शेयर बाजार के कार्य

शेयर बाजार में तेजी-मंदी के कारक ग्रह
शेयर बाजार में तेजी-मंदी के कारक ग्रह रवि:- रवि के साथ वक्री सौम्य(बुध) ग्रह बैठ जाने पर शेयर मार्केट में उथल-पुथल पैदा हो जाती है। रोजगार का कारक ग्रह भी रवि ही है। सिंह का रवि, मेष का उच्च का रवि, दोस्त के घर में या शुभ ग्रहों के साथ बैठे हो या उन्हें देखता शेयर बाजार के कार्य हो तथा केंद्र या त्रिकोण में होने पर रवि बलवान होता है।
◆मजबूत रवि मानव को मन से बहुत मजबूत बनाकर शेयर बाजार की तेजी-मंदी से सम्बन्ध में जानकारी करवाता है।
◆कमजोर तथा बलहीन रवि,तुला राशि में नीच का रवि तथा राहु-रवि और केतु-रवि यदि होने पर मानव के मन के अंदर किसी भी निर्णय की परख की स्थिति नहीं बन जाती है। ऐसे समय में इंसान अपनी सूझबूझ से काम नहीं ले पाने से एवं गलत निर्णय लेने से धन हानि उठा बैठता है।
जल्दी गति से चलने वाला चन्द्रमा:- सोम तेज चाल कारक होंने से शेयर बाजार में प्रतिदिन के उतार चढ़ाव के लिए आवश्यक है।
◆कर्क राशि स्वग्रही, वृषभ राशि का उच्च का सोम,दोस्त के घर में या शुभ ग्रहों के साथ बैठे हो या उन्हें देखता हो शेयर बाजार के कार्य तथा केंद्र या त्रिकोण में होने पर सोम बलवान होता है और मजबूत सोम इंसान को काम करने के लिए मन में स्थिरता देता है। इस प्रकार का चन्द्रमा मानव को निर्णय करने के योग्य बनाता है। ये बुद्धि में मजबूती एवं समय की शुभता के अच्छे संकेत देने वाला होता है।
तेजी देने वाला मंगल:-
◆गोचर में मेष राशि का अपने राशि में स्थित मंगल और अपनी उच्च राशि का मंगल होने पर शेयर बाजार में तेजी आएगी।
◆गोचर में मंगल के साथ जीव हो, तो शेयर बाजार में अफवाह फैलती है।
◆गोचर में भौम के साथ मन्द हो, तो शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में बढ़ोतरी होगी।
◆मकर राशि के रवि के साथ भौम और मन्द शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में बढ़ोतरी होगी।
◆यदि सोम,भौम और मन्द किसी भी राशि में होने पर शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में बढ़ोतरी होगी।
◆यदि भौम के साथ में राहु होने पर शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में मंदी का दौर आयेगा।
अशुभ है वक्री बुध:-
◆यदि मन्द और सौम्य दोनों ही उल्टे चलने वाले ग्रह होने पर शेयर बाजार में नुकसान की सम्भावना देता है।
◆यदि मिथुन राशि में रवि और सौम्य, जीव और मन्द शेयर बाजार के कार्य एक साथ होने पर शेयर बाजार में मंदी का दौर आता है और इंडेक्स में भी गिरावट आती है।
◆यदि सिंह राशि में सौम्य (बुध) आने पर शेयर मार्केट के इंडेक्स में कमी आती है।
◆यदि बुध की स्वंय की राशि मिथुन में भृगु, मन्द आ जाए तो बाजार में मंदी आएगी।
◆यदि मिथुन राशि का रवि और कन्या राशि का मन्द शेयर्स में कमी या मंदी देने वाला होता है।
◆किसी इंसान की जन्मकुंडली में मिथुन राशि का स्वगृही बुध तथा कन्या राशि का उच्च का बुध केंद्र अथवा त्रिकोण में या शुभ ग्रहों के साथ अथवा शुभ ग्रहों से देखा जा तो इंसान को लाभ की प्राप्ति होती है। बुद्धिपूर्वक शेयर बाजार का सटिक विश्लेषण करवाते समय बलवान बुध का होना आवश्यक होता हैं।
तेजी-मंदी का कारक गुरु:- जीव एक राशि में एक वर्ष तक रहता है। अतः लंबेसमय तक तेजी-मंदी देने वाला ग्रह जीव है और यह 12 से 30 अंश तक विशेष रूप प्रभावी होता है।
◆जब उल्टा चलता हुवा जीव मेष, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि मे मन्द के साथ होने पर शेयर बाजार में तेजी लाकर इंडेक्स में भी उछाल लाता है।
◆बृहस्पति औद्योगिक व्यवसायों की अभिवृद्धि का कारक होता है।अतः अधिक उत्पादन के कारण भावों में नरमी आती है। नये उद्योग कार्य के लिए जीव की शुभता आवश्यक होती है।
◆यदि जीव वृषभ, कर्क, सिंह, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि का होने पर शेयर्स में तेजी आएगी
◆जीव और मन्द का एक साथ होने पर या एक दूसरे को जब देखते है तो शेयर बाजार को तेजी देने वाले होते है।
◆उन्नति एवं अतुल धन समृद्धि का कारक जीव यदि दूसरे घर अर्थात् धन के स्थान में होने पर धन की प्राप्ति होती है।
◆यदि जीव पांचवे (पुत्र के),आठवें और ग्यारहवें (लाभ के) स्थान में बैठा होने पर धन दिलाने में संकोच नहीं करता है।
◆यदि जीव और मन्द उल्टे चलने वाले हो और जीव की मीन राशि में रवि होने पर शेयर्स के भाव गिरने लगते हैं और इंडेक्स भी तेजी गिरने लगता है।
तेजी कारक भृगु:- शेयर व्यापार में जल्दी से तेजी देने वाले का कारक ग्रह भृगु को माना जाता है। भृगु एक राशि में 25 से 26 दिन तक रहता है और 12 से 23 अंशो के बीच मे अधिक प्रभाव देने वाला होता है।
◆कन्या और तुला राशि का भृगु शेयर्स में तेजी देता है। सट्टा और शेयर्स में भृगु ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो जल्दी फायदा दिलाने में समर्थ होता है।
◆यदि भृगु कर्क राशि में होता है तो शेयरों में तेजी करवाता है।
◆यदि उल्टा चलते हुए भृगु मेष, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि में बैठ जाता है शेयर बाजार के कार्य तो शेयर के भावों में बढ़ोतरी करवाता है।
◆यदि उल्टा चलते हुए भृगु मन्द के साथ में होता है तो शेयर्स में तेजी लाने वाला होता है।
◆यदि भृगु धनु राशि में विचरण करता है तो पंचवी से लेकर पूर्णिमा तक बाजार भावों में बढ़ोतरी करवाता है।
◆यदि भृगु और मन्द एक साथ होने पर बाजार में मंदी आती है।
◆यदि भृगु कुम्भ राशि में हो, रवि के साथ मन्द हो अथवा अस्त हो तो भी शेयर बाजार के भावों में गिरावट होती है।
शनि की साढ़े साती में सावधानी:- तुला राशि में मन्द उच्च का,मकर और कुम्भ राशि का स्वगृही, सिंह राशि और भौम की मेष व वृश्चिक इन राशियों में जब भी मन्द होता है तो वक्री कहलाता है।
◆इस प्रकार का वक्री मन्द होने पर शेयर बाजार में तेजी होती है। जिस किसी इंसान को मन्द की साढ़ेसाती अथवा ढय्या होती है, उन इंसान को इस समय पर शेयर का काम करते समय सावधानी रखना चाहिए।
◆यदि मन्द-जीव का साथ या शुभ दृष्टि उद्योगादि में स्थिरता देती है।
◆यदि मन्द भौम उल्टे चलने वाले हो, तो लोहे, स्टील से सम्बंधित शेयरों में तेजी आएगी।
◆यदि मन्द, राहु अथवा मन्द, रवि या सोम, भौम मन्द किसी भी राशि में होने पर शेयर बाजार में तेजी आएगी।
◆यदि मन्द-सौम्य उल्टे चलने वाले हो, तो शेयर बाजार में हानि होती है।
◆जब मन्द उल्टा चलते हुए धनु राशि में प्रवेश करता है, तो उस वक्त मंदी का होना निश्चित होता है।
इस प्रकार से हम शेयर बाजार में ग्रहों के आधार पर बाजार में तेजी-मंदी के बारे में जानकारी प्राप्त करके उचित समय पर लाभ को प्राप्त कर सकते है।
शेयर बाजार के कार्य
विकिपीडिया – "एक बाजार विश्लेषण एक विशेष उद्योग के भीतर एक विशेष बाजार के आकर्षण और गतिशीलता का अध्ययन करता है। यह उद्योग विश्लेषण का हिस्सा है और इस प्रकार वैश्विक पर्यावरण विश्लेषण के बदले में । इन सभी विश्लेषणों के माध्यम से किसी कंपनी की ताकत, कमजोरियां, अवसर और धमकियों (SWOT) की पहचान की जा सकती है । अंत में, एक SWOT विश्लेषण की मदद से, एक कंपनी की पर्याप्त व्यावसायिक रणनीतियों को परिभाषित किया जाएगा। बाजार विश्लेषण भी एक बाजार है कि एक फर्म की योजना बना गतिविधियों को सूचित करने के लिए प्रयोग किया जाता है की एक प्रलेखित जांच के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से सूची, खरीद, कार्य बल विस्तार/संकुचन, सुविधा विस्तार, पूंजी उपकरणों की खरीद, प्रचार गतिविधियों, और एक शेयर बाजार के कार्य कंपनी के कई अंय पहलुओं के निर्णयके आसपास ।
बाजार विश्लेषण निवेशक प्रभावशीलता को परिभाषित करने वाले प्रमुख कौशलों में से एक है। कई विश्व स्तरीय पेशेवर व्यापारियों के अनुसार, यह सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जो स्टॉक एक्सचेंज पर सभी परिसंपत्तियों की वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव का निर्धारण करता है। सीएफडी या स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी पूंजी निवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम उन बुनियादी सिद्धांतों को समझना चाहिए जो बाजार को विनियमित करते हैं ताकि वे कीमतों में उतार-चढ़ाव की प्रभावी भविष्यवाणी कर सकें। बाजार विश्लेषण कई कारकों से बना शेयर बाजार के कार्य है और चयनित परिसंपत्तियों की श्रेणी के आधार पर, वे कमोबेश जटिल हो सकते हैं, इस पहलू को बेहतर बनाने के लिए हम एक उदाहरण का उपयोग करेंगे।
हम कुछ सबसे महत्वपूर्ण तत्वों को सूचीबद्ध करेंगे जो स्टॉक एक्सचेंज के लिए विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव निर्धारित करते हैं:
- मुद्रा नियंत्रण की डिग्री
- अंतरराष्ट्रीय स्थिति
- देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति
- विदेशी मुद्राओं की मांग
- राजनीतिक तनाव
- मौद्रिक नीति
बेशक, खुदरा निवेशकों को अक्सर सबसे अधिक आंकड़ों के लिए उपयोग नहीं है, जो काफी मुद्रा मतभेदों को प्रभावित करते हैं, लेकिन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का पालन करके, आप अक्सर आगामी परिवर्तन ों को कम कर सकते हैं । इस तरह के एक उदाहरण यूनाइटेड किंगडम (Brexit), जो कई वर्षों के लिए ब्रिटिश पाउंड (GBP) के मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट का कारण बना द्वारा यूरोपीय संघ के छोड़ने हो सकता है, सभी निवेशकों को जो सही ढंग से यूरोपीय संघ छोड़ने का ऐसा परिणाम की भविष्यवाणी की और उनके निवेश इस मुद्रा की कीमत के पतन पर दांव लगाकर सीएफडी में पूंजी, उन्होंने स्थिति की बदौलत भारी धन कमाया। ऐसे मामले बहुत दुर्लभ हैं, लेकिन वे अकल्पनीय लाभ ला सकते हैं या आपको निवेश की गई अधिकांश पूंजी खोने का कारण बन सकते हैं। अधिकांश ब्रोकर अपने स्वयं के बाजार विश्लेषण उपकरण प्रदान करते हैं और अपने ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय और शेयर बाजार नीति की दुनिया से सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
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मानव कारक – यह सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जो परिसंपत्ति मूल्य में उतार-चढ़ाव के बारे में सबसे अधिक निर्धारित करता है, जिसके लिए शेयर बाजार अप्रत्याशित रहता है और अनुभवहीन निवेशकों को भी लाभ देता है। एक शानदार तरीका है कि कई नौसिखिए व्यापारियों का उपयोग करने के लिए चाल और सबसे अच्छा निवेशकों की कार्रवाई देखने के लिए है, ऐसे लोगों को अक्सर सामाजिक मीडिया पर वर्तमान बाजार की स्थिति पर अपने विचार साझा और शुरुआती के लिए एक महान रोल मॉडल हो सकता है । यही कारण है कि जो लोग सीएफडी या शेयर बाजार में निवेश का साहसिक कार्य शुरू करते हैं, उन्हें ट्वीटर शेयर बाजार के कार्य और फेसबुक पर सबसे प्रसिद्ध विदेशी निवेशकों के प्रोफाइल को ढूंढना चाहिए और नियमित रूप से इन लोगों द्वारा पोस्ट की गई प्रविष्टियों की समीक्षा करनी चाहिए।
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शेयर मार्केट क्या है सीखें और पैसे कमाए – What Is Share Market In Hindi
Share Market In Hindi: बिना निवेश किए पैसे कमाना थोड़ा मुश्किल है पर शेयर बाजार में निवेश कर पैसे कमाना आसान है.
आज हर कोई व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जीने के लिए बहुत पैसे कमाना चाहता है जिसके लिए वह नौकरी में कड़ी मेहनत भी करता है, लेकिन नौकरी में कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह एक खुशहाल जीवन जीने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं कमा पाता है.
लेकिन शेयर बाजार पैसों का एक ऐसा कुआ है जो सारे देश की प्यास बुझा सकता है. जिन लोगों को शेयर बाजार की अच्छी समझ होती है वह शेयर बाजार से करोड़ों रूपये की कमाई करते हैं.
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Share Market क्या है, शेयर मार्केट कैसे सीखें, शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगायें और शेयर मार्केट से पैसा कैसे कमाए तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. इस लेख में हमने आपको इन सब के अतिरिक्त शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में बताया है जिससे कि आपको शेयर बाजार के बारे में अच्छी समझ मिले.
तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं शेयर बाजार क्या होता है हिंदी में.
भारत के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सूचीशेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ निवेशक कंपनियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियों को ख़रीदा और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार अनेक सुविधा प्रदान कर सकता है जैसे, मुद्दे और प्रतिभूतियों के मोचन और अन्य वित्तीय साधनों और पूंजी की घटनाओं आय और लाभांश का भुगतान। सन् 1875 में स्थापित मुंबई का शेयर बाजार (शेयर बाजार के कार्य बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) एशिया का पहला शेयर बाजार है। स्टॉक मार्केट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रबंधित और विनियमित किया जाता है।
भारत में सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें दो बीएसई और एनएसई के राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज हैं। बाकी 21 रीजनल स्टॉक एक्सचेंज (RSE) हैं। सेबी द्वारा शुरू किए गए कड़े मानदंडों के कारण, देश में 20 आरएसई ने व्यापार से बाहर निकलने का विकल्प चुना। सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण 09 जुलाई 2007 को सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड :
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। सेबी के वर्तमान चेयरमैन अजय त्यागी है। सेबी की स्थापना भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 12 अप्रैल 1992 में गई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मुख्य कार्य:
सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है। सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इसके निर्धारित कार्य निम्नलिखित हैं:-
शेयर मार्केट ट्रेडिंग करते हैं तो ध्यान दें, 1 जुलाई से बदल रहे हैं नियम, बिना टैगिंग के नहीं बेच सकेंगे शेयर
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं और आपका अकाउंट है तो यह खबर आपके काम की है। अब जुलाई से इसके नियम बदलने जा रहे हैं। सेबी ने डीमैट खातों की टैगिंग लागू करने के लिए दलालों को 30 जून तक का समय दिया है। यदि खाते 1 जुलाई से बिना टैग वाले रहते हैं, तो इन खातों से किसी भी नई खरीदारी की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, कॉरपोरेट कार्रवाई के परिणामस्वरूप शेयरों को श्रेय दिया जाएगा। जिन खाताधारकों के खाते बिना टैग के रहेंगे, वे भी अपने खातों से शेयर नहीं बेच सकेंगे।
एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को 1 जुलाई और 1 अगस्त को अपनी अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को कहा कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते, जो बिना टैग के हैं, उन्हें जून के अंत तक उचित रूप से टैग करने की आवश्यकता है। 1 जुलाई से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों को जमा करने की अनुमति नहीं होगी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि हालांकि कॉरपोरेट कार्यों के कारण क्रेडिट की अनुमति होगी।
बैंक और डीमैट खातों की टैगिंग उस उद्देश्य को दर्शाती है जिसके लिए उन बैंक/डीमैट खातों का रखरखाव किया जा रहा है और ऐसे खातों की स्टॉक एक्सचेंजों/डिपॉजिटरी को रिपोर्ट शेयर बाजार के कार्य करना। सेबी ने आगे कहा कि अगस्त से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों के डेबिट की भी अनुमति नहीं होगी।
स्टॉक ब्रोकर को 1 अगस्त से ऐसे डीमैट खातों को टैग करने की अनुमति देने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों से अनुमति लेनी होगी और बदले में एक्सचेंजों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार जुर्माना लगाने के बाद दो कार्य दिवसों के भीतर इस तरह की मंजूरी देनी होगी।
वर्तमान में, स्टॉक ब्रोकरों को केवल पांच श्रेणियों के तहत डीमैट खातों को बनाए रखने की आवश्यकता होती है - मालिकाना खाता, पूल खाता, क्लाइंट अनपेड सिक्योरिटीज, क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन प्लेज अकाउंट और क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन फंडिंग अकाउंट के तहत। नियमों के तहत, स्टॉक ब्रोकर के मालिकाना डीमैट खातों को 'स्टॉक ब्रोकर प्रोपराइटरी अकाउंट' के रूप में नामित करना स्वैच्छिक है और जिन खातों को टैग नहीं किया गया है, उन्हें मालिकाना माना जाएगा।
एक नजर में समझें
- सेबी ने डीमैट खातों पर नियम सख्त किए। प्रोकर को अब डीमैट खातों को वर्गीकृत करना होगा और उसका उद्देश्य बताना होगा।
- डीमैट खातों की टैगिंग 30 जून तक पूरी करनी होगी।
- 1 जुलाई से बिना टैग वाले डीमैट खातों में शेयर नहीं जोड़े जा सकेंगे।
- कॉर्पोरेट कार्रवाई के संबंध में शेयरों में वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं।
- 1 अगस्त से बिना टैग वाले खातों से शेयरों की बिक्री नहीं की जा सकी।
- एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को अपनी अनुपालन रिपोर्ट 1 जुलाई और 1 अगस्त तक जमा करनी होगी।
5 श्रेणियां जिनमें डीमैट खाते खोले जाते हैं
- मालिकाना खाता - स्व व्यापार के लिए
- पूल खाता - बस्तियों के लिए।
- ग्राहक की अवैतनिक प्रतिभूतियाँ - ग्राहक के अवैतनिक शेयरों के लिए
- ग्राहक प्रतिभूतियां मार्जिन प्रतिज्ञा - मार्जिन के लिए ग्राहक शेयरों को गिरवी रखना
- मार्जिन फंडिंग के तहत क्लाइंट सिक्योरिटीज - मार्जिन सिक्योरिटीज के लिए फंडेड सिक्योरिटीज