मुफ़्त विदेशी मुद्रा रणनीति

वैश्विक संकेतक

वैश्विक संकेतक
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तीन घटकों पर आधारित एक व्यापक परिभाषा विकसित की है।

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण का एक पूरे समाज का दृष्टिकोण है, जो व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर आधारित है। यह स्वास्थ्य के अधिक व्यापक निर्धारकों को संबोधित करता है और शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य और कल्याण के व्यापक और आपस में संबंधित पहलुओं पर केंद्रित है।

वह पूरे जीवन में स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए पूरे की देखभाल मुहैया कराता है और न केवल विशिष्ट रोगों के लिए। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल करता है कि लोगों को व्यापक देखभाल मिले, जिसमें प्रमोशन और निवारण सेउपचार, पुनर्वसन और पीड़ाहारक देखभाल शामिल है, जो लोगों के दैनिक पर्यावरण के लिए अधिक से अधिक योग्य हो।

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का मूल न्याय और समानता के प्रति वचनबद्धता और स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक के मूलभूत अधिकार की मान्यता में है, जैसे कि मानव अधिकारों पर वैश्विक घोषणा की धारा २५ में बताया गया हैः “हर किसी को उसके और उसके परिवार के लिए पर्याप्त जीवनमान का अधिकार है, जिसमें अन्न, वस्त्र, आवास और वैद्यकीय देखभाल तथा आवश्यक सामाजिक सेवायें शामिल हैं […]”

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल महत्त्वपूर्ण क्यों है?

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का नूतनीकरण करना और उसे प्रयासों के केंद्र में रखकर स्वास्थ्य और कल्याण को सुधारना तीन कारणों से महत्त्वपूर्ण हैः

  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तेज़ी से आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और जनसंख्या परिवर्तनों को प्रतिक्रिया देने के लिए सुस्थित है, जिनमें सभी स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव डालते हैं। हाल के विश्लेषण से पता चला है कि १९९० से २०१० में बाल मृत्युदर को कम करने के लगभग आधे लाभ स्वास्थ्य क्षेत्र के बाहर के घटकों के कारण थे (जैसे कि पानी और स्वच्छता, शिक्षा, आर्थिक विकास)। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण हित संबंधितों की व्यापक परिधि को आकर्षित कर स्वास्थ्य और कल्याण के सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और व्यावसायिक निर्धारकों को संबोधित करने के लिए नीतियों की परीक्षा और बदलाव लाता है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और कल्याण के उत्पादन में महत्वपूर्ण कार्यकारकों के रूप में लोगों और समुदायों से व्यवहार करना हमारे बदलते विश्व की जटिलताओं को समझने और प्रतिक्रिया देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण के आज के प्रमुख कारणों और खतरों को संबोधित करने के लिए, साथ ही आने वाले समय मेंस्वास्थ्य और कल्याण को खतरे में डालने वाले उभरती चुनौतियों को संभालने के लिए अति प्रभावी और कार्यक्षम पद्धति सिद्ध हुई है। वह एक अच्छे मूल्यवान वैश्विक संकेतक निवेश भी सिद्ध हुआ है, क्योंकि ऐसा प्रमाण है कि गुणवत्तावान प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अस्पताल में भर्ती होना कमी करने के द्वारा कुल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को कम करती और कार्यक्षमता को बढ़ाती है। बढ़ती जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को संबोधित करने के लिए एक बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली और निवारक नीतियों का समेकन करता है, वह समाधान जो समुदायों को प्रतिक्रिया देते हैं और स्वास्थ्य सेवायें जो जनकेंद्रित होती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में महत्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं, जो स्वास्थ्य सुरक्षा को सुधारने और महामारियों व सूक्ष्म जीवरोधी प्रतिरोध जैसे स्वास्थ्य खतरों के निवारण में आवश्यक हैं, जो सामुदायिक सहभाग तथा शिक्षा, विवेकपूर्ण निर्धारण, और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यवाहियों जैसे कि पर्यवेक्षण के माध्यम से होगा। सामुदायिक और पेरिफ़ेरल स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर प्रणालियों को करने से निरंतरता बनाने में योगदान मिलता है, जो स्वास्थ्य प्रणाली के झटके झेलने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • अधिक शक्तिशाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिरस्थायी विकास ध्येयों और वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। वह स्वास्थ्य ध्येय(एसडीजी३) के परे अन्य ध्येयों की उपलब्धि में योगदान देगा, जिसमें गरीबी, भूख, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी और सुरक्षा, कार्य तथा आर्थिक विकास, असमानता और जलवायु कार्य कम करना शामिल है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 (MPI): लगभग 41.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर आए

Image credit: OPHI

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 (Global Multidimensional Poverty Index: MPI) 17 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा जारी किया गया।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) क्या है?

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 100 से अधिक विकासशील देशों में तीव्र बहुआयामी गरीबी को मापता है।

यह वैश्विक संकेतक 10 संकेतकों में प्रत्येक व्यक्ति के अतिव्यापी अभाव को तीन समान रूप से भारित आयामों (dimensions) में मापता है: स्वास्थ्य (health), शिक्षा (education) और जीवन स्तर (standard of living)

भारत के लिए जीरो पीक एनर्जी बिल्डिंग डिजाइन (जेड-आई)

अधिकांश विकासशील देशों में, भविष्य के भवन भंडार का अधिकांश हिस्सा अभी भी बनाया जाना है, इसलिए आरामदायक परिस्थितियों को सुनिश्चित करते हुए ऊर्जा के उपयोग से आर्थिक विकास को कम करने का एक वास्तविक अवसर है। बढ़ती ऊर्जा मांग, और परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन, कई विकासशील देशों में बढ़ती समृद्धि का एक स्पष्ट संकेतक के रूप में देखा जाता है। इस प्रक्षेप वक्र के न केवल वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए बल्कि भारत जैसे देशों की क्षमता के लिए इसके विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण परिणाम हैं। भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपयोग, जो कि अधिक शहरीकरण से प्रेरित है, प्रतिवर्ष लगभग 3.3 प्रतिशत की गति से बढ़ रहा है। यह परियोजना सीधे भवनों में पीक की मांग को खत्म करने के उद्देश्य से पीक की मांग में कमी की समस्या को संबोधित करती है, जहां इसे बनाया जाता है।

New Delhi: वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, डेरिवेटिव निपटान की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

New Delhi

इंडिया ग्राउंड रिपोर्ट डेस्क
नयी दिल्ली:(New Delhi)
स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे (home front) पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों (Beyond Monthly Derivatives Contracts) के निपटान वैश्विक संकेतक की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।

GHI : भारत ने वैश्विक भूख सूचकांक पर उठाए सवाल, कहा- गलत है पैमाना

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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) भारत की वास्तविक स्थिति नहीं चित्रित करता, क्योंकि यह भूख मापने का गलत पैमाना (Wrong Measure of Hunger) है. इस सूचकांक में भारत को 101 वां स्थान मिला था.

नई दिल्ली : खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति (Minister of State for Food and Consumer Affairs Sadhvi Niranjan Jyoti) ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी कि वैश्विक भूख सूचकांक भारत की वास्तविक स्थिति नहीं दर्शाता, यह भूख मापने का गलत पैमाना है.

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