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शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे
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Share Market : शेयर बाजार से हुई है आमदनी तो देना होगा टैक्स, जान लेंगे तो होगा फायदा

Share Market : शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 23 Aug 2021 11:30 PM (IST)

Share Market: शेयर बाजार में अगर आपका निवेश का इरादा है तो ऐसा जरूर करें लेकिन उससे पहले शेयर बाजार से जुड़ी सभी जानकारियां हासिल जरूर कर लें. शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सिर्फ ज्यादा से ज्यादा कमाई के बारे में नहीं सोचें. बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है. हम आपको बता रहे हैं कि शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है और कैसे.

इंट्रा-डे ट्रेडिंग

  • एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है.
  • इंट्रा-डे ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहते हैं.
  • फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहा जाता है.

कितना देना होगा टैक्स

  • इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
  • 5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
  • इससे ज्यादा की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन

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  • 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है.
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है.
  • कुल कमाई 5 लाख रुपये तक होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
  • इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

  • 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
  • इससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स लगता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं.
  • अगर आपकी कुल कमाई 5 लाख रुपये तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ट्रेडिंग क्या होती है? | ट्रेडिंग कैसे करें?

Trading kya hai in hindi

दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने का काम करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेडिंग क्या होती है और इसके बारे में पूरी जानकारी है अगर नही?, तो आइये आज हम आपको ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी देते है तो जो कैंडिडेट इसके बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.

Trading kya hai in hindi

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Table of Contents

ट्रेडिंग क्या है (What is Trading in Hindi)

ट्रेडिंग एक तरह का बिज़नस होता है किसी भी चीज़ को कम दाम में खरीदना और उसके दाम बढ़ जाने पर उसे बेच देना ट्रेडिंग कहलाता है. ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य किसी भी चीज़ को खरीद कर कम समय में लाभ कमाना होता है, इसीलिए ट्रेडिंग सबसे ज्यादा शेयर मार्किट में की जाती है और लोग डेली शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमाते है.

Stock Market Trading भी इसी तरह का होता है जहाँ हम किसी वस्तु को खरीदते और बिक्री में फायदा लेते हैं ठीक उसी तरह स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर को खरीद और बिक्री करके प्रॉफिट कमाया जाता है, ट्रेडिंग का समय 1 साल होता है यानि कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना होता है लेकिन अगर एक साल के बाद खरीदे गये शेयर्स को बेचते हैं तो इसे निवेश कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे यह एक तरह का ऑनलाइन बेस्ड बिजनेस होता है.

उदाहरण- अगर हम शेयर मार्केट में शेयर्स खरीदते हैं तो कोई दूसरा व्यक्ति उन शेयर्स को बेच रहा होगा. मान लीजिए कि आपने किसी होलसेल स्टोर से कोई सामान 50 खरीदा और उसके बाद में उसका दाम बढ़ने पर आपने उसे 60 रूपये में बेच दिया तो इसे ट्रेडिंग कहा जायेगा. वैसे तो Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें किसी को ये नही पता होता है कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या उतार-चढाव आएगा.

ट्रेडिंग कैसे करें?

ट्रेडिंग करना बहुत ही आसान होता है, ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट एवं डिमैट अकाउंट होना चाहिए, क्युकी ट्रेडिंग अमाउंट एवं डिमैट अकाउंट के बिना आप ट्रेडिंग नही कर सकते हैं. उसके बाद आपको ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से शेयर मार्केट से शेयर को कम दामों में खरीदना होता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और उस शेयर की कीमत बढ़ जाने पर उसे ज्यादा दाम में बेच कर मुनाफा कमाना होता है.

शेयर मार्केट ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है?

शेयर मार्केट ट्रेडिंग मुख्यतः 4 तरह की होती है?

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)

इंट्राडे ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जो एक ही दिन के अंदर की जाती है, इसमें एक ही दिन के अंदर शेयर्स को मार्केट में खरीदा और बेचा जाता हैं. एक ही दिन के अंदर की जाने वाली इस ट्रेडिंग को हम इंट्राडे ट्रेडिंग या फिर डे ट्रेडिंग भी कह सकते है.

स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)

स्विंग ट्रेडिंग मे शेयर्स को खरीदकर कुछ दिनो या कुछ हप्तो के अंदर बेचा जाता है इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही होती है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर नुकसान और फायदे को आसानी से झेल सकते है, स्विंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्कैलपिंग ट्रेडिंग से काफी अलग होता है. क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग को हम 1 दिन या 1 हफ्ते या फिर 1 शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे महीने के लिए भी करते हैं.

शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग (Short term trading)

जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो की होती है उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहते है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक एक्टिव ट्रेड इन्वेस्टमेंट होता है इसमें आपको अपने स्टॉक पर नजर रखनी होती है तभी आप अपने स्टॉक को मिनीमाइज कर सकते है.

लॉंग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

जब कोई ट्रेडिंग एक साल या उससे ज्यादा समय में की जाती है तो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहते है.

इसे भी पढ़े?

आज आपने क्या सीखा?

हमे उम्मीद है कि हमारा ये (Trading kya hai in hindi) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे आपको ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.

हमारी ये (Trading kya hai in hindi) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.

क्या आप शेयर ट्रेडिंग के बारे में ये बातें जानते हैं?

आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी होती है, तब शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.

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आपको यह ध्यान में रखना होगा कि शेयरों में निवेश से काफी जोखिम जुड़ा होता है. अगर आप खुद कंपनियों के नतीजे समझने, उसके शेयरों का मूल्यांकन करने और बाजार की चाल समझ सकते सकते हैं तभी आपको शेयरों में सीधे निवेश करना चाहिए.

किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले उसके कारोबार, शेयरों की सही कीमत (मूल्यांकन) और उसके कारोबार की संभावनाओं को जानना जरूरी है. शेयर बाजार में शेयरों के भाव स्थिर नहीं रहते. आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी पर शेयर खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.

आपने जो शेयर खरीदा है, जब उसका दाम बढ़ जाए तो उसे आप बेच सकते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे बहुत कम रकम से की जा सकती है.

शेयर ट्रेडिंग कितने तरह के होते हैं?

1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra Day Trading)
इंट्रा-डे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है. मार्केट खुलने के बाद आप शेयर खरीदते हैं और मार्केट बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं.
इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते हैं.

Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया कराता है. इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं. यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है.

2. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( Scalper Trading)
यह शेयर ट्रेडिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें शेयर को खरीदने के 5-10 मिनट के अंदर ही शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे बेच दिया जाता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग किसी कानून के आने या आर्थिक जगत की किसी बड़ी खबर आने पर की जाती है.

शेयर मार्केट के पुराने दिग्गज स्कैल्पर ट्रेडिंग करते हैं. इसमें जोखिम सबसे ज्यादा होता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कंपनियां मार्जिन मुहैया कराती हैं.

3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) या शार्ट टर्म ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग थोड़े लंबे समय के लिए किया जाता है. इसमें आम तौर पर शेयर खरीदने के बाद उसकी डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ले ली जाती है. स्विंग ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कोई मार्जिन मुहैया नहीं कराता है.

अगर आप अपने निवेश के लक्ष्य के हिसाब से 5-10 % लाभ की उम्मीद पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे है, तो स्विंग ट्रेडिंग से आप पैसे कमा सकते हैं.

4. LONG TERM ट्रेडिंग
जब आप किसी शेयर को खरीद कर लंबी अवधि के लिए रख लेते हैं तो उसे Long term ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के बाद अगर आप एक निवेशक के रूप में किसी शेयर में 6 महीने से लेकर कुछ साल शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे तक बने रहें तो यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग है.

अगर आप किसी कंपनी के शेयर को एक, तीन या पांच साल या इससे ज्यादा अवधि के लिए खरीदते सकते हैं. कंपनी के कारोबार में अगर तेजी से वृद्धि हो तो लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में आप बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

आप जिन बड़े निवेशकों के बारे में सुनते हैं वे सभी लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से ही मुनाफा कमाते हैं. इनमें राकेश झुनझुनवाला, पोरिन्जू वेलियथ, डॉली खन्ना जैसे नाम शामिल हैं.

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Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इससे होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.

कैपिटल गेन टैक्स दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और लॉन्ग टर्म. यह वर्गीकरण शेयरों की होल्डिंग पीरियड के अनुसार किया जाता है. होल्डिंग पीरियड का मतलब है- निवेश की तारीख से बिक्री या ट्रांसफर की तारीख. आइए जानते हैं कि यह क्या है.

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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.

2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)

अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.

अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.

सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)

स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

इंट्रा-डे, फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर टैक्स

अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

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