सीएफडी और फॉरेक्स ट्रेडिंग

ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन

ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन

ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन

हाल का समय म्यूचुअल फंड क्षेत्र के लिए आसान नहीं रहा है।

नियमों में लगातार कई बदलाव हुए हैं, जिनसे कदम मिला कर चल पाने में इस क्षेत्र को दिक्कत आयी है। फंड मैनेजरों के बदलने, बड़े अधिग्रहणों और लगातार ब्याज दरों के मोर्चे पर अनिश्चितता के चलते निवेशकों के लिए यह समय काफी बेचैनी भरा रहा है।
म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की सबसे ज्यादा पूँजी दिग्गज शेयरों (लार्जकैप), मल्टीकैप और मँझोले शेयरों (मिडकैप) में निवेश वाले फंडों की सबसे लोकप्रिय श्रेणियों में आती है। दिग्गज शेयरों के फंडों ने साल भर में 12.32% मीडियन लाभ दिया है, जबकि समान अवधि में सेंसेक्स ने 17.49% बढ़त दर्ज की। इस तरह दिग्गज शेयरों वाले फंडों ने अपने मानदंड सूचकांक की तुलना में करीब 5% धीमा प्रदर्शन किया। यही कहानी मल्टीकैप फंडों की रही, जिन्होंने लगभग 7% धीमा प्रदर्शन किया। वहीं मँझोले शेयरों के फंडों ने इस दौरान अपने मानदंड की तुलना में लगभग 5% बेहतर प्रदर्शन किया। हमने अपने विश्लेषण के लिए 22 जुलाई 2012 से 22 जुलाई 2013 तक की अवधि ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन ली है।
ऋण फंडों का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा है। अपने मानदंड की तुलना में लंबी अवधि के इन्कम फंड लगभग 1%, छोटी अवधि के ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन इन्कम फंड 0.75% और डायनामिक बॉण्ड फंड 1.ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन 5% बेहतर लाभ देने में सफल रहे। वहीं गिल्ट फंडों ने अपने मानदंड की तुलना में करीब आधा फीसदी कम लाभ दिया।
भविष्य का अनुमान
शेयर बाजार में हाल में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। रुपये में तीखी गिरावट और राजनीतिक अस्थिरता की आशंकाओं के चलते बाजार में काफी अनिश्चितता बन गयी है। ऐसे संकेत हैं कि छोटी अवधि में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन लेकिन अगर हम बाजार को इसके मूल्यांकन के लिहाज से देखें तो यह काफी आकर्षक लग रहा है। ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन जो लोग लंबी अवधि तक अपना निवेश बनाये रखना चाहते हैं, उनके लिए इसमें काफी संभावनाएँ हैं।
जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बॉण्ड खरीदारी के अपने कार्यक्रम को रोकने का संकेत दिया तो ऋण म्यूचुअल फंडों में तेजी का दौर भी रुक गया। हाल में आरबीआई ने बैंकिंग व्यवस्था से नकदी सोखने वाले जिन कदमों का ऐलान किया, उनसे भी नकारात्मक असर पड़ा है। इसके चलते छोटी अवधि के यील्ड में काफी बढ़ोतरी हो गयी है और एक निवेशक को आकर्षक यील्ड पर एफएमसी जैसे उत्पादों में निवेश का अच्छा मौका मिल रहा है। जो निवेशक थोड़ी लंबी अवधि का नजरिया रखते हैं, वे आकर्षक लाभ पाने के लिए विभिन्न अवधियों की रणनीति (ड्यूरेशन स्ट्रेटेजी) में ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन निवेश पर भी विचार कर सकते हैं।
यहाँ एक कठिन रिसर्च प्रक्रिया के तहत इन फंडों का चुनाव किया है। इसमें एएमसी का इतिहास, फंड का इतिहास, फंड का प्रबंधन, उस श्रेणी के एयूएम में योजना का अनुपात, लाभ की निरंतरता, जोखिम की संभावना, जोखिम समायोजित लाभ और पोर्टफोलिओ का ध्यान रखा गया है।
(निवेश मंथन, अगस्त 2013)

भारतीय इकोनॉमी के लिए गुड न्यूज, विदेशी निवेशकों ने नवंबर में जमकर किया निवेश

भारतीय इकोनॉमी के लिए गुड न्यूज, विदेशी निवेशकों ने नवंबर में जमकर किया निवेश

TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा

Updated on: Nov 20, 2022 | 3:24 PM

विदेशी पोर्टफोलियो ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजारों में आक्रामक लिवाली का सिलसिला जारी है. नवंबर में अब तक उन्होंने शेयरों में 30,385 करोड़ रुपये का निवेश किया है. भारतीय रुपये के स्थिर होने और दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन की वजह से विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत पर दांव लगा रहे हैं.

जानकारों ने क्या बताई वजह?

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई का रुख बहुत आक्रामक नहीं रहेगा, क्योंकि ऊंचे मूल्यांकन की वजह से वे अधिक लिवाली से बचेंगे. उन्होंने कहा कि इस समय चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में मूल्यांकन काफी आकर्षक है और एफपीआई का पैसा उन बाजारों की ओर जा सकता है.

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 18 नवंबर के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 30,385 करोड़ रुपये डाले हैं. इससे पहले पिछले महीने यानी अक्टूबर में उन्होंने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से आठ करोड़ रुपये निकाले थे. सितंबर में उन्होंने 7,624 करोड़ रुपये की निकासी की थी. सितंबर से पहले अगस्त में एफपीआई ने 51,200 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी. वहीं, जुलाई में वे 5,000 करोड़ रुपये के लिवाल रहे थे. इससे ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन पहले पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक एफपीआई बिकवाल बने रहे थे.

शेयर बाजार में तेजी का मिला फायदा

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई के हालिया निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजारों में तेजी, अर्थव्यवस्था में स्थिरता और अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर रहना है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो अमेरिका में महंगाई ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन अनुमान से कम बढ़ी है, जिससे यह संभावना बनी है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा. इससे धारणा में सुधार हुआ है और भारतीय बाजार में एफपीआई का निवेश बढ़ा है.

हालांकि, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 422 करोड़ रुपये निकाले हैं. इस महीने में भारत के अलावा फिलिपीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड के बाजारों में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा है. आपको बता दें कि स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस हफ्ते वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस हफ्ते ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है.

रेटिंग: 4.56
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 591
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *