डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है

इसके अलावा, अगर बाजार अच्छा है, और सरकारें घबराती नहीं हैं या जूझने को तैयार रहती हैं ,तो एक ऐसी व्यवस्था कायम होने लगती है जो अपने आप को सुधारती चले. अपनी गलतियों से सीखती रहे. कैसे? ठीक है, मैं समझाता हूं, शुरुआत आपके बाजीगर, यानी गिरते रुपए से.
पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी, कच्चा तेल 80 डॉलर के नीचे, देखें सबसे सस्ता कहां मिल रहा ईंधन
Petrol-Diesel Price 25 Nov 2022: कच्चा तेल 80 डॉलर के नीचे आ गया है। डब्ल्यूटीआई 77.99 डॉलर प्रति बैरल पर है तो ब्रेंट क्रूड 85 डॉलर के करीब। इस बीच पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के नए रेट को अपडेट कर दिया है। कच्चे तेल में गिरावट के बावजूद महाराष्ट्र और मेघालय को छोड़ बंगाल, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश ,यूपी समेत सभी राज्यों में 188वें दिन भी ईंधन के दाम स्थिर हैं।
पेट्रोल-डीजल के नए रेट के मुताबिक गोरखपुर में पेट्रोल 96.76 और डीजल 89.94 रुपये लीटर है। आगरा में पेट्रोल 96.35 रुपये प्रति लीटर है तो डीजल 89.52 रुपये। लखनऊ पेट्रोल की कीमत 96.57 और डीजल की कीमत 89.76 रुपये प्रति लीटर है। फरीदाबाद में पेट्रोल 97.45 रुपये और डीजल 90.31 रुपये लीटर है।
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डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है
Rupee All Time Low: रुपया हुआ धड़ाम, डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले लेवल पर, जाने क्या है स्थिति
इस साल अब तक रुपया करीब 7 फीसदी कमजोर हो चुका है। रुपये की वैल्यू अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कम होते गई है। अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है। करीब दो दशक बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो की वैल्यू कम हुई है।
नई दिल्ली। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने (US Rate Hike) की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के बाद दुनिया भर की करेंसीज डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं। फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजरों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं। इस कारण भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' समेत तमाम अन्य करेंसीज के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है। रुपये की बात करें तो इसकी वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है। रुपया लगातार एक के बाद एक नए निचले स्तर (Rupee All Time Low) पर पहुंचता जा रहा है। आज सोमवार को शेयर बाजारों (Share Market) में भारी गिरावट के बीच रुपये ने भी गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया और नए सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया।
डॉलर के मुकाबले रुपये में अबतक की सबसे बड़ी गिरावट, डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है रुपया गिरने का मतलब क्या है, आम आदमी को इससे कितना नफा-नुकसान
भारतीय मुद्रा
अपूर्वा राय
- नई दिल्ली,
- 30 जून 2022,
- (Updated 30 जून 2022, 3:06 PM IST)
एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,
भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.04 रुपये पहुंच गया डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है है. यह स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.
आपके डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए जानते हैं.
क्या होता है एक्सचेंज रेट
दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले फिक्स एक्सचेंज रेट था.
Dollar vs Rupee: सबसे नीचले स्तर पर पहुंचा रूपया, अब 1 डॉलर की कीमत 80 रूपये होगी
Dollar vs डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है Rupee: पिछले सत्र में रूपया 79.97 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इसकी तुलना में आज ये 79.98 रुपये प्रति डॉलर पर खुला है। लेकिन, इसके ठीक बाद रूपया गिरकर 80.05 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया है।
नई दिल्ली। बीते कई दिनों से अर्थशास्त्रियों को जिस बात का डर सता रहा था, आखिरकार, आज वो बात सच हो गई। आज, मंगलवार यानी 19 जुलाई को रूपया गिरकर अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसे आजतक डॉलर के मुकाबले रुपये का सबसे निचला स्तर बताया जा रहा है। बता दें, पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रूपया काफी तेजी से नीचे आया है। आज मंगलवार यानी 19 जुलाई 2022 को 1 डॉलर 80 रुपये के नीचे चला गया है। बता दें, पिछले सत्र में रूपया 79.97 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इसकी तुलना में आज ये 79.98 रुपये प्रति डॉलर पर खुला है। लेकिन, इसके ठीक बाद रूपया गिरकर 80.05 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने RBI के आंकड़ों को देखते डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है हुए सोमवार यानी 18 जुलाई को एक लिखित जवाब में बताया कि 31 दिसंबर 2014 के मुकाबले रुपया 25 फीसदी नीचे गिर गया है।
रुपए में गिरावट का नुकसान गिनाइए
क्या कोई डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है मुझे दो, सिर्फ दो वजहें बता सकता है कि रुपए में गिरावट का बुरा नतीजा क्या होगा? मैं देख सकता हूं कि लोगों ने झट से अपने हाथ उठा लिए क्योंकि एक प्रतिकूल प्रभाव तो सार्वभौमिक और निर्विवाद है. रुपये में गिरावट से आयातित वस्तुएं कुछ समय के लिए महंगी हो जाएंगी. तेल की कीमतें, उर्वरक, पूंजीगत वस्तुओं का निवेश सब महंगा हो जाएगा- आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. तो, कोई शक नहीं कि कमजोर रुपये का एक भयानक नतीजा आयातित मुद्रास्फीति है.
चलिए अब यह बताइए कि दूसरा बुरा नतीजा क्या है? खामोशी. बहुत से लोग चुप हो जाएंगे. दूसरा नतीजा. हम्म डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है मेरे ख्याल से, रुपए में गिरावट देश के स्वाभिमान को मिट्टी में मिला देगा.
अरे छोड़िए भी. यह कोई आर्थिक दलील नहीं, सिर्फ एक मूर्खतापूर्ण, राजनीतिक और भावुक टिप्पणी है. क्योंकि कड़वी सच्चाई यह है कि आयात महंगा होने के अलावा, रुपए में गिरावट का ऐसा कोई- मैं दोहराता हूं- ऐसा कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने वाला. हां, इसमें बहुत सी अच्छी बातें छिपी हुई हैं, जैसे उच्च निर्यात आय, एसेट्स की कीमत में सुधार, अधिक घरेलू निवेश वगैरह वगैरह.
इसका फायदा है- इसे समझने के लिए कुछ उदाहरण
विडंबना यह है कि एक डॉलर को खरीदने के लिए जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा रुपये डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है की जरूरत होती है, तो धीरे-धीरे यह पहिया उलटने लगता है. भारतीय एसेट्स और निवेश, जिन्हें पहले 'महंगा' होने के लिए छोड़ दिया गया था, अब आकर्षक लगने लगते हैं. यह साबित करने के लिए हम एक आसान सा उदाहरण दे रहे हैं-
कल्पना कीजिए कि छह महीने पहले, एक विदेशी निवेशक ने शेयर A को 75 रुपये में बेच दिया डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है और एक डॉलर वापस घर ले गया. इसके दो पहलू हैं. एक, A के शेयर की कीमत गिर गई. और दो, रुपया भी गिर गया.
अब दूसरे विदेशी निवेशक, रुपये डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है और शेयर की कीमत में गिरावट (यानी, उनके पोर्टफोलियो की कीमत पर दोहरी मार), दोनों के डर से बिक्री शुरू करते हैं.
कल्पना कीजिए कि इस बिक्री की होड़ में शेयर A की कीमत 75 रुपये से घटकर 60 रुपये हो जाती है, जबकि अब एक डॉलर खरीदने के लिए 80 रुपये की जरूरत है, जो पहले 75 रुपये में उपलब्ध था.
महंगाई जोखिम है पर उससे निपटने में समझदारी दिखानी होगी
लेकिन मुद्रास्फीति एक बड़ा जोखिम बनी हुई है. इसलिए, नीति निर्माता मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं. यह खपत और निवेश की मांग को कम करता है. कीमतें बढ़ना बंद हो जाती हैं.
लेकिन विडंबना यह है कि उच्च ब्याज दरों से विदेशी मुद्रा आकर्षित नहीं होती. जैसा कि हमने ऊपर देखा, विदेशी मुद्रा का प्रवाह ज्यादा होता है तो एसेट्स की कीमतें और निवेश बढ़ते हैं. आमदनी तेजी से बढ़ने लगती है. आय बढ़ती है तो मांग भी बढ़ती है.
आर्थिक आत्मविश्वास बढ़ता है तो ब्याज दर का चक्र भी उलटने लगता है, जिससे टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, निर्माण, आवास, पूंजीगत वस्तुओं और अन्य चीजों की मांग बढ़ जाती है. अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने लगती है.
स्टॉक की कीमतें, जो रुपए में गिरावट की वजह से गिरने लगी थीं, अब ब्याज डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है की दर कम होने की वजह से बढ़ने लगती हैं. इससे अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण को और बढ़ावा मिलता है. आय प्रभाव लौटता है, यानी उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने के कारण उत्पाद या सेवा की मांग बदलती है. आखिर में, अगर निवेश और आयात प्रतिस्थापन चतुराई से होता है, तो अर्थव्यवस्था अधिक असरकारक और प्रतिस्पर्धी बन जाती है.