विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट

आनंद महिंद्रा को याद आया 90 का दौर
रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – विदेशी मुद्रा भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट मौद्रिक नीति)
चर्चा में क्यों ?
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को 532.66 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई 2020 के बाद से अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार नौवें सप्ताह गिरावट दर्ज विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट की गई।
रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा, लगातार क्यों आ रही गिरावट?
दो सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 7.941 अरब डालर की कमी आई है। अगस्त के महीने में विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी देखने को मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से निपटने के विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट लिए आरबीआई ने बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे हैं जिसके कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी दर्ज की गई है।
23 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा विदेश मुद्रा भंडार
दो सितंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 महीने के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। इस हफ्ते के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के सभी घटकों में गिरावट दिखी। सबसे ज्यादा कमी फॉरेन करेंसी असेट में दिखी। आरबीआई की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक दो सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 553.105 अरब डॉलर रह गया। इसमें पिछले हफ्ते की तुलना में 7.941 अरब डॉलर की कमी आई। इससे पहले 26 अगस्त को समाप्त हुए हफ्ते के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 561.046 अरब डॉलर था।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, पहली बार 500 अरब डॉलर के पार
- नई दिल्ली,
- 13 जून 2020,
- (अपडेटेड 13 जून 2020, 10:01 AM IST)
- पांच जून को समाप्त सप्ताह में 8.22 अरब डॉलर का इजाफा हुआ
- 29 मई को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 3.44 अरब डॉलर पर था
कोरोना संकट काल में भारत को विदेशी मुद्रा भंडार मोर्चे पर लगातार अच्छी खबरें मिल विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट रही हैं. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर के पार हो गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े?