मूल्य नीति

मूल्य नीति
(% में)
गेहूं, चावल (सामान्या), चावल (अच्छा), धान (सामान्यं), धान (अच्छा), धान (बहुत अच्छा/बास्माती), सोयाबीन, कपास की गांठें-मध्यधम रेशा, कपास की गांठें-बड़ा रेशा, रबर, तिल के बीज, अलसी (केस्टार) बीज
मसूर, मसूर दाल, मक्का, चना, चना दाल, कपास बीज, अरहर, अरहर दाल,उड़द, मूंग, मूंगफली (गुठली) बीज, खोल मूल्य नीति सहित मूगफली, काली मिर्च, सरसों, सूरजमुखी, गुड़, ग्वार बीज, ग्वार का गोंद, कपास बीज, मूंगफली का तेल, सरसों तेल, सोया का मूल्य नीति तेल, पीली मटर, बाजरा, ज्वार, जीरा, जूट,
हल्दी, अलसी (Alsi), मिर्च, अजवाइन, सीलियम (ईसबगोल), मेथी बीज, इमली (बीज के साथ), इमली (बीज के बिना)
मोटा अनाज के समर्थन मूल्य पर उपार्जन के लिए समीक्षा बैठक संपन्न
26 नवम्बर 2022, खरगोन: मोटा अनाज के समर्थन मूल्य पर उपार्जन के लिए समीक्षा बैठक संपन्न – कलेक्टर श्री कुमार पुरूषोत्तम की अक्ष्यक्षता में खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 मोटा अनाज (ज्वार) की समर्थन मूल्य मूल्य नीति पर उपार्जन के लिए समीक्षा बैठक आयोजित हुई। उपार्जन के लिए समर्थन मूल्य पर ज्वार का उपार्जन 2990 रू. मालदण्डी एवं ज्वार हाईब्रिड 2970 रूपये प्रति क्विंटल की दर से 1 दिसंबर से 31 दिसंबर तक किया जाएगा। कृषकों से उपार्जन कार्य सप्ताह में 5 दिवस सोमवार से शुक्रवार किया जाना है।
जिले में मोटा अनाज (ज्वार) उपार्जन के लिए उपार्जन केन्द्रों का निर्धारण गया है। इनमें उपार्जन केन्द्र श्री विनायक वेयर हाउस भीकनगांव खरीदी स्थल विपणन सहकारी मार्के. सोसायटी लि. भीकनगांव तथा उपार्जन केन्द्र से मेप किसान 257 एवं उपार्जन केन्द्र जनहित विपणन सहकारी संस्था करही खरीदी के लिए खण्डेलवाल हाउस करही एवं 33 उपाजन केन्द्र से मैप किसान है। बैठक में उपायुक्त सहकारिता ,महाप्रबंधक जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, उप संचालक, किसान कल्याण कृषि विकास, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम, जिला प्रबंधक वेयरहाउसिंग एवं जिला आपूर्ति अधिकारी उपस्थित रहे।
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सितंबर के अंत तक जारी होगी नई नीति: अफीम फसल का मूल्य बढ़ाएं, अफीम नीति में पुराने कटे हुए पट्टे भी हो बहाल हों : सांसद जोशी
आगामी अफीम नीति में किसानों को राहत पहुंचाने का प्रयास होना चाहिए। किसानों के हितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मूल्य नीति इसके साथ ही किसानों के पुराने कटे हुए पट्टे भी बहाल होने चाहिए। यह बात चित्ताैड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने आगामी वर्ष 2022-23 के लिए जारी होने वाली अफीम नीति के विभिन्न सुझावों के लिए केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान कही।
सांसद ने कहा कि अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के किसानों के द्वारा दिए सुझावों का समावेश आगामी अफीम नीति (2022-23) में करने की आवश्यकता है। अफीम खेती में अनियमितताओं में संबधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो। जुड़े सब लोगों की जांच करवाकर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। अफीम खेती में लागत की अपेक्षा काफी कम दाम किसानों को मिल रहे अतः अफीम फसल का मूल्य बढ़ाया जाए। वर्ष 1998 से अभी तक के सभी प्रकार के पट्टे घटिया मार्फिन से हो या कम औसत से हो या अन्य किसी प्रकार से कटे हों उन्हें बहाल किया जाए। अफीम का रकबा यानि क्षेत्रफल को समान रूप से बराबर आवंटित किया जाए।
दैनिक तौल को बन्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि अफीम निकालते समय अफीम में पानी की मात्रा होती है। समय के साथ ही पानी सुखता रहता हैं एवं अफीम का वजन कम होता जाता है। जिन किसानों को अफीम लाईसेंस के लिए पात्र माना गया है उन किसानों को विभाग के द्वारा लाईसेंस पात्रता की सूचना लिखित में दी जाए। किसान यदि फसल बोना नहीं चाहता है तो यह किसान से लिखित में लिया जाए। अफीम तौल केन्द्र पर ही अफीम जांच का अंतिम परिणाम प्राप्त हो सके ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाए। अफीम फसल बुवाई के 45 दिनों के अन्दर गिरदावरी कार्य पूर्ण कर लिया जाए। विगत वर्ष में जिन किसानों को लाइसेंस तो मिल गए लेकिन किसी कारणवश फसल बो नहीं पाए, ऐसे किसान उसी वर्ष फसल बोने की शर्त के कारण वंचित रह गए। उन्हें भी इसी वर्ष फसल बोने की अनुमति मिले। बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के साथ झालावाड़-बांरा सांसद दुष्यन्त सिंह, मन्दसौर-नीमच सांसद सुधीर गुप्ता, शाहजहांपुर सांसद अरूण कुमार सागर, रंजन पाण्डेय, नारकोटिक्स कमिश्नर राजेश फतेसिंह ढाबरे भी उपस्थित रहे।
नपाई, कच्चे तौल के सिस्टम को पारदर्शी बनाने की मांग 1998-2003 तक वालों को पूर्व में सिर्फ 1 किग्रा की छूट दी गयी थी, इनको 5 किग्रा की छूट प्रदान की जाए। जिन किसानों की औसत में 5 वर्ष पूरे नही हो रहे हैं उनको प्रतिवर्ष औसत में छुट मिले। अफीम फसल की नपाई, कच्चे तौल, तौल एवं फैक्ट्री जांच के सिस्टम को पारदर्शी बनाया जाए। प्रत्येक किसान के अफीम लाइसेंस को दो भुखण्डो में मूल्य नीति बोने का नियम जो पिछले साल के अलावा सभी विगत वर्षों से चला आ रहा है, उसे पुनः लागू करवाया जाए।
किसान की मृत्यु के उपरान्त नामांतरण के बाद न्यूनतम क्षेत्र के लाईसेंस की बजाय उसकी उपज(योग्यता) के अनुसार अफीम लाईसेंस जारी करवाया जाए। वर्ष 2001 के पश्चात लगातार 3 वर्ष लाइसेंस मिलने पर फसल हंकवाने वाले काश्तकार को पुनः अवसर मिले। लाइसेंस मिलने की योग्यता में न्यूनतम मार्फिन को 3.5 किग्रा औसत रखा जाए। लाईसेंस प्राप्त किसान को पानी की कमी के कारण अन्य गांव में फसल बोने की छूट प्रदान करवायी जाए।
एयरलाइन कंपनियां बाजार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति जारी रखे हुए हैं: पुरी
नई दिल्लीः नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि भारत में एयरलाइन कंपनियां अब भी दूसरे के पर कतरने वाली मूल्य नीति पर चल रही हैं। उन्होंने आगाह किया कि यह सिलसिला अगर बना रहा तो कुछ अन्य एयरलाइनें भी डूब सकती हैं।
पुरी ने संवाददाता सम्मेलन में हालांकि यह भी कहा कि उनके मंत्रालय की ऐसी कोई सोच नहीं है कि विमान किरायों को विनियमित किया जाए। उन्होंने कहा कि किराए खुले बाजार की नीति के दायरे में ही रहने चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें बाजार में संतुलन बनाने की जरूरत है। एयरलाइन कंपनियों की खराब वित्तीय हालत के लिए केवल गलाकाट मूल्य स्पर्धा ही जिम्मेदार नहीं है। लेकिन यह कई कारणों में से एक कारण जरूर है।" पुरी ने कहा, "एयरलाइनों से बातचीत के बाद बाजार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति में कुछ कमी मूल्य नीति आई है; हमरा सुझाव है कि किराये को व्यवहारिक रखा जाए।"