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समारोह की आवश्यकताओं

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महिला सप्ताह समारोह

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में महिला सप्ताह समारोह का समापन किया गया| कार्यक्रम की संयोजिका डॉ निशा डियोपा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया कार्यक्रम के निदेशक प्रोफेसर एसके सिन्हा ने विश्वविद्यालय के संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा की भारतीय संस्कृति में नारी का विशेष सम्मान पूर्वक स्थान है। नारी ज्ञान के साथ की सरस्वती, धन के रूप में मां लक्ष्मी तथा शक्ति के रूप में दुर्गा भी नारी शक्ति का ही प्रतीक है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीमती रेखा, जज जिला जींद रही| उन्होंने बताया कि महिलाओं को शिक्षा के साथ आर्थिक रूप से सबल बनते हुए समाज में सम्मानजनक स्थान बनाने पर जोर दिया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती दीप्ति रावत भारद्वाज सचिव राष्ट्रीय महिला मोर्चा उत्तराखंड रही उन्होंने अपने वक्तव्य में महिलाओं को सशक्त बनने की बात करते हुए शारीरिक सामाजिक और आर्थिक रूप से विकास करने पर जोर दिया। स्वाभाविक रूप से नेतृत्व भावना के द्वारा विभिन्न शिक्षित पदों पर आसीन होने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आज महिलाओं को कहीं 33 परसेंट कहीं 50% आरक्षण मिला है लेकिन उन्होंने नेतृत्व का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ महिलाएं ग्राम प्रधान होने के बावजूद भी उनके पति ही प्रधान पति के साथ कार्य करते हैं। आर्थिक रूप से सफल होने के लिए शिक्षित होकर मान सम्मान पाते हुए सरकार द्वारा विभिन्न चलाई जा रही योजनाओं का लाभ ले पाती हैं स्वस्थ भारत योजना के तहत शौचालय निर्माण के द्वारा महिलाओं को सम्मान मिला है कन्या भू्रण हत्या महिलाओं के लिए एक अभिशाप है इसका वर्णन करते हुए वर्तमान समय में लिंग अनुपात में स्थिति में सुधार होने की बात समारोह की आवश्यकताओं विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” सुकन्या समृद्धि योजना आदि के द्वारा महिलाओं के सम्मान में वृद्धि हुई है।

योग विज्ञान विभाग से कुमारी सुमन तथा उनकी टीम संगीत में योग की शानदार प्रस्तुति दी|

इस अवसर विभिन्न महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। मंच का संचालन डॉक्टर रचना श्रीवास्तव द्वारा किया गया इस अवसर पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के सभी शिक्षक, गैर शिक्षक व विद्यार्थी और शोधार्थी आदि मौजूद रहे।

Video : बांसवाड़ा : छात्रसंघ शपथ ग्रहण समारोह में सजा राजनीतिक मंच, सरकार में आने पर नया गल्र्स कॉलेज बनवाने का वादा

banswara

बांसवाड़ा. हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय में गुरुवार को छात्रसंघ का शपथग्रहण समारोह आयोजित किया गया। समारोह तो छात्रसंघ का था, लेकिन इस यहां अतिथि के रूप में पहुंचे कांग्रेस के सक्रिय नेताओं ने विधानसभा के चुनाव के लिए मैदान जमाने में कोई कसर नहीं रखी। अतिथियों ने अपने उद्बोधन में यूथ से समर्थना मांगा और विकास में कोई कसर नहीं छोडऩे की बात कही। मुख्य अतिथि महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने पर कॉलेज के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध करवाए जाने का वादा किया। विशिष्ट अतिथि जिला प्रमुख रेशम मालवीया ने कल्पना चावला का उदाहरण देते हुए छात्राओं को अपनी शक्ति पहचानने तथा आगे बढऩे का आह्वान किया। इस दौरान जैनेन्द्र त्रिवेदी, मनोहर खडिया, प्रकाश बामनिया, अरविंद डामोर ने भी सम्बोधित किया। प्राचार्य एनके जैन ने कॉलेज के विकास कार्य तथा आवश्यकताओं के साथ ही क्षेत्र में शोध केन्द्र प्रारंभ करने की आवश्यकता जताई। इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया। छात्रसंघ परामर्शदाता मंडल अध्यक्ष डॉ सीमा भारद्वाज ने अतिथियों का स्वागत किया। विधायक मालवीया ने छात्रसंघ कार्यकारिणी का शपथ दिलवाई। इस अवसर पर नटवर तेली, इमरान खान पठान, सीता डामोर, देवबाला राठौड, आसिफ खान व अन्य उपस्थित थे। आभार डॉ शिप्रा राठौड़ ने व्यक्त किया।

कुशलगढ़ कॉलेज में शपथ ग्रहण समारोह
कुशलगढ़. मामा बालेश्वर दयाल राजकीय स्नात्तकोतर महाविद्यालय में गुरुवार को छात्रसंघ शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर पूरी तरह चुनावी रंग दिखाई दिया। मुख्य अतिथि बागीदौरा विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने उनके मंत्री रहते कराए कार्यों को गिनवाया। उन्होंने कहा कि मेरा विधानसभा नहंी होने के बावजूद मैंने इस क्षेत्र के विकास में कोई कसर नही छोड़ी। मालवीया गृह मंत्री गुलाबचंद कटारीया, संसदीय सचिव भीमा भाई डामोर पर बरसे तथा कहा कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र में एक भी बड़ा कार्य किया हो तो बताएं।

एकजुट रहने की नसीहत
मालवीया ने पार्टी को मां बताते चुनाव में टिकट के दावेदारों व कार्यकर्ताओं को गुटबाजी नहीं करने, एकजुट रहकर पार्टी हित में कार्य करने की नसीहत दी। समारोह में उन्होंने विद्यार्थियों को लक्ष्य तय कर पढ़ाई करने व क्षेत्र का नाम रोशन करने को कहा। समारोह में छात्रसंघ अध्यक्ष मनोहर डामोर, उपाध्यक्ष प्रेमसिंह खडिया, संयुक्त सचिव अरविन्द सुरावत, सांस्कृतिक सचिव संदीप भुरिया व क्रीडा सचिव अमृतलाल डिण्डोर को शपथ दिलवाई।

समारोह की आवश्यकताओं

फोटो गैलरी

वीडिओ गैलरी

सम्मान समारोह

गोम्मटेश्वर श्री बाहुबलीस्वामी महामस्तकाभिषेक महोत्सव-2018 की पूर्व भूमिका के रूप में श्रवणबेलगोला में आयोजित राष्ट्रीय जैन महिला सम्मेलन के सुअवसर पर - प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, जबलपुर (मध्यप्रदेश) को दिनांक 13.08.17 संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान हेतु आदर्श जैन महिला संस्था के रूप में भारतवर्ष की समस्त संस्थाओं में प्रथम स्थान पर प्रतिष्ठित किया गया है ।

“प्रतिभा स्वयं प्रमाणित होती है, उसे प्रमाणपत्रों की आवश्यकता नहीं होती ।” आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज की इस उक्ति को चरितार्थ करती प्रतिभास्थली की बहनें गोम्मटेश्वर में इस अवसर पर अनुपस्थित रहीं ।

अतएव श्रीमती सरिता जैन- राष्ट्रीय अध्यक्षा ने स्वयं रामटेक आकर आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में दिनांक 10.09.17 प्रतिभास्थली- जबलपुर की बहिनों को 1 लाख की नगद राशि, प्रशस्तिपत्र व स्वर्णपदक भेंट कर सम्मानित किया । यह जबलपुर सहित भारतवर्ष की जैन समारोह की आवश्यकताओं समाज के लिए अत्यंत गौरव का विषय है ।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने संरक्षण याचिका में संस्कार समारोह की तस्वीरें संलग्न करने पर जताई आपत्ति, रजिस्ट्री को दिए निर्देश

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने संरक्षण याचिका में संस्कार समारोह की तस्वीरें संलग्न करने पर जताई आपत्ति, रजिस्ट्री को दिए निर्देश

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को निर्देशित किया है कि भागे हुए जोड़ों (Runaway Couples) द्वारा दायर संरक्षण याचिकाओं (Protection Plea) के साथ संस्कार के समारोह की तस्वीरें संलग्न नहीं की जाएंगी, जब तक कि वकील का इस सम्बन्ध में एक हलफनामा न हो कि तस्वीरें मामले को समझने के लिए आवश्यक हैं, जिसके लिए आवेदन के माध्यम से कारण सौंपा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति राजीव नारायण रैना की एकल पीठ ने रजिस्ट्री को यह निर्देश, एक ऐसे ही याचिकाकर्ता दंपत्ति द्वारा दाखिल संरक्षण याचिका पर दिया, जिन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ शादी की और इसके पश्च्यात उन्होंने अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से संपर्क किया।

अदालत ने मामले में पुलिस कमिश्नर, जालंधर, पंजाब को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता की सुरक्षा के अनुरूप कदम उठायें।

ये निर्देश, लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006 (3) आरसीआर (आपराधिक) 870 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशा-निर्देश के अनुरूप दिए गए।

अदालत ने यह कहा कि याचिकाकर्ता जोड़ा, अपना प्रतिनिधित्व पेश करने के लिए स्वतंत्र है, ताकि प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

अदालत ने संस्कार समारोह समारोह की आवश्यकताओं की तस्वीरें संग्लाग्न करने पर जोर देने का कारण रजिस्ट्री से पूछा था

दरअसल, जब यह मामला 11-जून-2020 को सुनवाई के लिए अदालत के समक्ष आया था, तो अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से यह पूछा था कि याचिका के साथ समारोह की तस्वीरें संलग्न करने की क्या आवश्यकता थी, जबकि संस्कार करने वाला व्यक्ति तस्वीर में मौजूद नहीं था और न ही अदालत भागे हुए दंपत्ति द्वारा दायर संरक्षण याचिका में ऐसी तस्वीरें देखने की इच्छुक होती है?

इसपर अधिवक्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि अगर तस्वीरों को रिकॉर्ड पर नहीं रखा जाता है तो रजिस्ट्री आपत्ति जताती है। अदालत ने इस बात पर गौर करते हुए कि समान याचिकाओं में ऐसी ही तस्वीरें बड़ी संख्या में संलग्न की जाती हैं, रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया था।

रजिस्ट्री ने अपने जवाब में अदालत को बताया था कि ऐसी याचिकाओं में यदि तस्वीरें संलग्न नहीं की जाती तो रजिस्ट्री कोई आपत्ति नहीं उठाती है। लेकिन, यदि याचिकाकर्ता द्वारा तस्वीरें संलग्न की जाती हैं और वे पर्याप्त या स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं, तो रजिस्ट्री द्वारा आपत्ति जताई जाती है।

इस विषय पर हाईकोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं से अधिशेष को हटाने और उन्हें न्यूनतम रखने के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता है।

अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश देते हुए कहा कि,

"रजिस्ट्री, जोड़ों की तस्वीरों के सबूत या शादी के सबूत के रूप में युक्त किसी भी अनुलग्नक पर विचार करना बंद कर देगी और आवश्यकता के लिए एक हलफनामे की मांग करेगी, यह बताते हुए कि वे (अनुलग्नक/तस्वीरें) किस उद्देश्य से याचिका की प्रार्थना के लिए महत्वपूर्ण हैं। तस्वीरें विवाह का प्रमाण नहीं हैं, और न ही यह न्यायालय विवाह से संबंधित कोई न्यायालय है। न्यायालय केवल इन मामलों में याचिकाकर्ताओं की पहचान के बारे में चिंतित होता है, जिसे ट्रेस किया जा सकता है।"

अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि आवश्यकता (Necessity) के एक हलफनामे की मांग वकील से [याचिकाकर्ता से नहीं] की जाएगी, क्योंकि वकील ही अपने क्लाइंट को सलाह देते हैं कि याचिकाओं की प्रस्तुति के लिए क्या कदम उठाये जाएं।

अदालत ने याचिका की न्यूनतम आवश्यकता पर दिया जोर

अदालत ने अपने आदेश में इस बात को रेखांकित किया कि इन याचिकाओं के इर्द-गिर्द एक उद्योग विकसित हो गया है और समय आ गया है कि इन याचिकाओं को फरियादियों की बुनियादी माँगों के अनुरूप बनाया जाए। अदालत ने कहा कि भागे हुए दंपत्ति, जो वास्तव में यह मानते हैं कि उन्हें उच्च न्यायालय से विवाह प्रमाणपत्र मिलेगा, के वित्तीय खर्च पर इन याचिकाओं से निपटना कोई खुशी की बात नहीं है।

अदालत ने आगे कहा कि

"यह प्रथा बंद होने के योग्य है, क्योंकि यह उच्च न्यायालय और उसके कर्मचारियों के ऊपर याचिका दाखिल होने के चरण से लेकर आदेश को अपलोड करने तक एक बड़ा बोझ बनती है।"

अदालत ने आगे यह भी कहा कि, न्यायालय की इन तस्वीरों को देखने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है, और यह बेंच के ध्यान को आकर्षित करती हैं और अनावश्यक टिप्पणियों को आमंत्रित करती हैं, जिससे न्यायलय का समय समय बर्बाद होता है।

अदालत ने आगे कहा था कि, यह डायवर्सन, अक्सर मामले को एक गतिरोध में बदल देता है, जब केवल एक सरल दिशानिर्देश की मांग की जाती है जिसे यांत्रिक रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के आधार पर जारी किया जाता है, ताकि युवा जोड़ों को नाराज माता-पिता और उनके परिवारों को शादी का विरोध करने के चलते पहुंचाए जाने वाले संकट और शारीरिक नुकसान से बचाया जा सके।

भागे हुए जोड़ों द्वारा दर्ज किए गए मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए, हाईकोर्ट ने मुख्य रूप से यह भी कहा कि विधायिका इस ओर भी सोच सकती है कि अन्य फोरम जैसे कि निचली अदालतों द्वारा इन मामलों की सुनवाई की जाए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि

"यह अदालत को ऐसे मामले के भार से मुक्त करने का सुझाव मात्र है। यह विधायिका के लिए वह समाधान खोजे, यदि यह आवश्यक हो या उचित हो।"

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