स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Which indicators is best with Bollinger Bands?
हर वह व्यक्ति जो शेयर बाजार में काम करना चाहता है या कर रहा है वह हमेशा ऐसे टूल के पीछे समय देता रहता है जिससे कि वह बाजार का पूर्वानुमान लगा सके कि कहां से बाजार ऊपर जाएगा और कहां से बाजार नीचे चला आएगा इस तरीके के भावनाओं के साथ अलग-अलग टूल्स का उपयोग करने के लिए उसे ढूंढता रहता है उसी क्रम में आज हम एक टूल की बात करेंगे जिसका नाम है Bollinger Bands।
जैसा कि हम सभी जानते हैं बाजार हमेशा ऊपर और नीचे होता रहता है यह कभी भी स्थिर नहीं होता और इस स्थिति में हम सभी बाजार का सही प्राइस ढूंढने की प्रयास करते रहते हैं ताकि हम अच्छे जगह पर एंट्री लेकर अपना स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? प्रोफिट बना सके इस जगह की तलाश करने के लिए हम ना जाने कितने इंडिकेटर प्राइस एक्शन टेंडर्स अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
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Bollinger Bands Indicator
Bollinger Bands आमतौर पर वोलेटिलिटी इंडिकेटर होता है। जिसकी खोज 1980 के दशक में जॉन बोलिंजर नामक व्यक्ति ने किया था। इसमें सामान्य तौर पर 20 दिनों का मूविंग एवरेज लगे होते हैं जिससे दो स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर और नीचे लिया जाता है। जो एक चैनल की जैसा दिखता है।
जैसा कि हम लोगों ने बात करा की Bollinger Bands में तीन लाइन बने होते हैं एक अपर लाइन दूसरा मिडिल लाइन और तीसरा लोअर लाइन जैसा की fig- में दिया गया है।
Fig.- 1
सामान्य तौर पर Bollinger Band में निचली लाइन से प्राइस अपर साइड मूव करती है और मिडिल लाइन जो 20 दिन के एवरेज को दिखता है वहा तक जाने के कोशिश करता है। उसी तरह से अगर 20 दिन के एवरेज प्राइस से प्राइस ऊपर के साइड मूव करता है तो स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? वह अपने ऊपरी बैंड के लाइन तक जाने का कोशिश करता है।
Which indicators used with Bollinger Bands?
अगर आप Bollinger Bands के साथ और भी दूसरे इंडिकेटर का उपयोग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह डिसाइड करना होगा कि, आप किस तरीके के ट्रेडर हैं अगर आप इंट्राडे में ट्रेड करना चाहते हैं तो उसके लिए हम अलग इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि इंट्राडे का मूवमेंट को अच्छे से बताने का कोशिश करता है साथ ही अगर आप स्विंग ट्रेडर है तो उसके लिए आप दूसरे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।
Strategy for Swing trading
जब हम बात करते हैं स्विंग ट्रेडिंग की तो सुन ट्रेडिंग में एंट्री लेने के बाद हम अपने पोजीशन को 3 से 7 दिन या 7 से 15 दिन या 15 से 30 दिन तक के लिए अपने पास रखते हैं और उसके बाद प्रोफिट मिलने के बाद अपने पोजीशन से एग्जिट करते हैं। और इस तरीके के ट्रेडिंग के लिए Bollinger Bands के साथ हम RSI ( स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? Relative Strength Index ) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें
आज हम समझेंगे how to select chart time frame for trading के बारे में कि हम ट्रेडिंग के लिए चार्ट की टाइमफ्रेम कैसे सेलेक्ट करें दोस्तों यह सवाल बार-बार पूछा जाता है कि हम इंट्राडे के लिए या स्विंग ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें यह कौन सा टाइम फ्रेम बेस्ट रहेगा इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए तो आज हम टाइमफ्रेम के विषय में सारी जानकारी को समझेंगे और इस पोस्ट को देखने के बाद टाइम फ्रेम सिलेक्ट करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
एम पैटर्न इंट्राडे स्टेटर्जी। | M Pattern Intraday Strategy In Hindi
मैं आशा करता हु। की आपको पिछला लेख पसंद आया होगा। अगर नहीं पढ़ा तो एक बार जरूर पढ़े डब्लू पैटर्न इंट्राडे स्टेटर्जी। एम (M) पैटर्न एक रिवर्सल पैटर्न है। यह पैटर्न ऊपर बनता है या इसे ऐसे समझ सकते हैं जब मार्केट ऊपर जा रही हो कुछ दिनों से और यह एम पैटर्न बनता है। तो फिर
काफी अच्छा पेनिक सेल्लिंग देखने को मिलता है। और यह पैटर्न में मोमेंटम तेजी से आता है। जिससे इंट्राडे ट्रेडिंग में काफी अच्छा मुनाफा होता है।
एम पैटर्न के फायदे क्या है। | Advantages of the M pattern?
एम (M) पैटर्न ऐसा पैटर्न है। आप अगर यह पैटर्न को अच्छे से पहचान लेते हैं तो आपको अच्छा प्रॉफिट मिलता है। और आपकी (Accuracy) एक्यूरेसी 80% से ज्यादा होता है। और आपको प्रॉफिट काफी बड़ा मिलता है।
हां लेकिन आपको अगर मार्केट में अनुभव नहीं है तो आपको थोड़ा सा एम (M) पैटर्न सीखने में दिक्कत आ सकती है। या फिर आपको ज्यादा प्रैक्टिस की आवश्यकता पड़ेगी।
एम पैटर्न आपको इंट्राडे में रोज देखने को नहीं मिलेगा। आपको एक हफ्ते में एक या दो बार ही मिलेगा मगर दोस्तों यह पैटर्न इतने पावरफुल होते हैं। कि इनकी एक्यूरेसी और इस पैटर्न पर ट्रेड लिया हुआ। प्रॉफिट काफी ज्यादा बड़ा होता है।
आपको अगर स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? स्टॉप लॉस लगाना आता है। या फिर अपने स्टॉप लॉस को ट्रेल करना आता है तो आप एम पैटर्न से बड़ा प्रॉफिट कमा सकते हैं। गबराये नहीं आप स्टॉप लॉस या ट्रेल करना नहीं आता है तो आप को इसी लेख में सिखाया गया है कैसे टारगेट लगाना है और स्टॉप लॉस।
एम पैटर्न का मिथ | Perception of the M Pattern?
बहुत सारे लोग कहते हैं कि एम (M) पैटर्न (double top) डबल टॉप जैसा दिखता है नहीं दोस्तों एम पैटर्न डबल टॉप जैसा नहीं दिखता है। हा आप कुछ चीजें इसमें सेम दिख सकता है। मगर एम पैटर्न और डबल टॉप अलग-अलग पैर्टन है।
कुछ लोग कहते हैं कि एम पैटर्न का स्टॉप लॉस बड़ा होता है। ऐसा नहीं है क्योंकि आपको अगर फॉल्स एम पैटर्न और रियल एम पैटर्न के ब्रेक आउट का अंतर पता है। तो आप स्टॉप लॉस को छोटा कर सकते हैं और एम पाटन का स्टॉप लॉस छोटा लगा सकते हैं।
दोस्तों सबसे बड़ा मिथ यह भी है की एम पैटर्न में (false signal) फ़ोल्स सिग्नल ज्यादा मिलता है। दरअसल यह सच तो है। कोई लोग गलत (time frame) टाइम फ्रेम सलेक्ट कर लेते हैं। जिसके कारण उनको फ़ोल्स सिग्नल मिलता है।
अन्य पड़े’
एम पैटर्न का सीक्रेट क्या है। | what is the secret of M pattern?
एम पैटर्न के कुछ ऐसे सीक्रेट है जो आप जानने के बाद आपका लॉस काफी छोटा होगा। और प्रॉफिट काफी बड़े होंगे और कैस फॉल्स ब्रेकआउट से बचना है। यह भी आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा बस आपको आर्टिकल में जो चीजें समझाया गया है। इसको ध्यान से समझे और उसकी प्रैक्टिस करें।
एम पैटर्न में टाइम फ्रेम कौन सा उपयोग करना चाहिए?
आपको 10 मिनट और 15 मिनट का स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? टाइम फ्रेम यूज़ करना है। सिर्फ 10 मिनट सबसे नीचे वाले टाइम फ्रेम यूज़ नहीं करे। और 15 मिनट से ऊपर वाले टाइम फ्रेम यूज़ नहीं करना है। टाइम फ्रेम बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए इसका ध्यान रखें हमेशा सही टाइम फ्रेम का उपयोग करें।
एम पैटर्न का सीक्रेट क्या है?
मार्केट ऊपर जा रही है और उसके बाद दो लाल कैंडल निचे की तरफ उसके बाद ऊपर कुछ कैंडल हरा बना उसके बाद उस दोनों लाल कैंडल का ब्रेक आउट होने के बाद कैंडल क्लोज होने पर आपको ट्रेड स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? करना है। नीचे दिए गए फोटो में देखो। दो लाल कैंडल कौन सा देखना है। आपको दो लाल कैंडल का ध्यान रखना है और यह सीक्रेट है।
शेयर मार्केट के संबंध में अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? मिलते हैं. हालांकि, दोनों माध्यमों में निवेशकों का मकस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 11, 2022, 14:52 IST
नई दिल्ली . शेयर मार्केट संबंधित चर्चा होते ही अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. कई लोग ट्रेडिंग और निवेश में फर्क नहीं कर पाते हैं. तो आपको बता दें कि ट्रेडिंग और निवेश के बीच सबसे अहम अंतर समय अवधि का है. निवेश की तुलना में ट्रेडिंग में समय अवधि काफी कम होती है. ट्रेडिंग कई प्रकार की होतीं हैं और ट्रेडर्स स्टॉक में अपनी पॉजिशन बहुत कम समय तक रखते हैं, जबकि निवेश वे लोग करते हैं, जो स्टॉक को वर्षों तक अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. अगर आप कम समय में मोटा मुनाफा चाहते हैं, तो ट्रेडिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है.