कॉमर्स संदर्भ

ई-कॉमर्स का सुनहरा युग सामने
क्या आपने ध्यान दिया? ई-कॉमर्स का युग आखिर आ गया या लगभग आ ही गया है। आपने ट्रेन टिकट ऑनलाइन खरीदते हैं। आपकी गर्ल फ्रेंड ने अपनी शानदार ड्रेस येपमे पर खरीदी है। आपकी प|ी ने शिफॉन की साड़ी एचएस 18 पर खरीदी है। आपकी मां ने कल ही तो बिग बॉस्केट से सब्जियां खरीदी। यहां तक कि दादीजी ने अपने पसंद के मंदिर में ‘चंडी होम’ ऑनलाइन कर लिया! कोई ऐसा भी है, जो ऑनालाइन ‘श्राद्ध’ कर रहा है। अक्षरश: हर पीढ़ी अब ऑनलाइन है। ई-कॉमर्स की ही चारों ओर चर्चा है।
यदि आप उन लोगों में से हैं, जिन्होंने अभी ऑनलाइन ई-कॉमर्स में कदम नहीं रखा है तो आपको सिर्फ टेलीविजन और पत्र-पत्रिकाओं के विज्ञापनों पर नजर भर डालने की जरूरत है। सबसे बड़े विज्ञापनदाता ही वे हैं, जिनके बिज़नेस में ‘ई’ लगा हुआ है। हम जिन विज्ञापनों के साक्षी बन रहे हैं, वे हमें बताते हैं कि चारों ओर एक क्रांति घट रही है। सबकुछ ऑनलाइन की राह कॉमर्स संदर्भ पर चल पड़ा है। क्या वाकई ऐसा है? या यह सिर्फ शोर भर है, जो ई-कॉमर्स के हाइप में हमारे आस-पास की हर चीज को डूबो रहा है। आइए इस पर तर्कपूर्ण ढंग से विचार करते हैं। आंकड़ों से शुरुआत करते हैं, क्योंकि आमतौर पर ये झूठ नहीं बोलते। 2014 में भारतीय ई-कॉमर्स ने उसके पिछले कॉमर्स संदर्भ वर्ष की तुलना में 20 फीसदी वृद्धि दर दर्ज कर 3.2 अरब डॉलर का टर्नओवर दर्ज किया था। भारतीय रिटेल बिज़नेस आज सिर्फ 590 अरब डॉलर के आस-पास है। इसलिए भारत में ई-कॉमर्स आज भी शैशवावस्था में है, लेकिन इसका शोर ऐसा है कि यह हाथी नजर आता है।
एक और आंकड़ा हमें और विनम्र होने को कहेगा। आज देश में ऑनलाइन खरीदी करने वालों की संख्या 4.10 करोड़ है जबकि हमारी आबादी 1.30 अरब से थोड़ी ज्यादा है। फिर करीब 70 फीसदी आबादी की पहुंच बुनियादी इंटरनेट तक है, इसलिए ई-कॉमर्स अब भी संभावना है। यह तय है कि एक माध्यम के रूप में अभी न तो उसमें ज्यादा प्रवेश हुआ है और न उसका अधिक इस्तेमाल। और यही बात इस क्षेत्र को लेकर उत्तेजना का कारण है। ई-कॉमर्स को लेकर हम विनम्र यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाएं इस प्रयास में मैं थोड़ा वैश्विक स्तर पर ले जाता हूं। दुनिया के स्तर 2014 में ई-कॉमर्स का टर्नओवर 840 अरब डॉलर प्रचारित किया जाता था। इसमें से सिर्फ एक बाजार, जिसे सारे बाजारों की माता कहा जाता है, अमेरिकी बाजार का हिस्सा ही 240 अरब डॉलर का था। इसमें भारत ने कुल 3.कॉमर्स संदर्भ 2 अरब डॉलर की हिस्सेदारी दर्ज कराई थी। हमारे ई-कॉमर्स का आकार अभी छोटा है।
किंतु स्माल इज ब्यूटीफूल यानी छोटा ही सुंदर है। जो आज छोटा है, वह हमेशा छोटा नहीं रहेगा। हमारे जैसे छोटे आधार पर कोई भी वृद्धि ई-कॉमर्स उद्योग में विशाल वृद्धि दिखाई देगी। ई-कॉमर्स को लेकर मौजूदा उत्तेजना का यही कारण है। करोड़ों डॉलर और येन, अक्षरश: हर मुद्रा उन अवसरों को भुनाने के लिए दौड़ रही है, जो भारत दुनिया के सामने पेश कर रहा है। शेयर बाजार में खेलने वाला हर प्रकार के निवेशक का पैसा यहां लगा है। तो ई-कॉमर्स को आज हम जिस रूप में देख रहे हैं, वह पानी का बुलबुला मात्र है? क्या जल्द ही फट जाएगा? और ऐसा होने में कितना वक्त लगेगा? कौन-सी संभावना ठोस है और कौन-सी नहीं? ई-कॉमर्स को व्यापक स्तर पर देखते वक्त वे कौन-से प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर सतर्क रहने की जरूरत है? ई-कॉमर्स ने भारत में अभी कदम उठाया ही है। देखने में ये बड़े लगते हैं, लेकिन आप विहंगम दृष्टि डाले तो हमारे सामने तय करने के लिए लंबा फासला है।
यदि ई-कॉमर्स को एक उद्योग के रूप में भारत में बढ़ना है तो इसे एक कॉमर्स संदर्भ तथ्य में पैठ बनानी होगी और वह है विश्वास, भरोसा। जब आप ऑनलाइन कुछ खरीदते हैं तो वह उस जरिये के प्रति आपके भरोसे को व्यक्त करता है। हर बार खरीदी करने पर यदि कोई समस्या आ जाए तो फिर यह ई-कॉमर्स के ताबूत में कील ही साबित होगी। असंतुष्ट ग्राहक बिज़नेस के लिए जिम्मेदारी बन जाते हैं। दुनियाभर में हुए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि आप ई-कॉमर्स के जरिये वे चीजें खरीदते हैं, जिसमें गड़बड़ नहीं हो सकती। अाप ऑनलाइन टिकट से शुरुआत करते हैं। एक बार अआपको आईआरसीटीसी.को से पीएनआर नंबर मिल जाए तो कुछ गलत नहीं हो सकता। वीपीआर के सीट नंबर सहित मूवी टिकट मिल जाए तो गड़बड़ का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए आप शत-प्रतिशत भरोसा कर लेते हैं। यही वजह है कि ई-कॉमर्स में सबसे बड़ी कामयाबी उन्हीं श्रेणियों में मिली है, जहां ऑर्डर को पूरा करने में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती। आप जो ऑर्डर देते हैं, वही आपको मिलता है। उसमें कोई फर्क नहीं पड़ता।
इस तरह ई-कॉमर्स में ग्राहक का विश्वास धीरे-धीरे बढ़ता है और वह टिकट से किताबों पर आता है। किताबों में भी कोई गड़बड़ नहीं हो सकती। स्टैंडर्ड पब्लिशर है और स्टैंडर्ड टाइटल है। आप जानते हैं, इसमें कोई गड़बड़ संभव नहीं। ज्यादा से ज्यादा किताब पर सलवटें पड़ सकती है और यदि आप अमेजन से खरीदते हैं तो आपको उम्मीद रहती है कि वह ऐसे पैक करेगी कि किताब के पन्ने मुड़ने या फटना की आशंका नहीं रहती। भरोसा बढ़ता है। वॉव! टिकट और किताबों में तो आपको सफलता मिल गई। अब चीजों की हायरार्की में और ऊपर जाने का वक्त है। आप संगीत में उतरते हैं। डिलीवरी बेदाग होती है। फिर आप इलेक्ट्रॉनिक्स में जाते हैं। हर बार जब आप खरीदते हैं तो आपकी खुशी बढ़ती जाती है। कूरिअर पैक में सबकुछ ठीक-ठाक, कोई चीज गायब नहीं। आई-फोन बुलवाया तो आई-फोन मिला कोई ईंट नहीं। भरोसा बनता जाता है। मुहावरे में कहें तो ईंट दर ईंट।
फिर फैशन और असेसरीज। कोई दिक्कत नहीं। सेवाएं लेते हैं और जब भरोसा काफी हद तक बढ़ जाता है आप ब्रांडेड किराना सामान खरीदते हैं। फिर बिना ब्रांड वाला किराना सामान जैसे शकर, दालें। आखिर में जब पूरा भरोसा हो जाता है तो आप आंख बंद करके इंटरनेट पर सब्जियां और फल खरीदते हैं। भरोसे का खेल चल रहा है। मेरा मानना है कि ब्रांड बनाने पर खर्च गलत प्रयास है। सबसे बड़ी ब्रांड बिल्डिंग तो यही है कि आप ग्राहक का विश्वास जीतें। ध्यान रहे ई-कॉमर्स का ग्राहक बेस्ट डील खोज रहा होता है। वह हर साइट पर जाता है और जहां से उसे सबसे सस्ता आइटम मिलता है, वह खरीद लेता है। ऐसे में यदि आप ब्रांड इमेज के कॉस्मेटिक्स पर ध्यान देंगे तो आप गलती करेंगे पर निर्माता और ग्राहक के बीच भरोसेमंद जरिये के रूप में विश्वास अर्जित करेंगे तो वह सही होगा। यदि कोई एेसा नहीं करता तो वह उन कई बबल-पोर्टल में से होगा, जो आएंगे और चले जाएंगे। क्या कॉमर्स कोई बुलबुला है जो फट जाएगा? मेरा मानना ऐसा ही है। आज बाजार में ई-कॉमर्स के कई बुलबुले आप देख रहे हैं, इनमें से कई बड़े बुलबुले द्वारा निगल लिए जाएंगे। [email protected]
हम जिन विज्ञापनों के साक्षी बन रहे हैं, वे हमें बताते हैं कि चारों ओर एक क्रांति घट रही है। सबकुछ ऑनलाइन की राह पर चल पड़ा है। क्या वाकई ऐसा है? या यह सिर्फ शोर भर है।
हमारे जैसे छोटे आधार पर कोई भी वृद्धि ई-कॉमर्स उद्योग में विशाल वृद्धि दिखाई देगी। ई-कॉमर्स को लेकर मौजूदा उत्तेजना का यही कारण है।
सबसे बड़ी ब्रांड बिल्डिंग तो यही है कि आप ग्राहक का विश्वास जीतें। यदि आप ब्रांड इमेज के कॉस्मेटिक्स पर ध्यान देंगे तो आप गलती करेंगे पर निर्माता और ग्राहक के बीच भरोसेमंद जरिये के रूप में विश्वास अर्जित करेंगे तो वह सही होगा।
संदर्भ- देश में बढ़ते ऑनलाइन बिज़नेस में अवसरों को भुनाने का कायदा
हरीश बिजूर
ब्रांड एक्सपर्ट और सीईओ, हरीश बिजूर कंसल्ट्स इनकॉर्पोरेशन
अमेरिका ने भारत पर लगाया 'अनुचित' व्यापार दस्तूर अपनाने का आरोप
भारत दौरे पर आए अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी विलबर रॉस ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अमेरिका ने कहा है कि भारत 'अनुचित' व्यापार नीति अपना रहा है और उसे भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के मार्ग में आ रही बाधाओं को कम करना चाहिए.
दिनेश अग्रहरि
- नई दिल्ली,
- 08 मई 2019,
- (अपडेटेड 08 मई 2019, 11:01 AM IST)
भारत दौरे पर आए अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अमेरिका ने कहा है कि भारत 'अनुचित' व्यापार नीति अपना रहा है और उसे भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के मार्ग में आ रही बाधाओं को कम करना चाहिए. रॉस ने यह उम्मीद जताई कि नई सरकार इन मसलों का समाधान करेगी.
अमेरिका चाहता है कि यहां काम कर रही उसकी कंपनियों के लिये भारत व्यापार करने और आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने के संदर्भ में बाधाओं को कम करे. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री (कॉमर्स सेक्रेटरी) विलबर रॉस ने कहा, 'हम चाहते हैं कि यहां काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिये बाधाओं को दूर किया जाए. इसमें आंकड़ों को स्थानीय रूप से रखे जाने की पाबंदी का मुद्दा भी शामिल हैं. इससे वास्तव में आंकड़ों की सुरक्षा कमजोर होती है तथा कारोबार की लागत बढ़ती है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रॉस ने ट्रेड विंड फोरम और ट्रेड मिशन को संबोधित करते हुए यह बात कही.कॉमर्स संदर्भ
ऊंचे आयात शुल्क का आरोप
रॉस 100 अमेरिकी बिजनेस डेलीगेट के साथ यहां आये हुए हैं. उन्होंने कहा कि हम इनमें से कुछ बाधाओं को दूर करने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं. नई सरकार के संभवत: जून में आने के बाद मामले के समाधान की उम्मीद है. रॉस ने यह आरोप लगाया कि भारत वाहन, मोटरसाइकिल और कृषि उत्पाद जैसे सामानों पर ऊंची दर से आयात शुल्क लगाता है.
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि व्यापार संबंध निष्पक्षता और परस्पर हितों पर आधारित होना चाहिए. लेकिन फिलहाल अमेरिकी कंपनियों को भारत में कई बाजार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं शामिल हैं. साथ ही कई ऐसी गतिविधियां और नियमन हैं जो विदेशी कंपनियों के लिये नुकसानदायक हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत में औसत शुल्क दर 13.8 प्रतिशत है और यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक है. उदाहरण के लिये वाहनों पर 60 प्रतिशत शुल्क है, जबकि अमेरिका में यह 2.5 प्रतिशत है. मोटरसाइकिल पर 50 प्रतिशत तथा अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों पर 150 प्रतिशत शुल्क है.'
अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 113.5 प्रतिशत की दर से तथा कुछ उत्पादों पर 300 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है जो काफी ऊंचा है.
अमेरिकी आरोप को गलत बता रहे एक्सपर्ट
हालांकि, भारत के व्यापार विशेषज्ञ अमेरिका की बात को काटते हैं. उनका कहना है कि भारत ऊंचा शुल्क नहीं लगाता है और उसके पास कृषि जैसे विशेष क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिये सभी अधिकार है. रॉस ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं तथा हमारे निजी क्षेत्र के भागीदार बाजार में प्रवेश के मसले को अमेरिका-भारत वाणिज्यिक वार्ता तथा अमेरिका-भारत सीईओ मंच के जरिये समाधान करेंगे. अमेरिकी कंपनियों के समक्ष बड़ी बाधाओं में चिकित्सा उपकरणों पर मूल्य नियंत्रण तथा प्रतिबंधात्मक शुल्क तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं दूरसंचार उत्पादों की जांच शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि राउटर, स्विच तथा सेल्यूलर फोन के कल-पुर्जो पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत है. रॉस ने कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका द्वारा भारत से आयातित इन उत्पादों पर शुल्क शून्य है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नई सरकार इन मामलों पर गौर करेगी. कार्यक्रम में भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर ने कहा कि मंत्री रॉस ने मंगलवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बैठक के दौरान उन्होंने इन मुद्दों को उठाया.
भारत चैम्बर ऑफ कॉमर्स
भारत चैम्बर ऑफ कॉमर्स भारत के व्यापारिक संगठनों का एक संघ है। कलकत्ता में स्थित इस संघ की स्थापना वर्ष 1900 में हुई थी और उस समय इसे एसोसियेशन ऑफ मर्चेन्ट्स के रूप में जाना जाता था। .
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की)
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry / FICCI) भारत के व्यापारिक संगठनों का संघ है। इसकी स्थापना १९२७ में महात्मा गांधी की सलाह पर घनश्याम दास बिड़ला एवं पुरुषोत्तम ठक्कर द्वारा की गयी थी। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। दिसंबर २०१६ से पंकज पटेल अध्यक्ष हैं। .
भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचेम)
भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (अंग्रेजी:The Associated Chambers of Commerce and Industry / ASSOCHAM) या एसोचैम भारत के वाणिज्य संघों की प्रतिनिधि संस्था है। इसकी स्थापना 1920 में हुई थी। इस समय भारत की एक लाख से अधिक कंपनियाँ इसकी सदस्य हैं। एसोचैम भारत की वाणिज्य एवं व्यापार के हितों की रक्षा के लिये काम करता है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष सन्दीप जगोड़िया है। .
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JAC Jharkhand Board 12th Arts, Commerce Result 2022: इन 5 स्टेप्स से चेक करें झारखंड बोर्ड 12वीं कॉमर्स, आर्ट्स के नतीजे, कर लें नोट
Jharkhand Board 12th Commerce and Arts Result 2022: झारखंड बोर्ड आज 12वीं कॉमर्स और आर्ट्स का रिजल्ट जारी.
JAC Jharkhand Board 12th Arts, Commerce Result 2022: 12वीं आर्ट्स एवं कॉमर्स का रिजल्ट झारखंड एकेडमिक काउंसिल, JAC की ओ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 30, 2022, 17:01 IST
JAC Jharkhand Board 12th Arts Commerce Result 2022: झारखंड बोर्ड 10वीं एवं 12वीं साइंस के बाद अब 12वीं आर्ट्स एवं कॉमर्स का रिजल्ट झारखंड एकेडमिक काउंसिल, JAC की ओर से आज जारी कर दिया गया है. जिसके बाद बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट jac.jharkhand.gov.in पर जेएसी 12वीं इंटर और कॉमर्स के नतीजे उपलब्ध करा दिए गए हैं. इससे पहले झारखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं साइंस का रिजल्ट 21 जून को जारी किया गया था.
फिलहाल झारखंड बोर्ड 12वीं कॉमर्स और आर्ट्स का रिजल्ट कैसे चेक करना है इसकी आसान प्रक्रिया नीचे साझा की जा रही है. छात्र नीचे दिए जा रहे 5 आसान स्टेप्स को फॉलो कर नतीजे देख सकेंगे.
ऐसे देखें रिजल्ट
-आधिकारिक वेबसाइट jac.jharkhand.gov.in पर जाएं.
-अब मुख्य पृष्ठ पर उपलब्ध जेएसी 12 वीं आर्ट्स, कॉमर्स के रिजल्ट लिंक पर क्लिक करें.
-इसके बाद रोल नंबर एवं मांगी गई अन्य जानकारी दर्ज करें.
-अब सबमिट पर क्लिक करते ही रिजल्ट आपके स्क्रीन पर आ जाएगा.
-रिजल्ट डाउनलोड कर ले और भविष्य के संदर्भ के लिए उसकी एक हार्ड कॉपी निकाल कर रख लें.
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गौरतलब है कि झारखंड 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं 24 मार्च से 25 अप्रैल तक प्रदेश के 685 परीक्षा केंद्रों में आयोजित की गई थी. जिसमें आर्ट्स की परीक्षा में 1,90,819 एवं कॉमर्स में 24,313 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
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