म्युचुअल फंड्स

भारत में म्युचुअल फंड्स के प्रकार
म्युचुअल फंड आपको निवेश का एक विविध पोर्टफोलियो बनाने में आपकी मदद करता है और यह निवेश करने के सबसे आसान तरीकों में से एक है, क्युकी इसके लिए आपको किसी दूसरे इंसान की जरुरत नहीं पड़ती। म्युचुअल फंड्स की थोड़ी सी ज्ञान और आपके पास इंटरनेट से जुड़ा आपका स्मार्टफोन अथवा लैपटॉप ही काफी है म्युचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए।
लेख में मौजूद सामग्री
संरचना के आधार पर म्युचुअल फंड्स के प्रकार
- Open-Ended Funds (ओपन एंडेड फंड्स): वैसे म्युचुअल फंड्स जिसमे निवेशक कभी भी अपनी इक्षा अनुसार इसमें निवेश कर सकते हैं और अपनी सुविधा अनुसार इससे कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। अर्थात इस प्रकार के म्युचुअल फंड्स में किसी प्रकार की कोई समय की बाध्यता म्युचुअल फंड्स नहीं होती, इसमें पूरी तरह से आपकी मर्ज़ी चलती है।
- Closed-Ended Funds (क्लोज्ड एंडेड फंड्स): वैसे म्युचुअल फंड्स जिसमे निवेशकों के पास समय की बाध्यता होती है और Maturity के पूरा होने पर ही वो इस प्रकार के फंड्स से पैसों को निकाल पाते हैं। Maturity के पूरा होने पर इसमें से पैसे खुद ही निकले जाते हैं अथवा आपके बैंक अकाउंट में भेज दिए जाते है। इस तरह के फंड्स की ख़ास बात यह है की यह शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध (Listed) होती हैं।
- Interval Funds (इंटरवल फंड्स): ऐसे फंड्स ऊपर दिए गए दोनों फंड्स के बिच में आते हैं, क्यूंकि ऐसे फंड्स में आप मनचाहे एक ख़ास समय अंतराल के दौरान अपने म्यूच्यूअल फंड्स के यूनिट्स को खरीद या बेच सकते हैं।
एसेट के आधार पर म्युचुअल फंड्स के प्रकार
- इक्विटी फंड्स: वैसे म्युचुअल फंड्स जो कंपनी के शेयर में पैसों को निवेश करती है और इसमें मिलने वाला प्रॉफिट पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है की शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर कैसे पेश आते हैं। ऐसे फंड्स एक तरफ काफी ज़्यादा आपको फायदा पहुंचती है तो वहीँ दूसरी तरफ इसमें बाकियों की तुलना में थोड़े खतरे भी सम्मिलित होते हैं।
- डेब्ट फंड्स: वैसे म्युचुअल फंड्स जो निवेशकों के पैसों को फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी जैसे सरकारी सिक्योरिटी, कॉर्पोरेट बांड्स और ट्रेज़री बिल्स में निवेश करते है उसे डेब्ट फंड्स कहा जाता है। डेब्ट फंड्स थोड़े स्थिर होते हैं और इसमें रिस्क न के बराबर होता है।
- हाइब्रिड फंड्स: आप कुछ-कुछ अंदाजा इसके नाम से ही हो गया होगा की, वैसे फंड्स जो इक्विटी फंड्स और डेब्ट फंड्स दोनों ही प्रकार के फंड्स में निवेश करती है, वह हाइब्रिड फंड्स कहलाती है। अब किस फंड्स में कितने का रेश्यो में निवेश किया जाएगा इस बात का फैसला निवेशक कंपनी लेती है। हाइब्रिड फंड्स आम तौर पर बैलेंस भी हो सकते है या फिर इक्विटी फंड्स की तरह रिष्की भी हो सकते हैं।
निवेश लक्ष्य के आधार पर म्युचुअल फंड्स के प्रकार
आप अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुरूप भी म्यूच्यूअल फंड्स का चुनाव कर सकते हैं:
- कैपिटल प्रोटेक्शन फंड्स: ऐसे म्यूच्यूअल फंड्स में पैसों म्युचुअल फंड्स के कुछ हिस्सों का निवेश कंपनी फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में करती है और कुछ पैसों का निवेश इक्विटी में करती है। जिससे आपके गाढ़ी कमाई के पैसे सुरक्षित भी रहें और साथ ही इसपर आप प्रॉफिट भी कमा सकें। ऐसे फंड्स से मिले प्रॉफिट के पैसे आयकर के दायरे में आते हैं।
- ग्रोथ फंड्स: वैसे फंड्स जिनका एकमात्र उद्देश्य प्रॉफिट कमाना है, वह ग्रोथ फंड्स के श्रेणी में आते हैं। ऐसे फंड्स में पैसों का म्युचुअल फंड्स निवेश बहुत ही बेहतर प्रदर्शन कर रहे कंपनी के स्टॉक्स में ही लगाए जाते हैं। ऐसे फंड्स उनके लिए अच्छे माने जाते हैं जो लम्बी अवधी के निवेश करना चाहते हैं।
- लिक्विडिटी आधारित फंड्स: कुछ फंड्स को आपके निवेश की लिक्विडिटी के अनुसार फंड्स में विभाजित किये जाते हैं, और यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है की आप कितने समय अंतराल के लिए पैसों को निवेश करना चाहते हैं। इसमें म्युचुअल फंड्स अल्ट्रा शॉर्ट्स टर्म्स फंड्स वैसे निवेशकों को काफी आकर्षित करते हैं जो केवल कुछ समय के लिए निवेश करना चाहते हैं वहीँ दूसरी ओर रिटायरमेंट फंड्स वैसे निवेशकों को आकर्षित करती है जो लम्बी अवधी के लिए निवेश करना चाहते हैं।
- पेंशन फंड्स: इस फंड्स के बारे में आप तो इसके नाम से ही समझ गए होंगे की वैसे फंड्स जो लम्बे समय अंतराल में किये गए निवेश के पश्चात आपको नियमित समय अंतराल पर प्रॉफिट देती रहती है, उसे ही पेंशन फंड्स की श्रेणी में रखा जाता है। आमतौर पर हाइब्रिड फंड्स को ही पेंशन फंड्स के तौर पर देखा जाता है।
- Fixed Maturity Funds: आप को नाम पढ़कर इस इस बात का अंदाज़ आ गया होगा की आखिर यह किस प्रकार का म्युचुअल फंड्स म्यूच्यूअल फंड्स है। तो वैसे म्यूच्यूअल फंड्स जो केवल कुछ ख़ास समय अवधी के लिए पैसों को निवेश करती है और ऐसे फंड्स का उद्देश्य निवेशकों को समय अवधी पूरा होने के बाद एक मुश्त फायदा पहुँचाना होता है उसे ही Fixed Mutual Funds कहा जाता है। ऐसे फंड्स में आमतौर पर पैसों को सरकारी सिक्योरिटी बांड्स में लगाती है जिसका समय अंतराल निर्धारित होता है।
- टैक्स सेविंग फंड्स: वैसे म्यूच्यूअल फंड्स जिनका मुख्य उद्देश्य सेक्शन 80C के तहत आपके आयकर को बचाना होता है, वैसे फंड्स टैक्स सेविंग की श्रेणी में आते हैं। ऐसे म्यूच्यूअल फंड्स में ज़्यादातर म्युचुअल फंड्स पैसों को सिक्योरिटीज फंड्स में निवेश किया जाता है और यह थोड़ा कम रिष्की होता है।
अंतिम शब्द
इस लेख में अपने जाना की भारत में म्यूच्यूअल फंड्स के कितने प्रकार हैं, कहीं न कहीं यह लेख आपको म्युचुअल फंड्स में निवेश के पूर्व आपको अपने अनुसार म्यूच्यूअल फंड्स को चुनने में काफी ज़्यादा मदद करेगा। लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई उलझन, समस्या या फिर कोई सुझाव हो तब आप निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, म्युचुअल फंड्स धन्यवाद।
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आकाश कुमार एक Tech-Enthusiast और एक Electronics and Communications Engineering Graduate हैं, और इनका Passion है ब्लॉगिंग करना और लोगो तक सही एवं शटीक जानकारी पहुँचाना। अपने फ्री समय में ये Spotify में गाना सुनना पसंद करते हैं।
पारस्परिक निधि (म्युचुअल फंड)
म्युचुअल फंड ऐसी इकाई है जो विभिन्न प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए बड़ी संख्या में निवेशकों के पैसे को एकत्रित करती है। इस धन को तब विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए इकाई धारकों की ओर से एक पेशेवर निधि प्रबंधक द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
टिप्पणी: पारस्परिक निधियों (म्युचुअल फंड) में निवेश करने के लिए, निवेशकों को पारस्परिक निधि (म्यूचुअल फंड) संबंधी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) का अनुपालक होने की आवश्यकता होती है।
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Mutual Funds Investment Rules: म्यूचुअल फंड्स में निवेश के बदले नियम, जानें- आपके निवेश पर क्या होगा इसका असर?
Mutual Funds Investment Rules: म्यूचुअल फंड्स में निवेश के नियम आज यानी 1 जुलाई से बदल गए हैं. पिछले साल अक्टूबर में, सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था जो 1 अप्रैल, 2022 से म्यूचुअल फंड के लिए फंड की पूलिंग की अनुमति नहीं देता है, और समय सीमा को बाद में 1 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था.
Updated: July 1, 2022 4:26 PM IST
Mutual Funds Investment Rules Changed From 1 July 2022: अभी तक म्यूचुअल फंड्स में जो निवेश किए जाते थे, उसके लिए पैसे आपके खाते से ठीक उसी तरह से काटे जाते थे, जिस तरह से स्टॉक्स में निवेश करने पर डीमैट खाते से पैसे काटे जाते हैं. लेकिन, आज से, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिए स्टॉक ब्रोकरों द्वारा किसी भी रूप या तरीके से फंड और/या यूनिट्स की पूलिंग बंद कर दी जाएगी.
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1 जुलाई से म्यूचुअल फंड निवेश एक पूल खाते से शुरू नहीं किया जा सकता है. पैसा निवेशक के बैंक खाते से म्यूचुअल फंड हाउस के बैंक खाते में जाना है, जैसा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) द्वारा अनिवार्य है, क्योंकि स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा समर्थित सभी लेनदेन प्लेटफॉर्म इसे लागू करेंगे.
निवेशकों पर क्या होगा इसका असर?
नए नियमों के तहत अब निवेशकों के ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए नहीं किया जा सकेगा. पैसा सीधे निवेशक के बैंक खाते से फंड हाउस के बैंक खाते में जाएगा. इसलिए, यदि कोई म्यूचुअल फंड (MF) खरीदना चाहता है, तो उन्हें एएमसी को सीधे बैंक खाते से भुगतान करना होगा. इसी तरह, म्यूचुअल फंड को भुनाने के बाद, क्रेडिट निवेशक के डीमैट खाते से जुड़े बैंक खाते में आ जाएगा.
निवेशकों को अपनी सभी व्यवस्थित निवेश योजनाओं (SIP) के लिए सीधे अपने बैंक खाते से एक जनादेश स्थापित करने की आवश्यकता होगी, क्योंकि प्लेटफार्मों को सभी एसआईपी के लिए निवेश के एएमसी एसआईपी मोड में स्थानांतरित करना होगा.
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में, सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था जो 1 अप्रैल, 2022 से म्यूचुअल फंड के लिए फंड की पूलिंग की अनुमति नहीं देता है, और समय सीमा को बाद में 1 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था. समय सीमा में विस्तार कुशल प्रौद्योगिकी ओवरहाल और सेवा के लिए इसके सुचारू संक्रमण की सुविधा के लिए था. एसआईपी लेनदेन में विफल होने की कई शिकायतों के बाद निवेशक की जरूरत है.
नियामक ने म्यूचुअल फंड हाउस से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि कोई म्यूचुअल फंड वितरक, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, स्टॉकब्रोकर या निवेश सलाहकार पूल खाता न हो और फिर उन निवेशकों के लिए योजनाओं की इकाइयों की खरीद के लिए इसे फंड हाउस में स्थानांतरित कर दें. यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पैसे का दुरुपयोग न हो.
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म्यूचुअल फंड्स: स्विंग प्राइसिंग फ्रेमवर्क बड़े नुकसान से बचाएगा
नई दिल्ली। जब बाजार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है तो बड़े निवेशक म्यूचुअल फंड की स्कीम से अपनी पूंजी निकालने लगते हैं। इसका असर फंड के एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर होता है और इससे फंड में बने रहने वाले निवेशकों का नुकसान होता है। म्यूचुअल फंड्स से उठापटक वाले बाजार मे बड़ी निकासी को रोकने के लिए बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में स्विंग प्राइसिंग फ्रेमवर्क पेश किया है।
छोटे निवेशकों पर नहीं होगा कोई असर-
यह फ्रेमवर्क ओपन-एंडेड डेट फंड्स पर लागू होगा, जबकि ओवरनाइट फंड्स, गिल्ट फंड्स और 10 साल की मैच्योरिटी वाले गिल्ट को इससे बाहर रख गया है। इसके अलावा 2 लाख रुपए तक की निकासी पर स्विंग प्राइसिंग का असर नहीं होगा। यानी छोटे निवेशक जब चाहे पैसे निकाल सकेंगे और उनके रिटर्न पर स्विंग प्राइसिंग का असर नहीं होगा। यह फ्रेमवर्क 1 मार्च, 2022 से प्रभावी हो जाएगा।
ऐसे मिलेगा फायदा-
स्विंग प्राइसिंग लागू होने पर फंड में निकासी के दौरान निवेशकों को वह एनएवी मिलेगी जो स्विंग फैक्टर के तहत एडजस्ट की गई है। उठापटक के दौर में यदि बड़ी निकासी होती है तो स्कीम से बाहर निकलने पर कम एनएवी मिलेगा और एग्जिट चार्ज बढ़ जाएगा। इससे फंड में बने रहने वाले निवेशकों को फायदा होगा।
दो फीसदी तक होगा-
स्विंग प्राइसिंग सामान्य दिनों में भी लागू होगा। लेकिन इसमें स्विंग फैक्टर अलग म्युचुअल फंड्स तरीके से तय होंगे। स्विंग फैक्टर 1 से 2 फीसदी तक होगा। जब मार्केट अधिक वोलेटाइल होगा तो एग्जिट करने पर 2 फीसदी कम एनएवी मिलेगा। लेकिन आम दिनों में पार्शियल स्विंग लागू होगा, जो 1 फीसदी होगा।
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फ्रैंकलिन टेम्पलटन की बंद हुई स्कीम में करीब 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश
निवेशकों का पैसा जल्द से जल्द लौटाने को प्रतिबद्ध: फ्रेंकलिन टेम्पलटन MF
बंद की गई 6 योजनाओं में निवेशकों की 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम फंसी
RBI ने म्यूचुअल फंड्स के लिए शुरू की विशेष ऋण सुविधा, उपलब्ध कराएगा 50000 करोड़ रुपए का लोन
आरबीआई ने कहा कि वह सतर्क है और कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
कुछ योजनाओं के बंद होने से निवेशक घबराएं नहीं, डेट स्कीम में निवेश सुरक्षित: AMFI
फ्रेंकलिन टेम्पलटन MF ने छह डेट स्कीम को बंद करने का फैसला लिया है।
COVID-19 impact: फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने अपनी छह म्यूचुअल फंड योजनाओं म्युचुअल फंड्स को किया बंद
बाजार भागीदारों को आशंका है कि मौजूदा स्थिति अन्य ऋण योजनाओं को भी प्रभावित कर सकती है।
वित्त वर्ष 2019-20 में म्यूचुअल फंड कंपनियों ने 72 लाख से अधिक फोलियो जोड़े
बीते वित्त वर्ष में फोलियो की कुल संख्या 9 करोड़ के करीब पहुंच गई
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पिछले 15 महीने में SIP से हर महीने 8000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश
टैक्स बचाने के साथ करना चाहते हैं अपनी पूंजी में वृद्धि, तो ELSS फंड में करें निवेश
ईएलएसएस में ग्रोथ ऑप्शन निवेशकों के लिए सही रहता है। इस स्कीम में डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट म्युचुअल फंड्स का विकल्प नहीं मिलता है।
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आईडीएफसी म्यूचुअल फंड का आईडीएफसी डायनामिक इक्विटी फंड ने पिछले एक साल में 11.14 प्रतिशत की दर से रिटर्न दिया है।
म्युचुअल फंड्स के जरिए चाहते हैं तेज रिटर्न, ये है निवेश करने का सही फॉर्मूला
बेहतर रिटर्न के लिए कैसे तैयार करें म्यूचुअल फंड स्कीम का पोर्टफोलियो
भविष्य को लेकर और जागरुक हुए भारतीय, अप्रैल से जनवरी के बीच रिटायरमेंट फंड्स के AUM 25% बढ़े
रिटायरमेंट पर आधारित म्यूचुअल फंड्स स्कीम के एसेट अंडर मैनेजमेंट 25% बढ़े हैं
जनवरी के दौरान गोल्ड ईटीएफ म्युचुअल फंड्स में बढ़े 200 करोड़ रुपये, 7 साल में एक महीने की सबसे तेज बढ़त
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कोष प्रबंधकों ने कहा कि बांड आधारित योजनाओं में 1.09 लाख करोड़ रुपए के प्रवाह से म्यूचुअल फंड कंपनियों का एयूएम बढ़ा है।
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बजट प्रस्ताव पर टैक्स विभाग का बयान, 10% TDS सिर्फ म्यूचुअल फंड के लाभांश पर ही
टैक्स विभाग ने साफ किया कि म्यूचुअल फंड म्युचुअल फंड्स द्वारा लाभांश पर ही 10 प्रतिशत टीडीएस लागू होगा
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ज्यादा लाभदायक है बजट 2020: आशुतोष बिश्नोई
सबसे पहले तो बजट में पर्सनल आयकर स्लैब की वजह से आम आदमी के हाथ में ज्यादा खर्च करने के लिए पैसे मिलेंगे।
शनिवार को बजट के दिन खुले रहेंगे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड में कारोबार रहेगा बंद
बजट के दिन शेयर बाजार में आम दिनों की तरह ही कारोबार होगा
म्यूचुअल फंड उद्योग की परिसंपत्तियों में 2019 में हुआ 3.15 लाख करोड़ रुपए का इजाफा, 26.77 लाख करोड़ रुपए पर पहुंची
परिसंपत्तियों के आकार के आधार पर एचडीएफसी म्यूचुअल फंड शीर्ष स्थान पर है। उसके प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति 3,82,517 करोड़ रुपए रही।
अगर आप चाहते हैं अपने निवेश में वृद्धि और स्थिरता, तो बेहतर विकल्प हो सकता है महिंद्रा टॉप 250
हाल के समय में शीर्ष 250 कैटेगरी ने बेहतर रिटर्न निवेशकों को दिया है, जिसमें 7 और 10 साल की अवधि में इसने कभी निगेटिव रिटर्न नहीं दिया है।
2020 में निवेश के लिए ये हैं टॉप म्यूचुअल फंड्स विकल्प, कम जोखिम के साथ मिलेगा मोटा मुनाफा
हम आपको कुछ ऐसे टॉप म्यूचुअल फंड्स के बारे में बता रहे हैं, जिनमें मध्यम अवधि से लेकर दीर्घ अवधि तक के लिए निवेश किया जा सकता है।