मुफ़्त विदेशी मुद्रा रणनीति

क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?
फोटो सोशल मीडिया

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 12 पैसे कमजोर हो कर खुला

विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया आज कमजोरी के साथ खुला | आज रुपया 12 पैसे की कमजोरी के साथ 81.80 रूपये के स्तर पर खुला | वंही शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे की कमजोरी के साथ 81.68 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

पिछले 5 दिनों का रूपये का क्लोजिंग स्तर

शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे की कमजोरी के साथ 81.68 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की मजबूती के साथ 81.63 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 18 पैसे की कमजोरी के साथ 81.84 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे की मजबूती के साथ 81.66 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की कमजोरी के साथ 81.84 रूपये के स्तर पर बंद हुआ |

रूपये के मजबूत या कमजोर होने का कारण

रूपये की कीमत डॉलर की तुलना में डिमांड और सप्लाई से तय होती है लेकिन आयत और निर्यात का भी इसके गिरावट और मजबूती पर असर पड़ता है | हर देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार रखना बहुत ही जरुरी होता है क्यूं की कोई भी देश अपने देश में आयात होने वाली वस्तुओं का भुगतान डॉलर में ही करता है | भारत में हर हफ्ते रिज़र्व बैंक अपनी वेबसाइट पर इससे जुड़े आकड़े जारी करता है |

महंगे डॉलर का आम आदमी के ऊपर असर

देश में अपनी जरुरत का करीब 80 फिसद क्रूड आयल का आयात करना पड़ता है इसमें भारत को काफी ज्यादा डॉलर खर्च करना पड़ता है | यह देश के विदेशी मुद्रा भंडार पे दबाव बनाता है जिसका असर रूपये की कीमत पर पड़ता है अगर डॉलर ज्यादा महंगा होगा तो हमे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी और अगर सस्ता हो जाता है तो थोड़ी राहत मिलती है |

जानना जरूरी है: 2021 में एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बनी भारतीय रुपया, जानिए देश पर इसका क्या असर होगा?

indian rupee

नई दिल्ली। भारत के लिए साल 2021 कुछ अच्छा नहीं रहा। क्योंकि पहले GDP में गिरावट और अब साल के अंत तक भारतीय रूपया एशिया का सबसे कमजोर करंसी बन गया है। दरअसल, कोरोना के चलते विदेशी फंड देश के शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं, जिसका बुरा असर साफतौर पर भारतीय मुद्रा पर पड़ा है।

विदेशियों ने 4 अरब डॉलर निकाल लिए

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय करेंसी में 2.2 फीसदी की गिरावाट दर्ज की गई है। जानकार बता रहे हैं कि वैश्विक फंडों ने देश के शेयर बाजार से कुल 4 अरब डॉलर निकाल लिए। जो आसपास के क्षेत्रीय बाजारों में सबसे अधिक राशि है। इसका असर ये हुआ कि एशिया के सबसे कमजोर करंसी में भारतीय रूपया शामिल हो गया।

कोरोना के कारण मार्केट में दहशत का महौल

दरअसल, कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉम के आने और भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुए नुकसान को देखते हुए वैश्विक बाजार में अफरा तफरी का महौल है। विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में से काफी बड़ी संख्या में पैसे निकाल रहे हैं। उन्हें डर है कि नए वैरिएंट के आने से कहीं उन्हें ज्यादा नुकसान न उठाना पड़े।

इस वर्ष रूपये में क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? 4 प्रतिशत की गिरावट

गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक और नोमुरा होल्डिंग्स इंक ने भारतीय बाजार के लिए हाल ही में अपने आउटलुक को कम कर दिया है। इसके लिए उन्होंने उंचे मूल्यांकरन का हवाला भी दिया। रिकॉर्ड हाई व्यापार घाटा और फेडरल रिजर्व के साथ केंद्रीय बैंक की अलग नीति ने भी रूपये की कैरी अपील को प्रभावित किया। ब्लूमबर्ग के ट्रेडर्स और एनालिस्टों के सर्वे के मुताबिक, रूपया 76.50 पर पहुंच सकता है। यानी इस रूपये में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

इस वर्ष रूपया कमजोर हो गया, इस बात को सुनकर आपके मन में भी ये सवाल आया होगा कि आखिर इससे देश को क्या नुकसान होगा, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि रूपये के कमजोर होने या मजबूत होने से देश को क्या फायदा या क्या नुकसान होगा।

इस कारण से रूपया कमजोर या मजबूत होता है

सबसे पहले जानते हैं रूपया कमजोर या मजबूत क्यों होता है? बता दें कि रूपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है। इस पर आयात और निर्यात का भी असर पड़ता है। हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेने करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। रिजर्व बैंक समय-समय पर इसके आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है। साल 2021 में इसी विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। यानी निवेशकों ने यहां से अपने पैसे निकाल लिए हैं।

ऐसे पता चलता है, रूपया कमजोर है या मजबूत

मालूम हो कि अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रूतबा हासिल है। इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर। अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों में आसानी से इसे स्वीकार्य किया जाता है।

भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में ही होते हैं

अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में ही होते हैं। यानी अगर देश को अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड ऑयल), खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम आदि विदेश से मंगवाना है तो उसे डॉलर में इसे खरीदना होता है। ऐसे में अगर विदेशी मुद्रा भंडार कम है तो रूपये के मुकाबले डॉलर और कही ज्यादा मजबूत हो जाता है। इसका असर ये होता है कि हमें सामान खरीदने के लिए और अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। अधिक पैसे खर्च करने का मतलब है भारत में सामान का दाम बढ़ जाना। जिसका सीधा असर आम नागरिक की जेब पर पड़ता है।

डॉलर के भाव में 1 रूपये की तेजी से इतना पड़ता है भार

बता दें कि भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। ऐसे में रूपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाता है और इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा देती हैं। एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रूपये की वृद्धि से तेल कंपनयों पर 8 हजार करोड़ रूपये का बोझ पड़ता है।

रेंग रहा है रुपया, दो साल के निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, जानें क्या पड़ेगा असर

Rupee

फोटो सोशल मीडिया

दिल्लीः मौजूदा समय में भारतीय रुपया रेंग रहा है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका के क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि करना है। पहली बार एक डॉसर की कीमत 81 रुपये क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? से अधिक हो गई है। इस बीच, विदेशी मुद्रा भंडार ने भी चिंता बढ़ा दी है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह गिरा है और अब यह 2 साल के निचले स्तर पर आ चुका है।

डॉलर बनाम रुपया: पहली बार एक डॉलर की कीमत 81 रुपये के पार पहुंच गई है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान रुपया गिरकर 81.23 के स्तर तक जा पहुंचा था। हालांकि, कारोबार के अंत में मामूली रिकवरी हुई। इसके बावजूद रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा भंडार: आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 545.652 बिलियन डॉलर पर आ गया। पिछले सप्ताह यह 550.871 अरब डॉलर था। इस तरह से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पहुंच गया है। अब सवाल है कि रुपया के कमजोर होने या विदेशी मुद्रा भंडार के घट जाने की कीमत आपको कैसे चुकानी पड़ सकती है?

रुपया की कीमत में गिरावट की वजह: विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने की वजह से रुपया कमजोर हुआ है। दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.72 प्रतिशत चढ़कर 112.15 पर पहुंच गया है। डॉलर इसिलए मजबूत बना हुआ है, क्योंकि अमेरिकी फेड रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 75 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी कर दी है।

दरअसल, ब्याज दर बढ़ने की वजह से ज्यादा मुनाफे के लिए विदेशी निवेशक अमेरिकी बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस वजह से डॉलर को मजबूती मिल रही है। इसके उलट भारतीय बाजार में बिकवाली का माहौल लौट आया है। बाजार से निवेशक पैसे निकाल रहे हैं, इस वजह से भी रुपया कमजोर हुआ है।

क्या होगा असर : रुपया कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। रुपया कमजोर होने से आयात पर निर्भर कंपनियों का मार्जिन कम होगा, जिसकी भरपाई दाम बढ़ाकर की जाएगी। इससे महंगाई बढ़ेगी। खासतौर पर पेट्रोलियम उत्पाद के मामले में भारत की आयात पर निर्भरता ज्यादा है। इसके अलावा विदेश घूमना, विदेश से सर्विसेज लेना आदि भी महंगा हो जाएगा।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? पर असर: रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है। देश को आयात के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो जाहिर सी बात है कि खजाना खाली होगा। यह आर्थिक लिहाज से ठीक बात नहीं है।

आर्थिक मोर्चों पर मजबूत हो रहा भारत, निर्यात में दर्ज हुई सकारात्मक वृद्धि

देश की अर्थव्यवस्था पर निर्यात का बड़ा असर होता है। आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे देश की स्थिति का अंदाज उस देश के बढ़ते निर्यात के ग्राफ से लगाया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए सेवाओं का निर्यात आर्थिक मोर्चे पर मजबूती देने के लिए अहम कारक माना जाता है। मंत्रालय द्वारा जारी आकड़े यह बताते हैं कि सितंबर 2022 के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 25.65 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो सितंबर 2021 के 21.61 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 18.72 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

सितंबर में 4.82 % बढ़ा देश का निर्यात

वाणिज्य मंत्रालय ने जारी आंकड़ों में बताया कि सितंबर में देश का निर्यात 4.82 फीसदी बढ़कर 35.45 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में देश का आयात सालाना आधार पर 8.66 फीसदी बढ़कर 61.61 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? व्यापार घाटा बढ़कर 25.71 अरब डॉलर हो गया, जबकि सितंबर, 2021 में व्यापार घाटा 22.47 अरब डॉलर रहा था। मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में देश का निर्यात 16.96 फीसदी की वृद्धि के साथ 231.88 अरब डॉलर रहा है।

बढ़ रहा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

देश का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी। आरबीआई के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी सुरक्षित स्वर्ण भंडार का मूल्य बढ़ने से हुई है। सात अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया। दरअसल, इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था। एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

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