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विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं?

विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं?
Sbi Epay क्या है ?

Sbi Epay क्या है ? 2023

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में बात करेंगे Sbi Epay क्या है जैसा कि आप जानते हैं कि आज के तारीख में जो लोग बिजनेस करते हैं उन्हें पैसे का लेन देन काफी अधिक मात्रा में करना पड़ता है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एसबीआई ने व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए sbi Epay नाम का सर्विस लॉन्च किया है,

जिसके माध्यम से कोई भी व्यापारी आसानी से फंड का ट्रांसफर कर सकता है अब आपके मन मे सवाल आएगा कि आखिर में SBI Epay क्या है यहां पर कोई भी व्यापारी अकाउंट कैसे बना सकता है अगर आप उसके बारे में नहीं जानते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारे साथ आर्टिकल पर बने रहे हैं चलिए शुरू करते हैं –

इस पेज पर क्या क्या है

Sbi Epay क्या है ?

एसबीआई (SBI) ePay भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा जारी किया गया एक ऑनलाइन भुगतान प्रणाली है जिसके तहत कोई भी व्यापारी और ई-कॉमर्स पर बिजनेस करने वाले लोग आसानी से पैसे का विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? लेन विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? देन कर सकते हैं,

एसबीआई के द्वारा लांच किया गया या ऑनलाइन सर्विस पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री डेटा सिक्योरिटी स्टैंडर्ड (PCI DSS) से प्रमाणित है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर कोई भी पैसे का लेनदेन आप 2 दिनों के भीतर कर सकते हैं एसबीआई बैंक की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई कि आने वाले फ्यूचर में ऐसे और भी मॉडर्न और फास्ट बनाया जाएगा,

ताकि इसका विस्तार और प्रचार विश्व जगत में कर विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? सके जैसा की आप लोगों को मालूम नहीं है कि भारतीय सरकार के द्वारा आए दिन कोई ना कोई डिजिटल प्रणाली लांच किया जा रहा है ताकि भारत अपने द्वारा बनाए गए डिजिटल पेमेंट प्रणाली को विश्व जगत में स्थापित कर विदेशी मुद्रा भंडार कमा सके

Sbi Epay क्या है ?

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SBI Epay पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कैसे करें

SBI Epay पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना काफी आसान है उसके लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रियाओं का अनुसरण करना होगा जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जानते हैं –

  • व्यापारियों को एसबीआई (SBI) ePay पोर्टल पर ‘’Sign up’’ विकल्प चुनें
  • अब आपके सामने एक विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? नया पेज आएगा जहां आपको सभी प्रकार के व्यवसाय से संबंधित जानकारी को भरना होगा और फिर आपProceed” विकल्प पर क्लिक करें
  • इसके बाद, सभी संपर्क जानकारी का विवरण देंगे और फिर आपको proceed के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा
  • बैंक या ट्रांजेक्शन संबंधित जानकारी का विवरण देंगे और फिर आप proceed के ऑप्शन पर क्लिक करेंगे
  • आपके सामने एक नया विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? page open होगा जहां आपको टेक्निकल संबंधित कुछ जानकारी मांगी जा रही है उसका आपको विवरण देना है
  • सभी आवश्यक जानकारी देने के बाद, प्रदान किए गए नियम और शर्तो से सहमत हो, कैप्चा कोड दर्ज करें
  • उसके बाद आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना होगा I
  • इस प्रकार आप आसानी से यहां पर ऑनलाइन sbi Epay पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं

SBI ePay कस्टमर केयर नंबर

SBI) ePay से संबंधित कोई भी सवाल या शिकायत है तो आप इसके कस्टमर केयर नंबर या ईमेल आईडी पर संपर्क कर सकते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार दे रहे हैं आइए जानते हैं

सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अगर आप कस्टमर केयर से बात करना चाहते हैं तो उसके लिए बैंक की तरफ से समय का निर्धारण किया गया है अगर आप पहन के द्वारा बताए गए समय पर फोन विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? करेंगे तो आप आसानी से कस्टमर केयर से बात कर पाएंगे जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार दे रहे हैं आइए जानते हैं

Sbi Epay क्या है

Sbi Epay क्या है

  • सोमवार से शुक्रवार सुबह 10.30 बजे से 06.30 बजे तक
  • शनिवार सुबह 10.30 से दोपहर 02.30 बजे तक

क्या एसबीआई (SBI) ePay सुविधा ग्राहकों के लिए उपलब्ध है?

एसबीआई (SBI) ePay केवल व्यापारी और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए उपलब्ध है हालांकि बैंक की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है कि भविष्य में इसका इस्तेमाल कस्टमर पाएंगे लेकिन उनको अभी इंतजार करना होगा जैसे ही कोई अपडेट आती है हम उसके बारे में आपको जानकारी देंगे I

जानिए कैसा था राकेश झुनझुनवाला का सफर

राकेश झुनझुनवाला ने निवेश की दुनिया में साल 1985 में कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने महज 5 हजार रुपये से निवेश की शुरुआत की थी और निधन से पहले उनकी कुल 'नेटवर्थ' 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की थी । झुनझुनवाला ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से सीए की डिग्री भी ली। बताया जाता है कि शेयर बाजार विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? में झुनझुनवाला की दिलचस्पी पिता के कारण हुई। उनके पिता टैक्स ऑफिसर थे। उनके पिता अक्सर अपने दोस्तों के साथ शेयर बाजार की बातें किया करते थे। झुनझुनवाला अपने पिता की बातें गौर से सुनते थे। इसके बाद से उन्होंने दलाल स्ट्रीट को समझना शुरू कर दिया और यहीं से उन्होंने निवेश की दुनिया में उड़ान भरनी शुरू कर दी। निवेश की दुनिया में जब उन्हें फायदा होने लगा तो उन्हें पक्का यकीन हो गया कि अगर कहीं से बड़ा पैसा बनाया जा सकता है तो वह सिर्फ यही जगह है।

झुनझुनवाला ने एक कार्यक्रम में बताया था कि उन्होंने अपना सफर विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? 5 हजार रुपये से शुरू किया था और सीए भाई की मदद से महज 2 साल में उनकी नेटवर्थ 50 लाख रुपये हो गई। 1990 के बजट को वह बेहद अहम बताते हैं, जिसके बाद तगड़ा बूम आया था। तब झुनझुनवाला की नेटवर्थ 2 करोड़ रुपये थी, जो कुछ ही समय में 20 करोड़ रुपये हो गई। वह कहते हैं कि रिस्क लेना जरूरी है, लेकिन उसका नतीजा भी पता होना चाहिए।

टाटा के शेयर से चमकी थी किस्मत

झुनझुनवाला शुरू से ही रिस्क लेने वाले थे। उसने अपने भाई के ग्राहकों से बैंक सावधि जमा की तुलना में अधिक रिटर्न के साथ इसे वापस करने के वादे के साथ पैसे उधार लिए। 1986 में, उन्होंने अपना पहला महत्वपूर्ण लाभ तब कमाया जब उन्होंने 43 रुपये में टाटा टी के 5,000 शेयर खरीदे और तीन महीने के भीतर स्टॉक बढ़कर 143 रुपये हो गया। उसने अपने पैसे से तीन गुना से अधिक कमाया। उन्होंने तीन साल में 20-25 लाख रुपये कमाए। झुनझुनवाला ने पिछले कुछ वर्षों में टाइटन, क्रिसिल, सेसा गोवा, प्राज इंडस्ट्रीज, अरबिंदो फार्मा और एनसीसी में सफलतापूर्वक निवेश किया है।

कैसे बने शेयर मार्केट के बेताज बादशाह

राकेश झुनझुनवाला महज तीन साल में ही शेयर में पैसे लगाकर करोड़ों का मुनाफा कमा लिया। इसके बाद उन्होंने आए कई कंपनियों में दांव लगाए और खूब लाभ कमाया। लेकिन झुनझुनवाला को जिसने बिग बुल बनाया वह थी टाटा की टाइटन कंपनी। दरअसल, झुनझुनवाला ने साल 2003 में टाटा समूह की कंपनी टाइटन में पैसा लगाए थे। उस वक्त उन्होंने महज तीन रुपये के हिसाब से टाइटन के छह करोड़ शेयर खरीद लिए थे जिसकी वैल्यू 7000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई।

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?

Rupee Vs Dollar: एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.

Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST

Dollar Vs Rupee

Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.

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रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.

जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.

पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.

2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.

दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाएं? दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी रहे.

लेकिन 2022 की शुरुआत के बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.

इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?

यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.

क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?

रुपये की विनिमय दर को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.

लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.

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