टैक्स रिक्लेम क्या हैं

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हाउस टैक्स में छूट का आज अंतिम दिन, आचार संहिता के चलते आगे नहीं बढ़ सकेगी छूट की समय सीमा
जागरण संवाददाता, देहरादून : हाउस टैक्स में मिलने वाली बीस प्रतिशत छूट का आज अंतिम दिन है। इसके बाद पूरा टैक्स जमा कराना होगा। नगर निगम ने आमजन को छूट का लाभ लेने के लिए 28 फरवरी तक का समय दिया हुआ है। चूंकि, प्रदेश में चुनाव की आचार संहिता प्रभावी है और इस स्थिति में महापौर सुनील उनियाल गामा छूट की सीमा आगे बढ़ाने का निर्णय नहीं ले सकते। इस पर केवल शासन निर्णय ले सकता है, लेकिन शासन में फिलहाल संशय की स्थिति है। लिहाजा, आज के बाद आमजन को पूरा टैक्स जमा कराना होगा।
कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर के कारण नगर निगम को इस वित्तीय वर्ष में भी हाउस टैक्स की वसूली के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। वर्ष 2020 में मार्च में लाकडाउन लगने व इसके कारण तीन माह तक टैक्स जमा न होने की वजह से निगम पिछले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य के सापेक्ष 50 प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया था। इस वित्तीय वर्ष में निगम ने हाउस टैक्स में 50 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा हुआ है जबकि अभी तक महज 27 करोड़ रुपये टैक्स ही जमा हुआ है। मौजूदा समय में शहरी क्षेत्र का दायरा भी बढ़कर 60 से 100 वार्ड हो चुका है। सरकार ने चार साल पहले शहर से सटे 72 ग्राम को शहरी सीमा में मिलाने का कार्य किया था। इसके बाद नए परिसीमन से 31 नए वार्ड बने, जबकि पुराने 60 वार्ड बढ़कर 69 हो गए। अब 69 वार्ड में सभी भवनों (आवासीय व व्यावसायिक) पर टैक्स लगा हुआ है जबकि नए 31 वार्ड को सरकार ने 10 वर्ष तक हाउस टैक्स से मुक्त रखा हुआ है।
कुल मिलाकर करीब सवा लाख भवनों टैक्स रिक्लेम क्या हैं पर टैक्स लगा हुआ है, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में अब तक करीब 70 हजार भवनों से ही टैक्स वसूली हो पाई है। हाउस टैक्स नगर निगम के राजस्व का बड़ा साधन है और इसकी वसूली न होने से निगम अधिकारी चिंतित हैं। नगर निगम हर साल टैक्स वसूली के लिए सभी वार्डों में कैंप लगाता था, लेकिन कोरोना के कारण कैंप भी नहीं लग पाए। वर्तमान में निगम की ओर से टैक्स में 20 प्रतिशत छूट दी जा रही। पहले इसकी अंतिम सीमा 31 दिसंबर थी, जिसे महापौर ने 28 फरवरी कर दिया था। आज इस सीमा का अंतिम दिन है।
छुट्टी में जमा हुआ छह लाख टैक्स
रविवार को नगर निगम मुख्यालय समेत इसके जोनल दफ्तरों में हाउस टैक्स के काउंटर सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक खुले रहे। कर अधीक्षक धर्मेश पैन्यूली ने बताया कि छुट्टी के बावजूद आमजन को राहत देने के उद्देश्य से टैक्स काउंटर खोले गए थे। रविवार को कुल छह लाख रुपये टैक्स जमा हुआ।
MF में डिविडेंड प्लान लेना चाहिए या ग्रोथ प्लान, कहां होगा आपको ज्यादा फायदा?
ग्रोथ प्लान में मुनाफा रिइंवेस्ट होता है, वहीं डिविडेंड प्लान में मुनाफे का कुछ हिस्सा डिविडेंड के रूप में निवेशक को वापस दिया जाता है.टैक्स रिक्लेम क्या हैं
- Vijay Parmar
- Publish Date - August 2, 2021 / 04:37 PM IST
Mutual Fund Investment: म्यूचुअल फंड में निवेशक को आवश्यकता के अनुसार निवेश करने का मौका मिले इस उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के प्लान बनाएं गए है, जिसमें ग्रोथ प्लान और डिविडंड प्लान भी शामिल है. दोनों विकल्प में से कौन सा प्लान आपके लिए सही है उसका चुनाव आपके वित्तीय उद्देश्यों और जरूरतों पर निर्भर करता है. यदि आपको नियमित आय की आवश्यकता हैं तो आप डिविडेंड प्लान में निवेश कर सकते हैं और अगर आपको नियमित Cash Flow की आवश्यकता नहीं हैं तो आप ज्यादा रिटर्न के लिए ग्रोथ प्लान में निवेश कर सकते हैं. म्यूच्यूअल फंड के ग्रोथ प्लान अधिक लोकप्रिय हैं और अधिकतर निवेशकों द्वारा इसी विकल्प में निवेश किया जाता है.
एनएवीः
डिविडेंड प्लान का एनएवी ग्रोथ प्लान से अलग हो सकता है. दरअसल, ज्यादातर मामलों में ग्रोथ प्लान का एनएवी डिविडेंड प्लान से ज्यादा पाया जाता है. डिविडेंड प्लान में निवेशक को डिविडेंड का भुगतान करते ही एनएवी में गिरावट होती है. ग्रोथ और डिविडेंड प्लान दोनों योजना समान है, लेकिन चक्रवृद्धि प्रभाव के कारण एनएवी में अंतर है. दोनों प्लान में समान प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है लेकिन लाभ के वितरण का तरीका भिन्न होता है. निवेश का उद्देश्य, होल्डिंग्स, प्रदर्शन और फंड मैनेजर वही रहता है. केवल रिटर्न देने का तरीका बदल जाता है.
मुनाफाः
ग्रोथ प्लान में जो भी मुनाफा होता हैं, वह फंड हाउस द्वारा डिविडेंड के रूप में वापस भुगतान ना करके पुनःनिवेश (reinvest) कर दिया जाता है. इसलिए जब भी आपकी म्यूच्यूअल फंड स्कीम लाभ कमाती है तो आप की स्कीम की NAV (Net Asset Value) भी बढ़ती है. NAV बढ़ने से आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू में इजाफा होता रहता है. आपका प्रॉफिट रिइन्वेस्ट होने से कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. इसमें लाभ पुनः निवेशित होने से लाभ पर भी रिटर्न्स मिलना प्रारम्भ हो जाते हैं जिससे आपका रिटर्न तेजी से बढ़ने लगता हैं.
टैक्सः
ग्रोथ प्लान में इक्विटी फंड है तो निवेश को 12 महीने से कम होल्ड करके बेचने पर 15% की दर से STCG टैक्स देना होता हैं, वहीँ 12 महीने या उससे ज्यादा रखने पर 10% की दर से LTCG टैक्स देना होता हैं. यदि आपने ग्रोथ प्लान में डेट फंड चुना है तो 36 महीनें से कम होल्ड करने पर होने वाला लाभ आपकी आय में जोड़कर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स काटा जाएगा. 36 महीनें या ज्यादा अवधि तक होल्डिंग से होने वाला लाभ 20% की दर से LTCG टैक्स गीना जाएगा.
डिविडेंड प्लान में निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स लगता हैं. प्राप्त डिविडेंड पर भारतीय नागरिक के लिए 10% की दर से TDS जबकि NRI के लिए 20% की दर से टीडीएस काटा जाता हैं. यदि मिलने वाला डिविडेंड ₹5,000 से कम है तो कोई टीडीएस नहीं काटा जायेगा. यदि आपको मिलने वाले डिविडेंड पर टीडीएस काटा गया है पर आपकी आय टैक्सेबल इनकम से कम है तो आप अपने टीडीएस को रिक्लेम कर सकते हैं.
आपको क्या टैक्स रिक्लेम क्या हैं करना चाहिए?
ग्रोथ ऑप्शन उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प होगा जो अपना मुनाफा रिइन्वेस्ट करके कंपाउंडिंग का फायदा लेना चाहते हैं. जो निवेशक नियमित आय का साधन ढूंढ रहे हैं उनके लिए ग्रोथ ऑप्शन अच्छा विकल्प नहीं हैं. यदि आप एक ऐसे निवेशक हैं जिसे अपने निवेश पर एक नियमित आय चाहिए तो आप म्यूच्यूअल फण्ड का डिविडेंड प्लान चुन सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद में नियमित आय के रूप में म्यूच्यूअल फण्ड डिविडेंड प्लान लिया टैक्स रिक्लेम क्या हैं जा सकता हैं
Income Tax Return: क्लेम की तुलना में कम आया रिफंड? जानें क्या है टैक्स रिक्लेम क्या हैं वजह
क्या आपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया है? क्या आपने आईटीआर में टैक्स रिफंड के लिए क्लेम किया है? क्या आपके द्वारा किए गए क्लेम की तुलना में आपको कम रिफंड आया है? अगर हां, तो परेशान होने की.
क्या आपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया है? क्या आपने आईटीआर में टैक्स रिफंड के लिए क्लेम किया है? क्या आपके द्वारा किए गए क्लेम की तुलना में आपको कम रिफंड आया है? अगर हां, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आइए बताते हैं कि आपको क्यों कम पैसा रिफंड हुआ टैक्स रिक्लेम क्या हैं है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट चरणबद्ध तरीके से पैसा रिफंड कर रहा है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने जितना क्लेम किया था उतना पैसा नहीं मिला। इसकी वजह है इनकम टैक्स के पोर्टल कुछ तकनीकी दिक्कत आना। यही वजह है कि टैक्सपेयर्स को क्लेम की तुलना में कम रिफंड आया है।
Tax2win.in के CEO और को-फाउंडर अभिषेक सोनी कहते हैं, 'टैक्स रिक्लेम क्या हैं हम लोगों ने यह देखा कि जिन टैक्सपेयर्स का फाॅर्म सही है भरा है। उनमें भी कुछ लोगों को क्लेम की तुलना में कम रिफंड आया है। उम्मीद है कि विभाग इस मसले को जल्द ठीक कर लेगा।' बता दें, इनकम टैक्स पोर्टल पर आ रही दिक्कतों की वजह से ही आईटीआर फाइल करने की तिथि 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई थी।