डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है

DigiYatra: जानें डिजियात्रा में कैसे आपका चेहरा बनेगा बोर्डिंग पास और पैसेंजर्स के डेटा की सुरक्षा का क्या है इंतजाम
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली एयरपोर्ट पर डिजियात्रा सर्विस शुरू हो गई है। इसका मतलब यह है कि अब आपको अपनी पहचान साबित करने के लिए कोई डॉक्युमेंट दिखाने की जरूरत नहीं होगी। आपका चेहरा ही आपकी पहचान होगा। इससे एयरपोर्ट पर टाइम बचेगा और लंबी लाइनों में खड़े रहने की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा एयरपोर्ट पर आपका अनुभव काफी हद तक कॉन्टैक्टलेस हो जाएगा। गुरुवार को दिल्ली, बेंगलुरु और वाराणसी एयरपोर्ट पर इसकी शुरुआत की गई। अगले साल मार्च तक देश के चार और एयरपोर्टों हैदराबाद, पुणे, विजयवाड़ा और कोलकाता में इसकी शुरुआत दूसरे चरण में कर दी जाएगी। तीसरे चरण में देश के सभी एयरपोर्ट्स पर इसकी शुरुआत होगी। डिजी यात्रा के लिए यात्रियों को एक बार अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। उसके बाद चेहरे की पहचान करके ई-गेट के जरिए यात्रियों को एंट्री मिलेगी।
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पूरी तरह सुरक्षित डिजियात्रा सिस्टम
सिंधिया ने कहा, ‘डिजियात्रा सिस्टम में डेटा को एनक्रिप्टेड रूप में सुरक्षित रखा जाएगा। पहले हमने एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम पर विचार किया जिसमें सारे डेटा हों, लेकिन फिर प्राइवेसी, डेटा चोरी के विषयों पर ध्यान गया। हमने डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम को चुना जिसमें यात्रियों की डिटेल यात्री के मोबाइल फोन पर ही होगा। आपका डेटा सुरक्षित रखा जाएगा। डेटा यात्री के फोन में सुरक्षित होगा और एयरपोर्ट पर साझा किया जाने वाला डेटा यात्रा के 24 घंटे बाद ही हटा दिया जाएगा।’ पैसेंजर्स जिस एयरपोर्ट से उड़ान भरेंगे उसे डेटा यात्रा से 24 घंटे पहले ही भेजा जाएगा। डिजियात्रा एंड्रॉयड और आईओएस प्लैटफॉर्म पर उपलब्ध है। अगर, कोई भी यात्री डिजी यात्रा सेवा का इस्तेमाल करता है तो उसके चेहरे की बायोमीट्रिक ली जाएगी। पहले से सेव डेटा के मुताबिक, पहचान की जाएगी जांच सही होने पर एयरपोर्ट में जाने की इजाजत दी जाएगी। अगर पोर्टल पर डेटा सेव नहीं है, तो एंट्री की इजाजत नहीं मिलेगी।
डिजियात्रा कहां-कहां?
गुरुवार से दिल्ली एयरपोर्ट के साथ बेंगलुरु और वाराणसी एयरपोर्ट पर डिजियात्रा सर्विस शुरू हो गई है। मार्च तक कोलकाता, हैदराबाद, विजयवाड़ा और पुणे में भी यह सर्विस शुरू हो जाएगी। धीरे-धीरे पूरे देश में इसे लागू कर दिया जाएगा।
ऐप कैसे करेगा काम?
सबसे पहले डिजियात्रा ऐप डाउनलोड करें और रजिस्ट्रेशन करें। फिर आधार कार्ड की डिटेल भरें या डिजिलॉकर ऐप से लिंक करें। इसके बाद फोन से सेल्फी लेने का ऑप्शन आएगा, जिससे आपका चेहरा ऐप में रिकॉर्ड हो जाएगा।
एयरपोर्ट पर क्या होगा?
ई-गेट पर बोर्डिंग पास स्कैन करें। उसके बाद कैमरे के सामने खड़े हो जाएं। आपके चेहरे का मिलान होते ही गेट खुल जाएगा।
‘डिजिटल रुपी’ आने ही वाला है, जानें क्या है यह
नई दिल्ली। Digital Rupee Explainer: मोदी कार्यकाल का 10वां बजट (Budget 2022) आज मंगलवार को संसद में पेश डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है हुआ। अपनी बजट स्पीच के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आरबीआई की डिजिटल करेंसी पर बड़ा ऐलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपी’ को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही लॉन्च कर दिया जाएगा।
डिजिटल रुपी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी व अन्य टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए पेश किया जाएगा। यह डिजिटल इकनॉमी को बिग बूस्ट देगा। करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा इफीशिएंट और कम लागत वाला बनाएगा। आइए जानते हैं कैसा हो सकता है आरबीआई की डिजिटल करेंसी का स्वरूप…
किसी केन्द्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) कहा जाता है। जिस देश का केंद्रीय बैंक (Central Bank) इसे जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है। डिजिटल करेंसी उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है और इसे देश की सॉवरेन करेंसी (Sovereign Currency) में बदला जा सकता है। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल (Retail) और होलसेल (Wholesale)। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है।
लीगर टेंडर होगा डिजिटल रुपी
भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBCD से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे।
रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) का प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को भी बैंक नोट (Bank Note) की परिभाषा में रखा जाए यानी डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को भी ‘बैंक नोट’ की तरह देखा जाए। इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए इंटरमीडियरीज की जरूरत होगी।
क्रिप्टोकरेंसी से अलग
डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है।
डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है
क्रिप्टो एक्सचेंज रिजर्व फंड रिपोर्ट।crypto exchange reserve fund report
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