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डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर

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डिजिटल रुपया क्या है, क्रिप्टो करेंसी से किस तरह और क्यों अलग है भारत की डिजिटल मुद्रा

डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा।

Digital Currency: डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा। बाद में इसे रिटेल सेगमेंट के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ समय तक रिजर्व बैंक इसमें आने वाली चुनौतियों को समझेगा और इसके बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। आखिर क्या है डिजिटल रुपया और ये किस तरह क्रिप्टो करंसी से अलग है, आइए जानते हैं।

क्या है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपया भारत के केंद्रीय बैंक RBI द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के नाम से भी जाना जाता है। यह कागजी मुद्रा (नोट) के समान ही है और इसे नोट के साथ एक्सचेंज किया जा सकेगा। सिर्फ यह डिजिटल फॉर्म में होगी। डिजिटल रुपया या करेंसी एक तरह से डिजिटल फॉर्म में जारी वो नोट हैं, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद रुपए को कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग किया जाएगा।

कितने तरह का होगा डिजिटल रुपया?
भारत में डिजिटल करंसी यानी ई-रुपया दो तरह का होगा। पहला, होलसेल डिजिटल करंसी (CBDC-W) और दूसरा रिटेल डिजिटल करेंसी (CBDC-R) होगी। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होलसेल सेगमेंट में इसे इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं कुछ समय बाद यह रिटेल सेगमेंट में भी शुरू होगी।

क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल रुपए में क्या है फर्क?
क्रिप्टो करेंसी भी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे क्रिप्टोग्राफी के जरिए सिक्योर किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क बेस्ड डिजिटल मुद्रा है, जो ब्लॉकचेन पर बेस्ड है। इसका डिस्ट्रीब्यूशन कम्प्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के जरिए किया जाता है। वैसे तो दुनिया की सभी करेंसी किसी न किसी देश की ओर से जारी की जाती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर किसी एक देश या सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होता है। क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लॉकचेन की वजह से इस करंसी को लेकर कई तरह की दिक्कतें आती हैं।

डिजिटल रुपया के लिए रेगुलेटर :
ई-रुपया भी एक तरह की डिजिटल करेंसी ही है और इसमें भी लेनदेन क्रिप्‍टोकरेंसी की तरह डिजिटल माध्‍यम से ही किया जाएगा। हालांकि, दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि डिजिटल रुपया रेगुलेटेड है। यानी इसको कंट्रोल करने के लिए एक लीगल अथॉरिटी है, जिसे सरकार की तरफ से मंजूरी मिली है। यही वजह है कि यह एक वैध मुद्रा है। इसमें रेगुलेटर के तौर पर रिजर्व बैंक और ट्रांजेक्शन की मदद के लिए दूसरे बैंक जवाबदेह होंगे। हालांकि, क्रिप्‍टोकरेंसी में ये सब नहीं है। इसके अलावा इसमें क्रिप्टो करेंसी की तरह अचानक उतार-चढ़ाव नहीं होगा। बता दें कि रिजर्व बैंक क्रिप्टो करंसी के खिलाफ है। वो नहीं चाहता कि इसके इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे। क्रिप्‍टो करेंसी की खरीद-फरोख्त करने वाले इन्वेस्टर को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

क्या हैं डिजिटल करंसी के फायदे?
1- डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये बिल्कुल मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी।
2- इसे रखने पर आपको ब्याज मिलेगा। डिजिटल करेंसी को आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकते हैं या फिर अपने अकाउंट में रख सकते हैं।
3- इससे नकदी (कैश) पर निर्भरता कम होने के साथ ही ज्यादा भरोसेमंद और वैध भुगतान का एक और विकल्प मिल जाएगा।

भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?

भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा

डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?

हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।

क्या है डिजिटल रुपया?

अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।

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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।

एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर

डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।

क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?

नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।

पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर

जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।

बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?

रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।

1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।

पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस

मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।

RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे

RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

Key Points

– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच

पायलट प्रोजेक्ट

इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।

आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।

डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल

थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।

क्या है CBDC

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।

दो तरह की होगी CBDC

– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर नहीं होने वाला है।

RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।

डिजिटल करेंसी के फायदे

देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे

बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।

CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा

चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी

CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है

अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।

अर्थव्यवस्था को होगा फायदा

भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।

डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।

Digital Currency: भारत भी बना डिजिटल करेंसी वाला देश, आखिर होती है डिजिटल करेंसी और कैसे करें इस्तेमाल

Digital Currency: डिजिटल करेंसी को वैसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के नाम से जाना जाता है। यह दो प्रकार की होती हैं। पहला होलसेल डिजिटल और दूसरा रिटेल डिजिटल। डिजिटल करेंसी के रूप में पहला होलसेल सेगमेंट RBI ने लॉन्च कर दिया है।

Viren Singh

Digital Currency

Digital Currency (सोशल मीडिया)

Digital Currency: 21वीं डिजिटल क्रांति का दौर है। इस दौर में हर चीजें डिजिटलीकरण होती जा रही है। फिर रुपया को क्यों छोड़ा जाए। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई 01 नवंबर, 2022 मंगलवार को देशी पहली डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को लॉन्च किया है। अभी इस करेंसी का इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटी (प्रतिभूतियों) के लेन-देन के तौर पर शुरू किया जा रहा है, जोकि होलसेल ट्रांजेक्‍शन करने वाले के लिए है, जबकि आने वाले एक महीने में CBDC को रिटेल सेगमेंट के लिए भी जारी किया जाएगा। इसके आते ही लोगों के मन में इसको लेकर कई सवाल पैदा हो रहे हैं कि आखिर डिजिटल करेंसी क्या है? इसका उपयोग कैसे किया जाएगा? क्या है क्रिप्टोकरेंसी के तर्ज पर काम करेगी और कौन से देश डिजिटल करेंसी को लागू कर चूके हैं। आईये जानते हैं इन सभी बातों को।

यह देश कर रहें उपयोग और अन्य देश तैयारी में

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल 1 फरवरी 2022 को देश का आम बजट पेश करते हुए संसद भवन से CBDC को लॉन्च करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ यह संभावना प्रबल हो गई थी कि जल्दी भारत डिजिटल मुद्रा उतारने वाले देशों की श्रेणी में शामिल होने वाला है और आज वह दिन आ गया है। हालांकि भारत से पहले साल इक्वाडोर, बहामास व ट्यूनीशिया देशों में अपने यहां डिजिटल करेंसी की मान्यता दे चुके हैं। साथ ही, 2017 में सेनेगल ने भी डिजिटल करेंसी की मान्यता दी है, जिसकी वैल्यू फिजिकल करेंसी के बरारबर है, जबकि चीन, जापान और स्वीडन जैसे देशों ने डिजिटल करेंसी पर ट्रायल भी शुरू कर दिया है। वहीं, दुनिया का सबसे शाक्तिशाली देश अमेरिका भी डिजिटल करेंसी लाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। हालांकि अमेरिकी में क्रिप्टोकरेंसी को वैध है,जोकि एक प्रकार से यह भी डिजिटल करेंसी,लेकिन अन्य देशों में वैध नहीं है।

क्या होती है डिजिलट करेंसी ?

दरअसल, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएँ (CBDC) किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई विनियमित डिजिटल करेंसी होती है। यह मुद्रा केवल डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होती है। यह क्रिप्टोकरेंसी जैसी एक डिजिटल टोकन है। मूल्यत: इसका उपयोग इंटनेट पर ही किया जाएगा। इसके लिए यूजर्स को बैंक जाने की आवश्कता नहीं होगी। यह एक तरह का डिजिटल वॉलेट होगा, जिसमें आप डिजिटल मुद्रा रखेंगें और इसके माध्य से एक डिजिटल वॉलेट से लेकर दूसरे डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर करेंगे। हालांकि इसके उपयोग के लिए फोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का होना सख्त जरूरत है।

दो तरह डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर की डिजिटल करेंसी

डिजिटल करेंसी वैसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के नाम जानते हैं। इसको देश की सरकार से मान्यता हासिल होती और इसको केंद्रीय बैंक जारी करता है। डिजिटल करेंसी दो टाइप की होती है। पहली होलसेल डिजिटल और रिटेल डिजिटल। होलसेल का उपयोग देश के बड़े वित्तीय संस्थान इस्तेमाल करते हैं। इसमें बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और दूसरे बड़े वित्तीय लेन देन करने वाले संस्थान शामिल हैं, जबकि रिटेल डिजिटल का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती है।

डिजिटल और क्रिप्टोकरेंसी में अंतर

सवाल यह उठा है कि क्या डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक जैसी मुद्रा है? तो मैं आपको बता दूं कि डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी दोनों ही डिजिटल मुद्रा होती हैं, लेकिन इसमें कुछ हल्का अंतर होता है। डिजिटल करेंसी देश की केंद्रीय बैंक की ओर से जारी होती है। यह एक मान्यता प्राप्त मुद्रा है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी देश के मान्यता प्राप्त नहीं है और इसको किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं जारी किया है। डिजिटल करेंसी की कीमत में उतार-चढ़ाव नहीं होता है, जबकि क्रिप्टो में ऐसी स्थिति बनी रहती है। हालांकि डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक की टेक्नोलॉजी पर काम करती है, जो ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी पर आधारित होती है।

आरबीआई का बयान

आरबीआई की ओर से सोमवार को बयान में कहा था कि CBDC का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट सरकारी सिक्योरिटिज के सेंकडरी बाजार के लेन देन का सेलमेंट के लिए किया जाएगा। आगे एक महीने के अंदर रिलेट सेगमेंट के लिए भी डिजिटल करेंसी को लॉन्च करनी योजना है। डिजिटल करेंसी को उतारने पर केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूकर करना है ,जिसके लोगों को वर्तमान में पेमेंट भुगतान प्रणालियों के साथ अन्य भुगतान के विकल्प मिल सकें।

शुरुआती दौर में यह बैंक हैं शामिल

CBDC होलसेल के लॉंचिंग पायलट प्रोजेक्ट के तहते फिलहाल देश की कुछ सरकारी और निजी क्षेत्र की बैंकों शामिल किया गया है। सरकारी बैंक में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं, जबकि निजी बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक कोटक बैंक, फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है।

इस प्रकार करेंगे इस्तेमाल

जिस प्रकार लोग Paytm, PhonePe जैसे वॉलेट के साथ लेन देन की प्रक्रिया करते हैं। ठीस उसकी प्रकार डिजिटल करेंसी का उयोग कर सकेंगे। ई-रुपए को मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और किसी भी पेमेंट के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते है। खास बात यह है कि डिजिटल मुद्रा को फिजिकल मुद्रा में भी बदला जा सकता है। इतना ही नहीं, डिजिटल करेंसी को आने वाले समय यूपीआई से भी अट्रैच करने की तैयारी है।

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भारत में डिजिटल करेंसी को लेकर काफी समय से प्लानिंग चल रही है

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की चरणबद्ध शुरुआत के लिए कमर कस चुका है, जिसका लक्ष्य इस साल के अंत तक लॉन्च करना है। आपको बता दें कि डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का इस्तेमाल इस समय बहुत बड़े स्तर पर फैल गया है। बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के हालिया उदय के कारण दुनिया भर के तमाम वित्तीय संस्थान डिजिटल करेंसी पर विचार करने को मजबूर हो गए।

यही वजह है कि केंद्रीय बैंक ने भी अपनी डिजिटल करेंसी लाने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। CBDC (central bank digital currency) का शुभारंभ भारत के लिए ऐतिहासिक होगा। आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंक का ध्यान अनिवार्य रूप से पारंपरिक बैंक के रूप में कार्य करने के बजाय देश में बैंकिंग प्रणालियों का समर्थन करना है।

CNBC से बातचीत में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि दिसंबर 2021 तक डिजिटल करेंसी को लेकर एक ट्रायल प्रोग्राम लॉन्च हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर यह ट्रायल सफल रहा तो डिजिटल करेंसी को बड़े स्तर पर लॉन्च किया जाएगा।

डिजिटल करेंसी और यह क्रिप्टोकरेंसी में क्या अंतर है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मूल रूप से डिजिटल या एक वर्चुअल करेंसी है, जो केंद्रीय बैंक द्वारा टेंडर (tender) के रूप में जारी की जाती है। यह मौजूदा डिजिटल एवं फिएट करेंसी के समान कार्य करता है। इससे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करेंसी होती है। डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार द्वारा मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है।

डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने में किया जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे कि आप जब अपने बैंक अकाउंट से किसी दोस्त के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करते हैं या फिर अपने फोन में किसी पेमेंट ऐप का इस्तेमाल कर रहे होते हैं। आप इसी पैसे को एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वह कैश में तब्दील हो जाता है।

वहीं, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का कोई फिजिकल फॉर्म नहीं होता है। आप इस करेंसी को छू नहीं सकते हैं। यह डीसेंट्रलाइज्ड होती है जो सरकार के नियंत्रण में नहीं होती है। क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल वॉलेट में रखी जाती है। डिजिटल करेंसी की वैल्यू में क्रिप्टोकरेंसी की तरह उतार-चढ़ाव नहीं होता है।

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