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Liveability Index: कंगाल पाकिस्तान का ये शहर नहीं है रहने के लायक! ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स की लिस्ट में मिली ये जगह

Pakistan Economic Crisis: घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती महंगाई के साथ, पाकिस्तान आर्थिक पतन के कगार पर है. कराची (Karachi) शहर गंभीर अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है.

By: ABP Live | Updated at : 11 Aug 2022 10:59 AM (IST)

पाकिस्तान का झंडा (प्रतिकात्मक तस्वीर)

Global Liveability Index: पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी धीरे-धीरे और बदतर हो रही है. इस बीच पाकिस्तान (Pakistan) को एक और झटका लगा है. कंगाल पाकिस्तान का कराची (Karachi) शहर रहने के लायक नहीं बचा है. ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स (Global Liveability Index) की रिपोर्ट बताती है कि कराची रहने के लिए दुनिया के सबसे खराब जगहों में शामिल है. हाल ही में इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की ओर से जारी ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स के मुताबिक कराची ने 2022 में फिर से दुनिया में रहने के लिए सबसे खराब शहरों की सूची में जगह बनाई है.

ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स की सूची में दुनिया के 172 शहरों का विश्लेषण किया गया है. इसमें बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा समेत कई और कारकों को आधार बनाया गया है.

आर्थिक पतन की ओर पाकिस्तान!

घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती महंगाई के साथ, पाकिस्तान आर्थिक पतन के कगार पर है और श्रीलंका के आर्थिक पतन की तरह उसी रहा की ओर बढ़ रहा है. न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि रिपोर्ट ने पांच कारकों के आधार पर 172 शहरों का विश्लेषण और चिह्नित किया है, जो बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, संस्कृति और मनोरंजन हैं. पाकिस्तान में मुद्रास्फीति जुलाई में दो अंकों में पहुंच गई, जो लगभग छह वर्षों में सबसे बड़ी वृद्धि है.

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गरीबी और भूखमरी की स्थिति

पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक सूचकांक काफी खराब विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण हैं. यूएनडीपी के मुताबिक, पाकिस्तान 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा है और कराची शहर आर्थिक राजधानी होने के कारण भी गंभीर अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. लाखों लोग गरीबी और यहां तक ​​कि भुखमरी का शिकार हुए हैं. इसके साथ ही बढ़ती सामाजिक अशांति का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.

क्या है पाकिस्तान में आर्थिक संकट की वजह?

फॉरेन एक्सचेंज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, 2022 की शुरुआत के बाद से, पाकिस्तानी रुपया अपने मूल्य का 30 फीसदी से अधिक खो चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी पाकिस्तान के दोहरे घाटे की मुद्रास्फीति, विदेशी मुद्रा प्रवाह की कमी और विदेशी ऋण सेवा दायित्वों में तेजी से बढ़ोत्तरी आर्थिक संकट का कारण है. इसके अलावा चोरी, तस्करी, नशीली दवाओं की तस्करी और हिंसा ने सामाजिक और आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया है.

सबसे अधिक रहने योग्य शहर कौन?

ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स (Global Liveability Index) में विशेष रूप से, अच्छे बुनियादी ढांचे और स्थिरता के कारण दुनिया में सबसे अधिक रहने योग्य शहर ज्यादातर यूरोप और कनाडा में हैं. ऑस्ट्रिया (Austria) की राजधानी विएना (Vienna) दुनिया में रहने के विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण लिए शीर्ष 10 स्थानों की सूची में सबसे ऊपर है. वियना ने 2018 और 2019 में भी शीर्ष स्थान हासिल किया था.

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Published at : 11 Aug 2022 10:58 AM (IST) Tags: Pakistan Karachi Liveability Index हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

शेखर गुप्ता का कॉलम: अफ्रीका के कई देश हमसे बेहतर हो गए, हमारे लिए यह अहंकार छोड़कर आईने में देखने का समय है

शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’ - Dainik Bhaskar

नाम में क्या रखा है? कोविड-19 को हम कोई भी नाम दें, वह बीमार करेगा ही। इसलिए, कोई वायरस के सबसे नए रूप बी-1.617 को ‘इंडियन’ नाम दे रहा है तो हम क्यों भड़क जाते हैं? चीनियों ने इस वायरस का नाम चीन या वुहान के नाम पर रखने का दुस्साहस करने वाले पर हमला करके नया कायदा तय कर दिया है। हम, भारत के लोग अपने तुनुकमिज़ाज पड़ोसी की नकल में अपने संवेदनशील राष्ट्रवाद से प्रेरणा ले रहे हैं। अगर आप पतली चमड़ी वाले भारतीय राष्ट्रवादी हैं, तो हमारे सामने कठिन सवाल हैं। मैं सिर्फ सबको आईना दिखाने की कोशिश कर रहा हूं। दक्षिण एशियाई मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ स्टीफन कोहेन कहा करते थे, ‘कभी भी तीसरी दुनिया या सुपरपावर जैसे शब्दों का प्रयोग मत कीजिए। ये सब व्यापक के ठप्पे हैं।

ये विश्लेषण करने, बारीकियों और जटिलताओं को समझने के लिए हमारा दिमाग विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण बंद कर देते हैं।’ लेकिन ये जुमले चल गए। हमने देखा है कि कैसे कई देश तीसरी दुनिया के खांचे से बाहर निकलने और सुपरपावर बनने की महत्वाकांक्षा रखने में गर्व महसूस करते रहे हैं। हम भी इनमें शामिल हैं। और इसकी वजह भी है। 1990 से 2020 के बीच तीन दशकों में हमने 30 करोड़ लोगों को घोर गरीबी से बाहर निकाला। हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई।

विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार हमने बना लिया। भारतीय मूल के लोग ग्लोबल कारपोरेशन चला रहे हैं, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति से लेकर ब्रिटेन के वित्त तथा गृह मंत्री और पुर्तगाल के प्रधानमंत्री जैसे अहम पदों पर बैठे हैं। दुनिया में भारत का कद विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण ऊंचा हुआ है, यह हकीकत है। रणनीतिक लिहाज से हमारे बढ़ते वजन का अंदाजा ‘क्वाड’ जैसे संगठन की हमारी सदस्यता से मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर में समकालीन नेताओं में लोकप्रिय और सम्मानित हैं।

पर एक समस्या महसूस हो रही है! सुपरपावर देशों और तीसरी दुनिया के अलावा एक भौगोलिक क्षेत्र है, जिसका राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व है, और वह है उप-सहारा अफ्रीका। दुनिया में जब बुरी स्थिति की मिसाल देनी होती है, तो इसका नाम लेते हैं।

मसलन यह कि उस देश के संकेतक तो उप-सहारा अफ्रीका के संकेतकों से भी बदतर हैं। कोविड महामारी के दौरान भारत को केन्या से दी गई ‘सहायता’ को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया पर छोटा-सा बवंडर उठा। केन्या ने कॉफी, चाय, मूंगफली विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण के रूप में कुल 12 टन की छोटी-सी सहायता भेजी थी।

सोशल मीडिया पर एक खेमा इसलिए नाराज था कि कोई देश लगभग सुपरपावर बन चुके देश को इतनी मामूली कैसे सहायता भेज रहा है? दूसरी, नाराजगी कुछ ऐसी थी, ‘ #शुक्रिया मोदी जी, भारत की आपने वह हालत कर दी कि उसे मदद में चाय, कॉफी, मूंगफली लेनी पड़ रही है।’ लेकिन दोनों खेमों में एक ही तरह की भावना दिखी कि केन्या एक अफ्रीकी देश है, वह भी उप-सहारा अफ्रीका का।

उस महादेश के बारे में हमारे मन में जो ‘भूखा-नंगा’ वाली छवि बनी है उसके विपरीत, विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण 20 अफ्रीकी देश ऐसे हैं जिनकी प्रति व्यक्ति जीडीपी का आंकड़ा भारत से कहीं बेहतर है। और इनमें से अधिकतर देश उप-सहाराके ही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आईएमएफ) के आंकड़े यही दिखाते हैं कि हमसे ज्यादा अमीर 20 अफ्रीकी देशों की कुल आबादी 68 करोड़ है। कुल 128 करोड़ की आबादी वाले अफ्रीकी महादेश की कुल जीडीपी 2.6 ट्रिलियन डॉलर के बराबर है। भारत की करीब 3 ट्रिलियन डॉलर है, लेकिन आबादी भी ज्यादा है।

आईएमएफ ने 2021 के लिए 195 देशों के प्रति व्यक्ति जीडीपी के आंकड़े का जो अनुमान लगाया है उस पर गौर करें। इस विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण साल भारत कुछ पायदान नीचे गिर कर 144वें स्थान पर है जबकि घाना, कोंगो, आइवरी कोस्ट और मोरक्को उसके ऊपर हैं। दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और मॉरिशस और ज्यादा ऊपर हैं। अगर बिहार एक देश होता तो वह 195 में से 184वें स्थान पर होता। नाइगर, इरिट्रिया, अफगानिस्तान, सिएरा लिओन, सोमालिया, और दो और देशों से ठीक ऊपर।

अब बताइए, क्या आबादी वाला बहाना चलेगा? बिहार की आबादी तो 185 से 195 नंबर वाले देशों की कुल आबादी से ज्यादा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश एक देश होता तो वह 172वें नंबर पर होता और माली की बराबरी कर रहा होता। यूपी-बिहार मिलकर यह तय करते हैं कि भारत पर कौन राज करेगा, लेकिन इन दोनों राज्यों में घोर गरीबी में जी रही कुल आबादी उप-सहारा अफ्रीका की कुल आबादी से ज्यादा ही होगी।

इससे दो निष्कर्ष निकलते हैं। एक यह कि ‘अश्वेत महादेश’ के साथ, ‘उप-सहारा अफ्रीका से भी बदतर’ एक बेहद नस्लवादी और अन्यायपूर्ण क्षेत्र मौजूद है। दूसरा यह कि भारत को दुनिया आज जिस नज़र से देख रही है, उसके चलते इस देश के एक हिस्से के लिए इसी तरह के बुरे विशेषण बोले जा सकते हैं। हमारी नदियों में बहते शवों की तस्वीरें महान भारतीय हृदय-प्रदेश की स्थायी ध्वस्त छवि बनकर रह जा सकती हैं।

क्या हो अगर कल को कोई किसी की यह कहकर तुलना करने लगे कि उसके मानव संकेतक भारतीय-गंगा क्षेत्र के मैदानी इलाके के संकेतकों से भी बुरे हैं? क्या यह बी-1.617 वायरस को ‘भारतीय वायरस’ कहने से भी बुरा नहीं है? कुशासन, पहचान को लेकर घटिया किस्म की राजनीति, भ्रष्टाचार, झूठे अहंकार, आत्म-प्रशंसा, खोखली जीत के जश्न हमारी छवि को इस कदर खराब कर रहे हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर पा रहे। बाहर की दुनिया बड़ी बेरहम, बड़ी क्रूर है।

केन्या से मदद पर बवाल
कोविड महामारी के दौरान भारत को केन्या से दी गई ‘सहायता’ को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया पर छोटा-सा बवंडर उठा। केन्या ने कॉफी, चाय, मूंगफली के रूप में कुल 12 टन की छोटी-सी मदद भेजी थी। अलग-अलग खेमों में नाराजगी थी। उनमें एक ही भावना दिखी, केन्या उप-सहारा अफ्रीका का देश है। यह सब भेजकर भारत की हैसियत इतनी नीचे कैसे कर सकता है?
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

RBI न करे ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी, इंडस्ट्री ने केंद्रीय बैंक से की मांग

सीआईआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अनुरोध किया है कि वह ब्याज दर में बढ़ोतरी की रफ्तार घटाए. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक रेपो दर में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी की है.

RBI न करे ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी, इंडस्ट्री ने केंद्रीय बैंक से की मांग

TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा

Updated on: Nov 27, 2022 | 8:58 PM

उद्योग मंडल कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने रविवार को कहा कि भारतीय उद्योग जगत बीते दिनों ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के बुरे असर को महसूस कर रहा है. इसके साथ ही सीआईआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अनुरोध किया है कि वह ब्याज दर में बढ़ोतरी की रफ्तार घटाए. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक रेपो दर में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी की है. ब्याज दर पर विचार करने के लिए केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समिति की बैठक दिसंबर के पहले हफ्ते में होगी.

उद्योग संगठन ने यह बताई वजह

सीआईआई के विश्लेषण के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022) में बड़ी संख्या में कंपनियों की आय और मुनाफे में कमी आई है. ऐसे में सीआईआई ने तर्क दिया कि मौद्रिक सख्ती की रफ्तार में कमी करने की जरूरत है. सीआईआई के मुताबिक, आंकड़े बताते हैं कि घरेलू मांग में सुधार का रुख है. हालांकि, वैश्विक सुस्ती का असर भारत की वृद्धि संभावनाओं पर भी पड़ सकता है.

उद्योग संगठन ने कहा कि वैश्विक विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण अनिश्चितताओं के बीच घरेलू वृद्धि को बनाए रखने के लिए आरबीआई को अपनी मौद्रिक सख्ती की रफ्तार को पहले के 0.5 फीसदी से कम करने पर विचार करना चाहिए.

आपको बता दें कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं से घरेलू इकोनॉमी पर दबाव देखने को मिल रहा है. ग्लोबल संकेतों को देखते हुए दुनिया भर की संस्थाएं ग्रोथ अनुमानों को संशोधित कर रही हैं. इसकी वजह केंद्रीय बैंकों के द्वारा दरों में बढ़ोतरी है. जिसका दबाव दुनिया भर की ग्रोथ पर दिख रहा है और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दबाव है. फिलहाल रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि उसके लिए महंगाई को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चिंता है इसी वजह से वो मंदी की आशंका के बावजूद भी दरों को बढ़ा रहा है.

अगले महीनेरिजर्व बैंक की पॉलिसी समीक्षा बैठक है. संकेतों की माने तो अगली पॉलिसी समीक्षा में दरों में राहत की बात तो भूल ही जाएं,आगे भी दरों में बढ़ोतरी की ही संभावना ज्यादा है. मूडीज का अनुमान है कि रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में लाने और विनिमय दर को समर्थन देने के लिये रेपो दर में 0.50 प्रतिशत के आसपास और वृद्धि कर सकता है.

Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा के शव के टुकड़ों का पता लगाने को आफताब को दक्षिण दिल्ली में ले जाएगी पुलिस

दिल्ली पुलिस आफताब अमीन पूनावाला को शनिवार को दक्षिणी दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर ले जाएगी क्योंकि पुलिस उसकी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर के शव के और हिस्सों का पता लगाना चाहती है. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.

Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा के शव के टुकड़ों का पता लगाने को आफताब को दक्षिण दिल्ली में ले जाएगी पुलिस

नयी दिल्ली, 19 नवंबर : दिल्ली पुलिस आफताब अमीन पूनावाला को शनिवार को दक्षिणी दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर ले जाएगी क्योंकि पुलिस उसकी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर के शव के और हिस्सों का पता लगाना चाहती है. यह जानकारी अधिकारियों ने दी. श्रद्धा की कथित तौर पर हत्या करने के बाद आफताब उसके शव के टुकड़ों को कई दिनों तक फेंकता रहा था. पुलिस के अनुसार, पूनावाला ने 18 मई को वालकर (27) को कथित तौर पर गला घोंटकर मार डाला था और उसके शरीर के 35 टुकड़े करके दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर उन्हें आधी रात के बाद शहर में कई जगहों पर फेंकता रहा था.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कथित तौर पर विदेशी मुद्रा पर वेव विश्लेषण आरी महरौली-गुरुग्राम रोड स्थित एक दुकान से खरीदी गई थी. पुलिस ने अब तक शव के 13 हिस्से बरामद किए हैं, जिनमें ज्यादातर हड्डियां हैं. एक सूत्र ने कहा कि पुलिस ने शुक्रवार को गुरुग्राम से शरीर के कुछ अंग बरामद किए जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. पीड़िता का सिर अभी भी नहीं मिला है. पुलिस ने यह भी कहा है कि उसने पूनावाला के घर से एक धारदार चीज बरामद की है और इसकी जांच की जाएगी कि क्या इसका इस्तेमाल वालकर के शव को काटने के लिए किया गया था. पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि पीड़िता के पिता और भाई के रक्त के नमूने एकत्र किए गए हैं ताकि अब तक बरामद कंकाल के डीएनए से उनका मिलान किया जा सके. यह भी पढ़ें : पिता के व्यापार साझेदार ने की चार साल के बेटे की हत्या

पुलिस ने एक बयान में यह भी कहा कि आरोपी द्वारा दिये गए जवाब की "भ्रामक प्रकृति" को देखते हुए, उसका नार्को परीक्षण करने के लिए एक आवेदन दिया गया था और इसे अदालत ने मंजूरी दे दी है. दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को पांच दिनों के भीतर आफताब अमीन पूनावाला का नार्को परीक्षण पूरा करने का निर्देश दिया है. बयान में कहा गया, ‘‘यह पता लगाने के लिए कि हड्डियां पीड़ित की हैं, डीएनए विश्लेषण के लिए 'ए' (वालकर) के पिता और भाई के रक्त के नमूने एकत्र किए गए हैं. यह पता लगाने के लिए कि उस जगह से जब्त डिजिटल उपकरणों में क्या अपराध से संबंधित कोई सबूत है या नहीं उसे डेटा की फोरेंसिक पुनर्प्राप्ति के लिए भेजा गया है.’’

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