क्रूड ऑयल ट्रेडिंग

वायदा पर रोक लगाने से कमोडिटी के दाम में नरमी नहीं, IIM उदयपुर की रिपोर्ट में खुलासा
इसी साल जनवरी के महीने में सेबी ने 7 कमोडिटी वायदा की ट्रेडिंग रोक दी थी। तब सेबी ने दलील दी थी कि इससे कीमतों के दाम घटेंगे लेकिन IIM उदयपुर की रिपोर्ट के नतीजे बिल्कुल अलग हैं
साल 2000 से अब तक के वायदा कारोबार पर नजर डालें तो रॉ जूट की वायदा पर 2005 में प्रतिबंध लगा था जबकि चावल की ट्रेडिंग पर 2007 पर प्रतिबंध लगा था।
कुछ कमोडिटी कीमतों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है। जिसका नतीजा यह है कि सरकार ने वायदा में उनकी ट्रेडिंग पर रोक लगा दी थी। इसी साल जनवरी के महीने में सेबी ने 7 कमोडिटी वायदा की ट्रेडिंग रोक दी थी। तब सेबी ने दलील दी थी कि इससे कीमतों के दाम घटेंगे। लेकिन हाल ही में आई IIM उदयपुर की एक रिपोर्ट वायदा पर रोक लगाने से कीमते कम होने की दलील को सही नहीं मानती। इस रिपोर्ट के मुताबिक कमोडिटी वायदा पर रोक के बाद भी कीमतें बढ़ती देखी गई हैं। यानी रिपोर्ट के मुताबिक वायदा पर रोक लगाने से स्पॉट (हाजिर भाव) के भावों पर कोई असर नहीं पड़ता।
आइए देखते है कि कब- कब किन कमोडिटीज की वायदा ट्रेडिंग पर रोक लगी है और इसका क्या असर हुआ है। यहां हम इस रोक के असर को समझने के लिए 2021 में सरसों की वायदा ट्रेडिंग पर लगाए गए प्रतिबंध और उसके असर का विश्लेषण करेंगे।
साल 2000 से अब तक के वायदा कारोबार पर नजर क्रूड ऑयल ट्रेडिंग डालें तो रॉ जूट की वायदा पर 2005 में प्रतिबंध लगा था जबकि चावल की ट्रेडिंग पर 2007 पर प्रतिबंध लगा था। वहीं गेहूं ट्रेडिंग में 2007, 2021 में प्रतिबंध लगा था जबकि तुअर की वायदा पर 2007 में, उड़द की वायदा पर 2007 में, सोया ऑयल की वायदा पर 2008, 2021 में, रबर की वायदा पर 2008 में, सोयाबीन, सरसों, धान (नॉन-बासमती) , क्रूड पाम ऑयल और मूंग की वायदा पर 2021 में प्रतिबंध लगा था।
आपको रातोंरात करोड़पति बना सकता है Commodity Market, बस जाननी होंगी ये बारीकियां
इन दिनों लोगों में शेयर मार्केट का बड़ा क्रेज है. क्योंकि यह कम समय में ही अच्छा खासा रिटर्न भी उपलब्ध कराता है, लेकिन स्टॉक मार्केट के अपने कुछ प्लस-माइनस भी हैं. जहां लोगों के मन में अच्छे-अच्छे शेयर खरीदकर लाखों करोड़ों कमाने की ललक रहती है, वहीं सेनसेक्स में गिरावट के साथ बड़ी रकम गंवाने का डर भी. लेकिन क्रूड ऑयल ट्रेडिंग आज हम आपको एक ऐसे मार्केट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने पहले सुना तो खूब होगा लेकिन यह कैसे काम करता है और आप इसमे निवेश कर कैसे अच्छा खासा रिटर्न हासिल कर सकते हैं और वो भी कम जोखिम के साथ.
क्या है कमोडिटी मार्केट
हम यहां बात कर रहे हैं कमोडिटी मार्केट की. हम पहले समझते हैं कि आखिर कमोडिटी मार्केट होता क्या है. दरअसल, ईश्वर या प्रकृति द्वारा बनाई गई चीजों को कमोडिटी कहा जाता है. जैसे खेतों में उगने वाली खाने-पीने की चीजें या धरती से निकलने वाली धातुएं आदि. कमोडिटी मार्केट में पूरे देश के लोग ट्रेडिंग करते हैं. भारत की बात करें तो हमारे देश में को प्रकार की ट्रेडिंग की जाती है. एक एग्री कमोडिटी और दूसरी नॉन एग्री-कमोडिटी.
एग्री-कमोडिटी- एग्री कमोडिटी में खेतों में उगने वाली चीजें आती हैं.
नॉन एग्री-कमोडिटी- इसमें बेशकीमती धातु जैसे सोना, चांदी, निकिल, एल्युमिनियम, जिंक व कॉपर के अलावा क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस आदि को शामिल किया जाता है.
कमोडिटी मार्केट में ट्रेड करने के लिए दो तरह के एक्सचेंज उपलब्ध हैं.
1. एमसीएक्स यानी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
2.एनसीडीईएक्स यानी नेशनल कमोडिटी डेरिवाटिव एक्सचेंज
अब बात करें एमसीएक्स की तो एमसीएक्स में ज्यादातर सोना, चांदी, तांबा, कच्चा तेल आदि की सबसे ज्यादा ट्रेडिंग होती है.
एनसीडीईएक्स में अधिकांश एग्री-कमोडिटी की ट्रेडिंग की जाती है.
ट्रेड करने के लिए केवल ट्रेडिंग अकाउंट की जरूत
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए हमें सबसे पहले एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है, जो किसी भी ब्रोकर के पार ओपन कराया जा सकता है. इसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी नहीं है. इसको उदाहरण के तौर पर देखें तो अगर हमें सोना खरीदना है तो या तो हम किसी ज्वैलर के पार जाएंगे या फिर कमोडिटी मार्केट में. इसको ऑनलाइन ट्रेडिंग भी कहा जा सकता है. यहां आपको बता दें कि नॉन एग्री-कमोडिटी मार्केट क्रूड ऑयल ट्रेडिंग में 88 प्रतिशत और एग्री कमोडिटी में 12 प्रतिशत ट्रेडिंग ही होती है.
लोट में होती है ट्रेडिंग
शेयर क्रूड ऑयल ट्रेडिंग मार्केट की तरह कमोडिटी मार्केट में भी ट्रेडिंग लोट में ही होती है. उदाहरण के तौर पर क्रूड ऑयल का 100 बैरल का एक लोट होता है या एक किलो सोने का एक लोट होता है. अब आप सोच रहे होंगे कि 50 लाख के एक किलो गोल्ड पर कौन भला ट्रेडिंग शुरू करेगा. ऐसा नहीं है, इसके लिए आपको मार्जिन मिल जाता है.
अब आप सोच रहे होंगे कि ये मार्जिक क्या है. उदाहरण के लिए मान लो कि आपको एक लाख रुपये पर ट्रेड करना है तो आपका ब्रोकर आपको मार्जिन दे देता है. इसका मतलह है कि आपको एक लाख के प्रोफिट पर ट्रेड तो करना है लेकिन आप मार्जिन के साथ 20 हजार रुपये से भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके साथ ही कमोडिटी मार्केट में आप सुबह 9 बजे से रात 11.30 बजे तक ट्रेडिंग कर सकते हो, जबकि शेयर मार्केट केवल सुबह सवा नौ बजे से शाम साढ़े तीन बजे तक ही खुलता है.
शेयर मार्केट से कितना अलग है कमोडिटी मार्केट, जानिए कैसे होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?
शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश क्रूड ऑयल ट्रेडिंग नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है.
कोरोना महामारी के बाद शेयर मार्केट में निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है. इसी साल अगस्त में डीमैट खातों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई. हालांकि, शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है. ऐसे में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी की मांग तेजी देखने को मिली है. क्या आपको पता है कि कमोडिटी मार्केट क्या है और यह इक्विटी यानी शेयर मार्केट से कितना अलग है.
कमोडिटी मार्केट क्या है?
कमोडिटी क्रूड ऑयल ट्रेडिंग मार्केट (Commodity Market) यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स, बेस मेटल्स, एनर्जी, कच्चे तेल जैसी कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं.
भारत में दो तरह की कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है…
- एग्री क्रूड ऑयल ट्रेडिंग या सॉफ्ट कमोडिटीज में मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च हैं. इसके अलावा सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना भी इसी का हिस्सा हैं.
- नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं.
इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है?
- इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. वहीं कमोडिटी मार्केट क्रूड ऑयल ट्रेडिंग में कच्चे माल को बेचा और खरीदा जाता है.
- इक्विटी के होल्डर को शेयरहोल्डर कहा जाता है, जबकि कमोडिटी के होल्डर को ऑप्शन कहा जाता है.
- शेयरहोल्डर को पार्शियल कंपनी का मालिक माना जाता है, लेकिन कमोडिटी मालिकों को नहीं.
- इक्विटी शेयरों की समाप्ति तिथि नहीं होती है. जबकि कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है.
- इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य माना जाता है. वहीं कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड का प्रावधान नहीं होता.
भारत में प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए प्रमुख एक्सचेंज हैं. इसमें मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के साथ-साथ यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड शामिल हैं.
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग कैसे होती है?
कमोडिटी में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होगी. डीमैट अकाउंट आपके सभी ट्रेड और होल्डिंग के सिक्योर करेगा, लेकिन एक्सचेंज पर ऑर्डर देने के लिए आपको ब्रोकर के माध्यम से जाना होगा.
Angel Broking ने क्रूड ऑयल फ्यूचर्स में ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोका, देश में 43 दिनों से यथावत हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
नई दिल्ली बिजनेस डेस्क। भारतीय स्टॉक ब्रोकरेज फर्म एंजेल क्रूड ऑयल ट्रेडिंग ब्रोकिंग ने अपने निवेशकों को ऑयल मार्केट के मौजूदा संकट से बचाने के लिए क्रूड ऑयल फ्यूचर्स में ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया है। पिछले सप्ताह सोमवार को WTI क्रूड के भाव के शून्य से क्रूड ऑयल ट्रेडिंग नीचे चले जाने आने और उसके बाद ब्रेंट ऑयल के दो दशकों के निचले स्तर पर आ जाने के बाद एंजेल ब्रोकिंग ने यह फैसला लिया है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एंजेल ब्रोकिंग से सूत्रों ने यह जानकारी दी है। वहीं, सोमवार को WTI क्रूड और ब्रेंट ऑयल दोनों के ही फ्यूचर भाव में गिरावट देखने को मिल रही है।
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को सुबह WTI क्रूड ऑयल और ब्रेंट क्रूड दोनों के ही फ्यूचर भाव में गिरावट देखने को मिल रही है। WTI क्रूड ऑयल सोमवार सुबह 9.21 फीसद या 1.55 डॉलर की गिरावट के साथ 15.44 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा था। वहीं, ब्रेंट ऑयल का फ्यूचर भाव सोमवार सुबह 2.46 फीसद या 0.55 डॉलर की गिरावट के साथ 24.23 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा था।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सोमवार को यूएस WTI क्रूड की कीमत शून्य से 37.63 डॉलर नीचे चली गई। इसके बाद ब्रेंट ऑयल भी दो दशकों के निचले स्तर पर चला गया था। मांग में अभूतपूर्व गिरावट और अधिक तेल के भंडारण के संकट के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। कच्चे तेल का वैश्विक भंडार इस समय अपनी सीमा तक भर गया है। कोविड-19 के कारण दुनिया के कई देशों में औद्योगिक गतिविधियां बाधित रहने के कारण आई मांग में जबरदस्त कमी के कारण लंबे समय से क्रूड ऑयल ट्रेडिंग कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद देश के बड़े महानगरों में अभी भी पेट्रोल डीजल की कीमतें यथावत ही बनी हुई है। देश में करीब 43 दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। देश के बड़े महानगरों में 14 मार्च से ही पेट्रोल-डीजल के भाव यथावत चले आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई बड़े शहरों में सोमवार को भी पेट्रोल और डीजल अपनी पुराने कीमत पर ही बिक रहा है।
सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 69.59 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल 62.29 रुपये प्रति लीटर पर मिल रहा है। कोलकाता की बात करें, तो यहां सोमवार को पेट्रोल 73.30 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल 65.62 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। मुंबई में पेट्रोल सोमवार को 76.31 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल 66.21 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। चेन्नई की बात करें, तो यहां सोमवार को पेट्रोल 72.28 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल 65.71 रुपये प्रति लीटर पर मिल रहा है।