाव पर क्वालिटी शेयर की उपलब्धता और निवेशकों के पास अतिरिक्त समय.

सैमको सिक्योरिटीज के ब्रोकिंग कामकाज प्रमुख निलेश शर्मा ने पारंपरिक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर के बीच निम्नलिखित फर्क बताया. उन्होंने दोनों के फायदे और नुकसान भी बताए.

पांरपरिक ब्रोकर्स के फायदे पांरपरिक ब्रोकर्स के नुकसान
निजी पहुंच, जो लोगों से सीधे जुड़ती है.अधिक ब्रोकरेज चार्ज क्योंकि बिजनेस मॉडल की लागत अधिक है.
बड़ी रिसर्च टीम, लगातार सलाह-मशवरा देती है.कई ऐसी सेवाएं भी मिलती हैं, तो हर निवेशक के मतलब की है. इसलिए निवेशक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है.
विशेष सेवाओं से जुड़ा बिजनेस मॉडल, जिसमें अलग ग्राहकों को अलग जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाती हैं.टर्नओवर के आधार पर ब्रोकरेज, जिससे कई ग्राहक गुरेज करते हैं.
अधिक कर्ज सीमा, ताकि ग्राहकों के साथ दीर्घावधि और गहरे संबंध बनाए जा सकें.कई ब्रोकरेजेज पर पक्षपात के आरोप लगते हैं कि वे पैसा कमाने के लिए रिसर्च और रिपोर्ट पेश करते हैं.
ग्राहकों की सहूलियत के लिए T+2 ट्रेडिंग सिस्टम, जिसके तहत ट्रेड के दो दिन बाद ब्रोकरेज चुका सकते हैं.पुराना तरीका, जिसमे चेक, फोन आदि स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे के जरिए कारोबार को किया जाता है. नई पीढ़ी को यह रास नहीं आता.
कई अन्य सेवाएं, जिसमें टैक्स प्लानिंग, पीएमस, छोटी-मोटी गलतियों में सुधार आदि शामिल हैं, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे.नियामकीय बदलावों के चलते इनके फायदों पर खतरा मंड रहा है जिसमें अपफ्रंट मार्जिन के चलते T+2 सिस्टम खत्म हो सकता है.
डिस्काउंट ब्रोकर्स के फायदेडिस्काउंट ब्रोकर्स के नुकसान
ये ब्रोकरेज फर्म पूर्व निर्धारित और सीमित ब्रोकरेज फीस वसूल करते हैं, जिसका टर्नओवर से संबंध न के बराबर है. कई ब्रोकरेज डिलेवरी वाले कारोबार मुफ्त में मुहैया करवाते हैं.इनकी फिजिकल अनुपस्थिति ग्राहकों को खटकती है. ग्राहकों के लिए इनकी कोई शक्ल नहीं और सभी काम ई-मेल व फोन के जरिए ही होते हैं.
इस्तेमाल करने में सरल, तेजी और आसान, जो नई पीढ़ी को लुभाता है.डिस्काउंट ब्रोकरेज हाउसेज के पास रिसर्च विभाग नहीं होता. ये अमूमन ग्राहकों को सिर्फ खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं.
ग्राहकों के बीच कोई भेदभाव नहीं होता. चाहे कोई काम कितनी भी रकम का करे, टर्नओवर के आधार पर फर्क नहीं किया जाता.ग्राहकों कको जरूरत के आधार पर सेवाएं नहीं मिलती. सभी ग्राहकों को एक ही रूप में देखा जाता है.
तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के चलते से आकर्षक है और समस्याओं का निवारण जल्दो हो जाता है.अतिरिक्त सेवाओं का अभाव होता है, जिसमें टैक्स सलाह या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाएं नहीं हैं.
ब्रोकरेज और रेवेन्यू प्रति ऑर्डर आधारित होता है, जिस वजह से धोखाधड़ी के आसार कम होते हैं. ग्राहकों को चूना लगाना मुश्किलकम लीवरेज के चलते हर ग्राहक के लिए आकर्षक नहीं है.
खर्च और लागत का सरल मॉडल, जिसकी वजह से ग्राहकों सिर्फ उसी सेवा का भुगतान करते हैं, जो वे लेना चाहते हैं.कारोबारी मार्जिन हाथोंहाथ वसूला जाता है, जो कई बार निवेशकों को खटकता है.

एडलवाइज वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख राहुल जैन ने स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे कहा कि डिस्काउंट ब्रोकरेज बनाम पारंपारिक ब्रोकरेज फर्म के बीच कोई लड़ाई नहीं है. न ही इसे टेक्नोलॉजी और परंपरा के बीच युद्ध के रूप में देखा जाना चाहिए. डिस्काउंट कीमतों से जुड़ी अवधानणा है.

उन्होंने कहा, "यहां बात है कि आपकी जरूरत और उसके लिए उठाए जाने वाले कदमों की है. आपकी जरूरत क्या है, आप कितना जोखिम उठा सकते हैं और उसके लिए क्या प्रोडक्टस उपयुक्त हैं. बाजार में दोनों ही के लिए गुंजाइश है."

तकनीक के चलते शेयर बाजार की लागत कम हो गई है. कई नौसिखिए निवेशक इंट्राडे कारोबार और डेरिवेटिव सेगमेंट का स्वाद चखने लगे हैं. मगर दिक्कत यह है कि इनके लिए अब भी शेयर बाजार 'किस्मत' और 'सट्टा' बना हुआ है. शुरुआती सफलता के बाद जब वे विफल होते हैं, तो रातोंरात करोड़पति बनने का भूत उतर जाता है.

जैन ने कहा, "शेयर बाजार दिमागी जगह है, जहां समय पर घाटे को काटना स्टॉक ब्रोकर बनने के फायदे भी जरूरी है. इस वजह से कई कारोबारी अपने घाटे को एकाएक गिरने देते हैं और जीवन भर की पूंजी गंवा देते हैं. इसलिए एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए. नहीं तो पूरे आसार हैं कि आप नुकसान उठा सकते हैं."

पारंपारिक ब्रोकरेज में है मौके?
जयपुर की ब्रोकरेज ट्रेडस्फिट के निदेशक संदीप जैन ने कहा, "डिस्काउंट ब्रोकरर्स की सबसे बड़ी समस्या है कि कई दफा उनके टर्मिनल ठप पड़ जाते हैं. इस दौरान कई निवेशकों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. जहां पैसों और कमाई आती है, तो ब्रोकर का चयन काफी अहम होता है."

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हालिया तेजी में तो कई निवेशकों ने मोटी कमाई की है, मगर जब हालात बदलेंगे, तो मुनाफा कमाना मुश्किल हो जाएगा. नए निवेशको ने डिस्काउंट ब्रोकर के जरिए वायदा बाजार में पोजिशन तो ले ली है, मगर एक बड़ी गिरावट उन्हें बाजार से गायब कर सकती है.

उन्होंने कै कहा कि "शेयर बाजार में सिर्फ कमाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि गिरावट के दौरान अपने घाटे को कम करना भी जरूरी है. कई निवेशकों को जोखिम लेने की अपनी क्षमता की जानकारी नहीं होती. वायदा बाजार लॉटरी टिकट नहीं है. इसमें कई दफा जोखिम सीमा के परे निकला जाता है, जो बड़े जख्म दे सकता है."

कई निवेशकों को लगता है कि ब्रोकरेज का पैसा बचाने से वे काफी बचत कर सकते हैं, मगर इस बात पर ध्यान नहीं देते कि वे किस कीमत पर वह बचत कर रहे हैं. शेयर बाजार में सेंटिमेंट, टेक्नीकल्स और फंडामेंटल्स का अपना महत्व है.

संदीप जैन ने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा, "एक घर खरीदने के बाद उसे सुंदर बनाने के लिए इंटीरियर डिजाइनर रखा जाता है, जो वास्तु, लाइटिंग से लेकर खिड़की, पर्दे, फर्नीचर आदि पर काम करता है. ब्रोकर वही काम करता है. यदि आपका पोर्टफोलियो एक घर है, तो उसे सुंदर बनाने का काम उसी का होता है."

एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिस्काउंट ब्रोकरेज उन कारोबारियों या निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जिनके पास बाजार की काफी अच्छी समझ है. नए निवेशकों के पास अधूरी या काफी कम समझ है, जिसके लिए उन्हें सही सलाह की जरूरत पड़ती है.

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