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अमेरिकी विकल्प

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उन्होंने कहा कि युद्ध के इर्द-गिर्द उत्पन्न हुआ संकट अब बढ़ रहा है और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर परिस्थितियाँ बिगड़ रही हैं.

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Aap ko kya acha nahi laga

फैशन में हमको दिया हुआ है दिए गए विकल्पों में से कौन सा विकल्प क्षेत्रफल के अवरोही क्रम में है निम्नलिखित में से महाद्वीपों का सार्थक क्रम को दर्शाता है हमें दिया एक दक्षिण अमेरिका हमें दिया दो अफ्रीका हमें दिया 3 यूरो 4 ऑस्ट्रेलिया नंबर 5 उत्तरी अमेरिका इनका विकल्प भी दिया हुआ हमको एक प्रश्न के उत्तर के विकल्प दो विकल्प तीन विकल्प चार अब इसमें क्या हम जो यह हमारा अफ्रीका महाद्वीप है किस महाद्वीप में में क्षेत्रफल के हिसाब से इनको अवरोही क्रम में लिखना अवरोही क्रम में क्या सबसे पहले बड़ा फिर उससे छोटा अमेरिकी विकल्प फिर उससे छोटा इसको बोलते हैं घटता हुआ क्रम स्कूल लिख लेते हैं सबसे पहले सबसे बड़ा कौन सा इसमें अफ्रीका महादीप अफ्रीका को लिख लेते हैं हम आफ्रिका आफ्रिका लिख दिया हमने अफ्रीका के बाद अफ्रीका के बाद क्या आएगा हमारा दूसरा

रूस: यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, विदेश मंत्री

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने शनिवार, 24 सितम्बर, को यूएन महासभा के सभ के दौरान उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.

रूसी महासंघ के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने यूएन महासभा के 77वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन की सरकार ने पूर्वी हिस्से में अपने ही लोगों के विरुद्ध युद्ध छेड़ा हुआ था, और पश्चिमी देश बातचीत के लिये असमर्थ नज़र आ रहे थे. इन हालात में रूस के पास यूक्रेन में तथाकथित विशेष सैन्य अभियान को अमेरिकी विकल्प शुरू करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.

रूस के विदेश मंत्री ने शनिवार, 24 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के उच्चस्तरीय खण्ड के दौरान अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया.

रूस का कहना है कि यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों में रहने वाले रूसी समुदायों की रक्षा और सुरक्षा ख़तरों से निपटने के इरादे से ये विशेष सैन्य अभियान शुरू किया गया.

उकसाने की कोशिशें

विदेश मंत्री लैवरोफ़ के अनुसार, अमेरिका विभाजित करने वाली लकीरों को थोप रहा है, और देशों को बता रहा है कि या तो आप हमारे साथ हैं, या फिर विरुद्ध हैं.

इसका अर्थ यह है कि ईमानदार संवाद के बजाय, ग़लत व भ्रामक सूचना फैलाने और उकसाने की कोशिशें की जा रही हैं.

रूसी विदेश मंत्री ने यूएन महासचिव की सराहना की, जिन्होंने यूक्रेन में युद्ध के कारण उपजे वैश्विक खाद्य व ऊर्जा संकट से निपटने के लिये संगठित प्रयास किये हैं.

उन्होंने वैश्विक महामारी के दौरान पश्चिमी देशों पर आर्थिक कुप्रबन्धन के लिये दोषारोपण किया, और कहा कि उनके देश के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबन्ध, रूस के विरुद्ध आर्थिक युद्ध छेड़े जाने के समान है.

उन्होंने काला सागर अनाज निर्यात पहल की प्रशंसा की, जिससे यूक्रेन व रूस से भोजन व उर्वरक की आपूर्ति सम्भव हुई है और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में भी कमी लाने में मदद मिलेगी.

‘रूसोफ़ोबिया’ का दावा

विदेश मंत्री लैवरोफ़ ने महासभा को बताया कि जिनसे आपत्ति है, उनके विरुद्ध पश्चिमी जगत ने ‘धर्मयुद्ध’ छेड़ा हुआ है.

उनके मुताबिक़ NATO संगठन, क्षेत्र में और उससे परे भी अपने दबदबे के रास्ते में रूस को केवल एक ख़तरे के रूप में देखता है.

उन्होंने कहा कि रूस से भय व नापसन्दगी (Russophobia) अभूतपूर्व स्तर तक पहुँच गया है, और पश्चिमी देश ये छिपा भी नहीं रहे हैं कि वे रूस को सैन्य रूप से हराना, ध्वस्त अमेरिकी विकल्प व तोड़ना चाहते हैं.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमर्शहॉल्ड को उद्धत करते हुए कहा कि, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना मानवता को स्वर्गलोक तक ले जाने के लिये नहीं हुई है, बल्कि उसे नर्क से बचाने के लिये हुई है.

विदेश मंत्री ने कहा कि भावी पीढ़ियों के लिये शान्तिपूर्ण व समरसतापूर्ण विकास की परिस्थितियाँ सृजित करने के लिये, हमारे वैयक्तिक व सामूहिक दायित्व को समझा जाना होगा, और इसके लिये राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शाए जाने की आवश्यकता है.

रूस: यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ अमेरिकी विकल्प के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, विदेश मंत्री

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने शनिवार, 24 सितम्बर, को यूएन महासभा के सभ के दौरान उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.

रूसी महासंघ के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने यूएन महासभा के अमेरिकी विकल्प 77वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन की सरकार ने पूर्वी हिस्से में अपने ही लोगों के विरुद्ध युद्ध छेड़ा हुआ था, और पश्चिमी देश बातचीत के लिये असमर्थ नज़र आ रहे थे. इन हालात में रूस के पास यूक्रेन में तथाकथित विशेष सैन्य अभियान को शुरू करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.

रूस के विदेश मंत्री ने शनिवार, 24 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के उच्चस्तरीय खण्ड के दौरान अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया.

रूस का कहना है कि यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों में रहने वाले रूसी समुदायों की रक्षा और सुरक्षा ख़तरों से निपटने के इरादे से ये विशेष सैन्य अभियान शुरू किया गया.

उकसाने की कोशिशें

विदेश मंत्री लैवरोफ़ के अनुसार, अमेरिका विभाजित करने वाली लकीरों को थोप रहा है, और देशों को बता रहा है कि या तो आप हमारे साथ हैं, या फिर विरुद्ध हैं.

इसका अर्थ यह है कि ईमानदार संवाद के बजाय, ग़लत व भ्रामक सूचना फैलाने और उकसाने की कोशिशें की जा रही हैं.

रूसी विदेश मंत्री ने यूएन महासचिव की सराहना की, जिन्होंने यूक्रेन में युद्ध के कारण उपजे वैश्विक खाद्य व ऊर्जा संकट से निपटने के लिये संगठित प्रयास किये हैं.

उन्होंने वैश्विक महामारी के दौरान पश्चिमी देशों पर आर्थिक कुप्रबन्धन के लिये दोषारोपण किया, और कहा कि उनके देश के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबन्ध, रूस के अमेरिकी विकल्प विरुद्ध आर्थिक युद्ध छेड़े जाने के समान है.

उन्होंने काला सागर अनाज निर्यात पहल की प्रशंसा की, जिससे यूक्रेन व रूस से भोजन व उर्वरक की आपूर्ति सम्भव हुई है और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में भी कमी लाने में मदद मिलेगी.

‘रूसोफ़ोबिया’ का दावा

विदेश मंत्री लैवरोफ़ ने महासभा को बताया कि जिनसे आपत्ति है, उनके विरुद्ध पश्चिमी जगत ने ‘धर्मयुद्ध’ छेड़ा हुआ है.

उनके मुताबिक़ NATO संगठन, क्षेत्र में और उससे परे भी अपने दबदबे के रास्ते में रूस को केवल एक ख़तरे के रूप में देखता है.

उन्होंने कहा कि रूस से भय व नापसन्दगी (Russophobia) अभूतपूर्व स्तर तक पहुँच गया है, और पश्चिमी देश ये छिपा भी नहीं रहे हैं कि वे रूस को सैन्य रूप से हराना, ध्वस्त व तोड़ना चाहते हैं.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमर्शहॉल्ड को उद्धत करते हुए कहा कि, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना मानवता को स्वर्गलोक तक ले जाने के लिये नहीं हुई है, बल्कि उसे नर्क से बचाने के लिये हुई है.

विदेश मंत्री ने कहा कि भावी पीढ़ियों के लिये शान्तिपूर्ण व समरसतापूर्ण विकास की परिस्थितियाँ सृजित करने के लिये, हमारे वैयक्तिक व सामूहिक दायित्व को समझा जाना होगा, और इसके लिये राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शाए जाने की आवश्यकता है.

रूसी हथियारों को लेकर अमेरिका को भारत की दो टूक- बाकी विकल्प हैं बहुत महंगे: रिपोर्ट

India Told US Alternatives To Russian Weapons Too Expensive | रूसी हथियारों को लेकर अमेरिका को भारत की दो टूक- बाकी विकल्प हैं बहुत महंगे: रिपोर्ट

Highlights चीन और पाकिस्तान का सामना करने के लिए अमेरिका द्वारा हथियारों का विकल्प देने में मदद करने का प्रस्ताव दिया गया था। 11 अप्रैल को भारत और अमेरिका के बीच होने वाली 2 +2 बातचीत से पहले नूलैंड से भारत ने कहा कि रूसी हथियारों के विकल्प बहुत महंगे हैं।

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका लगातार भारत द्वारा रूस से हथियार खरीदने को लेकर अमेरिकी विकल्प नाराजगी जाहिर कर रहा है। बता दें कि अमेरिका लगातार भारत को रूस से हथियार और सस्ता तेल खरीदने को लेकर चेतावनी जारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच इन मुद्दों पर एकांत में होने वाली बातचीत से रुख अलग है। अमेरिका की उपविदेश सचिव विक्टोरिया नूलैंड की भारत यात्रा के दौरान हुई बातचीत का हवाला देते हुए नाम ना बताने की शर्त पर एक सूत्र ने ये जानकारी दी।

2023 सुजुकी हायाबुसा को अमेरिकी बाजार में मिलेंगे नए रंग, भारत में भी हो सकता है बदलाव

ऋषभ परमार

By ऋषभ परमार | अपडेटेड: 07-Jun-22 03:51 PM IST

शक्तिशाली सुजुकी हायाबुस को इस साल नए रंग विकल्प मिलेंगे. लेकिन नए रंग अभी के लिए केवल यूएसए में उपलब्ध होंगे. पर्ल विगोर ब्लू/पर्ल ब्रिलियंट व्हाइट, मैटेलिक मैट ब्लैक/ग्लास स्पार्कल ब्लैक और मैटेलिक थंडर ग्रे/कैंडी डेयरिंग रेड तीन नए कलर कॉम्बिनेशन ऑफर कर रहे हैं। बेशक, प्रतिष्ठित 'बुसा ग्राफिक्स मोटरसाइकिल के किनारों को सुशोभित करना जारी रखता है. मोटरसाइकिल पर कोई यांत्रिक परिवर्तन नहीं किया गया है, अन्य सभी उपकरण पहले की तरह ही शेष हैं.

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