सही ब्रोकर कैसे चुनें?

ट्रेडिंग अकाउंट में लाखों रुपए के नुकसान से बचना है तो गलती से भी न भूलें इन टिप्स को
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सही ब्रोकर कैसे चुनें? सभी लोगों.
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों की दिलचस्पी होती है और आप में से बहुत लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते होंगे, आपके ट्रेडिंग अकाउंट में काफी स्टॉक्स होंगे और उनकी वैल्यू भी काफी होगी। ऐसे में अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे तो आपको लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है। हम आपको बता रहे हैं, शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय किन बातों को गलती से भी नहीं भूलना चाहिए-
> केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार/अनुबंध करें - जिस ब्रोकर के साथ आप लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जाँच कर लें।
> फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से सावधान रहें। ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि/कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रिजरवेसन देने के लिए औथोरइज्ड नहीं है या आपके द्वारा दिये गए पैसो पर ब्याज का भुगतान करने के लिए आपके साथ कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है। कृपया ध्यान दें कि आपके खाते सही ब्रोकर कैसे चुनें? में इस प्रकार का कोई व्यवहार पाए जाने पर आपका दिवालिया/निष्कासित ब्रोकर संबंधी दावा निरहन कर दिया जाएगा।
> कृपया आपने 'केवाईसी' (KYC) पेपर में सभी जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने 'केवाईसी' पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई प्रति प्राप्त करें। उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति और स्वीकृति दी है।
> सुनिश्चित करें कि आपके स्टॉक ब्रोकर के पास हमेशा आपका नया और सही कांटैक्ट डिटेल हो जैसे ईमेल आईडी/मोबाइल नंबर। ईमेल और मोबाइल नंबर जरूरी है और एक्सचेंज रिकॉर्ड में अपडेट के लिए आपको अपने ब्रोकर को मोबाइल नंबर देना होगा। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना चाहिए।
> इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट नोट्स/फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब सही ब्रोकर कैसे चुनें? आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन/नियमित देखते हो।
> आपके द्वारा किए गए ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल/एसएमएस को अनदेखा न करें। अपने ब्रोकर से मिले कॉन्ट्रैक्ट नोट/अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफ़ाई करें। यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो एक्सचेंज/डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट करें।
> आपके द्वारा निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट (running account) का ऑप्शन चुना है, तो कृपया कन्फ़र्म करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता है और किसी भी स्थिति में 90 दिनों में एक बार ( यदि आपने 30 दिनों के सेटलमेंट का विकल्प चुना है तो 30 दिन) डिटेल्स भेजता है । कृपया ध्यान दें कि आपके ब्रोकर द्वारा डिफॉल्ट होने की स्थिति में एक्सचेंज द्वारा 90 दिनों से अधिक की अवधि के दावे एक्सैप्ट नहीं किए जाएंगे।
> डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफ़ाई करते रहें और अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
> कन्फ़र्म करें कि पे-आउट की तारीख से 1 वर्किंग डे के भीतर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। कन्फ़र्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के भीतर कॉन्ट्रैक्ट नोट सही ब्रोकर कैसे चुनें? मिलते हों।
> एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग आप अपने ट्रेड के वेरिफिकेशन के लिए कर सकते हैं।
> ब्रोकर के पास अनावश्यक बैलेंस न रखें। कृपया ध्यान रहे कि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खानों के दावे स्वीकार नहीं होंगे जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।
> ब्रोकर्स को सिक्यूरिटि के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी कारण से ब्रोकर या ब्रोकर के सहयोगी या ब्रोकर के औथोरइज्ड व्यक्ति के साथ कोई सिक्यूरिटी रखने की अनुमति नहीं है। ब्रोकर केवल कस्टमर द्वारा बेची गई सिक्योरिटी के डिपोजिट करने के लिए ग्राहकों से संबंधित सिक्योरिटी ले सकता है।
> भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं। किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें। आपके सारे शेयर या बैलेंस शून्य हो सकता है। यह भी हो सकता है कि आपके खाते में बड़ी राशि की वसूली निकल आए।
> पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) देते समय सावधान रहें - सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर प्रयोग कर सकते हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएँ। यह ध्यान रहे कि सेबी/एक्सचेंजों के अनुसार पीओए अनिवार्य / आवश्यक नहीं है।
> ब्रोकर द्वारा रिपोर्ट किए गए फंड और सिक्योरिटी बैलेंस के बारे में साप्ताहिक आधार पर एक्सचेंज द्वारा भेजे गए मैसेजों की जांच करें और यदि आप इसमें कोई अंतर पाते हैं, तो तुरंत एक्सचेंज को शिकायत करें।
> किसी के साथ पासवर्ड (इंटरनेट अकाउंट) शेयर न करें। ऐसा करना अपने सुरक्षित पैसे शेयर करने जैसा है।
> कृपया सेबी के रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के अलावा किसी औथोरइज्ड व्यक्ति या ब्रोकर के सहयोगी सहित किसी को भी ट्रेडिंग के उद्देश्य से फंड ट्रांसफर न करें।
डिस्क्लेमर- जानकारी आपको एनएसई से मिली सूचना के आधार पर है।
शेयर बाजार में करनी है एंट्री, ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद, जानें यहां
बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं.
Share Market Investment: शेयर बाजार इन दिनों गुलजार है, निवेशकों की बहार है. मार्केट की मदमस्त चाल से निवेशक मालामाल हो रहे हैं. ऐसे में सही ब्रोकर कैसे चुनें? अगर आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए एंट्री का अच्छा मौका है.
अब सवाल उठता है कि शेयर मार्केट में ब्रोकर के जरिए निवेश करना चाहिए या खुद भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. अगर खुद निवेश करते हैं तो ऑनलाइन या ऑफलाइन, कैसे निवेश करना चाहिए. निवेश के दौरान पावर ऑफ अटॉर्नी का क्या महत्व है. इन तमाम बातों के बारे में चर्चा कर रहे हैं Zerodha के सह-संस्थापक निखिल कामथ.
कैसे करें निवेश (How to Invest in Share Market)
ऑनलाइन निवेशक खुद ट्रेडिंग कर सकता है. जबकि, ऑफलाइन में ब्रोकर की सेवाएं लेनी पड़ेंगी. ऑफलाइन ट्रेडिंग में विशेष रूप से दलालों को निर्देश देते हैं. दलाल ब्रोकिंग एजेंसी पर निर्भरता बनाते हैं. ऑनलाइन खाते से ये निर्भरता खत्म हो जाती है.
डिस्काउंट ब्रोकर (Broker in Share Market)
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं. आपको निवेश या ट्रेडिंग की सलाह नहीं देते. ईमेल पर इलेक्ट्रोनिक कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलता है.
डिस्काउंट ब्रोकर कब चुनें
बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं
फुल सर्विस ब्रोकर (Full Service broker in share market)
फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. ये निवेश या ट्रेडिंग की सलाह देते हैं और IPO भरने की सुविधा-सलाह भी देते हैं. बाजार से जुड़ी खबरों के बारे में निवेशकों को बताना इनकी ड्यूटी होती है.
आपको बाजार की उथल-पुथल की समझ नहीं है और बाजार की हलचल नहीं समझ पाते हैं तो फुल सर्विस ब्रोकर का चुनाव बेहतर होता है.
ब्रोकिंग चार्जेज (Broking Brokerage Charges)
अक्सर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स रखते हैं. चार्जेज कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. इसलिए ब्रोकर को चुनने से पहले उसके चार्जेज के बारे में अच्छी तरह से पता कर लें.
ब्रोकर को चुनने से पहले उसके बारे में जान लें. बाजार में उसकी छवि कैसे, ये भी देख लें. ब्रोकर की सेवाओं, सुविधाओं से संतुष्ट होने पर ही उसकी सर्विस लें.
पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney)
पावर ऑफ अटॉर्नी एक लीगल डॉक्युमेंट होता है. दूसरे व्यक्ति को अकाउंट ऑपरेट करने का अधिकार मिलता है. पावर ऑफ अटॉर्नी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अधिकार होता है.
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के दौरान कई बार पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. आप शेयर बेच रहे हैं या शेयर्स को प्लेज करना है, वहां पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. ऑनलाइन इन्वेंस्टमेंट के लिए पॉवर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. ऑफलाइन इन्वेस्टेमेंट में इंस्ट्रक्शन स्लिप भेजनी पड़ती थी. ऑनलाइन ब्रोकिंग में ऑफलाइन मेथड प्रभावी नहीं होता है.
घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से म्यूचुअल फंड में कैसे निवेश करें? Online Mutual Funds Investing
Invest in Mutual Fund in Hindi
क्या आप अपने पैसे को घर बैठे म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना चाहते है तो आप अपने पैसे को ऑनलाइन माध्यम से कई तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर सकते है।
इस लेख के माध्यम से आप अपने पैसे को ऑनलाइन कैसे निवेश कर सकते हैं और इससे जुड़ी जो भी महत्वपूर्ण बातें हैं वह सभी आप जान जाएंगे।
उससे पहले आपको थोडा पता होना चाहिए कि म्यूच्यूअल फण्ड क्या है और यह कैसे काम करता है?
म्यूच्यूअल फंड क्या होता है?
म्यूच्यूअल फण्ड एक प्रकार का फण्ड होता है जो विभिन्न प्रकार के निवेशकों, वित्तीय संगठनों, बैंकों आदि से धन एकत्रित करके बनाया जाता है। इसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा बनाया जाता है, और ये कंपनियां म्यूचुअल फंड के प्रबंधन का काम करती हैं। यह सब तय करता है, कि किस कंपनी में किस समय कितना निवेश करना है।
Invest in Mutual Fund in Hindi
इंटरनेट के माध्यम से म्यूचल फंड में कैसे निवेश करना है?
आज के तारीख में बहुत सारी म्यूचल फंड और स्टॉक ब्रोकर कंपनी आ गए हैं, जो आपको घर बैठे म्यूचल फंड में निवेश करने का सुविधा देते हैं। और इन स्टॉक और म्यूचुअल फंड ब्रोकर कंपनी के माध्यम से आपको अपना पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश करना होगा।
इन स्टॉक ब्रोकर कंपनियों में से आपको एक चुनना होगा। आप अपनी पसंदीदा स्टॉक ब्रोकर कंपनी को चुन सकते हैं अगर वह आपको कम चार्जेस पर अच्छी सुविधा दें।
सही स्टॉक या म्यूचुअल फंड ब्रोकर कंपनी कैसे चुनें? Stock and Mutual Funds Broker Selection
एक स्टॉक ब्रोकर या म्यूचुअल फंड ब्रोकर को चुनने से पहले आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ब्रोकरेज शुल्क (Brokerage Charge)
स्टॉक ब्रोकरेज शुल्क स्टॉक ब्रोकर द्वारा लिया जाने वाला शुल्क है। यह ग्राहक से शेयर और म्यूचुअल फंड खरीदने या बेचने के लिए लिया जाने वाला कमीशन है। यह शुल्क आमतौर पर अग्रिम रूप से तय किया जाता है, और लेनदेन के आकार के आधार पर कुछ रुपये से लेकर कई सौ रुपये तक हो सकता है।
आपको केवल उस ब्रोकर को चुनना है जो आपको सबसे कम ब्रोकरेज शुल्क में सबसे अच्छी सुविधा देता है।
बड़ी संख्या में स्टॉक और म्यूचुअल फंड विकल्प (Lots of Option)
अप जिस ब्रोकर को चुना चाहते हो जो आपको बहुत सारी म्यूचल फंड और स्टॉक में इन्वेस्ट करने का सुविधा देना चाहिए।
हो सकता है की जिस कंपनी के म्यूचुअल फंड या स्टॉक में निवेश करना चाहते हो वो स्टॉक या फंड खरीदने का सुविधा दे ही ना।
यह अप जान सकते हो ब्रोकर के वेबसाइट से । आपको सभी ब्रोकर के वेबसाइट पर जाकर देखना है और जो ब्रोकर आपको सबसे ज्यादा स्टॉक और म्यूचुअल फंड खरीदने का ऑप्शन दें वही आपको चुनना है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market)
अगर आप भारतीय म्यूचुअल फंड के अलावा भी बाहर के म्यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहते हैं तो कुछ ब्रोकर यह वि सुविधा देते हैं। आपको उन्हीं में से एक को चुनना होगा।
वार्षिक रखरखाव शुल्क (Annual Maintenance Charge)
एएमसी चार्ज! एक प्रकार का शुल्क है, जो ब्रोकर आपसे साल में एक बार लेगा आपके निवेश खाते को चालू रखने के लिए।
अलग-अलग ब्रोकर अलग-अलग परिमाण मैं AMC शुल्क वसूलते हैं। कभी-कभी ब्रोकर आपको अलग-अलग प्रकार के खाता भी खोलने को सुविधा देता है।
कम पैसे केलिए अलक अकाउंट और बोहूत जड़ा पैसे निवेश केलिए अलक अकाउंट। और उन दोनो अकाउंट का एए.म.सी चार्ज (AMC Charge) वि अलक अलक होगा।
चुने हुए ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग और डिमैट अकाउंट खोलें
जिस भी स्टॉक ब्रोकर को आपने चुना है उनके वेबसाइट पर जाकर या फिर उनके मोबाइल ऐप को डाउनलोड करके आप के मोबाइल नंबर से साइन अप करना होगा।
साइन अप करने के बाद आपको वह सारी जानकारी भरनी है जो आपको भरने का विकल्प मिलता है। जैसे आधार नंबर पैन नंबर बैंक डिटेल आदि जिससे आपकी ट्रेडिंग और डिमैट अकाउंट खुलेगी।
ट्रेडिंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट को खोलने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है। और अगर आपने जानकारी भरते वक्त कोई भूल कर दिया तो हो सकता है आपका अकाउंट खुले ही ना?
तो आपको यह जांचते रहना होगा कि आपकी अकाउंट खोलने की अपील खारिज तो नहीं हुई है? अगर खारिज हुआ है तो आपको सही जानकारी फिर से भारनी होगी।
ट्रेडिंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट ओपन होने के बाद।आपको बस अपने ब्रोकर अकाउंट में बैंक से पैसे डालने हैं और फिर निवेश करना है।
एस.आई.प (SIP) और लमसम (Lamp sum) के माध्यम से निवेश करें
म्यूच्यूअल फंड और स्टॉक को खरीदने के भी दो रास्ते हैं। जब हम एक ही बार म्यूच्यूअल फंड या स्टॉक को खरीदते हैं ज्यादा पैसे के साथ तो उसे लमसम (Lumpsum) निवेश कहते हैं।
और अगर एक बार में ही ज्यादा निवेश करने के लिए आपके पास पैसा नहीं है तो आप प्रतिमा छोटी सी पैसे की राशि भी निवेश कर सकते हैं । और इसे ही एस.आई.पी (SIP) कहते हैं Systematic Investment Plan) सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान!
Explainer : क्या है अल्गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?
सेबी ने अल्गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.
सेबी ने हाल में ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST
हाइलाइट्स
पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.सही ब्रोकर कैसे चुनें?
नई दिल्ली. अग्लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्सेप्ट है लेकिन इसका इस्तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.
अल्गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई सही ब्रोकर कैसे चुनें? विधा सही ब्रोकर कैसे चुनें? पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग में स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
इस सिस्टम का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी सही ब्रोकर कैसे चुनें? मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्टम किसी स्टॉक की भविष्य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.
क्यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्द ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
क्या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में स्टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.
सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्य किसी माध्यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.
क्या सच में फायदेमंद है अल्गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्यादा ब्रोकर इसी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्टॉक की हिस्ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.
क्यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्मक प्रभाव में कमी : अल्गो ट्रेडिंग में किसी स्टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्यादा रणनीति का सृजन : कंप्यूटर एल्गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्यादा रिटर्न कमाने के कई रास्ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.
इसके नुकसान भी हैं
-अल्गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्योंकि बाजार की वास्तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|