क्रिप्टो करेंसी

Bitcoin क्या होता है?

Bitcoin क्या होता है?

What is Cyrptocurrency: क्या है क्रिप्टोकरंसी, जिसके खतरों ने भारत समेत दुनियाभर की सरकारों की नींद उड़ा कर रख दी

What is Bitcoin: क्रिप्टोकरंसी की ओर लोगों की बढ़ती रुचि ने सरकारों को टेंशन Bitcoin क्या होता है? में डाल दिया है. सिडनी डायलॉग में खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस पर चिंता जता चुके हैं.

By: ABP Live | Updated at : 19 Nov 2021 07:19 AM (IST)

Cyrptocurrency News: क्रिप्टोकरंसी की ओर लोगों की बढ़ती रुचि ने सरकारों को टेंशन में डाल दिया है. सिडनी डायलॉग में खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस पर चिंता जता चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी को लेकर दुनिया भर की सरकारों को साथ काम करना चाहिए. अगर यह गलत नेटवर्क में चला गया तो युवाओं की जिंदगी तबाह हो सकती है. 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार इसे लेकर बिल ला सकती है.

सबसे पहले जानें क्या है क्रिप्टोकरंसी?

क्रिप्टोकरंसी में कंप्यूटरों का एक नेटवर्क क्रिप्टोग्राफी तकनीक से लेनदेन करवाता है. इस क्रिप्टोग्राफी तकनीक में ना तो पेमेंट लेने वाले की पहचान और न ही पेमेंट देने वाले की पहचान सामने आती है. बिटकॉइन भी एक तरह की क्रिप्टोकरंसी है. बिटकॉइन की तरह कई और क्रिप्टोकरंसी इस वक्त बाजार में मौजूद हैं. जैसे डार्क कॉइन, लाइट क्वाई, बाइनस कॉइन वगैरह. इन सब में सबसे प्रचलित क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन है. बिटकॉइन का अपना माइनिंग एक्सचेंज है.

बिटकॉइन पर किसी सरकार, राज्य या बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. इसे ना तो जब्त किया जा सकता है ना ही इसके ट्रांजेक्शन को कोई सरकार रोक सकती है. इस मुद्रा का असली मालिक कौन है? और उसने किस-किस को भुगतान किया है? इसका पता लगाना असंभव है. अपने ट्रांजेक्शन को केवल वही देख सकता है, जिसने वो भुगतान लिया है या दिया है. इसमें लेनदेन करने वालों की पहचान एक डिजिटल "की" यानी चाबी के रूप में रहती है. इस करंसी में किसी नाम या पते की कोई जरूरत नहीं है.

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क्रिप्टोग्राफी क्या होती है?

बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरंसी है. यानी इसका लेनदेन क्रिप्टोग्राफी तकनीक पर होता है. क्रिप्टोग्राफी का मतलब होता है गोपनीय संचालन. यानी एक सुरक्षित कम्युनिकेशन. इस तकनीक में कंप्यूटरों के एक नेटवर्क में डेटा को इस तरह इनक्रिप्ट किया जाता है, जिससे केवल बिटकॉइन लेने और देने वालों के अलावा इस सूचना को कोई ना देख पाए. यहां तक कि क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज का ऑपरेटर भी इससे दूर रहता है. ये सारा काम केवल मशीनों के जरिए संचालित होता है. मशीन को भी असली लेने वाले और देने वाले की पहचान नहीं दी जाती. वो इन्हें केवल एक नंबर की तरह समझता है और ये नंबर केवल दो लोगों के पास होता है जो बिटकॉइन खरीद रहा है और जो बेच रहा है.

क्रिप्टोकरंसी यानी बिटकॉइन की माइनिंग कैसे होती है ?

माइनिंग का मतलब होता है खुदाई. चूंकि बिटकॉइन का कोई आकार नहीं है, जैसे परंपरागत करंसी का होता है. ये एक वर्चुअल यानी डिजिटल करंसी है. इसे क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज से क्रिएट किया जाता है. इसे ही माइनिंग कहते हैं. यानी जितनी ज्यादा माइनिंग उतना ज्यादा प्रचलन. चूंकि एक्सचेंज में बिटकॉइन एक सीमित संख्या में होता है. इसलिए इसकी माइनिंग जब ज्यादा होगी यानी मांग ज्यादा होगी तो इसकी कीमत बढ़ती है और अगर इसकी मांग कम हो तो कीमत कम हो जाती है.

क्रिप्टोकरंसी पर भारत सरकार का पक्ष क्या है?

भारत सरकार बिटकॉइन को अपनी अर्थव्यवस्था में मान्यता नहीं देती. 2007 और 2017 में रिजर्व बैंक ने इस करंसी के इस्तेमाल को लेकर अलर्ट जारी किया था. इसमें कहा गया था कि इस मुद्रा के प्रचलन की आधिकारिक अनुमति नहीं दी गई है और इसका लेनदेन जोखिम भरा है.

सरकार के लिए बिटकॉइन के खतरे क्या हैं?

चूंकि बिटकॉइन में इस मुद्रा के लेन-देन करने वालों की जानकारी लेना असंभव है. इसलिए किसी भी सरकार के अपनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित करने के सारे साधन बिटकॉइन पर लागू नहीं होंगे और आपात स्थिति में सरकार अपनी अर्थव्यवस्था के जोखिम को नियंत्रित नहीं कर पाएगी. इस करंसी में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद, हथियार और ड्रग्स के कारोबार के संचालन और उसके अपराधियों की पहचान करना असंभव होगा और इसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

अगर ये करंसी किसी भी देश की परंपरागत मुद्रा से ज्यादा मात्रा में उस देश में प्रचलित हो जाएगी तो वहां के बैंक और सरकारों को अपने नागरिकों की आय या फिर टैक्स प्रणाली में उन्हें शामिल करना असंभव हो जाएगा. राज्य की आर्थिक शक्ति कंप्यूटरों के हाथ में चली जाएगी. यानी सरकार की मुद्रा जारी करने की शक्ति और उसकी संप्रभुता दोनों खत्म हो जाएगी.

आम आदमी के लिए खतरे

आप इसे खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन इसे बेचना पूरी तरह से इसके खरीददारों या फिर क्रिप्टो एक्सचेंज पर निर्भर करता है. यानी आप इस दुनिया में अपनी मर्जी से शामिल तो हो सकते हैं लेकिन इससे पूरी तरह निकलने में सिर्फ आपकी मर्जी नहीं चलेगी. अगर आपके साथ धोखा होता है. आपकी क्रिप्टोकरंसी चोरी कर ली जाती है या फिर उसे लूट लिया जाता है तो आप को वो वापस कभी नहीं मिलेगी. क्योंकि एक्सचेंज को भी ये नहीं पता होगा कि जो क्रिप्टोकरंसी लूटी गई है उसके असली मालिक आप ही थे.

लूटने वाला आराम से उससे खरीददारी कर लेगा और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि उसके असली नाम और पते के बारे में भी एक्सचेंज को कुछ नहीं पता होगा. इसकी कीमतें कैसे बढ़ रही हैं और कब कम होंगी इसका कोई भी प्रमाणिक और पारदर्शी तरीका नहीं है. यानी इसकी आर्टिफिशियल हाइक और डिप क्रिएट कर के आपको लूटा भी जा सकता है.

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Published at : 19 Nov 2021 07:15 AM (IST) Tags: Cryptocurrency Cryptocurrencies Bitcoin News cryptocurrency news हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

क्या है Bitcoin? कैसे करते हैं इस वर्चुअल करेंसी में ट्रेडिंग, जानिए आपके काम का सबकुछ

Bitcoin की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई.

बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. (Reuters)

दुनियाभर में क्रिप्टोकरंसी (CryptoCurrency) बिटकॉइन (Bitcoin) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. बिटकॉइन में निवेश करने वाले अमीर लोग इस ऑनलाइन करंसी (Online Currency) के जरिए अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं. यही वजह है कि इसके दाम भी नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. 3 साल बाद एक बार फिर बिटकॉाइन में बड़ी तेजी देखने को मिली है. साल 2017 में बिटकॉइन में अपना रिकॉर्ड हाई (Bitcoin record High) बनाया था. इसके बाद नीचे की तरफ फिसलती गई. लेकिन, अब 3 साल का नया हाई बना दिया है. दुनियाभर में इस करंसी में लोग पैसा लगा रहे हैं. लेकिन, भारत सरकार (India Government) का मानना है कि उसके पास वर्चुअल करंसी (Virtual currency) का कोई डेटा नहीं है और इसलिए इसकी ट्रेडिंग में खतरा हो सकता है.

कब हुई थी बिटकॉइन की शुरुआत? (History of Bitcoin)
बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई. कई देशों में इस वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग (Virtual Currency trading) को लीगल माना गया और बिटकॉइन की कीमत लगातार बढ़ती गई. मौजूदा वक्त में इसकी कीमत 18000 डॉलर के पार निकल चुकी है. यह एक तरह की डिजिटल करंसी (Digital Currency) है. इसकी शुरुआत सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) नाम के शख्स ने की थी. भारत में भी गुपचुप तरीके से बिटकॉइन ट्रेडिंग (Bitcoin me trading kaise karein) की जा रही है. हालांकि, सरकार ने अब तक इसे लेकर नीतियां नहीं बनाई हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट से इसकी मंजूरी मिल चुकी है.

कैसे होती है बिटकॉइन में ट्रेडिंग? (How to trade in bitcoin?)
बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के जरिए होती है. बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. दुनियाभर की गतिविधियों के हिसाब से बिटकॉइन की कीमत घटती बढ़ती रहती है. इसे कोई देश निर्धारित नहीं करता बल्कि डिजिटली कंट्रोल (Digitally controlled currency) होने वाली करंसी है. बिटकॉइन ट्रेडिंग का कोई निर्धारित समय नहीं होता है. इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बहुत तेजी से होता है.

बिटकॉइन का भी है एक्सचेंज (Bitcoin cryptocurrency trading exchange)
Kraken के जरिए बिटकॉइन में ट्रेडिंग (Bitcoin trading) की जा सकती है. यह क्रिप्टोकरंसी का एक्सचेंज (Cryptocurrency exchange) है. जिसे 2011 में बनाया गया था. इसके लिए पहले अपना अकाउंट बनाना होता है. इसके बाद ईमेल के जरिए अकाउंट कन्फर्म करना होता है. अकाउंट वेरिफाइ (Account verification) होने के बाद आप ट्रेडिंग मेथड सिलेक्ट कर सकते हैं. ट्रेडिंग के लिए चार्ट (Bitcoin trading chart) मौजूद होता है, जिसमें बिटकॉइन की कीमत की हिस्ट्री होती है. आप समय पर बिटकॉइन का ऑर्डर (How to order bitcoin) देकर खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं. बिटकॉइन की कीमतों में बदलाव बहुत ही अप्रत्याशित और तेज होता है. इन्वेस्टमेंट के हिसाब से लोगों को ये काफी लुभावना लगता है.

खरीद-फरोख्त की नहीं होती कोई जानकारी (Bitcoin investment details)
बिटकॉइन (Bitcoin) के लेनदेन का एक लेजर बनाया जाता है. दुनिया में लाखों व्यापारी भी बिटकॉइन से लेनदेन करते हैं. हालांकि, किसी भी केंद्रीय बैंक ने अभी इसको मान्यता नहीं दी है. अमेरिका की कई दिग्गज कंपनियां भी बिटकॉइन को स्वीकार करती हैं. इंटरनेट की दुनिया में इसकी खरीद-फरोख्त कराने वाले कई एक्सचेंज हैं. इंटरनेट की कई वेबसाइट और ऐप के माध्यम से इसकी खरीद-फरोख्त होती है. इसमें खरीद-फरोख्त करने वालों की जानकारी छुपी रहती है.

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क्या है बिटकॉइन का नुकसान? (Disadvantage of Bitcoin)
बिटकॉइन करेंसी से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर आपका कंप्यूटर हैक हो गया तो फिर यह वापस नहीं होगी यानी रिकवर नहीं होगी. इतना ही नहीं इसकी चोरी होने की आप पुलिस में या कहीं भी शिकायत दर्ज नहीं करा सकते हैं.

क्या है Bitcoin और Cryptocurrency, कैसे होती है इसकी माइनिंग?

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक ऐसी करेंसी है, जो ज्यादातर सुर्ख़ियों में बनी रहती है। इसको लेकर कई नियम निर्धारित किए गए हैं। क्योंकि, कई देशों में इसे अवैध माना जाता है। क्रिप्टोकरेंसी में सबसे ज्यादा नाम जो सुना जाता है वो बिटकॉइन (Bitcoin) का है और बिटकॉइन आज कल काफी ट्रैंड में चल रहा है। कई लोग तो ऐसा मानते हैं कि, सिर्फ Bitcoin ही एक क्रिप्टोकरेंसी है। जबकि मार्केट में कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल हैं। हालांकि, आज भी ज्यादातर लोग Bitcoin में ही इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। इसलिए हम समझें कि आखिर क्या है Bitcoin? साथ ही विस्तार से इससे जुड़े तथ्य।

क्या है Bitcoin?

Bitcoin करेंसी तो है, लेकिन यह एक क्रिप्टोकरेंसी है। इसे 'सातोशी नकामोति' ने 2008 में बनाया था, लेकिन किसी को यह आज तक नहीं पता चल पाया है कि यह कोई इंसान है, या ऑर्गनाइज़ेशन है। सातोशी Bitcoin की एक कोड भी है। इसे पहली बार 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था। हम यह कह सकते हैं कि Bitcoin एक कोड है। इसे एक डिजिटल डॉक्यूमेंट भी कहा जा सकता है। इसे ख़रीदा भी जा सकता है। हालांकि रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे मान्यता नहीं दी है, लेकिन इसके बाद भी भारत में Bitcoin को ख़रीदा जा सकता है। सातोशी नकामोति ने दुनिया में टोटल 2.1 करोड़ Bitcoin बनाये हैं। Bitcoin सोने के भाव में बिकता है। इसके कोई बैंक या सरकार कंट्रोल नहीं करती है।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी ?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक तरह की करेंसी है। लेकिन इसे केवल इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन ही बनाना संभव है।

Bitcoin की ग्रोथ :

अगर हम Bitcoin की ग्रोथ देखें तो इसकी शुरुआत में कोई ग्रोथ नहीं हुई थी। 2009 में Bitcoin को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू 0 डॉलर थी। ना कोई उसे खरीदता था न ही बेचता। इतना ही नहीं 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची। यह केवल लगभग 32 पैसे पर आकर रुक गया था। 2010 यह 18 से 20 रुपये तक ही पंहुचा था। ऐसे ही 2012 में इसकी कीमत 850 रुपये, 2014 में 31000 रुपयेऔर 2014 में इसकी कीमत 58000 रुपये, 2017 में 61722 रुपयेतक पहुंची, लेकिन 2012 से 2017 तक इसकी ग्रोथ देखे तो यह 87000% तक पहुंच गई थी। हालांकि, उसके बाद से Bitcoin में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहा, लेकिन अब काफी समय से इसमें गिरावट का दौर ही जारी है। बता दें, मार्केट में करीब डेढ़ करोड़ Bitcoins आ चुके हैं।

कैसे माइनिंग होता है Bitcoin ?

Bitcoin जारी करने की प्रक्रिया “माइनिंग” कहलाती है। Bitcoin को माइन करने के लिए 2 key होती हैं। एक भेजने के लिए और दूसरी प्राप्त करने के लिए। इसका सिस्टम ठीक एक लाटरी जैसा होता है। लाटरी सिस्टम से जो कोई जटिल गणित के सवाल का उत्तर दे पाएगा उसको कुछ Bitcoin इनाम में मिलेंगे। जैसे-जैसे Bitcoin बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे गणित के सवाल और भी जटिल होते जाते हैं। Bitcoin से जुड़ा लेनदेन बिटकॉइन से जुड़े हर इंसान को पता रहता है लेकिन किसने ख़रीदा और किससे ख़रीदा इस बात की गोपनीयता बनी रहती है। इससे धोखाधड़ी की शिकायतें कम हो जाती हैं। आप Unocoin द्वारा Bitcoin खरीद सकते हैं।

Bitcoin के लेन-देन का लेज़र:

Bitcoin के लेन-देन का एक लेज़र बनाया जाता है। यह एक ओपन लेज़र होता है। इसके लेज़र से पूरी जानकारी (पहले बिटकॉइन से लास्ट तक) प्राप्त की जा सकती है। बिटकॉइन का जो सबसे लम्बा लेज़र मेंटेन करता है उसी का लेज़र माना जाता है और उसे ही इनाम के तौर पर बिटकॉइन मिलते हैं। ऐसे बहुत लोग लेज़र मेंटेन करते हैं। बिटकॉइन का लेज़र मेंटेन करने के लिए भी आपको कुछ इनाम दिया जाता है। लेज़र मेंटेन करने से आप धोखाधड़ी के शिकार नहीं होते है। Bitcoin का कोड बहुत कठिन होता है। जिसे हैक करना बहुत मुश्किल है।

Bitcoin से लेनदेन :

कई लोग यह सोचते हैं कि यह एक न दिखने वाली करेंसी है तो क्या इससे लेन-देन संभव होगा? तो हम आपको बताते हैं कि, जी हाँ Bitcoin से लेन-देन बिलकुल संभव है। Bitcoin द्वारा सबसे पहले पिज्जा खरीदा गया था और आज लगभग 1 लाख से भी ज्यादा व्यपारी Bitcoin से लेन-देन करते हैं। Bitcoin का भुगतान किसी ऐप के द्वारा भी किया जा सकता है। Dell, PayPal, Microsoft, जैसी कंपनिया भी Bitcoin को स्वीकार करती हैं। Bitcoin के लेनदेन का एक नुकसान यह है कि इससे कहीं-कहीं ड्रग्स का भी लेनदेन किया जा रहा है। क्योंकि इससे पता नहीं चलता की कौन खरीद रहा है कौन बेच रहा है।

Bitcoin से जुड़ी कुछ बातें:

दिसम्बर 2017 में Bitcoin की वैल्यू एक लाख डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही थी।

देशभर के Bitcoin एक्सचेंजों पर IT विभाग ने दिसम्बर 2017 में छापेमारी की थी।

Bitcoin की कीमत में भारी गिरावट भी दर्ज की जाती है।

कभी-कभी Bitcoin में निवेश करना मंहगा पड़ जाता है।

Bitcoin लोगो को बहुत जल्दी आकर्षित करता है।

हम Bitcoin को पेमेंट सिस्टम भी कह सकते हैं।

Bitcoin से एक बार अमिताभ बच्चन को 100 करोड़ से ज्यादा का फायदा हुआ था लेकिन इसमें गिरावट आने से उनको करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ा था।

आज तक किसी को नहीं पता चल पाया है कि Bitcoin बढ़ता कैसे है।

अगर आपके पैसे Bitcoin द्वारा डूब गए तो इसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं की जाएगी।

Charlie Munger ने कहा था कि, 'Bitcoin एक बीमारी की तरह है।'

Warren Buffet ने 2014 में कहा था कि, 'Bitcoin एक धोका साबित हो सकता है।'

Benjamin Graham ने कहा था कि, 'Bitcoin लोगों को धोखे में लेकर डूबेगी।'

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क्या होती है Bitcoin की हार्ड लिमिट, क्यों दुनिया में बस 2.1 करोड़ बिटकॉइन ही बनाए जा सकते हैं, जानते हैं?

Bitcoin Mining : Bitcoin इस लिमिट के साथ बनाया गया था कि दुनिया भर में 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन किया जा सकेगा. इस लिमिट में से 83 फीसदी कॉइन पहले ही माइन की जा चुकी है और अगले एक दशक में 97 फीसदी बिटकॉइन माइन किए जा चुके होंगे. सवाल है कि क्या लिमिट के बाद भी बिटकॉइन माइन किए जा सकते हैं?

क्या होती है Bitcoin की हार्ड लिमिट, क्यों दुनिया में बस 2.1 करोड़ बिटकॉइन ही बनाए जा सकते हैं, जानते हैं?

दुनिया में 21 मिलियन Bitcoin ही माइन किए जा सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

2009 में अस्तित्व में आने के बाद से क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) ने लंबा सफर तय किया है. 2010 में कभी 10,000 बिटकॉइन्स में 2 पिज़्जा खरीदे गए थे और आज बिटकॉइन का मार्केट कैप क्रिप्टो बाजार में सबसे ज्यादा है. इसकी कीमत आज 67,000 Bitcoin क्या होता है? डॉलर यानी 54 लाख के ऊपर पहुंच चुकी है. ऐसे में कह सकते हैं कि बिटकॉइन का कायापलट हो चुका है. हालांकि, एक चीज है, जो नहीं बदली है, वो है बिटकॉइन माइनिंग की हार्ड लिमिट.

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बिटकॉइन के निर्माता माने जाने वाले सातोषी नाकामोतो नाम के शख्स ने बिटकॉइन बनाने के साथ ही सोर्स कोड में इसके माइनिंग की अपर लिमिट 21 मिलियन (2.1 करोड़) लगा दी थी, इसका मतलब है कि 21 मिलियन से ज्यादा बिटकॉइन माइन नहीं किए जा सकते हैं या सर्कुलेशन में नहीं लाए जा सकते हैं. नाकामोतो ने इसपर कुछ साफ नहीं किया कि लिमिट 21 मिलियन पर क्यों रखी गई, लेकिन बहुत से लोग इसे इस क्रिप्टोकरेंसी के लिए फायदे वाली बात मानते हैं क्योंकि, इससे बिटकॉइन की एक लिमिटेड सप्लाई बनी रहेगी, जिससे कि कई सालों तक Bitcoin क्या होता है? इसकी कीमतें स्थिर रहेंगी.

अब तक कितने बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं?

अब तक 18.78 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं. यानी कि दुनिया में कभी भी जितने भी बिटकॉइन रहेंगे उसका लगभग 83 फीसदी हिस्सा अब तक माइन किया जा चुका है और ये हिस्सा सर्कुलेशन में है. मतलब अब बस लगभग 2 मिलियन बिटकॉइन ही माइनिंग के लिए रह गए हैं.

आखिर कब तक हर बिटकॉइन माइन किया जा चुका होगा?

अगर सबकुछ ऐसा ही रहा तो, एक दशक में 97 फीसदी बिटकॉइन माइन किए जा चुके होंगे. लेकिन बाकी के तीन फीसदी कॉइन अगली एक शताब्दी में माइन हो पाएंगे. इस हिसाब से आखिरी बिटकॉइन सन् 2140 के आसपास माइन किया जाएगा. माइनिंग के धीमा होने के पीछे की वजह एक प्रकिया है, जिसे हाविंग यानी halving कहते हैं. जिस रेट पर बिटकॉइन जेनरेट किए जाते हैं, यह प्रक्रिया उस रेट को हर चार साल पर 50 फीसदी घटा देती है.

इस हार्ड लिमिट से बिटकॉइन को क्या फायदा होता है?

सीधा हिसाब है- जो चीज जितनी कम होगी, उसकी कीमत उतनी ज्यादा होगी. हां कीमत मांग पर निर्भर करती है. चूंकि क्रिप्टो की दुनिया में 21 मिलियन बिटकॉइन ही होंगे, लेकिन दिलचस्पी बढ़ने पर निवेशको की संख्या बढ़ेगी, यानी मांग बढ़ेगी. और मांग बढ़ेगी तो इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत भी बढ़ेगी.

क्या हार्ड लिमिट बदली जा सकती है?

अगर थ्योरी में देखें तो हां यह संभव है. लेकिन इसके लिए बहुत बड़े स्तर पर लोगों की सहमति लेनी होगी. जरूरत होगी कि अधिकतम बिटकॉइन निवेशक अपनी बिटकॉइन की पूंजी की कीमत को कम करने को तैयार हो जाएं, लेकिन ऐसा सोच पाना मुश्किल है कि कोई भी क्रिप्टो में अपने निवेश में ऐसा करके अपना नुकसान कराना चाहेगा.

bitcoin

पिछले कुछ सालों में कैसा रहा है बिटकॉइन का सफर?

अर्थशास्त्री अभी तक इस बात पर स्टडी कर रहे हैं कि हार्ड लिमिट का बिटकॉइन पर क्या असर हुआ है, लेकिन लॉन्च होने के एक दशक बाद तक इसकी कीमतें अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी हैं. 2009 में एक ब्लॉक की माइनिंग से 50 बिटकॉइन जेनरेट किए जा सकते थे, लेकिन उस वक्त इसकी कीमत कम थी. एक साल बाद यानी 2010 में एक शख्स ने दो पिज़्जा खरीदने के लिए 10,000 बिटकॉइन चुकाया था.

2012 में यानी कि लॉन्चिंग के चार साल बाद पहली बार ‘halving' की प्रक्रिया हुई, जिसक बाद हर ब्लॉक से 25 बिटकॉइन जेनरेट होने लगे. इससे इस कॉइन की वैल्यू बढ़ी. 2013 के अंत तक इसकी कीमत Bitcoin क्या होता है? 200 डॉलर थी. दूसरी 'halving' 2016 में हुई, जब एक ब्लॉक की माइनिंग से 12.5 बिटकॉइन जेनरेट होने लगे. 2020 में अगली 'halving' के बाद एक ब्लॉक से 6.25 बिटकॉइन जेनरेट होने लगे.

पिछले साल के शुरुआती महीनों में बिटकॉइन की कीमत लगभग 10,000 डॉलर थी और यह अप्रैल में 65,000 डॉलर के पार चली गई, जिसके बाद इसने तेज गिरावट देखा. हालांकि अगस्त, 2021 में यह करेंसी फिर से 50,000 के ऊपर के लेवल को छूने में कामयाब रही. इसके बाद अक्टूबर में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर बिटकॉइन फ्यूचर के तौर पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंंड की शुरुआत होने से इसने बीते एक महीने में 65,000 से लेकर 67,000 डॉलर तक का सफर तय कर लिया है. बिटकॉइन की माइनिंग जितनी कठिन हुई है, इसकी कीमतें उतनी ही उछली हैं.

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