समर्थन क्या है?

- MSP चेक करने के लिए आप सबसे पहले Farmer पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट farmer.gov.in पर जाएँ।
- वेबसाइट पर आने के बाद आपको लॉगिन मेनू के तहत MSP का लिंक दिखेगा। लिंक पर क्लिक करें।
- लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक लॉगिन फॉर्म ओपन होकर आ जायेगा। अब इस फॉर्म में अपने राज्य को सेलेक्ट करें तथा पासवर्ड की जानकारी को दर्ज करें।
- जानकारी दर्ज करने के बाद आपको कैप्चा कोड ड़ालकर Sign in के बटन पर क्लिक करना है। जिसके बाद सफलता पूर्वक फार्मर पोर्टल पर लॉगिन हो जायेंगे।
- एक बार लॉगिन होने के बाद आप पोर्टल पर फसलों की MSP की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
- इस तरह से आप ऑनलाइन फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
समर्थन क्या है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी क्या है? Srote | April 2021 यह तो लगभग सब जान गए हैं कि एमएसपी या न्यूनतम समर्थन मूल्य महत्वपूर्ण चीज़ है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। इसके पीछे तर्क क्या हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य, उसके निर्धारण, उसके महत्व और सीमाओं को समझने के लिए थोड़ा इतिहास में झांकना होगा। सोमेश केलकर
एमएसपी का इतिहास
एमएसपी की व्यवस्था 1966-67 में गेहूं के लिए शुरू की गई थी। मकसद यह था कि सरकार द्वारा संचालित रियायती सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गेहूं की खरीद की जा सके। आगे चलकर इस व्यवस्था को अन्य ज़रूरी फसलों पर भी लागू किया गया । वर्तमान में कृषि लागत व मूल्य आयोग की अनुशंसा के आधार पर एमएसपी 23 फसलों पर लागू है। इनमें सात अनाज (चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौं और रागी), पांच दालें (चना, तुअर, मूंग, उड़द और मसूर), आठ तिलहन (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तोरिया, तिल, केसर बीज, सूरजमुखी और रामतिल) शामिल हैं। इनके अलावा 4 व्यावसायिक फसलें भी शामिल की गई हैं: खोपरा, गन्ना, कपास और पटसन।
एमएसपी का तर्क
अब यह देखते हैं कि एमएसपी क्या है और इसके पीछे तर्क क्या है। सरल शब्दों में कहें तो एमएसपी सरकार द्वारा किसानों को प्रदान की गई सुरक्षा है । इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों को कीमतों की गारंटी रहे और बाज़ार का आश्वासन रहे । एमएसपी-आधारित खरीद प्रणाली का मकसद फसलों को कीमतों के उतार-चढ़ाव से महफूज़ रखना है। कीमतों में यह उतार-चढ़ाव कई अनपेक्षित कारणों से होता समर्थन क्या है? रहता है, जैसे मॉनसून, बाज़ार में एकीकरण का अभाव, जानकारी में असंतुलन वगैरह ।
कृषि उत्पादों की कीमतें कई कारणों से प्रभावित होती हैं। जैसे यदि किसी फसल का उत्पादन अच्छा हो, समर्थन क्या है? तो उसकी कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है। इसका परिणाम होगा कि किसान अगले वर्ष उस फसल को बोने से कतराएंगे, जिसका असर आपूर्ति पर पड़ेगा। इससे बचाव के लिए सरकार एमएसपी निर्धारित करती है ताकि निवेश और फसल उत्पादन बढ़े । इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि बाज़ार में किसी फसल उत्पाद की कीमतें गिरने लगें, तो भी सरकार किसानों से इसे निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीद लेगी। इस तरह से उन्हें नुकसान से बचाया जाता है।
एमएसपी कैसे तय होता है?
एमएसपी का निर्धारण साल में समर्थन क्या है? दो बार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर किया जाता है। यह आयोग एक संवैधानिक निकाय है और खरीफ व रबी मौसम की अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग मूल्य नीति रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
रिपोर्ट पर विचार करके अंतिम निर्णय केंद्र सरकार लेती है। इससे पहले वह राज्य सरकारों से सलाह-मशवरा करती है और देश में मांग-आपूर्ति की समग्र स्थिति पर भी विचार करती है। एमएसपी की गणना जिस सूत्र के आधार पर की जाती है, उसे 'A2+FL' सूत्र कहते हैं और इसमें C2 लागत का भी ध्यान रखा जाता है। A2 लागत में किसान द्वारा उठाए गए सारे खर्चों को शामिल किया जाता है जैसे बीज, उर्वरक, रसायन, नियुक्त मज़दूर, ईधन, सिंचाई वगैरह । 'A2+FL' में ये सारी नगद लागतें और अवैतनिक पारिवारिक श्रम की अनुमानित लागत (FL) जोड़ी जाती हैं । C2 लागत में A2+FL के अलावा किसान की अपनी भूमि तथा अचल सम्पत्ति का किराया और फसल लगाने की वजह से ब्याज का जो नुकसान हुआ है वह भी जोड़ा जाता है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग लाभ की गणना के लिए मात्र A2+FL को ध्यान में लेता है। बहरहाल, C2 लागतों का उपयोग एक संदर्भ के रूप में किया जाता है ताकि यह फैसला हो सके कि आयोग द्वारा अनुशंसित एमएसपी कुछ प्रमुख राज्यों में इन लागतों को शामिल कर रहा है। एमएसपी की गणना में कई बातों का ध्यान रखा जाता है:
4. कीमतों में उतार-चढ़ाव
5. बाज़ार में कीमतों के रुझान
7. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें
8. कृषि मज़दूरी की दरें
यदि हम A2, FL और C2 में शामिल किए गए मदों को देखें तो लगता है कि उक्त सूत्र में सब कुछ शामिल हो गया है। लेकिन यह बात सच से कोसों दूर है। निर्धारित कीमतों में कुछ निहित समस्याएं होती हैं, जिनका समाधान नहीं किया जा सकता, चाहे जितनी समग्र सूची बना ली जाए ।
दूसरी समस्या क्रियांवयन की है। चाहे एमएसपी मौजूद है, लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि अधिकांश किसानों को अपनी उपज मजबूरन एमएसपी से कम दामों पर बेचनी पड़ती है। आइए एमएसपी व्यवस्था की दिक्कतों पर एक समर्थन क्या है? नज़र डालते हैं खरीद की एक प्रणाली के रूप में भी और समर्थन की एक व्यवस्था के रूप में भी।
एमएसपी की सीमाएं
एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण की 2012-13 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत से भी कम किसान अपनी उपज सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर बेचते हैं। दी हिंदू में प्रकाशित एक विश्लेषण बताता है कि सितंबर 2020 में 68 प्रतिशत समर्थन क्या है? मामलों में फसलें एमएसपी से कम कीमतों पर बेची गई थीं।
एमएसपी की प्रमुख समस्या है सरकार के पास गेहूं और चावल के अलावा शेष सारी फसलों को खरीदने की व्यवस्था का अभाव । गेहूं और चावल की खरीद भारतीय खाद्य निगम द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत की जाती है। एक सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए कि क्या एमएसपी बढ़ाने से किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिलेंगे।
क्या होता है न्यूनमत समर्थन मूल्य, कौन तय करता है MSP और क्या है फायदा, जानें हर बात
न्यूनतम सर्मथन मूल्य या एमएसपी किसानों की फसल की सरकार द्वारा तय कीमत होती है.
केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्य (Base Price) तय करने की पहल की है. सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मू . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 08, 2021, 07:00 IST
Minimum Support Price: मोदी सरकार (Modi Government) का सारा ध्यान किसानों की आमदनी (Farmers Income) बढ़ाने पर है. सरकार ने अगले साल यानी 2022 तक किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करने का लक्ष्य भी तय किया हुआ है और इस दिशा में तेजी का काम भी चल रहे हैं.
सरकार ने किसान कल्याण की तमाम योजनाएं चलाई हुई हैं. कृषि सेक्टर के बजट में भी इजाफा किया है. साथ ही कई स्तर पर सीधे आर्थिक मदद भी की जा रही है.
फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाना भी किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में सीधा कदम है. सरकार ने पिछले दिनों रबी सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया था.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में बहुत से लोग वाकिफ नहीं होंगे कि ये एमएसपी क्या होता है और ये कैसे तय किया जाता है, एमएसपी से किसानों को क्या फायदा होता है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में यहां विस्तार से बता रहे हैं कि ये एमएसपी क्या है और इसे तय करने का फार्मूला क्या है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है (What is Minimum support price)
न्यूनतम सर्मथन मूल्य यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या एमएसपी किसानों की फसल की सरकार द्वारा तय कीमत होती है. एमएसपी के आधार पर ही सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है. राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है.
बाजार में उस फसल के रेट भले ही कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे तय एमएसपी पर ही खरीदेगी. इससे किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं.
क्योंकि सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने वाली कंपनियों अपने सामान की बिक्री की कीमत तय करके उसे बाजार में बेचती हैं, लेकिन किसान खुद अपनी फसल की कीमत तय नहीं कर सकता. इसके लिए उसे आढ़तियों और सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है.
ऐसा नहीं है कि किसी फसल की एमएसपी तय हो जाने के बाद बाजार में वह उसी कीमत पर मिलेगी. आपको वही फसल एमएसपी से कम या ज्यादा कीमत पर बिकती हुई मिल सकती है. मंडी में तो हमेशा ही उसी फसल के दाम ऊपर या नीचे (ज्यादातर नीचे) हो सकते हैं.
अब यह किसान पर निर्भर है कि वह अपनी फसल एमएसपी पर सरकार को बेचे या फिर उससे कम कीमत पर आढ़ती को.
वैसे तो कोई किसान नहीं चाहता कि उसकी फसल एमएसपी से कम दाम पर बिकी, लेकिन होता यह है कि जब फसल की बिक्री का समय आता है तो मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों पर फसलों से भरे ट्रैक्टर, ट्रकों की लंबी लाइन लग जाती है. किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है. इसके अलावा अधिकर सरकारी केंद्रों पर कुछ ना कुछ दिक्कत रहती है. कभी बारदाने की कमी तो कभी लेबर की. और कभी तो सरकारी खरीद केंद्र तय समय से बहुत देरी से खुलते हैं.
इस सब बातों के चलते किसानों को अपनी फसल कम दाम पर आढ़तियों को बेचनी पड़ती है. तो इस तरह कह सकते हैं कि MSP सरकार की तरफ से किसानों की कुछ अनाज वाली फसलों के समर्थन क्या है? दाम की गारंटी होती है.
एमएसपी कौन तय करता है
सरकार हर साल रबी और खरीफ सीजन की फसलों का एमएसपी घोषित करती है. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ( CACP) तय करता है. यह आयोग तकरीबन सभी फसलों के लिए दाम तय करता है. गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग तय करता है.
CACP समय के साथ खेती की लागत के आधार पर फसलों की कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है. सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है.
इन फसलों का होता है एमएसपी (MSP for Crops)
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर साल खरीफ और रबी सीजन की फसल आने से पहले एमएसपी का समर्थन क्या है? गणना करता है. इस समय 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार तय करती है. धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है. एमएसपी के लिए अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है.
कीमत तय करने का फार्मूला (MSP formula)
कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था. आयोग ने एमएसपी तय करने के कई फार्मूले सुझाए थे. डा. एमएस स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई तो उसने फसल की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करने के नए फार्मूले अपनाने की पहल की थी.
मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया और वर्ष 2018-19 के बजट में उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने का ऐलान किया था.
सरकार कैसे खरीदती है अनाज (Crop Procurement)
हर साल फसलों की बुआई से पहले उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है. बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं.
सरकार विभिन्न एजेंसियों जैसे एफसीआई आदि के माध्यम से किसानों से एमएसपी पर अनाज खरीदती है. MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है. सरकारी खरीद के बाद एफसीआई और नैफेड के गोदामों यह अनाज जमा होता है. इस अनाज का इस्तेमाल गरीब लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी राशन प्रणाली (PDS) में वितरण के लिए होता है.
अगर बाजार में किसी अनाज में तेजी आती है तो सरकार अपने इस स्टॉक में से अनाज खुले बाजार में निकालकर कीमतों को काबू करती है.
कई राज्यों में सब्जियों का भी एमएसपी (Vegetables MSP)
केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्य (Base Price) तय करने की पहल की है. सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला केरल पहला राज्य बन गया है. सब्जियों का यह न्यूनतम या आधार मूल्य (Base Price) उत्पादन लागत (Production Cost) से 20 फीसदी अधिक होता है. एमएसपी के दायरे में फिलहाल 16 तरह की सब्जियों को लाया गया है.
हरियाणी भी केरल की समर्थन क्या है? तर्ज पर सब्जियों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की पहल कर रहा है. इसके लिए सुझाव मांगे जा रहे हैं. मंडियों का सर्वे किया जा रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Minimum Support Price (MSP), क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), देखें सभी जानकारी यहाँ
किसानों के निरन्तर विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएँ भी बनाई और संचालित की जातीं हैं. इन्हीं योजनाओं में से एक है न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price, MSP). तो आइए जानते हैं कि क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP).
July Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW |
Indian States & Union Territories E book- Download Now |
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी 2022-23) (Minimum Support Price (MSP)
भारत सरकार द्वारा किसानों के फसल की खरीद पर एक न्यूनतम मूल्य का भुगतान किया जाता है. इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है.
यानि ‘’न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसी भी फसल की खरीद के लिए वह न्यूनतम मूल्य है जिसे सरकार किसानों को उसकी फसल के बदले प्रदान करती है. इस मूल्य से कम कीमत पर सरकार किसानों से उसकी फसल को नहीं खरीद सकती.’’
कौन करता है निर्धारित -
किसानों की चुनिन्दा फसलों पर यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) केंद्र द्वारा निर्धारित किया जाता है. यह निर्धारण कृषि लागत के साथ साथ मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों पर आधारित होता है.
कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अनाज, दलहन, तिलहन आदि फसलों के लिए संबंधित राज्य एवं केंद्रीय विभाग द्वारा एक रियायती मूल्य सुनिश्चित करने के पश्चात एमएससी (Minimum Support Price, MSP) की घोषणा की जाती है.
समर्थन क्या है?
दोस्तों यहां हम आपको विभिन्न वर्षों में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (क्विंटल रूपये में) की जानकारी टेबल के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं जो इस प्रकार से है –
1:- खरीफ की फसल के लिए (MSP)
खरीफ के सीजन के अंतर्गत आने वाली फसलें :-
- धान (सामान्य , ग्रेड A )
- ज्वार
- बाजरा
- मक्का
- रागी
- तूर (अरहर)
- मूंग
- उड़द
- कपास
- मूँगफली
- सूरजमुखी के बीज
- सोया बीन
- सेसामम
- नाइजर सीड
MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य (रूपये / क्विंटल )
सूरजमुखी
2:- रबी की फसल के लिए (MSP)
रबी के सीजन के अंतर्गत आने वाली फसलें :-
3:- अन्य फसलें
वर्ष / फसलें | खोपरा | पिसाई | गेंद | भूसी रहित नारियल समर्थन क्या है? | जुट |
2010-11 | ₹4,450/- | ₹4,450/- | ₹4,700/- | ₹1,200/- | ₹1,575/- |
2011-12 | ₹4,525/- | ₹4,525/- | ₹4,775/- | ₹1,200/- | ₹1,675/- |
2012-13 | ₹5,100/- | ₹5,100/- | ₹5,350/- | ₹1,400/- | ₹2,200/- |
2013-14 | ₹5,250/- | ₹5,250/- | ₹5,500/- | ₹1,425/- | ₹2,300/- |
2014-15 | ₹5,250/- | ₹5,250/- | ₹5,500/- | ₹1,425/- | ₹2,400/- |
2015-16 | ₹5,550/- | ₹5,550/- | ₹5,830/- | ₹1,समर्थन क्या है? 500/- | ₹2,700/- |
2016-17 | ₹5,950/- | ₹5,950/- | ₹6,240/- | ₹1,600/- | ₹3,200/- |
2017-18 | ₹6,500/- | ₹6,500/- | ₹6,785/- | ₹1,760/- | ₹3,500/- |
2018-19 | ₹7,511/- | ₹7,511/- | ₹7,750/- | ₹2,030/- | ₹3,700/- |
2019-20 | ₹9,521/- | ₹9,521/- | ₹9,920/- | ₹2,571/- | ₹3,950/- |
2020-21 | ₹9,960/- | ₹9,960/- | ₹10,300/- | ₹2,700/- | ₹4,225/- |
2021-22 | ₹10,335/- | ₹10,335/- | ₹10,600/- | ₹2,800/- | ₹4,500/- |
फसलों पर दिया जाने वाला बोनस न्यूनतम समर्थन मूल्य :-
फसल | फसल का बोनस न्यूनतम समर्थन मूल्य |
चना एवं मसूर दाल | 75 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित |
सेसासम , मूंगफली , सोया बीन | 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित |
तूर , मूंग , उड़द , | 425 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित |
रेपसीड और सरसों , कुसुम | 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित |
जौ | 150 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित |
दोस्तों यहां हम आपको बता दें की सोयाबीन पीले एवं काली किस्म की फसल को का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015-16 और 2016-17 के दौरान के लिए भी लागू है।
Farmer पोर्टल पर ऑनलाइन न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे चेक करें :-
पोर्टल पर MSP ऑनलाइन चेक करने हेतु आपको यहां पर बताई जा रही निम्नलिखित प्रक्रिया को फॉलो करना होगा जो इस प्रकार से है
- MSP चेक करने के लिए आप सबसे पहले Farmer पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट farmer.gov.in पर जाएँ।
- वेबसाइट पर आने के बाद आपको लॉगिन मेनू के तहत MSP का लिंक दिखेगा। लिंक पर क्लिक करें।
- लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक लॉगिन फॉर्म ओपन होकर आ जायेगा। अब इस फॉर्म में अपने राज्य को सेलेक्ट करें तथा पासवर्ड की जानकारी को दर्ज करें।
- जानकारी दर्ज करने के बाद आपको कैप्चा कोड ड़ालकर Sign in के बटन पर क्लिक करना है। जिसके बाद सफलता पूर्वक फार्मर पोर्टल पर लॉगिन हो जायेंगे।
- एक बार लॉगिन होने के बाद आप पोर्टल पर फसलों की MSP की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
- इस तरह से आप ऑनलाइन फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
किसान हेल्पलाइन नंबर :-
आपको बताते चलें की किसान भाई अपनी फसल या अन्य कृषि से संबंधित किसी समस्या के लिए देश के प्रत्येक राज्यों में मौजूद KCC (किसान कॉल सेण्टर ) से संपर्क कर समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। यहां हम किसान कॉल सेण्टर से सम्पर्क हेतु निम्नलिखित जानकारियां प्रदान कर रहे हैं –
किसान कॉल सेण्टर की आधिकारिक वेबसाइट | agricoop.gov.in |
हेल्पलाइन नंबर | 1800-180-1551 |
न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP से सम्बंधित प्रश्न
फसल हेतु मौसम की जानकारी के लिए आप सबसे पहले आप फार्मर पोर्टल की वेबसाइट पर जाएँ
वेबसाइट पर आने के बाद Weather details के लिंक पर क्लिक करें।
लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने आपके क्षेत्र के मौसम की जानकारी आ जायेगी।
बोनस मूल्य से संबंधित जानकारी हमने आपको उपरोक्त आर्टिकल में दी है आप इसके बारे में आर्टिक्ल में पढ़ सकते हैं
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 551