विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है?

वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी पर वह कहते हैं कि अगर इन रिजर्व्स को पिछले 20 सालों के रिजर्व्स से तुलना करेंगे तो मामूल अंतर से यह अधिक ही है. इसके अलावा, वुड ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार मामूली रूप से लगभग 600 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा और अगले कुछ वर्षों में इसी के आसपास बरकरार रहेगा.
रुपए में बढ़त, पर विदेशी मुद्रा बाजार से दूर आरबीआई
13 अक्टूबर 2010
मुंबई। अंतर बैंकिंग विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए में आ रही जोरदार मजबूती के बावजूद रिजर्व बैंक (आरबीआई) रुपए की बढत को थामने के लिए सक्रिय नहीं रहा है। बैंक ने अगस्त माह के दौरान रुपए की मजबूती को रोकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
अगस्त माह के दौरान डॉलर के सामने रुपया एक माह पहले की तुलना में 1.4 प्रतिशत मजबूत हुआ। रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने अगस्त में ढाई अरब रुपए का शेयरबाजारों में निवेश किया। जुलाई में इनका निवेश साढे तीन अरब डॉलर का था।
वर्ष 2009 में रिजर्व बैंक ने रुपए में तीव्र गिरावट को थामने के लिए पांच अरब 80 करोड डॉलर की शुद्ध बिक्री की थी। मार्च 2009 में एक डॉलर की कीमत रिकार्ड 52.20 रुपए तक पहुंच गई थी। किंतु बाद में विदेशी निवेशकों की सक्रियता के बलबूते रुपया फिर मजबूत होने लगा।
2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए देश की सेहत पर क्या असर डालेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का मुख्य कारण फॉरेन रिजर्व असेट्स (एफसीए) और गोल्ड रिजर्व्स का कम होना है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रह गया. यह अक्टूबर, 2020 के बाद पिछले दो साल का निम्नतम स्तर है. हालांकि, एक वैश्विक रेटिंग एजेंसी का कहना है यह पिछले 20 सालों के रिजर्व की तुलना में अधिक ही है.
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार को किसी देश की हेल्थ का मीटर माना जाता है. इस भंडार में विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व्स, ट्रेजरी बिल्स सहित अन्य चीजें आती हैं जिन्हें किसी देश की केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती हैं. ये संस्थाएं पेमेंट बैलेंस की निगरानी करती हैं, मुद्रा की विदेशी विनिमय दर देखती हैं और वित्तीय बाजार स्थिरता बनाए रखती हैं.
आरबीआई अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 विदेशी मुद्रा भंडार को नियंत्रित करते हैं. इसे चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है. पहला और सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा संपत्ति है जो कि यह कुल पोर्टफोलियो का लगभग 80 फीसदी है. भारत अमेरिकी ट्रेजरी बिलों में भारी निवेश करता है और देश की विदेशी मुद्रा संपत्ति का लगभग 75 फीसदी डॉलर मूल्यवर्ग की सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है.
इसके बाद गोल्ड में निवेश और आईएमएफ से स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) यानी विशेष आहरण अधिकार आता है. सबसे अंत में आखिरी रिजर्व ट्रेंच पोजीशन है.
विदेशी मुद्रा भंडार का उद्देश्य क्या है?
फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो आरबीआई के पास बैकअप फंड है. दूसरा उद्देश्य यह है कि यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है, तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है ताकि रुपये के गिरने की रफ्तार को रोका जा सके. तीसरा उद्देश्य यह है कि विदेशी मुद्रा का एक अच्छा स्टॉक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए एक अच्छी छवि स्थापित करता है क्योंकि व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उभरते बाजारों को खाद्य पदार्थों की अधिक कीमतों, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व और टाइट फाइनेंशियल कंडीशंस से बड़े पैमाने पर बाहरी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.
विदेशी बाजार की पहचान कैसे की जाती है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है? विनिमय बाजार एक विकेन्द्रीकृत वैश्विक बाजार है जहां सभी दुनिया की मुद्राओं का कारोबार होता है एक दूसरे, और व्यापारी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है? से लाभ या हानि बनाते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार को विदेशी मुद्रा बाजार, FX या मुद्रा ट्रेडिंग मार्केट के रूप में भी जाना जाता है।
इसे विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है? सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय को विस्तृत अर्थों में स्पष्ट करते हुए एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में लिखा है कि “विदेशी विनिमय वह प्रणाली है जिसके द्वारा व्यापारिक राष्ट्र पारस्परिक ऋणों का भुगतान करते हैं।” इस प्रकार ऐसे साधन जिनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय भुगतान में किया जाता है, विदेशी विनिमय कहलाता है।
विदेशी मुद्राओं क्या है?
इसे सुनेंरोकेंक्या है विदेशी मुद्रा भंडार? विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
विनिमय दर से आप क्या समझते हैं समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंविनिमय दर (exchange rate) दो अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत होती है, अर्थात एक मुद्रा के पदों में दूसरी मुद्रा के मूल्य की माप है। किन्हीं दो मुद्राओं के मध्य विनिमय की दर उनकी पारस्परिक माँग (demand) और आपूर्ति (supply) होती है।
इसे सुनेंरोकेंयह सच हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय तरलता की समस्या का एक हिस्सा (जो अंतरराष्ट्रीय भुगतान का साधन प्रदान करता है) विश्वास और समायोजन का हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से यह समस्या अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बढ़ती आवश्यकताओं का सामना करने के लिए भंडार की अपर्याप्तता है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित में से किसका सर्वाधिक हिस्सा है?
इसे सुनेंरोकेंभारत का विदेशी मुद्रा भण्डार पहले स्थान पर चीन और दूसरे स्थान पर जापान है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार २१ जून २०२० को समाप्त सप्ताह में 4.215 अरब डॉलर बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 426.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले का रिकार्ड 13 अप्रैल 2018 को बना था।
मुद्रा बाजार क्या है?-What is Money market in hindi?
मुद्रा बाजार ऐसा बाजार है जहाँ से कंपनी कम समय के लिए फण्ड रेज करती है यह समय एक साल से भी कम समय होता है | कंपनी कम समय में लगने वाले रुपयों की विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है? जरुरत को पूरा करना के लिए वित्तीय प्रपत्र जैसे - जमा प्रमाण पत्र , वाणिज्य पत्र , विनिमय पत्र , प्रतिज्ञा पत्र , ट्रेज़री बिल आदि के माध्यम से रूपये उधर लेती है | मुद्रा बाजार में हमेशा बैंक वित्तीय प्रपत्र के माध्यम से आपस में एक - दूसरे से उधर लेन - देन करते है | बैंको के इस लेन - देन में नुकसान होने की सम्भावना कम होती है |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक