बाजार का राज्य और विकास

Joshimath News: जोशीमठ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को मिला विशेष बाजार, कर सकेंगी अपने उत्पादों का बिक्री
Joshimath Latest News: उत्तराखंड में स्थित जोशीमठ में रविवार को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला समूहों को अपने उत्पाद बेचने का एक बाजार उपलब्ध कराया गया है.
By: रणजीत रावत | Updated at : 04 Dec 2022 07:बाजार का राज्य और विकास 08 PM (IST)
(महिला बेच रहीं उनी उत्पाद)
Uttarakhand News: उत्तराखंड जोशीमठ में रविवार को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जोशीमठ खंड विकास कार्यालय में संडे मार्केट लगा था. इस मार्केट में महिला समूह को स्थानीय उत्पाद ऑर्गेनिक खेती की फसलें और हाथों से बनाए हुए ऊनी वस्त्र सहित तमाम किसानी कार्यों के लिए एक बाजार की शुरुआत की गई है. मिली जानकारी के अनुसार, जोशीमठ के खंड विकास कार्यालय के नजदीक हर रविवार को यह मार्केट लगाया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि महिला समूहों को अपने उत्पाद बेचने का एक बाजार उपलब्ध हो पाया है क्योंकि, अब तक महिलाएं अपनी सब्जी, दाल, फसल हर चीज को बेचने की परेशान रहती थी.
रविवार को किया गया उद्घाटन
जोशीमठ में भोटिया जनजाति की महिलाएं अपने-अपने समूहों के साथ जोशीमठ के ब्लॉक सभागार में रविवार को स्थानीय उत्पाद सब्जी-दाल की फसलों के साथ हाथों से बनाए हुए ऊनी वस्त्र लेकर इस संडे मार्केट में पहुंची हैं. इसके साथ ही इन महिलाओं में उत्साह भी देखने को मिल रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ के खंड विकास कार्यालय के बाहर यह मार्केट लगाया गया था. रविवार के दिन इसका उद्घाटन हुआ है. पहले महिलाओं द्वारा मुख्य अतिथियों का स्वागत किया गया और फिर आम लोगों के लिए बाजार का राज्य और विकास यह बाजार खोला गया.
दरअसल, इस बाजार में सब्जी और दाल सहित ऊन से बनी हुई स्वेटर-टोपी की ब्रिकी की जाती है. वहीं इनके अलावा जड़ी बूटी और कृषि कार्य के लिए यहां पर कृषि उत्पाद भी प्रशासन द्वारा लगाए गए हैं, ताकि लोगों का कृषि की तरफ विशेष ध्यान बना रहे. इसी के तहत रविवार को जोशीमठ में इस बाजार की शुरुआत की गई है, जिससे महिलाओं को विशेष लाभ होगा.
क्या कहा जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष ने?
वहीं जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष ने भी इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि स्थानीय उत्पाद बेचने के लिए आज तक यहां पर कोई भी बाजार नहीं बाजार का राज्य और विकास है. वही खंड विकास अधिकारी जोशीमठ का कहना है कि हम लोगों द्वारा यह पहला प्रयास किया गया है अनेकों समूह द्वारा यहां पर सामग्री बेची जा रही है, जो कि आने वाले समय में बहुत फायदेमंद साबित होगी.
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Published at : 04 Dec 2022 07:08 PM (IST) Tags: Uttarakhand women joshimath हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: States News in Hindi
सरकारी प्रतिभूतियाँ क्या हैं
हिंदी
सरकारी प्रतिभूतियों को स्थिर आय और बाजार में अस्थिरता के खिलाफ बचाव की पेशकश करने के लिए स्वीकार किया जाता है। अनुभवी निवेशक अक्सर इन प्रतिभूतियों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिम भागफल को कम करने की इच्छा से जोड़ते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूतियां भारत सरकार द्वारा बाजार से पूंजी जुटाने के लिए जारी संप्रभु बांड हैं। चूंकि ये बांड सरकार द्वारा समर्थित हैं , इसलिए उन्हें जोखिम मुक्त माना जाता है। लेकिन समानता के विपरीत , सरकारी बॉन्ड का कार्यकाल होता है और निवेशकों को लॉक – इन अवधि से पहले छोड़ने की अनुमति नहीं देता है। यही कारण है कि कुछ निवेशक इसकी भूमिका को कम कर सकते हैं। अब यदि आप जी – सेक्स में निवेश करना चाहते हैं , जो कि सरकारी प्रतिभूतियों को भी कहा जाता है , तो यहां इसके बारे में कुछ चीजें हैं जिन्हें आप जानना चाहेंगे।
सरकारी प्रतिभूतियां केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जारी अनिवार्य रूप से व्यापार योग्य वित्तीय साधन हैं जो कर्ज के लिए सरकार के दायित्व को स्वीकार करते हैं। जब सरकार को ऋण की आवश्यकता होती है तो उन्हें शुरू में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निवेशकों को नीलाम किया जाता है।
कुछ मामलों में सरकारी प्रतिभूतियां बुनियादी ढांचे परियोजनाओं या नियमित संचालन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं होने पर कर दरों में वृद्धि किये बिना धन जुटाने के लिए सहायता करती हैं। ये प्रतिभूतियां भी एक संप्रभु आश्वासन के साथ आती हैं क्योंकि उनका भारत सरकार द्वारा व्यावहारिक रूप से आश्वासित प्रतिफल के साथ समर्थन किया जाता है। इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि जी – सेक्स उनके साथ जुड़े नगण्य जोखिम के कारण अन्य प्रतिभूतियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम प्रतिफल देता है। फिर भी , वे अपेक्षाकृत लोकप्रिय हैं और पिछले एक दशक में भारतीय पूंजी बाजार में लगातार वृद्धि देखी है।
सरकारी प्रतिभूति के प्रकार:
उन्हें आम तौर पर उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर लंबी और अल्पावधि जी – सेक्स में वर्गीकृत किया जाता है।
भंडार पत्र (अल्पावधि जी–सेक्स)
भंडार पत्र या बाजार का राज्य और विकास टी – बिल केंद्र सरकार द्वारा 91, 182 या 364 दिनों की तीन परिपक्वता अवधि के साथ जारी किए गए अल्पावधि ऋण उपकरण हैं। ये बिल ब्याज का भुगतान नहीं करते हैं , रियायती कीमतों पर जारी किए जाते हैं , और परिपक्वता के अंत में उनके वास्तविक मूल्य पर भुनाया जाता है। चूंकि वे वापसी की पेशकश नहीं करते हैं , इसलिए आपको आश्चर्य हो सकता है कि वे क्यों मौजूद हैं।
टी – बिलों के मामले में , आप मूल्य अंतर से लाभ लेते हैं। आइए विस्तार से समझाएं। इसलिए यदि आप 90 रुपये की रियायती कीमत पर 100 रुपये के अंकित मूल्य के साथ 91 दिवसीय टी – बिल खरीदते हैं , तो आपको 91 दिनों के बाद सरकार से अपने डीमैट खाते में 100 रुपये मिलेंगे। इसलिए आपका लाभ व्यापार से 10 रुपये है। ऐसे अन्य अल्पावधि बिल भी हैं जिन्हें नकद प्रबंधन बिल या सीएनबी के रूप में जाना जाता है जो 91 दिनों से कम समय के लिए जारी किए जाते हैं।
दिनांकित प्रतिभूति (दीर्घकालिक जी–सेक्स)
दूसरा लोकप्रिय रूप दीर्घकालिक जी – सेक्स है।
टी बिल और लंबी अवधि के बांड के बीच मौलिक अंतर में से एक है , टी बिल विशेष रूप से केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। राज्य सरकारें केवल बांड और दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कर सकती बाजार का राज्य और विकास हैं , इस मामले में उन्हें राज्य विकास ऋण ( एसडीएल ) के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त , बांड में आम तौर पर बड़ी परिपक्वता अवधि होती है और वर्ष में दो बार ब्याज का भुगतान होता है। उनकी प्रकृति चर या निश्चित ब्याज दरों की उपलब्धता , मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा , पुट या कॉल विकल्प , विशेष सब्सिडी , सोने के मूल्यांकन के लिंक , कर छूट और उनके मुद्दे की विधि के आधार पर भिन्न हो सकती है। प्रत्येक बांड का अपना अनूठा कोड होता है , जो इसकी वार्षिक ब्याज दर , वर्गीकरण , परिपक्वता का वर्ष और मुद्दे के स्रोत का संकेत देता है।
भारत में सरकारी प्रतिभूतियों में व्यापार:
भारत में सरकारी प्रतिभूतियां अक्सर नीलामी द्वारा बेची जाती हैं जहां भारतीय रिजर्व बैंक या तो उपज या कीमतों के आधार पर बोली लगाने की अनुमति देता है। यह प्राथमिक बाजार में होता है जहां वे बैंकों , केंद्रीय और राज्य सरकारों , वित्तीय संस्थानों और बीमा कंपनियों के बीच नए जारी किए जाते हैं।
ये सरकारी प्रतिभूतियां तब द्वितीयक बाजार में प्रवेश करती हैं जहां ये संगठन म्यूचुअल फंड , ट्रस्ट , व्यक्तियों , कंपनियों या भारतीय रिजर्व बैंक को बांड बेचते हैं। नीलामी में भुगतान किए गए के आधार पर कीमतें तय की जाती हैं , जिससे इन बॉन्ड की कीमतों का निर्धारण करने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। वाणिज्यिक बैंकों के पास अतीत में इन बांड के एकल सबसे बड़े हिस्से के स्वामित्व में थे , हालांकि बाजार के उनका हिस्सा हाल के दिनों में नीचे चला गया है।
एक बार आवंटन किया जाता है , बाद में वे बाजार में या आपकी पसंद की किसी भी संस्था या व्यक्ति के लिए सामान्य प्रतिभूतियों की तरह कारोबार किया जा सकता है। यह सबसे अधिक स्टॉक ट्रेडस के समान है सिवाय इसके कि न्यूनतम निवेश 10,000 रुपये है।
सरकारी बॉन्ड उनके अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त प्रकृति के लिए पसंद किये जाते हैं। ये बांड बाजार में अस्थिरता से प्रभावित नहीं होते हैं और फिर भी नियमित शेयरों की तरह कारोबार किया जा सकता है , इस प्रकार तरल। हालांकि प्रतिफल कम है , ये जोखिम के खिलाफ बचाव के लिए और पोर्टफोलियो के कम जोखिम संसर्ग के लिए पसंद किये जाते है।
बाजार का राज्य और विकास
लखनऊ और मुंबई के बीच फासला भले ही 1350 किलोमीटर से कुछ अधिक ही हो, पर अब महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी निवेशक झोली भरकर निवेश लाने में लगे हैं। महाराष्ट्र तो परंपरागत रूप से भारत का सबसे खास औद्योगिक राज्यों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश अब महाराष्ट्र का तेजी से निजी क्षेत्र के निवेश में मुकाबला कर रहा है। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य की छवि कभी महाराष्ट्र जैसी नहीं रही थी। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट देखें तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। उसके बाद दिल्ली का स्थान है और फिर उत्तर प्रदेश का। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अप्रत्याशित ही मानी जाएगी। बेशक, उत्तर प्रदेश अपने को अब तेजी से बदल रहा है। राज्य सरकार को समझ आ गया है कि बिना निजी क्षेत्र के निवेश के राज्य का हरेक क्षेत्र में विकास मुमकिन नहीं होगा। देखिए महाराष्ट्र और दिल्ली में तो निवेशक आते ही रहे हैं। ये दोनों राज्य देशी-विदेशी निवेशकों को भी अपनी तरफ खींचते हैं। पर नोट करने लायक तथ्य यही है कि अब उत्तर प्रदेश भी निवेशकों को लुभा रहा है।
उत्तर प्रदेश के विकास का एजेंडा तय करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ी छलांग लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश लाने की युद्ध स्तर पर कोशिशें चल रही है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सक्रिय हैं। वे बड़े निवेशकों और उद्योगपतियों से मिल रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश करने से क्या लाभ होगा। याद नहीं आता कि उनसे पहले राज्य का कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य में निवेश लाने को लेकर इतना एक्टिव रहा हो।
आप जानते हैं कि कोरोना काल में सब तरफ आर्थिक गतिविधियां ठप सी पड़ गई थीं। पर उत्तर प्रदेश में उस दौर में भी निवेशकों ने 66,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दरअसल अगर आप भारत के निजी क्षेत्र के निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा राज्यों की सूची में नजर डालेंगे तो आपको मोटा-मोटी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली जैसे राज्य ही नजर आएंगे। इनमें हुई आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। नब्बे के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए इन सब राज्यों ने अपनी जीडीपी को मजबूत बाजार का राज्य और विकास बनाया और वर्तमान में जीडीपी के हिसाब से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है। कर्नाटक तो देश की आई टी राजधानी बन चुका है और तमिलनाडु ऑटो सेक्टर का बडा हब। ये सब राज्य देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें आर्थिक प्रगति की रफ्तार लाजवाब रही है। महाराष्ट्र की जीडीपी का आकार पूरे पाकिस्तान की जीडीपी से भी अधिक है। अब इन राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश का आना सुखद है। राम और कृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश भारत की आत्मा है। करीब 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के विकास को छोड़कर भारत की प्रगति की कल्पना करना असंभव होगा।
एक बात तो समझनी ही होगी कि कोई भी देश और उसका राज्य अपने देश के निवेशकों पर ही निर्भर नहीं रह सकता है। उसे विदेशी निवेश भी तो खींचना ही होगा। अच्छी बात यह है ब्रिटेन, मारीशस, नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर जैसे देशों के निवेशक भी उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर गंभीर हैं। हां, निवेश तो तब ही आएगा जब सरकारें अपने यहां निवेश का माहौल पैदा करेंगी। निवेशकों को सुरक्षित जीवन का भरोसा देंगी। उत्तर प्रदेश यह भरोसा देने में हाल के दिनों में कामयाब रहा है। निवेशकों को भी उत्तर प्रदेश में निवेश करना लाभ का सौदा नजर आ रहा है। जाहिर सी बात है कि कोई भी निवेशक घाटा खाने के लिए कहीं निवेश करेगा नहीं। उत्तर प्रदेश में गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिड़ला, निरंजन हीरानंदानी, सज्जन जिंदल जैसे उद्योगपति निवेश लेकर आ रहे हैं।
दरअसल लंबे समय तक अंधेरे में डूबा रहा उत्तर प्रदेश अपनी छवि तेजी से बदलना चाहता है। आपको आज के दिन सारे राज्य में स्तरीय सड़कें, साफ सुथरे चमकते बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल वगैरह देखने को मिलेंगी। सरकारी दफ्तरों में भी काहिली काफी हद तक खत्म हो गई है। इस बीच, आप गौर करें कि जिन राज्यों में विकास का पहिया काफी सालों- दशकों से घूम रहा है वहां के नौजवान भी अब आंत्रप्योनर बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नौजवानों को भी अब नौकरी की जगह अपना कोई काम-धंधा शुरू करने के संबंध में सोचना होगा। उनके सामने ओला के फाउंडर भाविश अग्रवाल, जोमैटो के दीपेन्द्र अग्रवाल, इंफोसिस के नंदन नीलकेणी जैसे सैकड़ों पहली पीढ़ी के आंत्रप्योनर की सफल कहानियां हैं। पहली पीढ़ी के उद्यमी सफल हो रहे हैं। ये रोजगार दे रहे हैं और नौजवानों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं। देश के सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तो हजारों इस तरह के युवा एक्टिव हैं जिनके परिवारों में उनसे पहले कभी किसी ने कभी कोई बिजनेस नहीं किया था। यह समय अपना धंधा करने के लिहाज से सर्वोत्तम है। आपको बैंकों और वित्तीय संस्थानों से आसान शर्तों पर लोन भी मिल जाता है। यह स्थिति कुछ साल पहले तक नहीं थी। उस दौर में लोन के लिए बहुत धक्के खाने पड़ते थे। लेकिन, आज अगर आपके कोई बढ़िया आइडिया है तो आपकी सफलता तय है।
एक तरफ उत्तर प्रदेश में निवेश और दूसरी तरफ राज्य के युवा अपने खुद के काम-काज शुरू करें तो फिर सोने पर सुहागा ही होगा। इससे राज्य विकास की दौड़ में तेजी से लंबी छलांग लगाने बाजार का राज्य और विकास लगेगा। आप खुद देख लें कि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों के नौजवान नौकरी की तुलना में कारोबारी बनना पसंद करने लगे हैं। जिन राज्यों में निवेश नहीं आ बाजार का राज्य और विकास रहा है, वहां के युवा नौकरी पाने की जुगाड़ में रहते हैं। नौकरी के लिए अपने घरों से सैकड़ों-हजारों मील दूर चले जाते हैं। मान कर चलिए कि उत्तर प्रदेश में निवेश आना जैसे-जैसे बढ़ता रहेगा, वैसे-वैसे राज्य के युवा भी बदलेंगे। वे भी कारोबारी बनने के संबंध में सोचेंगे। मतलब निवेश से राज्य का कई स्तरों पर कायाकल्प होगा।
Stock Market Today : बाजार में दबाव के बीच आज कौन से शेयर खरीदें निवेशक, पांचवें सत्र में भी बढ़त का अनुमान
सेंसेक्स पिछले सत्र में भी 185 अंक चढ़कर बंद हुआ था.
Today Share Market : भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को दबाव के बावजूद लगातार पांचवें सत्र में बढ़त बना सकता है. एक्सपर्ट क . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 02, 2022, 07:21 IST
हाइलाइट्स
सेंसेक्स पिछले कारोबारी सत्र में 185 अंकों की मजबूती के साथ 63,284 पर पहुंच गया.
निफ्टी भी पिछले कारोबारी सत्र में अंक चढ़कर 18,812 पर बंद हुआ था.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले सत्र में बाजार से 1,565.93 करोड़ निकाले.
नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) पर शुक्रवार को ग्लोबल मार्केट में आई गिरावट का दबाव रहेगा लेकिन निवेशकों का सेंटिमेंट पॉजिटिव रहने की वजह से आज लगातार पांचवें सत्र में भी बाजार बढ़त बना सकता है. इस सप्ताह सेंसेक्स ने कई बार नई ऊंचाइयों को छुआ और रिकॉर्ड बनाया. निवेशकों की पूंजी में भी अब तक करीब 9 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो चुका है.
सेंसेक्स पिछले कारोबारी सत्र में 185 अंकों की मजबूती के साथ 63,284 पर पहुंच गया जबकि निफ्टी 54 अंक चढ़कर 18,812 पर बंद हुआ था. एक्सपर्ट का कहना है कि आज के कारोबार पर भले ही ग्लोबल मार्केट में आई गिरावट का असर दिखे लेकिन शुरुआती दबाव के बाद निवेशक खरीदारी पर जोर दे सकते हैं. उनका पॉजिटिव सेंटिमेंट इस समय बाजार में बढ़ते भरोसे को दिखा रहा है और आज खरीदारी पर जोर दिया तो सेंसेक्स नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है.
अमेरिका और यूरोपीय बाजारों का हाल
अमेरिका में फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें बढ़ाए जाने के ऐलान से निवेशक थोड़ा सतर्क नजर आए. उन्होंने पिछले सत्र में बिकवाली की और वॉल स्ट्रीट को नुकसान झेलना पड़ा. S&P 500 पिछले कारोबारी सत्र में 0.09 फीसदी की गिरावट पर बंद हुए, जबकि DOW JONES को 0.56 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि, NASDAQ ने पिछले सत्र में 0.13 फीसदी की बढ़त बना ली थी.
अमेरिका की तर्ज पर यूरोपीय बाजारों में भी पिछले कारोबारी सत्र के दौरान मिलाजुला रुख दिखा. यूरोप के बड़े शेयर बाजारों में शामिल जर्मनी का स्टॉक एक्सचेंज पिछले सत्र में 0.65 फीसदी की बढ़त बनाने में कामयाब रहा तो फ्रांस के शेयर बाजार में भी 0.23 फीसदी का उछाल दिखा. हालांकि, लंदन स्टॉक एक्सचेंज पिछले सत्र में 0.19 फीसदी के नुकसान पर बंद हुआ था.
एशियाई बाजारों में गिरावट
एशिया के ज्यादातर शेयर बाजार आज गिरावट पर कारोबार कर रहे हैं. सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज पर आज सुबह 0.26 फीसदी का नुकसान दिख रहा है, जबकि जापान का निक्केई 1.62 फीसदी गिरकर कारोबार कर रहा है. ताइवान के शेयर बाजार में 0.30 फीसदी की गिरावट है तो दक्षिण कोरिया का कॉस्पी बाजार 0.74 फीसदी के नुकसान पर कारोबार कर रहा है.
इन शेयरों पर रखें निगाह
निवेशकों को आज के कारोबार में हाई डिलीवरी पर्सेंटेज वाले शेयरों पर नजर रखनी चाहिए. एक्सपर्ट का मानना है कि बाजार में दबाव के बावजूद कुछ ऐसे शेयर हैं जो आपको मुनाफा दिला सकते हैं. आज हाई डिलीवरी पर्सेंटेज वाले शेयरों में SBI Card, ICICI Lombard General Insurance, Power Grid Corporation of India, Coal India और HDFC AMC जैसी कंपनियां शामिल हैं.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
भारतीय शेयर बाजार में इस सप्ताह पहली बार विदेशी निवेशकों की बिकवाली देखने को मिली है. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले कारोबारी सत्र में बाजार से 1,565.93 करोड़ रुपये की पूंजी निकाल ली. इसी दौरान, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बाजार में 2,664.98 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की जिससे बढ़त बनाने में कामयाबी मिली.
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